आपदा प्रबंधन पर निबंध – Essay On Disaster Management In Hindi: आपदा एक आकस्मिक घटना है जो अक्सर प्राकृतिक कारणों से होती हैं.
जब एक आपदा आती हैं तो एक समाज या समुदाय के कामकाज को गंभीरता से बाधित करती हैं. आपदा मानव, भौतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय नुकसान का कारण बनती हैं.
आपदा प्रबंधन पर निबंध – Essay On Disaster Management In Hindi
यहाँ पर हम आपको आपदा प्रबंधन पर निबंध (essay on disaster management in Hindi) के जरिये आपदा के बारें में महत्वपूर्ण जानकारी देने वाले हैं.
आपदा प्रबंधन निबंध की शुरुआत करने से पहले हम आपको दो मुख्य बिंदु के बारें में जानकारी देना चाहेंगे. पहला आपदा क्या हैं? दूसरा आपदा प्रबंधन क्या हैं?
आपदा क्या हैं ?
एक अचानक रूप से होने वाली घटना जिसका परिणाम मानव और पर्यावरण के लिए विनाशकारी हो सकता हैं, इसे आपदा कहते हैं. या दुसरे शब्दों में, तुरंत होने वाली कोई भी घटना आपदा तब बन जाती हैं जब उससे निपटने के संसाधन सिमित हो.
आमतौर आपदा को दो भागों में विभाजित किया जा सकता हैं.
- प्राकृतिक आपदा(जैसे – भूकंप, बाढ़, भूस्खलन)
- मानवीय आपदा(जैसे – आतंकवाद)
आपदा प्रबंधन क्या हैं?
aapda prabandhan essay in Hindi: प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा के दौरान जीवन और सम्पति को बचाने के लिए जो कदम उठाये जाते हैं उसको आपदा प्रबंधन कहा जाता हैं. आपदा प्रबंधन का कार्य बहुस्तरीय होता हैं.
आपदा प्रबंधन किसी आपदा के आने से पहले, आपदा आने के दौरान या आपदा आने के बाद उठाये जाने वाले कदम हैं.
आपदा प्रबंधन का मुख्य कार्य संकट से प्रभावित लोगों आश्रय, भोजन-पानी और अन्य दैनिक जीवन में काम आने वाली सुविधाएँ मुहैया करवाना होता हैं.
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आपदा प्रबंधन पर 500 शब्दों में निबंध
short essay on disaster management in Hindi: हमारा पर्यावरण जमीन, नदियों, पहाड़ों, जंगल और रेगिस्तान से गिरा हुआ हैं, जिसे हम प्रकृति भी कहते हैं. प्रकृति जितनी शांत हैं, उतनी आक्रामक भी हैं.
शांत प्रकृति हम सभी को अच्छी लगती हैं, लेकिन जब प्रकृति जब अपना आक्रामक रूप दिखाती हैं तो यह अत्यंत विनाश भरा हो सकता हैं.
मनुष्य ने तकनीकी के क्षेत्र में बहुत अधिक तरक्की कर ली हैं, बहुत कुछ मनुष्य के नियंत्रण में है, लेकिन प्रकृति की कुछ चीजे अभी भी हमारे नियंत्रण से बाहर हैं.
इसी तरह जब प्राकृतिक आपदाएं आती हैं तो हम उसे नियंत्रण नहीं कर सकते है. हालाँकि, हम इनको कुछ सीमा तक रोक सकते या कम कर सकते हैं.
जब भी कोई आपदा आती हैं तो जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता हैं. ऐसी स्थिति में जीवन को बचाने के लिए और सुरक्षित करने के लिए आपातकालीन उपायों की जरुरत होती हैं. इसे ही आपदा प्रबंधन कहा जाता हैं.
आपदा प्रबंधन को समझने के लिए, हमें पहले आपदाओं के प्रकारों को जानने की जरुरत हैं.
आपदाओं के प्रकार
एक समय था जब आपदाएं केवल प्राकृतिक कारणों से होती थी. लेकिन आज के समय में सब कुछ बदल चूका हैं. आज के समय में केवल प्रकृति ही आपदा के लिए जिम्म्मेदार नहीं हैं बल्कि अन्य दुसरे कारण भी आपदा के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं.
