चक्रवर्ती राजगोपालाचारी का जीवन परिचय Chakravarti Rajagopalachari Biography in Hindi: महान वकील, लेखक, राजनीतिज्ञ और दार्शनिक थे. इन्हें राजाजी के उपनाम से जाने जाते हैं.
इन्हें प्रथम भारतीय गर्वनर होने का सौभाग्य मिला. दक्षिण भारत के दिग्गज कांग्रेसी नेता चक्रवर्ती राजगोपालाचारी कुछ समय बाद कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बना ली.
तथा कुछ समय तक ये मद्रास के मुख्यमंत्री भी रहे. राजाजी और महात्मा गांधी के पारिवारिक सम्बन्ध थे. इनकी बेटी लक्ष्मी का विवाह गांधीजी के छोटे बेटे के साथ हुआ था.
Chakravarti Rajagopalachari Biography in Hindi राजगोपालाचारी का जीवन परिचय
चक्रवर्ती राज गोपालाचारी का जन्म 1879 में मद्रास के सलेम नामक स्थान में एक सनातन ब्राह्मण परिवार में हुआ था वे एक प्रसिद्ध वकील बने.
1919 में गांधी के सम्पर्क में आने के बाद उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में आने का निर्णय लिया. अन्तः गांधी जी के असहयोग आंदोलन के आव्हान पर चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने वकालत छोड़ दी.
1921-22 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जनरल सचिव बने और1922 से 1924 तक वह कांग्रेस वर्किंग कमेटी के एक सक्रिय सदस्य रहे. उन्होंने तमिलनाडू में सविनय अवज्ञा आंदोलन को फ़ैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
चक्रवर्ती राज गोपालाचारी को अप्रैल 1930 में गिरफ्तार कर लिया गया. जब वे त्रिचुरापल्ली से वेदरनैयम से नमक आंदोलन के जत्थे का नेतृत्व करते हुए तंजौर के तट पर पहुचे.
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने 1937 के चुनाव में मद्रास में कांग्रेस की जीत के लिए उनका सहयोग बहुत ही प्रशंसनीय था. 1937 से 1939 तक मद्रास के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने मद्रास टेम्पल एंट्री एक्ट तथा राज्य में प्रवेश निषेध की आज्ञा की प्रस्तावना को लागू किया.
उन्होंने 1942 में उनके क्रिप्स मिशन योजना को स्वीकार करने से इंकार करने पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया.
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी आर भूलाभाई देसाई इस बात के समर्थक थे कि मुस्लिम बहुल प्रान्तों में उनके अधिकार को महत्व दिया जाए.
जो कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यह अधिकार वे प्राप्त कर सके. बाद में मुस्लिम लीग व कांग्रेस के सहयोग के लिए सी आर फार्मूला तैयार किया गया जो कि मुस्लिम लीग द्वारा अस्वीकार कर दिया गया.
वह अगस्त 1947 से नवम्बर 1947 तक बंगाल के राज्यपाल के पद पर नियुक्त रहे तथा 1946-47 में गवर्नर जनरल की इक्जिक्यूटिव काउंसिल के सदस्य भी थे.
1951 में वे केंद्रीय सरकार में गृहमंत्री पद पर रहे. 1959 में उन्होंने स्वतंत्र पार्टी की स्थापना की जिसका मुख्य लक्ष्य था व्यक्ति की स्वतंत्रता को महत्व दिया जाएँ.
एक कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ साथ चक्रवर्ती राजगोपालाचारी की दूरदृष्टि बौद्धिक गुणों की योग्यता से परिपूर्ण थी, जिसमें सामाजिकता तथा विद्वतापूर्ण व्यवहार की महान पुष्टि झलकती थी.
उन्होंने सामजिक अंधविश्वासों का जमकर विरोध किया जो कि सनातन धर्म के नियमों से बिलकुल अलग हटकर थे.
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी हरिजन तथा अन्य सताये जा रहे वर्गों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए प्रयास किया तथा पूना समझौते का समर्थन किया.
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी वास्तव में असाधारण विद्वान् थे. उन्होंने अग्रेजी साहित्य का बड़ी गहराई से अध्ययन किया था. तथा वह विशेष रूप से तालस्ताय तथा कोरियों के लेखों से प्रभावित थे.
उन्होंने भी अंग्रेजी व तमिल के उस समय के पत्र व पत्रिकाओं में अपने लेखों द्वारा पूरे भारत के विद्वानों को प्रभावित किया.
राजनैतिक समस्याओं के सम्बन्ध में उनके विचार स्वराज्य तथा सत्यमेव जयते संग्रह के रूप में संकलित हैं. 1954 में चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को भारतरत्न से सम्मानित किया गया.
निजी जीवन
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी का विवाह अलामेलु मंगम्मा के साथ हुआ था. उनके पांच संताने थे जिनमें तीन पुत्र व दो पुत्रियाँ थी. राजाजी की पत्नी का 1916 में देहांत हो जाने से बच्चों के लालन पोषण का पूरा भार उनके कंधों पर आ गया था.
