नमस्कार दोस्तों आज हम राष्ट्रीय एकता पर निबंध Essay On National Unity In Hindi लेकर आए हैं. इस लेख में हम राष्ट्र की एकता की आवश्यकता महत्व और वर्तमान परिस्थतियाँ तथा चुनौतियों पर सरल भाषा में यह निबंध दिया गया हैं.
नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत हैं. राष्ट्रीय एकता पर 10 निबंध यहाँ 100, 200, 250. 300, 400, 500 शब्दों में अलग अलग भागों में दिए गये हैं.
कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 9, 10, 11, 12 वी के स्टूडेंट्स के लिए सरल लघु व दीर्घ निबंध दिए गये हैं. Essay On National Unity In Hindi विषय पर निबंध, भाषण यहाँ से पढ़ना आरम्भ कर सकते हैं.
राष्ट्रीय एकता पर निबंध Essay On National Unity In Hindi
राष्ट्रीय एकता पर निबंध 100 शब्दों में
राष्ट्रीय एकता एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया व एक भावना है जो किसी राष्ट्र अथवा देश के लोगों में भाईचारा अथवा राष्ट्र के प्रति प्रेम एवं अपनत्व का भाव प्रदर्शित करती हैं.
राष्ट्रीय एकता राष्ट्र को सशक्त एवं संगठित बनाती हैं. राष्ट्रीय एकता ही वह भावना है जो विभिन्न धर्मों, सम्प्रदायों, जाति, वेशभूषा एवं संस्कृति के लोगों को एक सूत्र में पिरोएँ रखती हैं. अनेक विभिन्नताओं के उपरांत भी सभी परस्पर मेल जोल से रहते हैं.
हमारा भारत देश राष्ट्रीय एकता की एक मिशाल हैं जितनी विभिन्नताएं हमारे देश में उपलब्ध हैं शायद ही विश्व के किसी अन्य देश के किसी अन्य देश में देखने को मिले.
यहाँ अनेक जातियों व सम्प्रदायों के लोग, जिनके रहन सहन, खान पान व् वेशभूषा पूर्णतया भिन्न हैं, एक साथ निवास करते हैं, सभी राष्ट्रीय एकता के एक सूत्र में पिरोये हुए हैं.
Short Essay On National Unity In Hindi For Students
प्राचीनकाल में भारत में अनेक सम्प्रदाय धर्म तथा गणराज्य होते हुए भी सांस्कृतिक एकता के सूत्र में सुद्रढ़ थे. लेकिन वर्तमान में राजनितिक स्वार्थ एवं धार्मिक कट्टरता के कारण हमारी राष्ट्रीय एकता खतरे में पड़ गई हैं.
भारत में राष्ट्रीय एकता
अनेकता में अनेकता में एकता के दर्शन भारत की अनूठी विशेषता हैं, यहाँ प्राचीनकाल से ही ज्ञान, प्रवृति, कर्म, धर्म आदि में पूर्ण समन्वय रहा हैं.
इसी समन्वयी प्रवृति के कारण बाहर से आने वाली सम्पूर्ण संस्कृतियों को भी अपनाया गया हैं. वर्तमान में भारत में साम्प्रदायिकता के कारण राष्ट्रीय एकता में कमी आ रही हैं.
भाषावाद और क्षेत्रवाद के कारण अलगाव की प्रवृति बढ़ रही हैं. कश्मीर तथा पूर्वोत्तर राज्यों में अलगाववाद तथा आतंकवाद पनप रहा हैं. कुछ क्षेत्रों में नक्सलवाद, जातिवाद एवं वर्गवाद बढ़ रहा हैं. फलस्वरूप आज भारत में राष्ट्रीय एकता बनाये रखना कठिन हो गया हैं.
वर्तमान में राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता
लोकतंत्र की स्थिरता, स्वतंत्रता की रक्षा तथा राष्ट्र के सर्वतोमुखी विकास के लिए राष्ट्रीय एकता परम आवश्यक हैं. जब तक सम्पूर्ण राष्ट्र एकता के सूत्र में नही बंधेगा और न ही आर्थिक प्रगति हो सकेगी. अतएवं प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह राष्ट्र प्रेम को बढ़ावा दे तथा राष्ट्रीय एकता को दृढ करे.
उपसंहार
आज भारत में राष्ट्रीय एकता का स्वर गूंजने लगा हैं. उसकी रक्षा के लिए आज राष्ट्रीय भावना की प्रबल आवश्यकता हैं. अतः हमे जाति धर्म तथा क्षेत्रवाद जैसी क्षुद्र विचारधाराओं से दूर रहकर विघटनकारी तत्वों का दमन करना चाहिए.