आपदा आने का प्राथमिक कारण प्राकृतिक होता हैं. प्राकृतिक आपदाएं प्रकृति में होने वाली हलचल से होती हैं. प्राकृतिक आपदाएं सबसे खतरनाक होती हैं, जो बड़े स्तर पर जीवन को नुकसान पहुंचती हैं. इसके अलावा प्रकृति अपने खुद के साथ खिलवाड़ करती हैं, और सब कुछ तहस नहस कर देती हैं.
प्राकृतिक आपदाओं में भूकंप, बाढ़, ज्वालामुखी, तूफान इत्यादि को शामिल किया जा सकता हैं.
दुसरे प्रकार की आपदाएं मानव निर्मित हैं. मानव निर्मित आपदाएं तकनीकी खतरों या मनुष्य की लापरवाही का परिणाम हैं. आग, परमाणु विस्फोट, परिवहन दुर्घटना, आतंकवादी हमले शामिल हैं. मानवीय कारणों से होने वाली आपदाओं में प्रकृति की कोई भूमिका नहीं होती हैं.
आपदाएं किसी एक देश कि समस्या नहीं हैं, बल्कि यह पूरे विश्व की समस्या हैं. हमारा देश भारत भी इसी श्रेणी का हिस्सा हैं.
भारत की भौगालिक स्थिति बहुत ही सवेंदनशील हैं, जहाँ पर आसानी से कोई न कोई आपदा आती रहती हैं. भारत देश को प्रतिवर्ष बाढ़, भूकंप, सुनामी, भूस्खलन, चक्रवात, सुखा पड़ना जैसे कई आपदाओं का सामना करना पड़ता हैं.
अगर भारत देश में मानवीय आपदाओं की बात करें तो भोपाल गैस त्रासदी, गुजरात में प्लेग और 2020 का PVC प्लांट से गैस के रिसने से 2000 लोगो की जान जाना – जैसी घटनाओ का सामना करना पड़ा.
अत: इन विनाशकारी घटनाओ को रोकने के लिए हमारी सरकार और विभिन्न समुदाय ‘आपदा प्रबंधन’ का निर्माण करते हैं.
आपदा प्रबंधन
आपदा प्रबंधन संसाधनों और सुविधाओं का कुशल संग्रह होता हैं, जो आपदा के प्रभाव को कम करने कमें मदद करता हैं. आपदा प्रबंधन में कुशल और व्यवस्थित योजनायें शामिल होती हैं. इसके जरिये हम आपदाओं से होने वाले खतरों को कम करने का प्रयास करते हैं.
यहाँ पर सबसे महत्वपूर्ण बात यह हैं कि आपदा प्रबंधन के सहारे पूरी तरह से आपदा को ख़त्म नहीं किया जा सकता हैं. लेकिन आपदा के प्रभाव को कम जरूर किया जा सकता हैं.
किसी भी आपदा को कितना नियंत्रण किया जा सकता हैं यह उन योजनाओ पर निर्भर करता हैं जो आपदा प्रबंधन में शामिल की जाती हैं. इसलिए हमेशा आपदा प्रबंधन को बेहतर बनाने की कोशिश लगी रहती हैं.
हमारे देश भारत में आपदा पर निगरानी के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण(NDMA) जिम्मेदार हैं. NDMA एक संघठन हैं जो आपदा से होने वाले जोखिम को कम करने बचाव को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम चलाता हैं.
सही तरीके से आपदा प्रबंधन तब किया जा सकता हैं जब मुसीबत से ग्रसित क्षेत्र को पहले से ही आपदा के खिलाफ जागरूक या प्रशिक्षित किया जाता हैं.
उदहारण के लिए मान लीजिये कोई क्षेत्र हैं जो भूकंप से ग्रसित हैं. अब उस क्षेत्र के लोगो यह सिखाया जाना चाहिए कि जब भूकंप के झटके महसुस होने लगे तो बिस्तर, टेबल या दरवाजे के बीच के स्थान पर बैठ जाना चाहिए या खड़ा हो जाना चाहिए.
