दिवाली की कथा 2023 हिंदी में | Diwali Katha In Hindi Language: दिवाली या दीपावली भारत में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार हैं आज हम इस पर्व को मनाने के पीछे की स्टोरी को आसान रूप में यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं.
बुराई पर अच्छाई के विजय प्रतीक के रूप में यह पर्व मनाया जाता हैं, दीपावली कथा पढ़ने से पूर्व आप सभी को इसकी हार्दिक शुभकामनाएं.
दिवाली की कथा 2023 हिंदी में | Diwali Katha In Hindi
कार्तिक मॉस की अमावस्या को दिवाली या दीपावली का त्योहार मनाते हैं. इस दिन भगवती महालक्ष्मी का उसव बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं. जिस तरह रक्षाबन्धन ब्राह्मणों का , दशहरा क्षत्रियों का, होली शूद्रों का त्योहार है उसी प्रकार दिवाली को वैश्यों का त्योहार माना जाता हैं.
परन्तु भारतवर्ष महान देश होने के कारण चारों बड़े पर्वों को सभी हिन्दू भाई एक साथ मनाते हैं. चाहे वे प्राचीन समय में किसी भी वर्ण के लिए क्यों न बनाया गया हो.
दिवाली के दिन लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए पहले घरों को लीप पोतकर स्वच्छ बनाया जाता हैं. घरों को अच्छी तरह सजाकर घी के दीयों की रोशनी की जाती हैं. बच्चें उमंग से भरकर आतिशबाजी सुर्री फटाखे छोड़ते हैं.
2023 में दीपावली कितने तारीख को है?
पांच दिनों का सबसे बड़ा हिन्दू त्यौहार दिवाली साल 2023 में १२ नवम्बर को हैं. इन पांच दिनों की तिथियाँ इस प्रकार हैं.
पहला दिन धनतेरस | 10 नवम्बर 2023 |
दूसरा दिन छोटी दिवाली | 11 नवम्बर 2023 |
तीसरा दिन दिवाली | 12 नवम्बर 2023 |
चौथा दिन गोवर्धन पूजा | 13 नवम्बर 2023 |
पांचवा दिन भाई दूज | 14 नवम्बर 2023 |
Laxmi Ji Ki Diwali Katha In Hindi दिवाली स्टोरी इन हिंदी
दिवाली की लक्ष्मीजी की कहानी इस प्रकार हैं. एक साहूकार की बेटी थी. वह रोजाना पीपल सींचने जाया करती थी, पीपल में से लक्ष्मी निकलती थी और चली जाती थी.
एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से कहा कि मेरी सहेली बन जा, तब साहूकार की बेटी ने कहा कि मैं अपने पिता से पूछ आऊ, तब कल सहेली बन जाउगी.
घर जाकर उसने सारी कहानी अपने पिता को बताई, तब पिताजी ने कहा कि वह तो लक्ष्मी हैं और हमे क्या चाहिए. तू सहेली बन जा.
दुसरे दिन साहूकार की बेटी पीपल सीचने गई और लक्ष्मी जी की सहेली बन गई. एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी को जीमने का न्यौता दिया.
जब साहूकार की बेटी लक्ष्मी जी के यहाँ जीमने गई तो लक्ष्मी जी ने उसको ओढने के लिए शाल दुशाला दिया, सोने की चौकी पर बिठाकर.
सोने की थाली में अनेक प्रकार के भोजन कराए. जब साहूकार की बेटी खा पीकर अपने घर लौटने लगी तब लक्ष्मी जी ने उसे पकड़ लिया और कहा- मैं भी तेरे घर जीमने आउगी.
तब उसने कहा अच्छा, आ जाना. घर आकर वह रूठकर बैठ गई. साहूकार ने पूछा कि लक्ष्मी जी तो भोजन करने आएगी और तू उदास बैठी हैं.