राष्ट्रीय एकता दिवस निबंध Essay on National Unity Day in hindi
भारत की सभ्यता और संस्कृति अतीव प्राचीन है| भारत प्राचीन काल से अखण्ड भारतवर्ष के नाम से जाना जाता रहा है| जिसकी सीमाएँ सुदूर पूर्व से लेकर पश्चिम की अरब की खाड़ी तक जाती थी|
राजनीतिक कारणों से तथा विदेशी आक्रमणों के चलते, विशेष रूप से भारत विभाजन की बड़ी घटना के बाद हमारे देश में राष्ट्रीयता बोध में कई प्रकार के बदलाव देखे और महसूस किये है भारत पर किये गये मुगलों के आक्रमणों द्धारा भारत की सभ्यता और संस्कृति पर गहरी चोट की गई जिससे भारतीय समाज में एक प्रकार की निराशा व्याप्त हो गयी थी|
उस काल में भक्तिकालीन संतो, कवियों ने भारतीय समाज में एकीकरण की अलख जगाई| लेकिन ईस्ट इण्डिया कंपनी के माध्यम से अंग्रोजो हुकूमत की गुलामी के कारण हमारे देश की जनता स्वयं को और भी अधिक आहात महसूस करने लगी|
जिसके परिणामस्वरूप समूचे भारत देश में आजाद का आन्दोलन फैल गया और प्रत्येक नागरिक देश को आजाद कराने के लिए एक सामान राष्ट्रीयता बोध में रम गया|
गुलामी में हारी हुई मानसिकता आन्दोलन की क्रान्ति में एक नजर आने लगी| परिणामस्वरूप 15 अगस्त 1947 को हमारा देश स्वतंत्र हुआ तथा एक राष्ट्र और उसके राष्ट्रीय प्रतिको के आजाद होने का सपना साकार हुआ|
जिस भूमि पर हम जन्म लेते है पलते बड़े होते है -वह हमारी जन्मभूमि कर्मभूमि तथा हमारा राष्ट्र होती है| उसके प्रीति गहरा प्रेम ही राष्ट्र -बोध की भावना या राष्ट्रीयता की भावना होती है|
हम सदैव उसके गौरव की रक्षा करे तथा साथ ही उसकी संस्कृति, उसके प्राक्रतिक संसाधनों तथा उसकी आर्थिक समर्धि में योगदान करने का दायित्व प्रत्येक नागरिक का है|
यह भी आवश्यक है कि हम ऐसी किसी प्रकार की धार्मिक राजनीतिक या उच्छ्र्खल प्रवृति अथवा धारणा से बचे जिससे राष्ट्रीय एकता में बाधा पहुचती हो|
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश की जनता के समक्ष आजादी की लड़ाई जैसा कोई महान लक्ष्य न होने के कारण समाज पुन;राष्ट्रबोध की कमी महसूस करने लगा है आज नागरिक के मन में राष्ट्र की सम्पति, राष्ट्र के विकास, स्वच्छता, समपर्ण जैसा राष्ट्रीय भावो में कमी आई है|
जापान का उदाहरण हमारे सामने है जन्होने हिरोशिमा व नागासाकी जैसे परमाणु परीक्षण में उजाड़े हुए शहरों का परिश्रम से पुनर्निर्माण किया है
इसलिए आज भारत के प्रत्येक नागारिक को वहां के प्रत्येक संसाधन को अपने देश का, अपना मानना चाहिए तथा अपने छोटे -छोटे स्वार्थो से ऊपर राष्ट्र को मानना चाहिए तथा अपने सारे कार्य पूरी राष्ट्र निष्ठा से करने चाहिए जिससे देश दुनिया के सामने मजबूती से स्थापित हो|
जिसको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है|
वह नर नहीं, पशु है निरा और मृतक सामान है ||
अनेकता में एकता निबंध – Unity in Diversity Essay in Hindi
इसमें संदेह नही हैं कि भारत विविधताओं का देश है. यहाँ हिन्दू मुसलमान, सिख, इसाई, पारसी आदि विविध धर्मों के लोग निवास करते है. इनकी भाषा रहन सहन, रीती रिवाज आचार विचार व्यवहार धर्म तथा आदर्श इन्हें एक दूसरे से अलग करते हैं. इसके बावजूद भारत के लोगों में एकता देखते ही बनती हैं.
यदि हम भारतीय समाज एवं जन जीवन का गहन अध्ययन करे तो हमें स्वतः ही पता लग जाता हैं कि इन विविधताओं और विषमताओं के पीछे आधारभूत अखंड मौलिक एकता भी भारतीय समाज एवं संस्कृति की अपनी एक विशिष्ठ विशेषता हैं.
बाहरी तौर पर तो विषमता एवं अनेकता ही झलकती है, पर इसकी तह में आधारभूत एकता भी एक शाश्वत सत्य की भांति झिलमिलाती हैं.
विविधता में एकता का अर्थ (Describe the meaning of unity in diversity)
भारत को भौगोलिक दृष्टिकोण से कई क्षेत्रों में विभक्त किया जा सकता हैं, परन्तु सम्पूर्ण देश भारतवर्ष के नाम से विख्यात हैं. इस विशाल देश के अंदर न तो ऐसी पर्वतमालाएं है और न ही ऐसी सरिताए बहती है या सघन वन है जिसे पार न किया जा सके.
