नमस्कार दोस्तों आज का निबंध गाँव और शहर के जीवन पर निबंध – Essay On City Life And Village Life In Hindi पर दिया गया हैं.
सरल भाषा में हम रुरल और अरबन लाइफ के बारे में उसके अंतर के बारे में निबंध बता रहे हैं. उम्मीद करते है आपको यह पसंद आएगा.
Essay On City Life And Village Life In Hindi
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गाँव जीवन शहरी जीवन के जीवन पर निबंध, Gaanv Aur Shahar Ke Jivan par Nibandh.
शहरी जीवन और ग्रामीण जीवन पर निबंध Essay On City Life Vs Village Life In Hindi
एक कहावत है गाँव ईश्वर ने बनाए हैं और शहर आदमी ने. भारत एक कृषि प्रधान देश है. भारत की अधिकांश जनसंख्या गाँवों में रहती है.
ग्रामीण जीवन प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक होता है जबकि शहरी जीवन प्रदूषित और प्राकृतिक आबोहवा से रहित हैं. जहाँ गाँवों का वातावरण शुद्ध और शांत होता है. वहीँ शहरों का वातावरण कोलाहलपूर्ण एवं अशुद्ध हैं.
ग्रामीण लोग सादा जीवन जीने वाले और परिश्रमी होते हैं, वहीँ शहरी लोग दमक चमक वाला दिखावटी जीवन जीते हैं. और कठोर परिश्रम न करने के कारण रोगों से पीड़ित होते हैं.
ग्रामीण सर्दी, गर्मी और बरसात में सारा दिन खेतों में काम करते हैं. वहीँ शहरों में अधिकांशः लोग दिनभर ऑफिस में कुर्सियों पर बैठकर कार्य करते हैं. ग्रामीण सुबह जल्दी उठकर हल और बैल लेकर खेतों पर जाते हैं, तो अधिकांशतः शहरी लोग सुबह देर तक सोते रहते हैं.
निसंदेह शहर और गाँव में बहुत अंतर हैं. ग्रामीणों की पत्नियाँ भी अपने पति के साथ कठिन परिश्रम करती हैं जबकि शहरों में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता हैं.
गाँव वालों का भोजन बहुत सादा होता है वे ज्वार, बाजरा और जौ की रोटी खाते हैं और गेहूं की रोटी तो विशेष अवसरों पर ही खाते हैं. जबकि शहरों में सभी गेहूं की रोटी खाते हैं. कहते भी हैं कि गाँव के लोग तो मोटा खाते हैं और मोटा ही पहनते हैं.
शहरी जीवन की चमक दमक और आडम्बरपूर्ण होता हैं. गाँवों की अपेक्षा शहरों में व्यक्ति विज्ञान के हर आविष्कार का आनन्द उठा सकता है और बिमारी की अवस्था में हर प्रकार की चिकित्सा करवा सकता हैं. परन्तु गाँवों में शहरों जैसी सुविधा उपलब्ध नहीं हैं.
गाँवों में लोग रोजमर्रा की जरूरतों के लिए एक दुसरे पर निर्भर होते हैं. वे अपने सुख दुःख आपस में बाँट लेते हैं. वे एक दुसरे के लिए सदैव तैयार रहते हैं.
शाम के वक्त वे चौपाल पर बैठते हैं और एक दुसरे का हालचाल पूछते है तथा कहानी किस्से सुनाते हैं. सर्दियों में वे एक साथ बैठकर आग तापने का आनन्द लेते हैं.
ग्रामीण लोग किसी अजनबी की भी तन मन धन से सहायता करते हैं जबकि शहर के जीवन इसके विपरीत हैं. वहा किसी के पास समय नहीं हैं न साथ बैठकर कहानी किस्से सुनने का, न हाल चाल पूछने का न आग तापने का. चोर लुटेरों के डर के कारण शहरी लोग किसी अजनबी की भी कोई मदद नहीं करते.
ग्रामीण लोग अशिक्षित होने के साथ साथ धार्मिक भी होते हैं. वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने की बजाय अपनी सहायता के लिए साथ में खेत ले जाते हैं जबकि शहरों में अधिकांश लोग शिक्षित होते है और लगभग सभी बच्चे स्कूल जाते हैं.
यह सच है कि गाँवों में ताजा शुद्ध हवा, पौष्टिक भोजन और शांत वातावरण मनुष्य के शरीर और मनोमस्तिष्क को स्वस्थ बनाता हैं जबकि शहरों में इसका सर्वदा अभाव होता हैं और अधिकांशतः खाद्य पदार्थ मिलावटी मिलते हैं.
इसके बावजूद गाँवों को शहर बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं. खेतों को कोलोनियों में तब्दील किया जा रहा हैं. इसके दूरगामी परिणाम होंगे.
ग्रामीण व शहरी जीवन पर निबंध Difference Between Rural And Urban Life In Hindi
ग्रामीण जीवन एवं शहरी जीवन में बहुत सा अंतर विद्यमान है. भारतीय ग्रामीण क्षेत्र की बात करे तो यहाँ पड़ोस के लोगों में परस्पर घनिष्ठता अधिक होती है और वे एक दूसरे के सुखदुःख में अधिक निकटता से सम्मिलित होते है.
गाँवों में खुलापन आयर हरियाली होती है. दूसरी ओर गाँवों में बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा, मनोरंजन आदि की सुविधाऐ शहर जैसी नही है.
गाँवों में अधिकांश लोग खेती, पशुपालन और उससे जुड़े कामधंधे करते है. आजकल अनेक कारणों से अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान कम होता जा रहा है.
इस मशीनी युग ने गाँवों के परम्परागत कुटीर उद्योगों को समाप्त कर दिया है. यहाँ बेरोजगारी शहरों से ज्यादा होने के कारण लोग रोजगार और बेहतर जीवन के लिए शहरों की ओर पलायन करते है. शहरी लोगों का जीवन ग्रामीण जीवन से अलग होता है.
शहरों में लोग अधिक व्यस्त रहते है. शहरी जीवन भागदौड़ भरा रहता है. यहाँ ऊँची-ऊँची इमारतों का जाल और वाहनों की रेलमपेल रहती है. यहाँ हरियाली और खुलापन बहुत कम रहता है.
वाहनों और कारखानों से निकलें धुआं हवा और वातावरण प्रदूषित रहता है. दूसरी ओर शहरों में रोजगार के ऐसे बहुत से क्षेत्र है, जिनमें योग्यता हासिल करके आगे बढ़ा जा सकता है.
यहाँ शिक्षा प्राप्त लोगों को रोजगार मिलने की अधिक संभावनाएं होती है. यही कारण है, कि लोग ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन करके शहरों में बसते जा रहे है.
बढ़ती जनसंख्या ने शहरों को समस्याग्रस्त कर दिया है. शहरों में आकर बसने वाले सभी लोगों को पर्याप्त रोजगार व आवश्यक मूलभूत सुविधाएं नही मिल पा रही है.
अधिकांश लोगों को कम आय में अपना जीवन गुजारना पड़ता है. उन्हें कच्चे घरों की ऐसी बस्तियों में रहना पड़ता है, जहाँ बिजली, पानी, चिकित्सा आदि की मूलभूत सुविधाओं का अभाव होता है.
इन बस्तियों में चारो ओर गंदगी होती है. बहुत से लोगों को फुटपाथ पर ही अपना जीवन गुजारना पड़ता है. यह भीड़ में रहकर भी व्यक्ति स्वयं को अकेला महसूस करता है. वही ग्रामीण जीवन इसका बिलकुल उल्टा है.