तब साहूकार की बेटी ने कहा- पिताजी, लक्ष्मी जी ने मुझे इतना दिया और बहुत सुंदर भोजन कराया, मैं उन्हें किस प्रकार खिलाउगी, हमारे घर में तो कुछ नही हैं.
तब साहूकार ने कह दिया, जो अपने से बनेगा खातिर कर देगे. परन्तु तू गोबर मिटटी से चौका देकर सफाई कर दो. चौमुखा दीपक बना दे और लक्ष्मी जी का नाम लेकर बैठ जा. उसी समय एक चील किसी रानी का हार उठा लाइ और साहूकार की बेटी के पास डाल दिया.
साहूकार की बेटी ने उस हार से सोने की चौकी, सोने का थाल, शाल दुशाला और अनेक प्रकार के भोजन की तैयारी करी. फिर आगे आगे गणेश जी और लक्ष्मी जी साहूकार की बेटी के यहाँ आ गये. साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी से सोने की चौकी पर बैठने को कहा.
लक्ष्मी जी ने बैठने को बहुत मना किया और कहा कि इस पर तो राजा रानी बैठते हैं. तब साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी बहुत खातिर की, इससे लक्ष्मी जी बहुत प्रसन्न हुई और साहूकार के बहुत धन दौलत हो गई.
हे लक्ष्मी माता जैसे तुम साहूकार की बेटी की चौकी पर बैठी और उन्हें धन दिया वैसे ही धन सबको देना, जो दिवाली की कथा सुने जन.
दिवाली पर कहानियाँ Diwali Stories in Hindi
दिवाली कथा 1# कहा जाता है कि इस दिन भगवान ने राजा बलि को पाताल लोक का इंद्र बनाया था, तब इंद्र ने बड़ी प्रसन्नतापूर्वक दिवाली मनाई कि मेरा स्वर्ग सिंहासन बच गया.
दिवाली कथा 2# इसी दिन समुद्र मंथन के समय क्षीर सागर से लक्ष्मी जी प्रकट हुई थी और भगवान को अपना पति स्वीकार किया.
दिवाली कथा 3# जब श्री राम चन्द्र जी लंका से वापिस आये तो इसी अमावस्या को उनका राजतिलक किया गया था.
हिन्दू धर्म में दिवाली को मनाने के पीछे यही कथा सर्वप्रचलित हैं. 14 वर्ष के वनवास के बाद भगवान श्री राम जब रावण का वध कर अपने भाई लक्ष्मण और सीता के संग पहली बार अयोध्या नगरी लौटे तो कहा जाता है अयोध्या वासियों की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था.
करीब 15 साल बिछड़े अपने प्रिय राजा के आगमन पर लोगों ने घी के दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था. वह दिन कार्तिक पूर्णिमा का था और बाद में हर साल इसी दिन से यह दीपों का त्यौहार मनाया जाने लगा.
दिवाली कथा 4# इसी दिन राजा विक्रमादित्य ने अपने संवत् की रचना की थी बड़े बड़े विद्वानों को बुलाकर मुहूर्त निकलवाया कि नया सम्वत चैत्र सुदी प्रतिपदा से चलाया जाय.
दिवाली कथा 5# इसी दिन आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद का निर्वाण हुआ था.
दिवाली की पूजा विधि हिंदी में (Diwali Puja Vidhi In Hindi)
लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे पहले सफेदी से दीवार पोते, फिर गेहुआ रंग से दीवाल पर बहुत सुंदर गणेश जी और लक्ष्मी जी की मूर्ति बनावे.
इसके अलावा जिन देवी देवताओं को मानते हो उनकी पूजा करने को मन्दिरों में जावे, साथ में जल रोली, चावल खील बताशे, अबीर, गुलाल, फूल, नारियल, मिठाई, दक्षिणा, धूप, दियासलाई आदि सामग्री ले जावे और पूजा करे. फिर मन्दिरों से वापिस आने के बाद अपने घर में ठाकुरजी की पूजा करे.
