भैया दूज (यम द्वितीया) 2024 की कथा कहानी | Bhai Dooj Story In Hindi: भैया दूज अथवा भाई दूज का त्योहार कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को मनाया जाता हैं.
यह भाई बहिन के प्रेम का प्रतीक हैं. इस दिन भाई बहिन को साथ साथ यमुना स्नान करना, तिलक लगवाना तथा बहिन के घर जाकर भोजन करना अति फलदायी होता हैं.
इस दिन बहिन भाई की पूजा कर उसके दीर्घायु तथा अपने सुहाग की कामना से हाथ जोड़ यमराज से प्रार्थना करती हैं इसी दिन सूर्य तनया जमुनाजी ने अपने भाई यमराज को भोजन कराया था,
इसलिए हम इस त्योहार को यम द्वितीया या भैया दूज कहते हैं. भाई दूज के दिन श्रद्धावनत भाई को स्वर्ण, वस्त्र, मुद्रा आदि बहिन को देना चाहिए.
भैया दूज (यम द्वितीया) 2024 की कथा कहानी | Bhai Dooj Story In Hindi
भाई की आयु-वृद्धि तथा सर्वकामना पूर्ति के लिए बहन अपने भाई को टीका लगाती है तथा भगवान से प्रार्थना करती हैं.
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यम द्वितीया या भाई दूज कहा जाता है इस साल 2024 में 14 नवम्बर के दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा.
भाई दूज और यम द्वितीया 2024 में कब हैं (Bhai Dooj / Yam Dwitiya Date Date and timing )
भाई बहिन के प्रेम का यह उत्सव साल में दो बड़े हिन्दू त्यौहारों दिवाली और होली के बाद मनाया जाता हैं, पहली भाई दूज होली के दुसरे दिन यानी चैत्र कृष्णा की द्वितिया तिथि के दिन तथा दूसरी यम द्वितीया कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाते है जो दिवाली के दो दिन बाद पडती हैं.
इस साल होली और दिवाली के बाद आने वाली यम द्वितीया की तिथि और मुहूर्त क्या हैं, इसे हम निम्न तालिका के जरिये समझने का प्रयास करेंगे.
2024 होली के बाद भाई दूज कब है (Bhai Dooj after holi)
त्यौहार | दिनांक | मुहूर्त समय |
होली भाई दूज | 27 मार्च | 14:44 से 15:26 तक |
2024 दिवाली के बाद भाई दूज कब है ? (Bhai Dooj after Diwali)
त्यौहार | दिनांक | मुहूर्त समय |
दीवाली भाई दूज | 14 नवम्बर | 13:12 से 15:27 |
भाई दूज महत्व एवम विधि (Bhai Dooj Significance, Puja Vidhi)
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार साल भर के तीन त्यौहारों होली, दिवाली के बाद की भैया दूज तथा रक्षा बंधन का सम्बन्ध भाई बहन से हैं.
यम द्वितीया व्रत के दिन भाई को बहिन अपने ससुराल बुलाती है उन्हें तिलक कर भोजन करवाकर ईश्वर से मंगल कामना करती हैं.
मान्यताओं के अनुसार भाई बहिन यमुना में स्नान करके यम की पूजा करके हैं, जीवन में अकाल मृत्यु तथा भय का नाश इस व्रत को रखने से छुटकारा मिलता हैं.
भाई दूज की कथा Bhai Dooj Story In Hindi
सूर्य भगवान की स्त्री का नाम संज्ञादेवी था, इनकी दो संताने पुत्र यमराज तथा कन्या यमुना थी. संज्ञा रानी पति सूर्य की उद्दीप्त किरणों को न सह पाने के कारण उत्तरी धुर्व परदेश की छाया में जाकर रहने लगी.
उसी छाया से ताप्ति नही तथा शनिचर का जन्म हुआ. इसी छाया से अश्विनी कुमारों का भी जन्म बतलाया जाता है जो कि देवताओं के वैद्य माने जाते हैं.
इधर छाया का यम तथा यमुना से विमाता सा व्यवहार होने लगा, इससे खिन्न होकर यम ने अपनी एक नई नगरी यमपुरी को बसाया, यमपुरी में पापियों को दंड देने का कार्य संपादित करते भाई को देखकर यमुना जी गो लोक में चली गई जो उस समय कृष्णावतार की भूमि थी.
बहुत समय व्यतीत हो जाने पर एक दिन सहसा यम को अपनी बहिन की याद आई, उन्होंने दूतों को भेजकर यमुना जी को बहुत खोजवाया, मगर मिल न सकी.
फिर यमराज स्वयं ही गोलोक गये जहा विश्राम घाट पर यमुना जी से भेट हुई. भाई को देखते ही यमुना ने हर्ष विभोर से स्वागत सत्कार किया और उन्हें भोजन कराया, इससे प्रसन्न हो यमराज ने वर मांगने को कहा.
यमुना ने कहा- हे भैया, मैं आपसे यह वरदान माँगना चाहती हूँ कि इस दिन मेरे जल में स्नान करने वाली नर नारी यमपुरी में न जाए.
प्रश्न बड़ा कठिन था, यम के ऐसे वर से यमपुरी का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता. भाई को असमंजस में देखकर यमुना बोली- आप चिंता न करे.
मुझे यह वरदान दे कि जो लोग आज यानि भैया दूज के दिन अपनी बहिन के घर जाकर भोजन करके, इस मथुरा नगरी स्थित विश्राम घाट पर स्नान करे, वह तुम्हारे लोक को न जाए.
इसे यमराज ने स्वीकार कर लिया. इस दिन जो सज्जन बहन के घर जाकर भोजन नही करेगे, उन्हें मैं बांधकर यमपुरी ले जाउगा और तुम्हारे जल में स्नान करने वालों को स्वर्ग प्राप्त होगा, तभी से यह भैया दूज का त्योहार मनाया जाता हैं.