स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – Essay On Health is Wealth In Hindi

नमस्कार आज का निबंध स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – Essay On Health is Wealth In Hindi पर दिया गया हैं.

सरल भाषा में हेल्थ इज वेल्थ की कहावत पर आधारित आसान निबंध लिखा गया गया हैं. उम्मीद करते है यह आपको पसंद आएगा.

स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – Essay On Health is Wealth In Hindi

स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध - Essay On Health is Wealth In Hindi

आज का हमारा जीवन हर तरह की समस्याओं से घिरा प्रतीत होता है , आज हर कोई जीवन को और अधिक आरामदायक और सुख सुविधा सम्पन्न बनाने तथा धन कमाने में लगे हुए हैं.

इस तरह की जीवन शैली बन चुकी है कि हम स्वास्थ्य और इसके महत्व को प्रायः भुला चुके हैं. अतः हमें एक बार फिर से प्राथमिक आवश्यकता अर्थात संतुलित स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने की जरूरत हैं.

हमारा स्वास्थ्य ही सच्चा धन हैं इसके बिना धन दौलत, कारोबार आदि का कोई महत्व नहीं रह जाता हैं. सवेरे जल्दी उठकर कसरत करना, वक्त पर स्कूल या काम पर जाना, समय पर खाना खाना, सही समय घर लौट आना खेल व नियमित क्रिया कलापों को सम्पन्न करने पर नियमित रूप से ध्यान देना चाहिए.

व्यक्ति का अच्छा स्वास्थ्य उसे जिन्दगी के तनाव से भी दूर रखता हैं साथ ही बार बार बीमार होने तथा दवाइयां खाने से भी निजात दिलाता हैं. जब कभी शरीर अस्वस्थ लगे या किसी बिमारी की आशंका हो तो तुरंत चिकित्सक को दिखाया चाहिए क्योंकि पहला सुख तो निरोगी काया ही हैं.

हरी शाक सब्जियाँ, दूध, दही तथा पौष्टिक अनाज शरीर को नई ऊर्जा प्रदान करते हैं यह ऊर्जा प्रोटीन, वसा तथा खनिज व विटामिन के रूप में हमारे शरीर में पहुंचकर उसे स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती हैं.

नियत समय पर भोजन लेना अच्छा स्वास्थ्य बनाने की एक आदत हैं. जिससे हमारा पाचन तंत्र सही तरीके से कार्य करता रहे.

जब हम अच्छे स्वास्थ्य की बात करते है तो हमारे लिए स्रोत के रूप में अच्छा भोजन होना जरुरी हैं. बहुत से लोग जल्दबाजी अथवा आलस्य के कारण फास्ट फ़ूड खाना खाते हैं यह स्वास्थ्य के लिए तो हानिकारक है ही साथ ही कई बीमारियों का जनक भी बनता हैं.

अच्छे स्वास्थ्य के लिए रोजाना भ्रमण, व्यायाम, अच्छी नींद, संतुलित भोजन, घर एवं शरीर की स्वच्छता तथा अच्छे वाताव रण की बड़ी भूमिका होती हैं. यह हमें बीमारियों से दूर रखता है तथा शरीर में नई ऊर्जा का संचार करता हैं.

अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी आदते होनी चाहिए जिन्हें बच्चों में विद्यार्थी काल से सिखाना आवश्यक होता हैं. आजकल तो पाठ्यक्रम के अलावा भी शिष्टाचार एवं अच्छे आचरण सिखाने वाली बाल पुस्तकें एवं पत्रिकाएँ बाजार में उपलब्ध रहती हैं हमें अपने बच्चों को ये पुस्तके लाकर देनी चाहिए ताकि वे भी उनकी शिक्षाओं को ग्रहण कर सके.

एक तरफ जहाँ प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग आदि समस्याओं ने मानव जीवन को घेर रखा है वही व्यक्ति की व्यस्तता दिनोंदिन बढ़ ही रही हैं सप्ताह के सातो दिन काम खत्म होने का नाम नहीं ले रहा हैं.

ऐसे में भरपुर काम के लिए बेहतर स्वास्थ्य पहली प्राथ मिकता बन जाता हैं. इसके लिए जरुरी है कि हम अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ बनाए रखे तथा प्राकृतिक संसाधनो का सही उपयोग करे.

बढ़ते मशीनी प्रयोग ने हाथों की खपत तथा परिश्रम के मूल्य को भी कम किया हैं. ऐसे में लोग तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं उनका चरित्र स्वार्थी एवं आलसी बन रहा हैं.

खाने की बात करे तो जल से लेकर नमक, अनाज, मसाले कुछ भी प्रदूषण से मुक्त नहीं हैं. ऐसे में जहाँ पर्यावरण, वायु, खाना सब कुछ संक्रमण का शिकार हो इससे बचकर रहना बड़ी चुनौती हैं.

एक युग था जब लोग अपनी आजीविका कड़ी मेहनत से कमाते थे. पुरे दिन खेत में अथवा मजदूरी में गुजरता था. जीवन में परिश्रम जुड़ाव था इस कारण पूरा दिन व्यायाम हो जाता था.

मगर वैश्वीकरण तथा तकनीक के इस दौर में मानव का काम मशीने कर रही हैं बस परिश्रम और व्यायाम के नाम पर सवेरे सूर्य नमस्कार तक करने के लिए लोगों के पास समय नहीं रह गया हैं.

हमारे समाज में एक नौकरे पेशे तथा दफ्तर का काम करने वाले ऐसे वर्ग का उदय हुआ हैं जो सवेरे 9 से शाम 5 बजे तक एक ऑफिस की डेस्क पर ही बैठे बैठे गुजारते हैं,

हालांकि वे कोई शारीरिक कर्म नहीं करते है फिर भी जब सायं को घर आते है तो निढाल हो जाते हैं. और अकेले दिन फिर इसी दिनचर्या में लग जाते हैं यह उनके स्वास्थ्य के खराब होने का सबसे बड़ा कारण भी हैं.

निष्कर्ष Conclusion

इसमें कोई दो राय नहीं है कि मनुष्य जीवन के लिए परिवार, धन, जमीन, सपने सभी का बड़ा महत्वपूर्ण एवं आवश्यकता होती हैं.

मगर यदि हम शारीरिक एवं मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ नहीं है तो इन सबका कोई महत्व नहीं रह जाता हैं. इसलिए अपने दैनिक जीवन निर्वहन में हम अपनी पहली वरीयता स्वास्थ्य को ही दे तो एक सुखमय जीवन बना सकते हैं.

Leave a Comment