अपनी वेश भूषा से भी भारतीयता का दर्शन कराने वाले राजाजी महात्मा गांधी के सबसे करीबी रहे. जब गांधीजी जेल में होते तो जब उनसे पूछा जाता कि आपके पत्रों का संपादन कौन करेगा तथा आपके उत्तराधिकारी कौन हैं तब वे कहते राजाजी और कौन.
भारत की राजनीति के कौटिल्य कहे जाने वाले राजाजी को वर्ष 1954 में सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारतरत्न से भी नवाजा गया, धर्म, आध्यात्म एवं राजनीति जैसे विषयों पर उनकी गहरी समझ थी. वे सक्रिय राजनीति के साथ साथ लेखनी भी करते थे.
इन्हें तमिल और अंग्रेजी में कई पुस्तकें लिखी. गीता’ और ‘उपनिषदों’ पर उनकी टिकाएं काफी लोकप्रिय रही. उनकी प्रसिद्ध रचना चक्रवर्ती थरोमगम पर साहित्य अकादमी सम्मान भी दिया गया.
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी का व्यक्तिगत परिचय
पूरा नाम | चक्रवर्ती राजगोपालाचारी |
निकनेम | राजाजी, सीआर |
जन्म तिथि | 10 दिसंबर, 1878 |
जन्म स्थान | कृष्णागिरी, तमिलनाडु |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पेशा | राजनीतिज्ञ, स्वतंत्रता सैनानी, वकील, लेखक, राजनेता |
धर्म | हिन्दू |
मृत्यु | 25 दिसंबर, 1972 |
मृत्यु स्थान | मद्रास, तमिलनाडू, भारत |
राजनीतिक पार्टी | स्वतंत्रता पार्टी |
राजनीतिक विचारधारा | राइट विंग |
राशि | धनु राशि |
जाति | आयंगर |
परिवार
पत्नी का नाम | अलमेलु मंगम्मा |
बेटा | नरसिम्हा, कृष्णास्वामी, रामास्वामी |
बेटी | लक्ष्मी गाँधी सी आर, नामागिरी अम्मल सी आर |
पिता | चक्रवर्ती वेंकटार्यन |
माता | चक्रवर्ती सिंगाराम्मा |
भाई बहन | नारासिम्हाचारी एवं श्रीनिवास |
शादी | साल 1897 |
विवाह
अलार्म अलामेलु मंगम्मा ही उस लड़की का नाम था जिसके साथ राजगोपालाचारी ने शादी करने का निर्णय लिया था।
इस प्रकार लड़का लड़की की हामी के बाद और परिवार वालों की मर्जी के साथ अलामेलु मंगम्मा और गोपालाचारी की शादी साल 1897 में हिंदू रीति-रिवाजों से संपूर्ण हुई।
शादी के बाद ही इनके टोटल 3 बेटे पैदा हुए और 2 बेटियां पैदा हुई। इस प्रकार यह दोनों पांच संतानों के माता-पिता बने।
हालांकि शादी के कुछ ही सालों के बाद इनकी पत्नी की मौत हो गई। राजगोपालाचारी ने अपनी बेटी लक्ष्मी की शादी महात्मा गांधी के बेटे देवदास के साथ की थी।
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी की शिक्षा
अपने बचपन के समय में चक्रवर्ती काफी ज्यादा कमजोर थे क्योंकि बचपन में यह अधिकतर किसी ना किसी शारीरिक समस्या के कारण परेशानी रहते थे और इसी लिए इनके परिवार वाले इनकी सेहत को लेकर के काफी ज्यादा चिंतित रहते थे।
जब गोपालाचारी 4 साल के हुए तब इनके माता-पिता ने इनकी पढ़ाई के लिए इन्हें गांव के पास में ही स्थित एक स्कूल में इनका एडमिशन करवाया परंतु अगले ही साल राजगोपालाचारी के परिवार को होसुर में जाना पड़ा।
इस प्रकार चौथी क्लास को अपने गांव से पास करने के बाद इन्होंने पांचवी कक्षा में होसुर में स्थित एक गवर्नमेंट स्कूल में एडमिशन लिया जिसका नाम आर वी गवर्नमेंट उच्च माध्यमिक स्कूल था।
इन्होंने साल 1891 में अपनी मेट्रिक की एग्जाम को राजा जी से पास की ओर ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने के लिए यह बेंगलुरु चले गए,
जहां पर साल 1894 में इन्होंने बेंगलुरु के सेंट्रल कॉलेज में एडमिशन लिया और यहां पर इन्होंने आर्ट विषय की पढ़ाई पूरी की और आर्ट्स के सब्जेक्ट की डिग्री को हासिल किया।
इन्होंने अपनी पढ़ाई को सिर्फ यही तक ही नहीं रोका बल्कि इन्होंने कानून की पढ़ाई करने के लिए मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज में एडमिशन लिया और वहां से इन्होंने कानून की पढ़ाई में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।
मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज से कानून की डिग्री राजगोपालाचारी ने साला 1897 में हासिल की और यही वह साल था जब इनकी शादी के लिए रिश्ते भी आने लगे थे.