इसके अतिरिक्त उत्तर में हिमाचल की पर्वतमाला तथा दक्षिण में समुद्र ने सारे भारत में एक विशेष प्रकार की ऋतु पद्धति बना दी हैं.
ग्रीष्म ऋतु में जो भाप बनकर बादल की भाप उठती है, वह हिमालय की चोटियों पर बर्फ के रूप में जम जाती है. और गर्मी में पिघलकर नदियों की धाराएं बनकर वापस समुद्र में चली जाती हैं.
सनातन काल से समुद्र और हिमालय में एक दूसरे पर पानी फेकने का एक अद्भुत खेल चल रहा हैं. एक निश्चित क्रम के अनुसार ऋतुएँ परिवर्तित होती रहती है एवं यह ऋतु चक्र समूचे देश में एक जैसा हैं.
भारत में सदैव एक राज्य विद्यमान रहे हैं, परन्तु भारत के सभी महत्वकांक्षी सम्राटों का ध्येय सम्पूर्ण भारत पर एकछत्र साम्राज्य स्थापित करने का रहा हैं. एवं इसी ध्येय से राजसूय, वाजपेय, अश्वमेध आदि यज्ञ किये जाते थे.
तथा राजाधिराज व चक्रवर्ती आदि उपाधियों से सम्राट अपने को विभूषित करते एवं इस अनुभूति को व्यक्त करते थे कि भारत का विस्तृत भूखंड राजनीतिक तौर पर भी वास्तव में एक हैं.
भारत में विविधता और एकता Unity in Diversity in India
राजनीतिक एकता और राष्ट्रीय भावना के आधार पर ही राष्ट्रीय आंदोलनों एवं स्वतंत्रता संग्राम में देश के विभिन्न प्रान्तों के निवासियों ने दिल खोलकर सक्रिय रूप से भाग लिया और अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया. स्वतंत्र भारत में राष्ट्रीय एकता की परख चीनी एवं पाकिस्तानी आक्रमणों के दौरान भी खूब हुई.
समकालीन राजनीतिक इतिहास में एक युगांतकारी परिवर्तन का प्रतीक बन चुके ग्याहरवी लोकसभा के चुनाव में चुनाव परिणाम यदपि किसी दल विशेष को स्पष्ट जनादेश नहीं दे पाए, फिर भी राजनीतिक एकता की कड़ी टूटी नहीं.
भारत में विभिन्न धर्मावलम्बियों एवं जातियों के होने पर भी उनकी संस्कृति भारतीय संस्कृति का ही एक अंग बनकर रही. समूचे देश के सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन का मौलिक आधार एक सा हैं.
वास्तव में भारतीय संस्कृति की कहानी, एकता एवं समाधानों का समन्वय हैं. तथा प्राचीन परम्पराओं एवं नवीन मानों के पूर्ण संयोग की कहानी हैं. यह प्राचीनकाल से लेकर वर्तमान तक है और भविष्य में भी सदैव रहेगी.
विविधता में एकता का महत्व Importance of Unity is diversity
ऊपर से देखने पर तो लगता है कि भारत में अनेक धर्म, धार्मिक सम्प्रदाय, मत हैं, लेकिन गहराई से देखने पर पता चलता है कि वे सभी समान दार्शनिक एवं नैतिक सिद्धांतो पर आधारित हैं.
एकेश्वरवाद, आत्मा का अमरत्व, कर्म, पुनर्जन्म, मायावाद, मोक्ष, निर्वाण, भक्ति आदि प्रायः सभी धर्मों की समान निधियां हैं.
इस प्रकार भारत की सात पवित्र नदियाँ (गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, सिंध, नर्मदा एवं कावेरी) विभिन्न पर्वत आदि देश के विभिन्न भागों में स्थित हैं.
तथापि देश के प्रत्येक भाग के निवासी इन्हें समान रूप से पवित्र मानते हैं और उनके समान श्रद्धा एवं प्रेम की भावना रखते हैं. विष्णु एवं शिव की उपासना तथा राम एवं कृष्ण की गाथा का गान सम्पूर्ण भारत में एक समान हैं.
भारत की एकता पर निबंध | Essay on unity of india In Hindi
भेद के अस्तित्व को इनकार करना मुर्खता होगी और उसकी उपेक्षा करना अपने आप को धोखा देना है. हमारे समाज में भेद और अभेद दोनों ही है. हमारे पूर्व शासकों ने अपने स्वार्थवंश हमारे भेदों को अधिक विस्तार दिया.
