देश के प्रति हमारा दायित्व निबंध | Desh Ke Prati Hamara Dayitva Essay In Hindi

Desh Ke Prati Hamara Dayitva Essay In Hindi के इस निबंध में हम देश के प्रति हमारा दायित्व निबंध अर्थात राष्ट्र के प्रति नागरिकों के कर्तव्य नैतिक जिम्मेदारी क्या है.

यहाँ कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों के लिए अपने वतन के प्रति कर्तव्य का निबंध आर्टिकल पैरोग्रफ आदि यहाँ उपलब्ध करवा रहे हैं.

देश के प्रति हमारा दायित्व निबंध

देश के प्रति हमारा दायित्व निबंध | Desh Ke Prati Hamara Dayitva Essay In Hindi

प्रत्येक राष्ट्र और समाज का भविष्य उनके सुनागरिकों पर निर्भर रहता हैं. राष्ट्रीय उत्थान के लिए केवल भौतिक सम्रद्धि ही पर्याप्त नहीं रहती हैं. इसके लिए तो वैचारिक, शैक्षिक, बौद्धिक एवं नैतिक चिंतन की परिपक्वता भी उतनी ही जरुरी हैं.

वर्तमान काल में लोकतंत्रात्मक शासन व्यवस्था के अंतर्गत अधिकारों को प्राप्त करने की बात, राजनीतिक सत्ता को प्राप्त करने की बात हर कोई करता है.

परन्तु कर्तव्य बोध और नैतिक दायित्व की भावना लोगों में वैसी दिखाई नहीं देती हैं. हमारे सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन में नैतिकता की कमी आ गई हैं. इस कारण हम राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों को भूलते जा रहे हैं.

वर्तमान राष्ट्रीय स्वरूप

स्वतंत्रता प्राप्ति के अनन्तर देश के कर्णधारों ने संविधान निर्माण कर धर्मनिरपेक्ष संघीय शासन व्यवस्था का प्रवर्तन किया और सभी नागरिकों को वयस्क मताधिकार देकर इसे लोकतंत्र का स्वरूप दिया.

आज विश्व में भारतीय लोकतंत्र को सबसे बड़ा माना जाता हैं. और इसमें सामाजिक विकास की प्रक्रिया भी निरंतर चल रही हैं. परन्तु आज सारे देश में नवयुवकों में बेरोजगारी, बेकारी, महंगाई और भ्रष्टाचार के कारण उदंडता, अनुशासनहीनता और तोड़ फोड़ की प्रवृत्ति बढ़ रही हैं.

सरकारी कर्मचारियों में भ्रष्टाचार एवं अनुत्तरदायित्व की भावना तीव्र गति से फ़ैल रही हैं. राजनीति में भाई भतीजावाद, स्वार्थ लोलुपता, चरित्रहीनता और छल कपट अत्यधिक बढ़ रहा हैं. इससे हमारा राष्ट्रीय चरित्र दूषित हो रहा हैं.

राष्ट्र के प्रति हमारा नैतिक दायित्व

अपने राष्ट्र के नागरिक होने से हमे जहाँ संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार प्राप्त है, वहां हमारे कुछ कर्तव्य भी है. इसलिए हमें अपने नैतिक दायित्वों का निर्वहन करने में पूर्ण सावधान रहना चाहिए. हमें ऐसा कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए, जिनसे संविधान का उल्लंघन हो, राष्ट्रीय विकास और सद्भाव अवरुद्ध हो.

हमें अपने व्यक्तित्व के साथ सम्पूर्ण राष्ट्र का हित चिंतन करना चाहिए. राष्ट्र की सुरक्षा चहुमुखी प्रगति, जन कल्याण, सामाजिक उन्नति और सुव्यवस्था के प्रति हमें अपने दायित्वों का निर्वाह करना चाहिए, इसलिए हमें नैतिक दायित्वों का निर्वाह करना चाहिए.

अपने राष्ट्र में सच्चरित्र का निर्माण करना हमारा प्रथम दायित्व हैं. क्योंकि सच्चरित्र से ही समाज को मंगलमय बनाया जा सकता हैं. अतः हमारा राष्ट्र के प्रति यह नैतिक दायित्व है कि हम त्याग भावना, सच्चरित्रता, देशभक्ति, समाज सेवा आदि श्रेष्ट गुणों को अपनाकर पूरे समाज को इसी तरह निष्ठावान बनावें.

भारतीय नागरिकों के विभिन्न पदों के कर्त्तव्य

माता-पिता: अभिभावक देश के सबसे जिम्मेदार नागरिक माने जाते है उन पर देश के उज्ज्वल भविष्य या नाकामियों दोनों का श्रेय होता हैं. बच्चों के भविष्य निर्माण की जिम्मेदारी माता पिता के हिस्से ही आती हैं.

