दुर्गाबाई देशमुख की जीवनी | Durgabai Deshmukh Biography In Hindi: एक निडर देशभक्ति महिला जिनका नाम दुर्गाबाई देशमुख है वो सामाजिक कार्यकर्ता, वकील तथा कुशल राजनीतिज्ञ भी थी.
आयरन लेडी के नाम से मशहूर देशमुख भारत के संविधान सभा तथा योजना आयोग की अध्यक्ष भी रह चुकी थी. आज हम विस्तार से दुर्गाबाई के जीवन चरित को जानेगे.
दुर्गाबाई देशमुख की जीवनी | Durgabai Deshmukh Biography In Hindi
दुर्गाबाई देशमुख स्वयं दूसरों से भिन्न एक निडर स्वतंत्रता सेनानी थी. तथा सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में समर्पित थी. वह लौह महिला के रूप में प्रसिद्ध थी.
उनका जन्म 15 जुलाई 1909 को आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में एक मध्यम परिवार में हुआ था. जीवन के आरम्भिक काल में उन्हें प्राथमिक शिक्षा प्राप्त नहीं हो सकी. पर बाद में अपने दृढ सपने सजोए हुए आंध्रप्रदेश के एक विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त कर ली.
इसके बाद निरंतर अध्ययन में उनकी रूचि बढ़ती गई और उन्होंने कानून की डिग्री प्राप्त की तथा वे मद्रास उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करने लगी. देश की आजादी के बाद वह सर्वोच्च न्यायालय बार में सम्मिलित हो गई.
दुर्गाबाई की देशभक्ति की पहचान 1930 में सामने आई जब नमक सत्याग्रह शुरू हुआ. उन्होंने दो महान राष्ट्रवादी सहयोगियों ए के प्रकाशम तथा नागेश्वर राव के साथ मद्रास में आंदोलन को संचालित किया.
उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया तथा जेल में बंद कर दिया गया. जेल से छूटने के बाद भी वह ब्रिटिश सरकार के अन्यायपूर्ण क्रियाकलापों के खिलाफ जन आंदोलन को और उग्र रूप देने के लिए सतत प्रयत्नशील रही.
1946 में दुर्गाबाई दिल्ली आ बसीं. यह संविधान सभा की सदस्य बन गई तथा संविधान निर्माण में अहम भूमिका निभाई. 1952 में दुर्गाबाई ने आम चुनाव का सामना किया और चुनाव जीतने में असफल रही.
सामाजिक कार्य के क्षेत्र में उनकी बहुत सी अद्वितीय उपलब्धियां हैं. उन्होंने महसूस किया कि देश की प्रगति पूर्ण रूप से समुदाय के लोगों के उद्धार पर ही निर्भर करती हैं.
उनके लगातार प्रयत्न व मेहनत के परिणामस्वरूप महिलाओं के कल्याण के लिए 1941 में आंध्र महिला सभा की स्थापना हुई. बाद में इस सभा की देश के भिन्न भिन्न भागों में शाखाएं खोली गई.
दुर्गाबाई ने आंध्र महिला नामक पत्रिका का सम्पादन किया तथा महिलाओं को प्रेरित किया कि बिना किसी अभिप्रायः के बलपूर्वक उनके ऊपर थोपे गये किसी भी सामाजिक कार्यकलाप का खुलकर उन्हें विरोध करना चाहिए.
समाज में अभिप्रायपूर्ण परिवर्तन लाने के लिए दुर्गाबाई ने शिक्षा के महत्व को मूल्यांकित करने व उसे बढाने पर बल दिया. इसके लिए उन्होंने आंध्र शिक्षा समिति की स्थापना की. दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत श्री वेंकटेश्वर कॉलेज की स्थापना उन्ही की देन हैं.
आगे उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाते हुए केन्द्रीय सामाजिक कल्याण बोर्ड की स्थापना की. सामाजिक कार्यों में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें पोल हाफमैन पुरस्कार से विभूषित किया गया. दुर्गाबाई देशमुख का देहांत 9 मई 1981 को हुआ.