जिससे हमारे देश में फूट की बेल पनपी जिससे भेद निति से उनका उल्लू सीधा हो. हमारे अभेदों की उपेक्षा की गई या उनको नगण्य समझा गया. हममे हीनता की मनोवृति पैदा हो गई
देश की नदियाँ जिसे विभाजन रेखाएं भी कहा जाता है हमारी भूमि को उर्वरा और शस्य श्यामला बनाती है. हमारी भौगोलिक इकाई हिमालय पर्वत और सागर से है. उस प्राचीन काल में राष्ट्रीयता की धारा तो अबाधित रही ही है. आंतरिक द्वेष कभी कभी प्रबल हो उठे है,
किन्तु भारतवासी एकछत्र सार्वभौम राज्य से अपरिचित नही थे. राजसूय, अश्वमेघ यज्ञ ऐसे ही राज्य की स्थापना के ध्येय से किये जाते थे. जिसके द्वारा टूटी हुई राष्ट्रिय एकता जुड़कर अविरल धारा का रूप धारण कर लेती थी.
राजनीती की अपेक्षा धर्मं और संस्क्रति मनुष्य के ह्रद्य के अधिक निकट है. यधपि राजनीती का सम्बन्ध भौतिक सुख सुविधाओं से है. फिर भी जनसाधारण जितना धर्म से प्रभावित होता है, उतना राजनीती से नही. हमारे भारतीय धर्मों में भेद होते हुए भी उनमे एक सांस्कृतिक एकता है.
जो उनके अविरोध की परिचायक है. वही तप और त्याग एवं माध्यम मार्ग की संयममयी भावना हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिख सम्प्रदायों में समान रूप से विद्यमान है. एक धर्म के आराध्य दुसरे धर्म में महापुरुष के रूप में स्वीकार किये गये है.
भगवान बुद्ध तो अवतार ही माने गये है. कलियुगे कलि प्रथम चरणे बुद्धावतारे कहकर प्रत्येक धार्मिक संकल्प में हम उनका पुण्य स्मरण करते है. भगवान् ऋषभदेव का श्रीमद्भागवत में परम आदर के साथ उल्लेख हुआ है.
जैन धर्म ग्रंथो में भगवान् राम और श्रीकृष्ण को तीर्थकर नही उनसे एक श्रेणी उपर स्थान दिया गया है. अन्य हिदू देवी देवताओं को भी उनके देवमंडल में स्थान मिला है. भारत में अद्भुत प्राय सभी धर्मो के आवागमन में विशवास करते है.
राष्ट्रीय एकता का महत्व | Rashtriya Ekta Par Nibandh In Hindi
वर्तमान में कौमी एकता तथा राष्ट्रीय एकता को लेकर काफी विवाद चल रहा है. भारत की ऐतिहासिक प्रष्टभूमि को देखा जाए, तो प्राचीन काल में यहाँ अनेक गणराज्य थे उसमें भौगोलिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक कारणों से पारस्परिक सहयोग एवं एकता की भावना थी.
और उस एकता के कारण वे गणराज्य संघ अजेय थे. लेकिन वर्तमान काल में धार्मिक आस्था, भाषावाद, जातिवाद, वर्गवाद, सांस्कृतिक नस्लवाद एवं क्षेत्रवाद आदि का राजनितिक कुचक्र चलने से राष्ट्रीय एकता की जो स्थति है, जो आपके सामने है. यह सारे राष्ट्र के लिए हानिकारक सिद्ध हो रही है.
स्वतंत्र भारत में राष्ट्रीय एकता (Independent national unity in India)
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे देश में लोकतंत्र की प्रतिष्ठा हुई. शासन व्यवस्था में किसी जाति विशेष या धर्म विशेष को प्रमुखता न देकर सभी देशवासियों को समानता का अधिकार दिया गया. और राजनितिक वैचारिक एवं आर्थिक स्वतंत्रता एवं समानता का प्रतिपादन कर राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया गया.
भारत की इस स्थति को देखकर पाकिस्तान आदि कुछ राष्ट्र इससे इर्ष्या रखते है. और वे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में भारत की एकता को कमजोर करना चाहते है.
यह सत्य है कि जब भी भारत पर आक्रमण हुआ है. सभी भारतियों ने राष्ट्रीय एकता का परिचय दिया है. संकटकाल में यहाँ के हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई आदि सभी धर्मावलम्बियों ने क्षेत्रवाद, जातिवाद और धर्मवाद से उपर उठकर राष्ट्रीय भावना का प्रचार किया है.
पाकिस्तान ने जितनी बार आक्रमण किया, उसका भारतीयों ने मुहतोड़ जवाब दिया है. इससे हमारी राष्ट्रीय एकता मजबूत हुई है.
राष्ट्रीय एकता की समस्या (The problem of national unity)
इतना कुछ होने पर भी आज भी हमारे देश में राष्ट्रीय एकता का प्रश्न उतना ही प्रबल बना हुआ है. क्योकि आज भी देश की सीमाओं पर शत्रुओं की छल कपटमयीं कुचालें दिखाई दे रही है.
कुछ बड़े राष्ट्रों की खुफियां एजेंसिया आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है. और कुछ देश धर्म के नाम पर गुप्त तरीके से धन लगा रहे है. और उसके बल पर भारत की राष्ट्रीय एकता को समाप्त करने की चेष्टा की जा रही है.
