प्रसिद्ध वैज्ञानिक ब्रह्मगुप्त का जीवन परिचय Brahmagupta Biography In Hindi

ब्रह्मगुप्त का जीवन परिचय Brahmagupta Biography In Hindi आज के जीवन परिचय में राजधान की धरा पर जन्में महान गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त के बारें में हम जानेगे.

भारत के इतिहास में गणित के क्षेत्र में कई धुरंधर आचार्य हुए है जिनमें आर्यभट,  भास्कराचार्य प्रथम के बाद ब्रह्म गुप्त का नाम ही आता हैं.

इन्होने दो बड़े ग्रंथों की रचना की ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त’ और ‘खण्ड-खाद्यक’ जिनका अरबी भाषा में भी अनुवाद हो चूका है.

Brahmagupta Biography In Hindi | ब्रह्मगुप्त का जीवन परिचय

प्रसिद्ध वैज्ञानिक ब्रह्मगुप्त का जीवन परिचय Brahmagupta Biography In Hindi

ब्रह्मगुप्त भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ थे. उनका जन्म 598 ई. में राजस्थान में भीनमाल में हुआ था. इनके पिता का नाम विष्णु था.

उन्हें भिल्लमाल आचार्य के नाम से जाना जाता हैं. वें तत्कालीन गुर्जर प्रदेश (भीनमाल) के अंतर्गत आनेवाले प्रख्यात नगर उज्जैन की अन्तरिक्ष प्रयोगशाला के प्रमुख थे.

ब्रह्म गुप्त का प्रारंभिक जीवन 

भौगोलिक शास्त्री व गणितज्ञ ब्रह्म गुप्त का जन्म 598 ई. में पश्चिम भारत के भिन्नमाल नामक स्थान पर हुआ था। रमन गुप्ता के जन्म के समय भिन्नमाल गुजरात की राजधानी हुआ करती थी। भिनमाल नामक स्थान के बारे में अलग-अलग शोधकर्ताओं और इतिहासकारों ने अपने अलग-अलग विचार प्रस्तुत किए हैं। 

ब्रह्मगुप्त के पिताजी का नाम विष्णु गुप्त था। ब्रह्मगुप्त के पिता विष्णुगुप्त का भी नाम इतिहास के पन्नों पर अमर स्याही से अंकित किया गया है। ब्रह्मगुप्त के दादाजी वह विष्णु गुप्त के पिताजी का नाम जीश्नुगूप था। 

ब्रह्मा गुप्ता वैश्य समुदाय के थे। डॉक्टर वी. ए. अस्मित   ने ब्रह्म गुप्त के विषय में कहा था कि वह उज्जैन नगरी में निवास करते थे और वहीं पर कार्य करते थे। भास्कराचार्य के अनुसार ब्रह्म गुप्त चांप वंशी राजा के राज्य में निवास करते थे। 

वे एक महान गणितज्ञ थे. उन्होंने भारतीय गणित को सर्वोच्च शिखर पर पहुचा दिया था. यही वजह है की बाहरवी शताब्दी के विख्यात ज्योतिष गणितज्ञ भास्कराचार्य ने उन्हें गणक चक्र चूडामणि के नाम से संबोधित किया था.

आर्यभट्ट के बाद भारत के पहले गणित शास्त्री भास्कराचार्य प्रथम और उसके बाद ब्रह्मगुप्त हुए. वे खगोल शास्त्री भी थे. उन्होंने शून्य के उपयोग के नियम खोजे थे.

उनकें मुलाको को ज्योतिषी भास्कराचार्य ने सिद्धांत शिरोमणि का आधार माना हैं. उनके ग्रन्थ में ब्रह्मास्फुट सिद्धांत और खंड खाद्यक बेहद प्रसिद्ध हैं.

ब्रह्मगुप्त के ये ग्रन्थ इतने प्रसिद्द हुए कि खलीफाओं के राज्यकाल में उनका अनुवाद अरबी भाषा में कराया गया. उनके ग्रंथों को अरब देश में अल सिंद हिंद और अल अर्कंद के नाम से जाना गया.

इन ग्रंथों के माध्यम से ही पहली बार अरबों को भारतीय गणित और ज्योतिष का ज्ञान प्राप्त हुआ. इस तरह से ब्रह्मगुप्त अरबी के गणितज्ञ एवं ज्योतिषियों के गुरु थे. ब्रह्मास्फुट सिद्धांत उनका सबसे पहला ग्रन्थ था. उसमें शून्य को एक अलग ग्रन्थ के रूप में बताया गया.

इस ग्रंथ में ऋणात्मक अंकों और शून्य पर गणित के सभी नियमों का वर्णन किया गया हैं. उनके ग्रंथ में बीजगणित भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है. उन्होंने बीजगणित का पर्याप्त विकास किया और ज्योतिष के प्रश्नों को हल करने में उनका प्रयोग किया.

ज्योतिष विज्ञान भी विज्ञान और गणित पर ही आधारित हैं. ब्रह्मगुप्त ने चक्रीय चतुर्भुज में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया.  ब्रह्मगुप्त ने बताया कि चक्रीय चतुर्भुज के विकर्ण परस्पर लम्बवत होते हैं. 668 ई में ब्रह्मगुप्त की मृत्यु हो गई.

हम भले ही इनके द्वारा बताई गई बातों को समझ नही पा रहे हैं. लेकिन जो लोग गणित विषय में रूचि रखते है, उनके लिए यह जानना बेहद दिलचस्प होगा है. यदि गणित की बारीकी को समझने का प्रयास किया जाए तो यह बेहद सरल विषय लगता हैं.

