रिश्तों को मधुर कैसे बनाए | Good Relationship Tips In Hindi

रिश्तों को मधुर कैसे बनाए | Good Relationship Tips In Hindi: रिश्तों के संसार में हमे वही मिलता है जो हम देते है लेकिन जो हम नही देते हैं, वह हमें नही मिल पाता हैं.

भले ही हम उसके लिए तरसते रहे. Relationship Advice कई बार अपने रिलेशन को सुधारने में मदद करती हैं. family relationship हो या बॉयफ्रेंड अथवा गर्लफ्रेंड के साथ आपके रिलेशन को कैसे अच्छा करे.

असल में रिश्तों का अर्थ क्या होता हैं. love relationship की importance ज्यादा है या फिर फॅमिली रिलेशन शिप की. सभी विषयों की चर्चा आज हम Good Relationship Tips में आपके साथ करने वाले हैं.

Good Relationship Tips In Hindi- कैसे बनाए रिश्तों को मधुर

हमारे रिश्ते सम्बन्ध दर्पण की तरह हमारी भावनाओं को परावर्तित कर जाते हैं. हम जिस तरह से भावनाओं से भरे होते हैं, परावर्तित होकर हम पर अपनी बौछार करती हैं.

इसलिए जब हम खुश होते है तो ख़ुशी का गुबार चारो और फ़ैल जाता है, अनायास ही चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ जाती हैं.

जब हम परेशान होते हैं तो परेशानी की लहरे सभी को परेशान कर देती हैं. और इस तरह जब हम क्रोधित होते है तो क्रोध की तीखी कीरने इसके वेग को और बढ़ा देती हैं.

इस तरह रिश्तों की दुनिया में हम इस दुनियां में हमारी भावनाए हमें कई गुना होकर वापिस मिलती हैं. ऐसा बहुत ही कम होता हैं. कि जिन भावनाओं को हम दूसरों पर प्रक्षेपित कर रहे हों, उसके विपरीत भाव हमें मिल रहे हो.

रिश्तों का महत्व

अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का कथन है की अगर आपमें रिश्ते नाते को निभाने वाली कमजोरी विद्यमान हैं तो आप इस संसार के सबसे मजबूत इंसान हैं.

उनकी यह बात बहुत बड़ा संदेश देने वाली हैं, रिश्ते बने बनाये भी होते है तथा नये भी बनते हैं मगर इनमें ख़ास बात उन्हें निभाने की हैं.

अधिकतर लोग यहाँ विफल हो जाते हैं क्योंकि रिश्तो की नाजुक डोर को सह्रदयता और प्रेम से ही निभाया जा सकता हैं. थोड़ी समझदारी और नजाकत भी लगती हैं.

जैसे एक माली अपने बगीचे को हरा भरा रखने के लिए पेड़ पौधों की नियमित देखभाल करता हैं उसी तरह हमें अपने परिवार और सम्बन्धों में मिठास बनाए रखने के लिए मधुरता रखनी होती हैं.

Best Good Relationship Tips In Hindi

रिश्ते हमें ख़ुशी देते है, इस ख़ुशी को बढ़ाने के लिए हम अपने रिश्तों की दुनियां का विस्तार करते हैं. यदि रिश्ते बोझ होते, दुःख देते, जीवन में कटुता घोलते तो भला कोई क्यों इन रिश्तों में उलझता?,

भले ही वास्तविक जीवन में लोग रिश्तों की मधुरता को कम महसूस करते हो, लेकिन रिश्तों का एहसास, इनकी मधुरता व्यक्ति को आनन्दित करती हैं, पुलकन से भरती हैं.

पर शायद इन रिश्तों के मनोविज्ञान से परिचय कम हैं. इसलिए लोग इन रिश्तों को भली प्रकार नही बना पाते हैं, रिश्तों को लम्बे समय तक सहजता से नही निभा पाते और बने हुए रिश्तों को भी तोड़ना चाहते हैं.

रिलेशनशिप का अर्थ मीनिंग इन हिंदी (What Is Relationship Meaning in Hindi)

रिश्तों का अर्थ सम्बन्ध होता है. सम्बन्ध हमारा किसी भी चीज या व्यक्ति से हो सकता हैं. लेकिन यहाँ पर रिश्तों का मतलब व्यक्तियों के सम्बन्ध से हैं. पर व्यक्ति से हमारा व्यवहार ऐसा होता हैं जैसे हम किसी निर्जीव वस्तु के साथ व्यवहार कर रहे हो.