गणेश लक्ष्मी की मिट्टी की प्रतिमा को बाजार से ले आवे. अपने व्यापार के स्थान पर बहीखातों की पूजा करे और हवन करावे.
गद्दी की पूजा और हवन आदि के लिए पंडित जी से पूछकर पूजा सामग्री एकत्रित कर ले. घर में जो जो सुंदर मिठाई बनी हैं उसमें थोड़ा थोड़ा देवी देवताओं के नाम निकालकर ब्राह्मण को दे देवे.
इस दिन धन के देवता धनपति कुबेर जी विध्न विनाशक गणेश जी राज्य सुख के दाता इंद्र देव, समस्त मनोरथों को पूरा करने वाले विष्णु भगवान तथा बुद्धि की दाता सरस्वती जी की भी लक्ष्मी के साथ पूजा करे.
दिवाली के दिन दीपकों की पूजा का बहुत महत्व हैं. इसके लिए दो थालों में दीपकों को रखे, छः चौमुखा दीपकों को दोनों थालों में सजाये.
छब्बीस छोटे दीपकों में तेल बत्ती रखकर जला देवे. फिर रोली, जल, खीर, बताशे चावल, फूल, गुड़, अबीर, गुलाल धूप आदि से उन्हें पूजे और टीका लगा देवे.
फिर गद्दी की गणेश लक्ष्मी की प्रतिमा रखकर पूजा करे फिर स्त्रियाँ पूजा करे, पूजा करने के बाद दीपकों को घर में स्थान स्थान पर रख देवे.
एक चौमुखा और छोटे दीपक गणेश लक्ष्मी के पास रख देवे. स्त्रियाँ लक्ष्मी जी का व्रत रखे, इसके बाद जितनी श्रद्धा हो उतने रूपये बहुओं को दे, घर के सभी छोटे बड़े माता पिता तथा बड़ो के पैर छुए और आशीर्वाद लेवे.
लक्ष्मी पूजन विधि
जहाँ दीवार पर गणेश लक्ष्मी बनाये हो वहां उनके आगे एक पट्टे पर एक चौमुखा दीपक और छः छोटे दीपकों में घी बत्ती डालकर रख देवे.
तथा रात्रि के बारह बजे पूजा करे. दुसरे पट्टे पर एक लाल कपड़ा बिछावे. उस पर चांदी या मिट्टी के गणेश लक्ष्मी रखे, उनके आगे १०१ रूपये रखे.
एक बर्तन में एक सेर चावल गुड़ चार केले, दक्षिणा मूली, हरी ग्वारफली, 4 सुहाली, मिठाई आदि गणेश लक्ष्मी के पास रखे. फिर गणेश लक्ष्मी दीपक रूपये आदि सबकी पूजा करे. एक तेल के दीपक पर काजल पाड़ ले. फिर उसे स्त्री पुरुष अपनी आँखों में लगावें.
दिवाली पूजन की रात को जब सब सोकर उठते हैं उससे पहले स्त्रियाँ घर से बाहर सूप बजाकर गाती फिरती हैं. इस सूप पीटने का मतलब यह होता हैं कि जब घर में लक्ष्मी का वास हो गया हो, तो दरिद्रता घर से निकल जाती हैं. उसे निकालने के लिए सूप बजाती फिरती हैं साथ ही दरिद्रता से कहती यह गीत गाती हैं.
काने भेड़े दरिद्र तू, घर से निकल जा अब भाज
तेरा यहाँ कुछ काम नहि, वास लक्ष्मी आज
नहि आगे डंडा पड़े और पड़ेगी मार
लक्ष्मी जी बसती जहाँ, गले न तेरी दार
फिर तू आवे जो यहाँ होवे तेरी हार
इज्जत तेरी नहि करे झाड़ू ते दे मार
फिर घर में आकर स्त्रियाँ कहती हैं इस घर से दरिद्र चला गया हैं हे लक्ष्मी जी आप निर्भय होकर यहाँ निवास करिये