कही पर साम्प्रदायिक दंगे करवाए जाते है. तो कही पर जातिगत विद्वेष भड़काया जाता है. कुछ कट्टर धार्मिक द्रष्टिकोण वाले माफिया अपराधी हमारी सरकार एवं आम जनता के साथ छदम युद्ध कर रहे है.
कुछ राष्ट्र विरोधी संगठन पूर्वोतर एवं पश्चिमोत्तर भाग में भय का वातावरण बना रहे है. इन सभी कारणों से आज हमारी राष्ट्रीय एकता समस्याग्रस्त बन चुकी है.
वर्तमान में राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता (The current requirement of national unity)
प्रायः देखा गया है कि जब भारत पर विदेशी या बाहरी शत्रुओं का आक्रमण हुआ तो सारे देश में एकता की लहरें सी उठ गई थी. चीनी एवं पाकिस्तानी आक्रमणों के अवसर पर जनता ने सोना-चांदी, आभूष्ण, धन आदि कुछ अपने सामर्थ्य के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा कोष में दान कर दिया था.
लेकिन इसके बाद आंतरिक विभेद, प्रांतवाद, जातिवाद, साम्प्रदायिकता एवं आतंकवाद आदि कारणों से देश की एकता को हानि पहुचाई गई है. परन्तु हमे अभी सावधान रहना चाहिए.
लोकतंत्र की स्थिरता, स्वतंत्रता की रक्षा और राष्ट्र के चुहुमुखी विकास के लिए राष्ट्रीय एकता की महती आवश्यकता है.
संक्षेप्त भारत में जब जब राष्ट्रीय एकता की न्यूनता रही, तब तब विदेशी शक्तियों ने यहाँ अपने पैर जमाने की चेष्टा की और हमारी आपसी फूट का उन्होंने पूरा फायदा उठाया.
अब स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में अनेकता में एकता का स्वर गूंजने लगा है, उसकी रक्षा के लिए राष्ट्रीय एकता की महती आवश्यकता है.
राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध- rashtriya ekta Essay nibandh
राष्ट्रीय एकता निबंध Essay on National Unity in Hindi, Hindi Essay national unity and integrity
प्राचीन काल में भारत में अनेक सम्प्रदाय धर्म तथा गणराज्य होते हुए भी सांस्कृतिक एकता के सूत्र में सुद्रढ़ थे. लेकिन वर्तमान में राजनीतिक स्वार्थ एवं धार्मिक कट्टरता के कारण राष्ट्रीय एकता खतरे में पड़ गई हैं.
भारत में राष्ट्रीय एकता
अनेकता में एकता के दर्शन भारत की अनूठी विशेषता हैं. यहाँ प्राचीनकाल से ही धर्म, प्रवृति, कर्म आदि में पूर्ण समन्वय रहा हैं. इसी समन्वयकारी प्रवृति के कारण बाहर आने वाली सम्पूर्ण प्रवृतियों को भी यहाँ अपनाया गया.
वर्तमान में भारत में साम्प्रदायिकता के कारण राष्ट्रीय एकता में कमी आ रही हैं. भाषावाद तथा क्षेत्रवाद के कारण अलगाव की स्थिति बढ़ रही हैं. कश्मीर तथा पूर्वोत्तर राज्यों में अलगाववाद तथा आतंकवाद पनप रहा हैं.
कुछ क्षेत्रों में नक्सलवाद, जातिवाद तथा वर्गवाद भी बढ़ रहा हैं. फलस्वरूप आज भारत में राष्ट्रीय एकता रखना कठिन हो गया हैं.
वर्तमान में राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता
लोकतंत्र की स्थिरता, स्वतंत्रता की रक्षा तथा राष्ट्र के सर्वतोमुखी विकास के लिए राष्ट्रीय एकता की परम आवश्यकता हैं. जब तक सम्पूर्ण राष्ट्र एकता के सूत्र में नही बंधेगा तब तक देश का न तो विकास हो पायेगा और न ही आर्थिक प्रगति हो पायेगी. अतएवं प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह राष्ट्र प्रेम को बढ़ावा दे तथा राष्ट्रीय एकता को दृढ करे.
उपसंहार
आज भारत में राष्ट्रीय एकता का स्वर गूंजने लगा हैं. उसकी रक्षा के लिए राष्ट्रीय भावना की प्रबल आवश्यकता हैं. अतः हमें जाति, धर्म या क्षेत्रवाद जैसी क्षुद्र विचारधाराओं से दूर रहकर विघटनकारी तत्वों का दमन करना चाहिए.
राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता व महत्व पर निबंध हिंदी में
प्रस्तावना
वर्तमान काल में कौमी एकता अथवा राष्ट्रीय एकता को लेकर काफी विवाद चल रहा हैं. वर्तमान काल में सम्प्रदायवाद, जातिवाद, वर्गवाद एवं क्षेत्रवाद आदि का राजनीतिक कुचक्र चलने से राष्ट्रीय एकता की जो स्थिति है वह सारे राष्ट्र के लिए हानिकारण सिद्ध हो रही हैं.