आप भी गणित की बारीकियों और इसके सूत्रों को समझने का प्रयास करेगे तो हो सकता है कि आनेवाले समय में आप में से कई महान वैज्ञानिक ब्रह्मगुप्त की तरह नई नई खोज कर भारत का नाम रोशन करेगे.

ब्रह्मगुप्त का फार्मूला 

गणित के क्षेत्र में ब्रह्म गुप्त ने अपना जो सूत्र प्रतिपादित किया था वह उनका सबसे बड़ा योगदान माना जाता है। ब्रह्मगुप्त का सूत्र चक्रीय चतुर्भुज पर आधारित है।

ब्रह्म गुप्त के सूत्र के अनुसार चक्रीय चतुर्भुज के विकर्ण परस्पर लम्बवत होते हैं। ब्रह्म गुप्त ने अपने सूत्रों में चक्रीय चतुर्भुज के क्षेत्रफल निकालने का तरीका बताया था। 

चक्रीय चतुर्भुज का क्षेत्रफल निकालने के लिए ब्रह्म गुप्त ने दो तरह के सूत्रों का वर्णन किया था पहला सूत्र सन्निकट सूत्र जिसे अंग्रेजी में approximate formula कहते हैं और दूसरा सूत्र यथातथ सूत्र है इसे अंग्रेजी में exact formula कहते हैं।

सन्निकट सूत्र के अनुसार चक्रीय चतुर्भुज के क्षेत्रफल का फार्मूला (p+r/2) (q+s/2) होता है। और यथातथ सूत्र के अनुसार चक्रीय चतुर्भुज के क्षेत्रफल का फार्मूला √(t-p)(t-q)(t-r)(t-s) होता है।

ब्रह्म गुप्त का गणित में योगदान

ब्रह्म गुप्त ने गणित के क्षेत्र में जितने भी योगदान दिए हैं उन सभी योगदानों को आज भी विश्व गणित में याद किया जाता है। 

628 ईसवी में लिखी गई ब्रह्मस्फुटसिद्धांत ब्रह्म गुप्त द्वारा लिखी गई पहली पुस्तक मानी जाती है क्योंकि इस पुस्तक में ब्रह्मगुप्त ने पहली बार सुनने को एक अलग अंक के रूप में दर्शाया था।

साथ ही ब्रह्मगुप्त जी ने ऋणात्मक अंको व शून्य पर किए जाने वाले गणित सूत्रों की चर्चा भी इस पुस्तक में की थी। इस पुस्तक के साढ़े चार अध्याय मुख्य रूप से गणित पर आधारित है।

ब्रह्मगुप्त के पुस्तक में बीजगणित को सबसे ऊपर रखा गया है। ब्रह्म गुप्त ने अपनी पुस्तक में वर्गीकरण के विधि का भी बहुत ही सरल वर्णन किया है। ब्रह्मगुप्त ने अपनी पुस्तक में गणित के विलोम विधि का भी वर्णन किया है।

668 ईस्वी में ब्रह्म गुप्ता जी ने खण्डखाद्य की रचना की थी। अपने इस पुस्तक में उन्होंने ज्योतिषी पंचांग का वर्णन किया था। ब्रह्मगुप्त के मूलांकों को सिध्दान्त शिरोमणि का आधार बना कर भास्कराचार्य ने अपने ग्रंथ की रचना की थी। 

उज्जैन में ब्रह्म गुप्ता ने काफी समय तक कार्य भी किया था। उन्होंने उज्जैन के वेधशाला में प्रमुख के तौर पर कई समय तक कार्य भी किया था। अपने गणित पद्धतियों से उन्होंने पृथ्वी की परिधि ज्ञात की थी।  

ब्रह्म गुप्त द्वारा रचित ग्रंथ

प्राचीन भारतीय गणितज्ञ ब्रह्म गुप्त ने गणित के क्षेत्र में अपने विचारों को लोगों तक पहुंचाने के लिए और उन्हें गणित के बारे में नई चीजें बताने के लिए ग्रंथ की भी रचना की थी। ब्रह्म गुप्त ने अपने कार्यकाल के दौरान दो महान ग्रंथों की रचना की थी।

इन दोनों ग्रंथ के नाम हैं – ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त और खण्डखाद्यक या खण्डखाद्यपद्धति. ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त नामक इस ग्रंथ की रचना ब्रह्मा गुप्त ने 628 ईसवी में की थी। और फिर कुछ समय बाद ब्रह्मा गुप्त ने अपने दूसरे खण्डखाद्यपद्धति की रचना 665 ईसवी में किया था। 

उन्होंने गणित के विचारों को अपने दूसरे ग्रंथ में भी वर्णन किया है  जिसका नाम ध्यानग्रहोपदेश है। ब्रह्मगुप्त की दोनों पुस्तकों को अरबी भाषा में अनुवाद किया गया था। ब्रह्मगुप्त के अरबी में अनुवादित पुस्तक का नाम सिंद-हिंद’ और अलत-अरकन्द है।  

ब्रह्मगुप्त की मृत्यु

महान गणितज्ञ, ज्योतिषी और खगोल शास्त्री ब्रह्मगुप्त की मृत्यु 668 ईस्वी में हो गई थी। लेकिन आज भी गणित के क्षेत्र में ब्रह्म गुप्त के योगदान को सर्वोपरि माना जाता है।

ब्रह्मगुप्त ने गणित के क्षेत्र में जो विचार प्रस्तुत किए थे उनका बाद में अरबी भाषा में भी अनुवाद किया गया था। ब्रह्म गुप्ता के अरबी गणित में आने से अरबी गणित काफी सशक्त हो गया था।

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