प्राकृतिक धरोहर पर निबंध Essay On Natural Heritage In Hindi: हमारा भारत विशाल एवं सांस्कृतिक विविधताओं से भरा देश हैं.
यहाँ सदियों पुरानी यादों को समेटे वस्तुएं व स्थल है जिनको संजोकर रखने के लिए 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस भी मनाते हैं. आज के निबंध स्पीच में हम भारत की प्राकृतिक धरोहर के संरक्षण पर लेख बता रहे हैं.
Essay On Natural Heritage In Hindi
दुनिया के विभिन्न समुदायों ने अपने ज्ञान, अनुभव, विवेक, लोक सांस्कृतिक परम्पराओं और मूल्यों से एक ऐसी व्यवस्था को जन्म दिया था जिसके कारण न केवल जंगल बचे वरन आर्थिक सांस्कृतिक एवं पर्यावरनीय तंत्र भी सुरक्षित रहे.
दुनिया के हर हिस्से में देवी, देवता, संतों के नाम से जमीन का एक भूभाग रखा जाता था. जहाँ न तो कोई पेड़ काटा जाता था, न ही किसी जीव का शिकार किया जाता था. वह टिकाऊ विकास और जलवायु परिवर्तन को बेअसर करने की अनोखी व्यवस्था थी.
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ़ नेचर ने भी इसे प्रकृति पूजा का अनोखा तरीका माना, लेकिन चिंता की बात यह है आज लोक मूल्यों के क्षीण होने व जलवायु परिवर्तन के खतरों के बीच देवी देवताओं के ये वन पूरी दुनिया के साथ साथ भारत में भी खत्म होते जा रहे हैं.
इस बीच सुखद पहलू यह है कि जलवायु परिवर्तन के खतरों को बेअसर करने की इस देशज व्यवस्था को फिर से जीवित करने पर अब दुनिया का ध्यान जा रहा हैं. यही कारण है कि पिछले कुछ ऐसे अहम संरक्षित क्षेत्रों को यूनेस्को ने पिछले सालों में विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया हैं.
इनमें नेपाल का लुम्बिनी, ओकिनावा का सेफ़ा उतकी एवं नाइजीरिया का ओसून ओसोम्बो शामिल हैं. अब तक ऐसी चौदह हजार धरोहर ही सूचीबद्ध हुई है,
जबकि भारत के थार रेगिस्तान, हिमाचल, पश्चिमी घाट, मध्य भारत, उत्तरी पूर्वी क्षेत्र आदि में पचास हजार से एक लाख तक ऐसे प्राकृतिक धरोहर के स्थल हैं.
प्राकृतिक धरोहर को देवी देवताओं से जोड़कर संरक्षित करने की परम्परा वैदिक काल से पहले की हैं. महाभारत, पुराणों के साथ कालिदास की रचनाओं में भी इसका उल्लेख मिलता है. लेकिन चिंता की बात यह है कि हमारे देश में ऐसे प्राकृतिक धरोहर का आकार और संख्या निरंतर सिमटती जा रही हैं.
राजस्थान में भी कई इलाकों में ओरण की जमीन तक लोक देवी देवताओं के नाम होती थी. पेड़ कोई नहीं काटता था. साल भर सूखी लकड़ी, साग सब्जी, विभिन्न प्रकार के फल, जडीबुटी, घास, चारा आदि ओरण से मिल जाता था.
यह ग्रामीण समाज की धुरी भी थी. ओरण और गोचर के उजड़ जाने से यहाँ भी बहु जैव विविधता प्रभावित हो रही है. यही कारण है कि वनस्पति, वन्य जीव संकट में हैं.
ओरण, गोचर और बीड़ इंसान मवेशी और वन्य जीव के लिए अत्यंत जरुरी हैं. ओरण में देशी बावल, अरणी, फोग, गागेंटी, मखणी, आँख फूटनी, तूम्बा, बरू, गोखरू आदि वनस्पतियाँ विलुप्ति की कगार पर हैं. इसके बावजूद बोरडी, कुमट, सिरगुडा, खेजड़ी, जाल, मोराली, मोथ वनस्पतियाँ ओरण का महत्व बनाएं हुए हैं.
देखा जाए तो देश में ओरण, गोचर, बीड़ जैसी प्राकृतिक जमीन पर परम्परागत हक संसाधनों को दुरुस्त करने की जरूरत है. नरेगा जैसी योजनाओं के तहत आगोर का रखरखाव हो तो बारिश की एक एक बूंद को सहेजा जा सकता हैं. यही नहीं पेड़ पौधों, घास, जड़ी बूटियों का भी बड़े पैमाने पर रोपण कर रखरखाव किया जाना चाहिए.
इससे पशुपालकों को लाभ मिलेगा ही, गरीब कमजोर वर्ग को ओरण गोचर उत्पाद से रोजगार भी मिलेगा. पुरखों के परम्परागत ज्ञान का इस्तेलाम कर लोक मूल्यों एवं लोक आधारित देशज व्यवस्था से जलवायु के खतरे को रोका ही नहीं जा सकता.