स्वतंत्र भारत में राष्ट्रीय एकता
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे देश में लोकतंत्र की प्रतिष्ठा हुई. शासन व्यवस्था में किसी जाति, विशेष या धर्म विशेष को प्रमुखता न देकर सभीदेशवासियों को समानता का अधिकार दिया गया एवं राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया गया.
भारत की इस स्थिति को देखकर कुछ शत्रु राष्ट्र इर्ष्या रखते हैं. और वे प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से भारत की एकता को कमजोर करना चाहते हैं.
राष्ट्रीय एकता की समस्या
इतना सब कुछ होने पर भी आज हमारे देश में राष्ट्रीय एकता का प्रश्न उतना ही प्रबल बना हुआ हैं. क्योंकि आज भी हमारे देश की सीमाओं पर शत्रुओं की छल कपटमयी चाले दिखाई दे रही हैं.
और उसके बल पर भारत की एकता को खंडित करने के प्रयास हो रहे हैं. कहीं साम्प्रदायिक दंगे करवाए जाते हैं. तो कही जातिगत विद्वेष फैलाया जाता हैं. इन सभी कारणों से आज हमारी राष्ट्रीय एकता समस्याग्रस्त बन गई हैं.
वर्तमान में राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता
प्रायः यह देखा गया है कि जब भारत पर विदेशी या बाहरी शत्रुओं का आक्रमण हुआ तो सारे देश में एकता की लहरे सी उठ गई थी.
लेकिन इसके बाद आंतरिक विभेद, साम्प्रदायिकता एवं आतंकवाद आदि विभिन्न कारणों से देश की एकता को हानि पहुचाई गई. अतएवं हमें लोकतंत्र की रक्षा और राष्ट्र के सर्वतोमुखी विकास के लिए राष्ट्रीय एकता की महत्ती आवश्यकता हैं.
उपसंहार
संक्षेपतः भारत में जब तब राष्ट्रीय एकता की न्यूनता रही, लेकिन अब स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में अनेकता में एकता का स्वर गूंजने लगा हैं. उसकी रक्षा के लिए आज राष्ट्रीय एकता की महत्ती आवश्यकता हैं.
राष्ट्रीय एकता पर निबंध हिंदी में | National Unity Essay in Hindi
राष्ट्रीय एकता का अर्थ है राष्ट्र के विभिन्न घटकों में परस्पर एकता प्रेम एवं भाईचारा कायम रहना. भले ही उनमें विचारों और आस्थाओं में असमानता क्यों न हो.
भारत में कई धर्मों एवं जातियों के लोग रहते है, जिनके रहन सहन एवं आस्था में अंतर तो है ही, साथ ही उनकी भाषाएँ भी अलग अलग हैं. इन सबके बावजूद पूरे भारतवर्ष के लोग भारतीयता की जिस भावना से ओत प्रेत रहते है उसे राष्ट्रीय एकता का विश्व भर में एक सर्वोत्तम उदहारण के रूप में कहा जा सकता है.
राष्ट्रीय एकता का परिणाम है कि जब कभी भी हमारी एकता खंडित करने का प्रयास किया गया, भारत का एक एक नागरिक सजग होकर ऐसी असामाजिक शक्तियों के विरुद्ध खड़ा दिखाई दिया.
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीयता के लिए भौगोलिक सीमाएं, राजनीतिक चेतना और सांस्कृतिक एकबद्धता अनिवार्य होती हैं. यदपि प्राचीनकाल में हमारी भौगोलिक सीमाएं इतनी व्यापक नही थी.
यहाँ अनेक राज्य स्थापित थे, तथापि हमारी संस्कृति और धार्मिक चेतना एक थी. कन्याकुमारी से हिमालय तक और असम से सिंध तक भारत की संस्कृति और धर्म एक ही थे. यही एकात्मकता हमारी राष्ट्रीय एकता की नीव थी.
भिन्न भिन्न क्षेत्रों में अपनी भिन्न भिन्न परम्पराएं एवं रीती रिवाज व आस्थाएं थी, किन्तु समूचा भारत एक सांस्कृतिक सूत्र में आबद्ध था. इसी को अनेकता में एकता कहा जाता है और यही पूरी दुनियां में भारत की अलग पहचान स्थापित कर, इसके गौरव को बढाता हैं.
राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता और महत्व (need and importance of national integration)
हम जानते है कि राष्ट्र की आंतरिक शान्ति तथा सुव्यवस्था और बाहरी दुश्मनों से रक्षा करने के लिए राष्ट्रीय एकता परम आवश्यक हैं.
यदि भारत के लोग किन्ही कारणों के चलते चिन्न भिन्न हो गये तो बहुत संभव है हमारी आपसी फूट को देखकर बहुत से लोग हम पर अधिकार करने के लिए आगे आ जायेगे. इस तरह जब तक हम में आपसी एकता होगी, तब तक कोई भी बाहरी सत्ता आकर अधिकार नहीं कर सकेगी.