कई रिश्तो को देखने के बाद राजगोपालाचारी ने अलमेलु मंगम्मा नाम की लड़की से शादी करने के लिए हामी भरी और बाद में उनकी शादी हिंदू रीति-रिवाजों से हुई।
मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज से कानून की डिग्री को पाने के बाद राजगोपालाचारी ने साल 1900 में ही कानून की प्रैक्टिस करना चालू कर दिया।
राजगोपालाचारी जी के काम और उपलब्धियां
हमारा भारत देश जब अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो गया तो उसके बाद इन्होंने ऐसे कई काम किए जिससे लोगों का भला हुआ परंतु मुख्य तौर पर जब यह मद्रास राज्य के मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने जो काम जनता के हित के लिए किए थे उसके लिए इन्हें याद किया जाता है।
अपने अच्छे कामो की बदौलत ही राजगोपालाचारी भारतीय गवर्नमेंट की नजरों में आए और इन्हें इनके द्वारा किए गए लोक कल्याण के कामों के लिए “भारत रत्न” का अवार्ड साल 1954 में दिया गया, वहीं साल 1958 में इन्हें साहित्य अकादमी अवार्ड से भी नवाजा गया।
राजगोपालाचारी के बारे में रोचक बातें
- भारतीय गवर्नर जनरल का पद जब राजगोपालाचारी को प्राप्त हुआ था, तो इस पद को पाने के बाद इन्हें वायसराय के महल में रहने का मौका मिला था परंतु उन्होंने कभी भी सुख सुविधा का लालच नहीं किया। यह वायसराय के महल में भी बिल्कुल सिंपल तरीके से रहते थे।
- इनके बारे में एक दुखद बात यह है कि शादी होने के सिर्फ कुछ ही सालों के बाद इनकी जीवन संगिनी ने इनका साथ छोड़ दिया क्योंकि उनकी मृत्यु हो गई। जब इनकी जीवनसंगिनी की मृत्यु हुई थी तब राजगोपालाचारी 56 साल की उम्र को पार कर रहे थे।
- आपको यह जानकर हैरानी होगी कि महात्मा गांधी के बेटे देवदास गांधी ने अपनी पत्नी के तौर पर राजगोपालाचारी की बेटी का हाथ मांगा था। इस प्रकार से राजगोपालाचारी और महात्मा गांधी आपस में समधी लगते थे।
- राजगोपालाचारी ने एजुकेशन मिनिस्ट्री में भी काम किया था। इन्होंने एजुकेशन मिनिस्ट्री में साल 1946 के अगस्त महीने से लेकर के साल 1947 तक काम किया था।
- साल 1937 से लेकर के साल 1939 तक इंडिया के गवर्नर लोड एरस्किन थे और यही वह साल था जब राजगोपालाचारी को मद्रास प्रेसिडेंसी के 11वे मुख्यमंत्री का पद दिया गया था।
- राजगोपालाचारी महात्मा गांधी की आंखों का तारा थे और प्यार से वह इन्हें कीपर ऑफ माय कोनसाइंस कहकर बुलाते थे।
- चक्रवर्ती राजगोपालाचारी बिल्कुल बाल गंगाधर तिलक के नक्शे कदमों पर चलना चाहते थे क्योंकि गंगाधर तिलक ही इनके आदर्श थे।
- साल 1911 में चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को सर्वसम्मति से सालेम नगरपालिका के अध्यक्ष के तौर पर चुना गया था।
- इन्होंने साल 1923 में हुए वायकोम सत्याग्रह में बढ़ चढ़कर भाग लिया था, साथ ही नागरिक अवज्ञा जांच समिति में जितने मेंबर थे, उनमें इनका नाम भी शामिल था।
- इन्होंने ही मंदिर प्रवेश प्राधिकरण और क्षतिपूर्ति अधिनियम बनाया था। इसी अधिनियम के कारण दलितों को हिंदू धर्म के मंदिरों में बिना किसी रोक-टोक के आने जाने की परमिशन प्राप्त हुई थी।
- साल 1938 में इन्होंने कृषि ऋण राहत अधिनियम पेश किया था।
- इन्हें साल 1947 में बंगाल का पहला गवर्नर बनाया गया था।
- यह साल 1952 में मद्रास के मुख्यमंत्री भी बने थे।
- राजगोपालाचारी जी ने स्वतंत्र पार्टी को साल 1959 में बनाया था।
- भारत के सबसे बड़े पुरस्कार भारत रत्न से साल 1954 में चक्रवर्ती राजगोपालाचारी जी को सम्मानित किया गया था।