ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध | Global Warming Essay In Hindi

Global Warming Essay In Hindi प्रिय विद्यार्थियों आज हम आपके साथ ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध साझा कर रहे हैं.

यदि आप विद्यार्थी है और बढ़ता भूमंडलीकरण ताप संकट की पदचाप पर दिया गया ग्लोबल वार्मिंग एक समस्या हिंदी निबंध में ग्लोबल वार्मिंग निबंध में हम कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6 ,7 ,8 ,9, 10 के विद्यार्थियों के लिए 100, 200, 250, 300, 400 और 500 शब्द सीमा में यह निबंध साझा कर रहे हैं.

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध | Global Warming Essay In Hindi

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध | Global Warming Essay In Hindi

Hello, Guys Today We Share With You Short Essay On Global Warming Essay In Hindi For School Students & Kids, Let’s Start.

100 Words ग्लोबल वार्मिंग की समस्या पर निबंध

भूमंडलीय उष्मीकरण आज के समय की ज्वलंत और भयावह पर्यावरनीय समस्या हैं. मनुष्य जिस गति से दिनों दिन नई नई तकनीके विकसित कर रहा हैं उतना ही वह प्रकृति से दूर होकर उसे भूलता जा रहा हैं.

अपने भौतिक सुखों की वृद्धि के लिए प्रकृति के संतुलन को दरकिनार करने का नतीजा ग्लोबल वार्मिंग के रूप में हमारे समक्ष हैं. तेजी से बढ़ती कार्बनडाई ऑक्साइड और वातावरणीय असंतुलन की समस्या को भूमंडलीय उष्मीकरण के रूप में जाना जाता हैं.

CO2 के बढ़ते स्तर की मूल वजहें हमारी आधुनिक जीवन शैली और प्रकृति का विनाश हैं. इस समस्या के दुष्परिणाम न केवल मानव जाति को असमय ऋतू परिवर्तन, आपदाओं में वृद्धि तथा वैश्विक तापमान व नई महामारियों के रूप में देखने में आ रहा हैं बल्कि यह बेजुबान जानवरों व पेड़ पौधों के लिए भी उतनी ही घातक हैं.

(200 शब्द) भूमंडलीय उष्मीकरण पर निबंध

हमारे वायुमंडल में उपस्थित सभी गैसों का एक संतुलन हैं मगर आज के समय में प्रदूषण की बढ़ती मात्रा और घटते वनों के चलते कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा निरंतर बढ़ रही हैं, इसका एक भयंकर दुष्परिणाम तापमान में निरंतर बढ़ोतरी हैं इस पर्यावरणीय समस्या को ग्लोबल वार्मिंग के नाम से जाना जाता हैं.

किसी एक देश या स्थान विशेष की समस्या न होकर यह एक वैश्विक दानव का रूप ले चुकी हैं. इसके समाधान की दिशा में सकारात्मक शुरुआत किये जाने की आवश्यकता हैं.

अगर इन विगत वर्षों में जिस गति से औसत तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिल रही हैं यही गति बनी रही तो इस ग्रह पर जीवन के लिए विकट स्थतियाँ खड़ी हो जाएगी.

CO2 की वृद्धि से ग्रीनहाउस प्रभाव हैं जलवाष्प, CO2, मीथेन, ओजोन समेत सभी ग्रीन हाउस गैसे थर्मल विकिरणों को अवशोषित करती हैं तथा सभी दिशाओं में ये विकरण फैलकर धरती की सतह पर लौट आते है जो ग्लोबल वार्मिग का कारण बनता हैं.

इस ग्रह के जीवन को सूर्य की हानिकारक पैराबैग्नी किरणों से बचाने वाली ओजोन परत में छिद्र की मुख्य वजह ये ग्रीन हाउस गैसे ही हैं.

हम अपने घरों में इन गैसों के स्रोतों को कम करके यथा रेफ्रीजरेटर आदि का कम उपयोग करके तथा पेड़ पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में व्यक्तिगत योगदान दे सकते हैं.

ग्लोबल वार्मिंग निबंध Global Warming Essay In Hindi In 500 Words

ग्लोबल वार्मिंग क्या है

आजकल मिडिया में और पर्यावरण के प्रति जागरूक लोगों के बीच एक समस्या की बार बार चर्चा सुनाई दे रही हैं. यह समस्या या भावी संकट ग्लोबल वार्मिंग या भूमंडल के तापमान में होती जा रही वृद्धि हैं. जीवधारिओं के लिए शीत और ताप दोनों ही आवश्यक हैं.