बल्कि पूरी तरह खत्म भी किया जा सकता है, ऐसे प्रयास होंगे तभी प्राकृतिक धरोहर बचेगी ही, खत्म होती जा रही वनस्पतियों और जीवों को भी बचाया जा सकेगा.
(1000 शब्द) प्राकृतिक धरोहर पर निबंध
भूमिका
जिस धरती पर हम रहते हैं वो बहुमूल्य है जिस तरह हमें अपनी धरोहर हमारा घर, सम्पत्ति, ज़मीन आदि मूल्यवान लगते हैं। उसी तरह जिन पर्वतों की शान होती है, वनस्पतियाँ- पेड़ -पौधे जो हमारे मित्र होते हैं.
जंगल की शान जीव जन्तु जो हमारे करीब होते हैं, स्मारक, शहर, भवन, मरुस्थल आदि यह सब प्राकृतिक धरोहर के रूप में बहुमूल्य हैं।
दोस्तों हमारा जीवन खूबसूरत प्राकृतिक धरोहर के कारण ही होता है। वायु जिसकी वजह से हम साँस लेते हैं, जो भोजन हम खाते हैं, जो पानी हम पीते हैं, जिन स्थलों में हम घूमने जाते हैं, जिन स्मारकों की शोभा अद्वितीय होती है.
जिन पशु पक्षियों की वजह से खूबसूरती, चहल पहल रहती है, सूरज, चाँद, आकाश, धरती आदि ये सब हमें पृथ्वी पर जीवन देते हैं। ये सब प्राकृतिक धरोहर कीमती हैं। प्रस्तुत निबंध प्राकृतिक धरोहर के बारे में है हमारे देश की शान हमारी पहचान हैं प्राकृतिक धरोहर।
प्राकृतिक धरोहर परिचय
प्राकृतिक धरोहर के बारे में जानने के लिए हमें प्रकृति के करीब जाना होगा, उसको समझना होगा। मानव निर्मित न होकर ये धरोहर प्रकृति से संबंधित होते हैं।
जो इस पृथ्वी में जीवन की खोज के साथ साथ मनुष्य के संपर्क में आए और मनुष्य के लिए ज़रूरी हो गए। प्राकृतिक धरोहर के रूप में नदी, नहरें, पशु पक्षी, पेड़ पौधे,जंगल, स्मारक, पर्वत, शहर, भवन आदि सब प्राकृतिक संपदा हैं जो अनमोल हैं।
भारतवर्ष की शान उसकी विविधताओं में एकता, सांस्कृतिक परम्परा, धार्मिक, वैज्ञानिक आदि स्वरूपों में देखने को मिलती है। प्राकृतिक धरोहर भी अपनी विशेषता रखते हुए अपने में अनेक वस्तुएँ और जगहों को संभाल कर रखती हैं.
जिस की महत्वपूर्णता को बरकरार रखने के लिए विश्व धरोहर दिवस भी मनाया जाता है जो मुख्य रूप से अप्रैल 18 को मनाया जाता है। प्राकृतिक धरोहर भारत की मूल्यवान संपति है जो विश्व भर में अपनी बहुमूल्यता बनाए रखती है।
धरोहर पुराने समय से शुरू होते हुए निरन्तर चलती रहती है जो आज भी है। प्राकृतिक धरोहर परिस्थिति के अनुरूप उन सभी तंत्रों, वस्तुओं से संबंधित होते हैं.
जो पुराने समय से अब तक प्राकृतिक सम्पत्ति के रूप में मानी जाती हैं। जैसे – स्मारक, स्थल, प्रजातियों के रहने का स्थान, घूमने की जगह( पर्यटन स्थल), प्राकृतिक सम्पदा, जीव जंतु आदि।
प्राकृतिक धरोहर हमारी शान
आकाश में उभरते अनेक ग्रहों में पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जहाँ जीवन सुचारू रूप से चलता है, मनुष्य रहते हैं, साँस लेते हैं, काम करते हैं, अलग अलग रूपों में जीवन जिया जाता है।
हमारे देश की प्राकृतिक संपदा हमारे लिए बहुमूल्य ही है क्योंकि प्राकृतिक धरोहर है तो हम हैं वरना हमारा कोई वजूद नहीं होगा।
जीवन जीवित रहने से जिया जाता है जिसके लिए खाना, पानी, हवा बहुत ज़रूरी है जो पेड़ पौधों, नदी आदि से मिलते हैं। पर्वत हमारे देश के रक्षा कवच समान हैं।
रात दिन का चक्र, सुबह – दिन – रात की बात, त्यौहारों, रीति रिवाजों की रौनक सब सूरज, चाँद, आकाश, तारे से जुड़े हैं, पेड़ पौधों से संबंधित हैं जो हमारे देश को अलग मुकाम देते हैं, एक अलग पहचान, एकता में अनेकता का रूप देते हैं, हमारी शान कायम रखते हैं।
प्राकृतिक धरोहर की उपयोगिता
प्राकृतिक धरोहर उतना ही उपयोगी है जितना इस धरती पर साँस लेना। हमें हर रूप में इन प्राकृतिक धरोहर की ज़रूरत पड़ती है। अच्छा स्वास्थ्य हो जिसके लिए सुबह की स्वच्छंद हवा बेहद उपयोगी होती है.