थोड़े से अभिभावकों के गलत व्यवहार के कारण ही समाज में गलत रीतियाँ जन्म लेती है जो समाज को विभाजित कर देती हैं. इस तरह एक समझदार माता पिता को अपने बच्चों के प्रति तथा देश के प्रति दायित्वों का अहसास होना चाहिए तथा उनकी पूर्ति की दिशा में ईमानदारी से प्रयत्न करना चाहिए.

अध्यापक : राष्ट्र निर्माण में जितनी जिम्मेदारी अभिभावकों की होती है उतनी ही जिम्मेदारी शिक्षकों एवं विद्यालय की भी हैं. वे अच्छे और योग्य नागरिक बनाकर देश के प्रति अपने कर्तव्य का भली प्रकार निर्वहन कर सकते हैं.

अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर अच्छी और नैतिक शिक्षा देकर समाज का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं, वहीँ आलसी और अकर्मण्य शिक्षक समाज को गर्त में ले जाकर देश का सबसे बड़ा अहित भी कर सकते हैं.

चिकित्सक: समाज व देश की दिशा निर्धारित करने वाले अहम किरदारों में समाज सेवा के क्षेत्र से जुड़े डॉक्टर्स भी आते हैं. समाज में इनका स्थान भगवान की तरह माना जाता हैं, वे बीमार पड़ने वाले लोगों को नवजीवन देते हैं.

कुशल पेशेवर और ईमानदार चिकित्सक समाज तथा लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाकर देश की प्रगति में अपना अहम योगदान दे सकते हैं.

वहीँ लालची, अकर्मण्य और निष्ठांहीन चिकित्सक समाज सेवा के इस पवित्र माध्यम लूट खरोट और अपनी जेब भरने का जरिया बना लेते है इससे लोगों का व्यवस्था के प्रति असंतोष पैदा होने लगता हैं.

इंजीनियर : देश के विकास कार्यों आधारभूत संरचनाओं के निर्माण की जिम्मेदारी का कार्य हमारे इंजीनियर्स का होता हैं. सड़क, पुल, भवन, सरकारी इमारते आदि के कार्य इन्ही के जिम्मे होते हैं.

राष्ट्र के विकास को सर्वोपरि मानकर यदि अभियंता भ्रष्टाचार में लिप्त हुए बगैर अपने कार्य को करें तो देश के विकास को नई गति दी जा सकती हैं.

राजनेता: आज की लोकतांत्रिक व्यवस्था का नेतृत्व राजनेता ही करते है, किसी देश तथा समाज के भविष्य की दिशा वहां के राजनेताओं के चरित्र, दूर दृष्टि और उनके विवेक पर निर्भर करता हैं.

भ्रष्ट प्रवृत्ति के राजनेता किसी भी देश को विनाश की तरफ ले जा सकते है वही सेवा समर्पित, कर्तव्यपरायण और ईमानदार राजनेता अपने देश को विकास की नई ऊंचाइयों तक पंहुचा सकते हैं.

पुलिस: समाज की तरक्की केवल शान्ति के माहौल में ही सम्भव हैं. गाँव, शहर, मोहल्ले तक अपराध मुक्त व शान्ति के वातावरण की स्थापना का जिम्मा पुलिस के कंधे पर होता हैं. लोगों के लिए वफादारी और अपने कार्यो में ईमानदारी निभाकर पुलिस देश के विकास में अपना अमूल्य योगदान कर सकते हैं.

व्यवसायी: एक राष्ट्र प्रेमी कारोबारी व्यक्ति अपने देश व लोगों के प्रति अपने दायित्वों का भली प्रकार निर्वहन कर उन्हें सम्रद्धि का माहौल दे सकता हैं.

योग्य और कुशल लोगों को काम देकर वह आर्थिक विकास की गति को बढ़ाने, बेरोजगारी तथा गरीबी के उन्मूलन में अपना योगदान दे सकता हैं.

इनके अलावा एक मजदूर, मिडिया कर्मी, खिलाड़ी, आम नागरिक, किसान आदि का देश के विकास में बड़ा योगदान हो सकता हैं. अगर देश का प्रत्येक नागरिक चाहे व स्टूडेंट्स हो या लोकशाही चलाने वाला अधिकारी सभी अपने अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करें तो हमारे देश आने वाले कुछ ही दशकों में सोने की चिड़ियाँ बन सकता हैं.

उपसंहार

राष्ट्र निर्माण का कार्य जन जागृति एवं कर्तव्य बोध से ही सम्पन्न हो सकता हैं. उक्त सभी बातों का चिंतन करते हुए दायित्वों का निर्वाह करते रहे,

तभी हम राष्ट्रीय कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं. इसलिए यह हमारा नैतिक दायित्व है कि हम सुनागरिक बने, अपनी चारित्रिक नैतिक उन्नति का प्रयास करे.

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