दूसरा यदि कभी बाढ़ आ जाये तो खुद को तैराने के लिए बंद डिब्बे रखे या टायर की व्यवस्था को अपने पास बनाकर रखे.
आपदा से लड़ने के लिए यदि लोग यदि खुद को शिक्षित कर लेते हैं तो सरकार को दुसरे कदम उठाने में आसानी हो जाती हैं. अगर जनता भी शिक्षित हैं और सरकार भी अच्छे तरीके से कदम उठाती हैं तो बहुत बड़े स्तर पर जीवन और वनस्पति को बचाया जा सकता हैं.
आपदा प्रबंधन निबंध 1000 शब्द (essay on disaster management in schools in Hindi)
आपदा का परिचय
भारत एक आपदा प्रवण देश हैं. आपदा का मुख्य कारण प्राकृतिक होते हैं. लभगग हर समय पृथ्वी के अन्दर या साथ पर कुछ न कुछ गतिविधियाँ चलती रहती हैं. कभी कभी ये गतिविधियाँ भयंकर रूप ले लती हैं, तो यह बड़ी तबाही का कारण बन सकती हैं. इन तबाही को आपदा कहा जाता हैं.
आपदा पूरे संसार में किसी भी क्षेत्र में आ सकती हैं. इसलिए हमको कर वक्त इससे लड़ने के लिए तैयार रहना होता हैं.
आपदा की परिभाषा
आपदा ‘डिजास्टर’ मूल फ़्रांसीसी शब्द से लिया गया हैं. जिसका अर्थ होता हैं बूरा. इसका पूरा अर्थ हैं – ग्रहों कि स्थिति पर लगाने वाला ज्योतिषीय दोष.
प्रकृति द्वारा होने वाली गतिविधियाँ जिनसे मानव और प्रकृति खुद का विनाश होता हैं उन गतिविधियों को आपदा कहा जाता हैं. किसी आपदा के आने के पीछे का कारण या तो प्रकृति खुद हो सकती हैं या मानव हो सकता हैं.
चूँकि हम आपदाओं को आने से रोक नहीं सकते, लेकिन आपदा से बचने के लिए हमेशा तैयार रह सकते हैं. आपदा से बचने के लिए या होने वाले नुकसान को कम करने के लिए हम इसकी पूर्व तयारी करते हैं, जिसको आपदा प्रबंधन कहा जाता हैं.
आपदाएं कितने प्रकार की होती हैं?
पृथ्वी पर होने वाली आपदाओं को देखते हुए इनको दो प्रमुख भागों में बांटा जा सकता हैं.
प्राकृतिक आपदाएं(essay on natural disaster)
प्राकृतिक आपदाएं वे प्रतिकूल घटनाएँ होती हैं जो प्रकृति की प्रतिक्रिया से उत्पन्न होती हैं. सुनामी, बाढ़, सुखा पड़ जाना, चक्रवात इत्यादि प्राक्रतिक आपदा के उदहारण हैं.
मानव निर्मित आपदाएं
मानव की गलतियों के कारण होने वाले भयंकर परिणामों को मानव निर्मित आपदा कहा जाता हैं. परमाणु विस्फोट, युद्ध, आतंकवादी हमले को मानव आपदाएं में शामिल किया जा सकता हैं.
आपदा को कम करने के लिए आपदा के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए आपदा प्रबंधन संघठन बनाये जाते हैं. ये संघठन आपदा के खतरे को कम करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
आपदा प्रबंधन का अर्थ क्या होता हैं
आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए उठाये गए कदम को आपदा प्रबंधन कहा जाता है. मोटे तौर पर आपदा प्रबंधन को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है.
- आपदा से पहले
- आपदा के दौरान
- आपदा के बाद
आपदा पूर्व प्रबंधन
जब कभी किसी क्षेत्र में आपदा आने की सम्भावना रहती हैं तो वहां पर आपदा से बचने के लिए पहले ही बचाव के कदम उठाये जाते हैं इसे आपदा पूर्व प्रबंधन कहा जाता हैं.