जब हम हमारे इतिहास को उठाकर देखे तो जान पायेगे कि प्राचीन समय में भारत पूरी तरह एकता के सूत्र में बंधा हुआ था. किन्तु कुछ आंतरिक कमजोरियों के चलते बाहरी शक्तियों ने हम पर आक्रमण किया और यहाँ पर कब्जा कर लिया.
इन विदेशी लोगों ने यहाँ अधिकार जमाने के साथ ही पहला कार्य भारत की सभ्यता एवं संस्कृति को समाप्त करने का किया.
धार्मिक महत्व की चीजों को मिटाकर आपसी फूट में डालकर वे हम पर शासन करते रहे, इस तरह की सैकड़ो वर्षों के बाद जब हमें आजादी मिली तब से लोगों ने इस राष्ट्रीय एकता के महत्व को जाना हैं, मगर आज भी कई सारी समस्याओं खड़ी हो उठी है जो भारत की राष्ट्रीय एकता को बराबर चुनौती पेश कर रही हैं.
राष्ट्रीय एकता की समस्या और बाधक (challenges to national integration essay)
साम्प्रदायिकता, क्षेत्रीयता, जातीयता, अशिक्षा और भाषागत अनेकता जैसी कुछ समस्याओं ने राष्ट्रीय एकता पर खतरे की स्थिति उपस्थित की हैं.
राम जन्मभूमि एवं बाबरी मस्जिद के विवाद में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा १० मई 2011 को दिए गये निर्णय में पूर्व स्थिति को बहाल करने के आदेश जारी किये गये थे.
मगर 2010 इलाहबाद उच्च न्यायालय द्वारा इस विवाद पर दिए गये निर्णय से भारत में एक बार फिर से साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने तक की नौबत आ पहुची.
हमें अपनी व्यवस्था पर गर्व होना चाहिए, कि इस मामले की कोर्ट अब सुनवाई करने वाला हैं. अब कोर्ट का निर्णय आने के बाद नेता भी धर्म की ओट में वोट नही मांग सकेगे. साथ ही इस तरह के विवाद सुलझ जाने के बाद देश में फिर से राष्ट्रीय एकता का माहौल तैयार हो सकेगा.
यदि हम व्यक्तिगत तौर पर देश की एकता और अखंडता में अपना योगदान देना चाहते है तो हमे साम्प्रदायिक विद्वेष, स्पर्धा, इर्ष्या आदि राष्ट्र की एकता को समाप्त करने वाले भावों को मन से निकालकर साम्प्रदायिक सद्भाव की भावना को रखना होगा.
राष्ट्रीय एकता को खतरा (threat to national unity and integrity)
हमारे देश की राष्ट्रीय एकता को सबसे बड़ा खतरा आतंकवाद से हैं. भले ही आज आतंकवाद केवल भारत की समस्या भर न होकर एक वैश्विक समस्या का रूप धारण कर चूका हो,
मगर आज भी यह हमारी एकता को सबसे बड़ा चैलेन्ज है. भारत के कुछ राज्य पंजाब, नागालैंड और झारखंड में जो समस्याएं प्रतीत हो रही है इनके पीछे का मूल आतंकवाद की समस्या ही हैं.
पिछले कुछ सालों में आतंकवाद ने इन राज्यों सहित भारत के अन्य भूभाग में भी शान्ति मिटाने के अनगिनत प्रयास किये हैं, भारत में रहने वाले जिहादी और अलगाववादी देश की एकता और अखंडता के सबसे बड़े शत्रु हैं.
जिनका एक पक्ष राजनीति में भी अगुवाई कर रहा है तथा नफरत की राजनीति से अपना वोट बैंक बनाने का कार्य कर रहा है. ये कभी अल्पसंख्यक के नाम पर तो कभी आरक्षण के नाम पर लोगों को विभाजित करने के प्रयास में लगर रहते हैं.
जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा, खालिस्तान की मांग, असम से गोरखालैंड की मांग कुछ ऐसे आन्दोलन है जो राजनीति से प्रश्रय पाते हैं.
भारत में रहने वाले सभी मजहब के लोग चाहे वो हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई, बौद्ध, पारसी, जैन सभी आपसी प्रेम और सद्भाव के साथ जीवन बिताना चाहते हैं. मगर ये राजनेता अपनी रोटियां सेकने के लिए इन्हें आपस में बांटने में लगे रहते हैं.
राष्ट्रीय एकता और अखंडता निबंध | Essay On Rashtriya Ekta In Hindi
हमारा देश अलग अलग राज्यों भाषाओं एवं विभिन्न संस्कृतियों का राष्ट्र है भिन्न भिन्न रूप रंग, आचार विचार भाषा और धर्म के लोग इस भारतवर्ष की समूचे विश्व में अपनी एक अनूठी पहचान बनाते है।
भाषा, रंग, जाति, सम्प्रदाय आदि अलग होने के होने उपरान्त भी इस देश के लोग एक भारतीय के रूप में अपनी पहचान दिखाते है, सदियों से हमारे देश की यही एकता हमारी मजबूती एवं पहचान रही है.
