नमस्कार आज का निबंध, डायनासोर पर निबंध Essay On Dinosaur In Hindi पर दिया गया हैं. लाखों साल पहले पृथ्वी से विलुप्त हो चुकी भयंकर प्रजाति डायनासोर के विषय में आज भी पढ़ा और लिखा जाता हैं. इस निबंध में हम इस विलुप्त प्रजाति के बारे में संक्षिप्त में जानेगे.
डायनासोर पर निबंध Essay On Dinosaur In Hindi
जब पुरातन जीव जंतुओं तथा नगरो के अवशेष खोदकर बाहर निकाले जाते है तो हमे प्राचीन इतिहास की विशेष जानकारी मिलने लगती है. और भूतकाल के विषय में हमारा ज्ञान प्रत्यक्ष ही बढ़ जाता है.
बहुत पहले विश्वभर में जीव जन्तु विचरण किया करते थे, उनमे से कुछ अब पूर्ण रूप से समाप्त हो चुके है, किन्तु कभी कभी अन्वेषी वैज्ञानिक द्वारा उन प्राणियों की अस्थियाँ पृथ्वी पर खोज ली जाती है.
इन अस्थियो के आधार पर वह उस जीव जन्तु के विशेष का ढांचा निर्मित करने में सफल होता है. और इस ढाँचे द्वारा वह उसके आकार प्रकार का बहुत कुछ सही सही अनुमान लगा सकते है.
यदि कोई मनुष्य किसी दिन अपने कार्य के लिए प्रस्थान करते समय किसी ऐसे प्रैगेतिहासिक प्राणी के दर्शन कर ले तो संभवत उसे अपने जीवन के सर्वाधिक महत्वपूर्ण आश्चर्य का अनुभव होगा. उन प्राणियों में एकाधिकार प्रकार के डायनासोर थे.
डायनासोर के बारे में जानकारी
डायनासोर की अस्थियाँ यूरोप और अमेरिका दोनों स्थानों से प्राप्त हुई है. उनमे से कुछ डायनासोर तो चार पैरो पर चलते थे. किन्तु आकार
प्रकार में उनकी तुलना एक बड़े पक्षी के साथ नही की जा सकती है. डायनासोर उन पशुओ में सबसे बड़े थे. जो कभी इस पृथ्वी की सतह पर चलते फिरते थे. उनमे से कुछ 40 फीट ऊँचे थे. कुछ 60 फीट लम्बे थे.
कुछ 80 फीट लम्बे थे. 80 फीट लम्बे | यह लम्बाई समझ लीजिए 6 या 7 मोटर कारों की लम्बाई होगी- एक सिरे से लेकर दुसरे सिरे तक.
उनमे में से एक पिछले पैर की उपरी अस्थि किसी ऊँचे मनुष्य के आकार की थी.6 फीट 2 इंच लम्बी. एक अन्य प्राणी की कल्पना कीजिए जिसका सिर किसी कक्ष के प्रवेश द्वार के समान था.
लम्बाई में 8 फीट और जिसके ऊपर तीन नुकीली अस्थियो के स्थान बने हुए थे. अथवा एक ऐसे प्राणी की कल्पना कीजिए जिसकी पीठ पर किनारे किनारे नुकीली पट्टियाँ संभवत उन जीव जन्तुओ के आक्रमण से बचाने के लिए थी. जो उनका भक्षण करना चाहते थे.
इतिहास के किसी युग में डायनासोर विश्व के अधिपति थे. सारी पृथ्वी के स्वामी थे. अब उनका कोई अस्तित्व नही रहा है. उनके विषय में हमारा ज्ञान पूर्ण रूप से उन अस्थियो पर आधारित है. जो धरती के भीतर यत्र तत्र गड़ी हुई है लुप्तप्राय स्थति में मिलती है.
कई वैज्ञानिक शोधो के बाद यह तथ्य सिद्ध हो पाया कि आज से करीब 6 करोड़ वर्ष पूर्व एक उल्का पिंड पृथ्वी से टकराता है और यह टक्कर इतनी भयंकर थी कि वायुमंडल में आग तक लग जाती हैं. वो दिन कयामत का दिन ही था, सभी जीवों की अधिकतर प्रजातियाँ इस दौरान समाप्त हो गई जिनमें डायनासोर भी थे.
मेक्सिको की खाड़ी में मिले 130 मीटर की चट्टान का परीक्षण वैज्ञानिक सदियों से कर रहे है. उनके अनुसार जब उल्का पिंड हमारे ग्रह से टकराया तो करीब 100 किमी चौड़ा और 30 किमी गहरा एक गड्डा बन गया था.
इसी गहरे गड्डे की ड्रिलिग कर अंग्रेजी वैज्ञानिकों ने इस आपदा का विश्लेषण करने की कोशिश की. मैक्सिको के युकाटन में दूसरा बड़ा क्रेटर है जो करीब 200 किमी चौड़ा है.
वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया कि जब डायनासोर समाप्त हुए तक 130 मीटर की सुनाई आई तथा ग्रहों की भयंकर टक्कर से आग ने जन्म ले लिया. हमारे वायुमंडल में लगी इस आज में 25 किलो से अधिक वजनी कोई जीव नहीं बच पाया.
इस महाप्रलय में डायनासोर की लगभग सभी प्रजाति खत्म हो गई, कुछ छोटे डायनासोर जो उड़ सके वे जीवित बच गये तथा बाद में ये पक्षियों की प्रजाति में बदल गये थे.
कुछ साल पहले फ़्रांस के वैज्ञानिकों को आन्जेक में डायनासोर की करीब साढ़े छः फीट की जांघ की हड्डी मिली. माना जाता है कि ये सारोपाड डायनासोर की है जो लम्बी गर्दन और पूंछ वाले थे तथा शाकाहारी थे.
वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसे डायनासोर करीब 14 सौ लाख वर्ष पहले रहे होंगे जिनका वजन करीब 50 टन था. वर्ष 2010 में इसी स्थान पर खुदाई के दौरान एक और डायनासोर के जांघ की हड्डी मिली थी जो सवा दो मीटर की थी तथा इसका वजन 500 किलो था.