आपदा पूर्व प्रबंधन का मुख्य कार्य यदि संभव हो सके तो आपदा के प्रभाव को कम करना और आपदा स्पॉट से मानव जीवन और वनस्पति को बचाना होता हैं.
कुछ समय पहले आपदा पूर्व प्रबंधन की व्यवस्था बहुत अच्छी नहीं थी. लेकिन बढ़ती तकनीकी से आपदा का बेहतर तरीको से आकलन किया जा सकता हैं. इसके अलावा रेडियो, मीडिया के माध्यम से पूर्व चेतावनी जारी कर दी जाती हैं.
जब आपदा प्रबंधन दल को पता चलता हैं कि कोई क्षेत्र आपदा से ग्रसित होने वाला हैं, तो बचाव दल लोगो को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाता हैं. उनके लिए खाने और रहने की व्यवस्था करता हैं.
आपदाओं के दौरान प्रबंधन
जब कीसी क्षेत्र में आपदा आ जाती हैं तो बचाव दल आपदा ग्रसित क्षेत्र को बचाने के लिए तुरंत कदम उठाता हैं. ऐसी स्थति में आपदा से निपटने के लिए उठाये जाने वाले कदम पूर्व आपदा प्रबंधन की तैयारी पर निर्भर करते है.
इस चरण में पीड़ित लोगो को भोजन, वस्त्र, अस्थायी घर और स्वास्थ्य सुख सुविधाएँ उपलब्ध करायी जाती हैं.
आपदा के बाद
जब किसी बड़े स्तर कोई आपदा आती हैं तो बड़ी मात्र में जन हानि होती हैं, लोगो के घर उजड़ जाते हैं. एसी स्थिति में सरकार की जिम्मेदारी होती हैं कि प्रभावित क्षेत्रों का पुननिर्माण और पुन विकास करे. पीड़ित लोगो की जिंदगी को वापस साधारण करने के लिए रोजगार और मुआवजा भी दिया जाता हैं.
हमारे देश में आपदा लड़ने और लोगो को बचाने के लिए कुछ संघठन बनाये गए हैं. इन संघठनो का प्रमुख कार्य लोगो को आपदा से लड़ने के लिए प्रशिक्षित करना और आपदा के दौरान सुविधाएं मुहैया करवाना होता हैं.
भारत में आपदा प्रबंधन के प्रमुख संस्थान
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एक गृह मंत्रालय की एजेंसी हैं. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के दौरान कदम उठाना और लोगो तक सुविधाएँ पहुँचाना हैं.
इस संघठन की स्थपाना 2005 में भारत सरकार ने की आपदा प्रबंधन अधिनियम द्वारा की थी. यह एजेंसी आपदा की स्थितियों को पहचान कर उसके लिए नीतियाँ बनाती हैं. आपदा के दौरान एनडीएमए और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के साथ मिलकर काम करती हैं.
राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC)
NRSC, इसरो का एक संघठन हैं. NRSC उपग्रहों के माध्यम से डेटा का प्रबंधन कराता हैं.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR)
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) दुनिया के जाने माने सबसे पुराने और सबसे बड़े अनुसंधानों में से एक हैं. ICMR का सञ्चालन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा होता हैं.
ICMR को फण्ड की प्राप्ति इसी मंत्रालय द्वारा होती हैं. ICMR द्वारा तैयार की गयी मेडिकल टीम आपदा स्पॉट पर जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएँ मुहैया कराती हैं.
केंद्रीय जल आयोग (CWS)
जब किसी क्षेत्र में बाढ़ आ जाती है या किसी क्षेत्र में सुखा पड़ जाता हैं तो यह दल आवश्यक सुविधाएँ पहुंचाता हैं. सुखा पड़ने पर सिचाई और पेयजल की आपूर्ति करना इस आयोग का प्रमुख काम होता हैं.
इसके अलावा आपदा ग्रसित क्षेत्रों में स्वच्छ पानी को पहुँचाना CWS का प्रमुख काम होता हैं.