राष्ट्रीय एकता और अखंडता का अर्थ (Meaning of National Integration and Integrity)
राष्ट्रीय एकता का अर्थ भारतीय के रूप में हमारी पहचान, सभी धर्मो, परम्पराओं, आचार-विचारों, भाषाओं और उपसंस्कृतियों का सम्मान हर भारतीय के दिल में रहता है.
इसी विशिष्ट को अपने में समाएं एक नईं संस्कृति का उद्भव होता है, यही हमारे भारत देश की संस्कृति है. अनेकता में एकता, बंधुत्व, साम्प्रदायिकता और मेल जोल कर रहना इस देश की नस नस में बसा है.
सच्चे अर्थों में राष्ट्रीय एकता का अर्थ तन मन धन से अपने राष्ट्र को समर्पित होना है, देश की आंतरिक एवं बाहरी मौर्चे पर देश को विभाजन करने वाली शक्तियों से लड़कर इन्हें मुह्तौड जवाब देना तथा मिल जुलकर रहना ही हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता है.
यदि किसी देश को प्रगति की राह पर आगे बढ़ना है, तो उस देश के नागरिकों में एकता तथा साम्प्रदायिक सद्भाव जैसे मूल्यों को अपनाना होगा, हमारे देश में अतीत काल से इन मूल्यों को उच्च स्थान प्रदान किया गया है. यही हमारे देश की राष्ट्रीय एकता और अखंडता का सबसे बड़ा सबूत है.
राष्ट्रीय एकता और अखंडता पर संकट (The crisis on national unity and integrity)
आज हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता खतरे में है. इस स्थति के लिए सर्वाधिक दोषी हमारे राजनेता है. जिन्होंने अपने वोटबैंक की खातिर देश की जनता को विभिन्न वर्गों में विभाजित कर दिया है.
किसी भी मुद्दे या घटना को एक राजनितिक मोड़ देकर अपनी रोटियां सेकने का कोई अवसर ये नेता नही छोड़ना चाहते है.
इसी का परिणाम है, कि हाल ही वर्षों में घटित कुछ घटनाओं को एक राष्ट्रीय मुद्दे के रूप में बनाकर इसे किसी जाति या सम्प्रदाय का रंग देकर हमारे देश की राष्ट्रीय एकता और अखंडता में छेद करने के हर संभव प्रयास इन नेताओं द्वारा किये जाते रहे है.
प्राचीन भारत में राष्ट्रीय एकता और अखंडता का इतिहास (History of national unity and integrity in ancient India)
देश के हर एक नागरिक के सामने एक बड़ा सवाल है, आखिर धर्म, जाति वर्ग के नाम पर समाज को विभाजित करना कहाँ तक सही है.
हम अपने बच्चों को ऐसी परवरिश दे, जो हमारे एवं दूसरों के धर्मं, जाति, भाषा संस्कृति इत्यादि का सम्मान करे. हमारे देश में प्राचीन काल से ही सर्वे सन्तु निरामयाः
जैसे श्लोक को चरितार्थ करने वाली यहाँ की शिक्षा पद्दति रही है. हम अपनी क्षेत्रीय संस्कृति को भी बढ़ावा दे, मगर राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता की कीमत पर नही. हमे अपने राष्ट्रीय मूल्यों को उपर रखना होगा.
हमारे देश का प्रतीक तिरंगा, एक बात को सैकड़ो सालों से इंगित कर रहा है. तीनों बड़े सम्प्रदाय (हिन्दू, मुस्लिम, सिख, बौद्ध) के तीन रंग पर बना तिरंगा आज हर भारतीय की शान है.
देश के जाबाज इस तिरंगे की आबरू की खातिर हंसते हँसते अपने प्राण न्यौछावर कर देते है. यही हमारे भारत देश की विविधता में एकता और अखंडता है, जो हमे निरंतर बनाए रखने की आवश्यकता है.
राष्ट्रीय एकता दिवस (National Integration Day or Rashtriya Ekta Diwas)
वर्ष 2014 से भारत में प्रतिवर्ष 31 अक्टूबरः के दिन सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत की गिनती विश्व के सबसे बड़े राष्ट्रों में की जाती है.
दुनिया का दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश होने के साथ विविध धर्मों के लोग इतनी संख्या में किसी देश में भाईचारे के साथ रहते है, तो वह मेरा भारत देश ही है.
कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश के कोने कोने में 1652 लगभग बोलिया बोली जाती है. यहाँ हिंदू, बौद्ध, ईसाई, जैन, इस्लाम, सिख और पारसी जैसे धर्मों के अलग अलग धार्मिक रीतिरिवाज, खान पान, बोल चाल, रहन सहन अलग अलग परम्पराओं की भिन्नता होने के बाद भी भारतीय संविधान में सभी का विशवास और आस्था बरकरार है.