साफ सुथरा अच्छा पौष्टिक भोजन शरीर के लिए ज़रूरी होता है जो पेड़ पौधों से मिलते हैं जिसके लिए सूरज की रोशनी, पानी, खाद की ज़रूरत होती है, जीवित रहने के लिए वायु की ज़रूरत होती है, पानी के बिना रहा नहीं जाता, ये सब पेड़ पौधों, नदी आदि से प्राप्त होते हैं। प्राकृतिक धरोहर के ही अंर्तगत आते हैं।
हम घर लेते हैं सुंदर सुंदर पलंग, पर्दे, कुर्सी, सोफा, टेबल, बेड आदि घर में सजाते हैं रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में प्रयोग किए जाते हैं जो प्राकृतिक धरोहर के कारण ही उपयोग में ला पाते हैं।
पर्यटन स्थलों में घूमने जाते हैं, स्मारकों के दर्शन के लिए जाते हैैं ये सब प्राकृतिक धरोहर के कारण संभव हो पाता है वरना तो जीवन ही नहीं रहेगा।
प्राकृतिक धरोहर संरक्षण
हम जीवन अच्छे से जीना चाहते हैं तो अपनी प्रकृति की रक्षा करना भी हमारा दायित्व है। पेड़ पौधे काटे जाते हैं अधिक मात्रा में कटाई रोकनी चाहिए, पेड़ पौधे लगाने चाहिए।
प्राकृतिक धरोहर की साफ सफाई रखना भी हमारा ही कर्तव्य है। कूड़ा खुले में नहीं फैलाना चाहिए, जल और खाने की बर्बादी पर ध्यान देना चाहिए। प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित करेंगें तो एक अच्छी ज़िन्दगी जी पायेगें।
प्राचीन काल से प्राकृतिक संरक्षण का खयाल किया जा रहा है। जब प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए उन्हें देवी देवताओं से जोड़ा जाता था,
पेड़ नहीं काटे जाते थे जिसके फलस्वरूप लकड़ियाँ, खाद्य सामग्री फल आदि, जड़ी बूटियाँ, पशुओं के लिए घास चारा मिल जाता था। वनस्पतियों, जीव जंतुओं की रक्षा हो जाती थी।
पुराने समय में एक व्यवस्था के अंतर्गत वनों को विशेष स्थल के रूप में माना जाता था काटा नहीं जाता था, पेड़ पौधों को ईश्वर से जोड़ा जाता था, पूजा की जाती थी, जीव जंतुओं का शिकार नहीं किया जाता था जिस कारण प्राकृतिक सम्पदा सुरक्षित रहती थी।
वर्तमान काल में प्राकृतिक धरोहर की सुरक्षा का प्रश्न समक्ष आ रहा है, ग्लोबल वार्मिंग की समस्या आ रही है। पुराने समय में प्रकृति पूजा स्वरूप पेड़ पौधे की रक्षा हो जाती थी,जिसे इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर ने भी उपयुक्त माना था।
आज के दौर में इन पेड़ पौधों की हानि देखने को मिल रही है लेकिन कई संस्था इस समस्या पर विचार कर कई कदम उठा रही है जिसमें यूनेस्को ने पहल की है।
अनेक स्थलों जैसे – राजस्थान के रेगिस्तान, हिमाचल, उत्तरी पूर्वी क्षेत्र, भारत का मध्य भाग आदि की सूची बनाई गई है ताकि संरक्षण किया जा सके।
प्राकृतिक धरोहर अमूल्य खज़ाना
हमारे लिए जो खज़ाना बेहद अमूल्य है वो है प्राकृतिक धरोहर। रुपए पैसे भी तभी आएंगे जब प्रकृति सुरक्षित होगी। ताज़े फल सब्जी खाकर, साफ स्वच्छ पानी पीकर हमारा स्वास्थ्य ठीक रहता है, माहौल प्रदूषण रहित रहने से साँस लेना आसान नहीं होता है। जीवन खुशहाल बना दे ऐसी प्राकृतिक धरोहर अमूल्य खज़ाना ही है।
अन्तिम शब्द
दोस्तों हमारा जीवन जितना महत्वपूर्ण है उससे कहीं ज्यादा महत्व रखती है प्राकृतिक धरोहर और इसी धरोहर के बारे में इस निबंध में बड़े सहज रूप से लिखा गया है.
जिस से आसानी से आपको प्राकृतिक धरोहर के बारे में अनेक बातें जानने को मिलेंगी, प्राकृतिक धरोहर की इंपॉर्टेंस ही पता चलेगी।
शुक्रिया