प्रकृति ने ताप और शीत के बीच एक संतुलन को अस्थिर बनाता आ रहा हैं. प्रकृति से यह अपराधिक छेड़छाड़ मनुष्य के लिए बहुत भारी पड़ सकती हैं.

तापमान में वृद्धि के कारण

प्रकृति ने ताप और शीत का एक संतुलन बना रखा हैं. यदि धरातल या पर्यावरण के ताप में वृद्धि होगी तो पृथ्वी का प्राकृतिक संतुलन गड़बड़ा जाएगा.

वैज्ञानिक कहते है कि भू मंडल के तापमान में वृद्धि हो रही हैं. इसका प्रमुख कारण वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड गैस की मात्रा का बढ़ना हैं.

इसके लिए मनुष्य ही मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं. लकड़ी और कोयले का ईधन के रूप में प्रयोग होना तथा डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों से कार्बन डाई ऑक्साइड गैस का उत्सर्जन होता.

पेड़ पौधे वातावरण से कार्बन डाई ऑक्साइड ग्रहण करके ऑक्सीजन छोड़ते हैं. लेकिन मनुष्य ने जंगलों का विनाश करके इस प्राकृतिक लाभ को भी गवाँ दिया हैं. इसके अतिरिक्त अनेक उद्योग भी वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ा रहे हैं.

तापमान बढ़ने के दुष्परिणाम

ग्लोबल वार्मिंग का वैज्ञानिकों ने जो चित्र खींचा है वह बड़ा भयावह हैं. तापमान बढ़ने से नदियों को जल देने वाले ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. इससे भविष्य में जहाँ भयंकर बाढ़े आ सकती हैं. वहीँ नदियों में जल की मात्रा घटती चली जाएगी.

एक दिन गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र आदि नदियाँ सरस्वतीं की भांति लुप्त हो सकती हैं. पहले धुव्र प्रदेशों को तापमान की वृद्धि से अप्रभावित समझा जाता था, परन्तु अब उत्तरी ध्रुव के हिमखंड भी पिघलने लगे हैं.

यदि ध्रुव प्रदेशों में हजारों वर्षों से जमी बर्फ पिघली तो समुद्र के जल स्तर में वृद्धि होगी और संसार के अनेक समुद्र तट पर स्थित नगर डूब जाएगे.

इसके अतिरिक्त तापमान बढ़ने से ऋतु चक्र गड़बड़ा जाएगा. इसका प्रमाण देखने को मिल रहा हैं. गर्मियाँ लम्बी होती जा रही हैं. और शीत ऋतु सिकुड़ती जा रही हैं.

वर्षा अनिश्चित हो रही हैं. इस प्रकार तापमान वृद्धि से एक भयंकर संकट की पदचाप सुनाई दे रही हैं.

नियंत्रण के उपाय

ग्लोबल वार्मिंग ऐसा संकट है जिसे स्वयं मनुष्य ने पैदा किया हैं. यह एक विश्वव्यापी विपत्ति हैं. इससे बचने के लिए सभी देशों को देशों को ईमानदारी से सहयोग करना पड़ेगा.

ग्रीन हाउस गैसों का सर्जन न्यूनतम करना होगा. विकसित तकनीक अपना कर पेट्रोलियम आधारित वाहनों के इंजनों में सुधार करना होगा.

ईधन के रूप में लकड़ी तथा कोयले के प्रयोग पर नियंत्रण करना होगा. सौर ऊर्जा का अधिक से अधिक प्रयोग करना होगा. जंगलों का विनाश रोकना होगा और वन क्षेत्र को अधिक से अधिक बढ़ाना होगा.

संकट से सावधान हो जाएं

भौतिक सुख-सुविधाओं के विस्तार और विकास के नाम पर मनुष्य ने अपने ही पर्यावरण को अत्यंत हानि पहुचाई हैं. आर्थिक लाभ की अंधी दौड़ में फंसा मानव अपने ही विनाश को आमंत्रित कर रहा हैं.

समय रहते तापमान वृद्धि के संकट के बचाव के उपाय तुरंत नहीं अपनाएं गये तो यह रोग लाइलाज हो जाएगा.

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