कोई व्यक्ति जो जीवित है, उसकी अपनी इच्छाएं है, अपेक्षाएं है वह अपनी मर्जी के अनुसार चलना चाहता हैं, करना चाहता है, लेकिन सम्बन्धों के दायरे में, रिश्तों की सीमाओं के कारण वह अपनी मर्जी के अनुसार नही कर पाता हैं. रिश्तों में बंधते ही उनकी स्वतंत्रता छीन सी जाती हैं. फिर उसे वही करना होता है जो उस रिश्ते में उसे करना चाहिए.

इस तरह रिश्ते में बंधकर व्यक्ति को दूसरों के अनुसार जीना होता हैं. यह एक सीमा तक तो सहनीय और करणीय होता हैं, लेकिन जैसे ही यह सब सहनशक्ति के बाहर होता है, व्यक्ति का गुबार फूट पड़ता है और यही से रिश्तों में दरार आनी शुरू हो जाती हैं.

हर व्यक्ति दूसरों के सामने कैसे प्रस्तुत होता है, जैसे वह कितना अच्छा है, कितना संतुलित व सामजस्य पूर्ण है, लेकिन वास्तविकता में वह जो होता है, उससे कम लोगों को ही परिचय होता हैं.

जो उसके करीबी होते हैं, वे ही जानते है कि असलियत में वह व्यक्ति कैसा हैं. यही वजह है कि जब किसी व्यक्ति से मिलता है तो शुरुआती दौर में सभी एक दूसरे को पसंद करते हैं, लेकिन जब एक दूसरे को नजदीक से जानने लगते है, व्यक्तित्व से परिचित होने लगते है, तो फिर उनके साथ सामजस्य नही बिठा पाते हैं.

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अपने रिश्ते सुधारने के लिए हमें इस बात को समझना होगा कि हर व्यक्ति में अच्छाईयां एवं कमियां होती हैं, यदि हम किसी व्यक्ति (Girlfriend & Boyfriend) को हम अपनाते है तो केवल उसकी अच्छाईयों को ही नही बल्कि उसकी बुराइयों को भी हमें स्वीकार करना होगा.

यदि कमियां खलती है तो उन्हें दूर करने का प्रयास करना होगा या फिर उन्हें नजरअंदाज करना होगा. इस तरह संसार में बहुत सारी चीजे ऐसी है, जिन्हें बदला नही जा सकता.

ऐसी स्थिति में जो कुछ बदला जा सकता हैं उसे ही बदलना पड़ता हैं. इसी तरह यदि सामने वाला अपने आप में परिवर्तन करने को तैयार नही हैं तो स्वयं में जो परिवर्तन संभव हैं उन्हें करना चाहिए.

लेकिन कभी भी स्वयं की व अन्य की बुराई को, कमियों को स्वीकारना नही चाहिए, अन्यथा उसके परिणाम भयानक हो सकते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि एक बुराई छिपाने से कई कमियां व बुराइयां जन्म लेती हैं.

जो व्यक्ति के पतन का कारण बनती हैं. इसलिए बुराइयों को दूर करने के लिए हमें सतत प्रयत्नशील रहना चाहिए.

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रिश्ते दूर से बड़े मोहक लगते हैं, लेकिन रिश्ते में जुडे हुए लोगों को ही इसकी असलियत पता होती हैं. क्योंकि रिश्ते कभी भी एक ही तरह की गति से नही चलते हैं.

जैसे समतल सड़क पर चलने वाली गाड़ी बिना डिगमगाएं दौड़ती हैं, लेकिन रिश्तों की गाड़ी जीवन में कभी मधुर होती हैं कभी लड़खड़ाती हैं.

कभी शोर करती है कभी रुलाती है तो कभी रास्ते में ठहरकर रह जाती हैं. इसकी गति में समानता लाने के लिए हमें हर बार रिश्तों की गति को नयेपन से शुरू करना पड़ता हैं.

रिश्तों की दुनियां में यदि कोई सबसे अधिक चोटिल है तो वह अपने लोग होते हैं. यदि कोई सबसे ज्यादा ख़ुशी महसूस करता है तो वे भी अपने ही लोग होते हैं.

चूँकि लोग अपने होते हैं इसलिए उनके सामने दिखावा या परदा नही होता हैं. व्यक्ति कैसा हैं वैसा ही व्यवहार करता हैं, अनजान लोगों के सामने वह अपने व्यक्तित्व पर परदा डालने का प्रयास करता हैं, अच्छा बनने की कोशिश करता हैं, लेकिन अपनों के सामने वह ऐसा कुछ नही करता.

इसलिए यदि व्यक्ति के मन में किसी के लिए गुस्सा या नाराजगी हैं तो वह अपनों पर ही निकाल देता हैं. अपनी ख़ुशी भी वह सबसे पहले अपनों पर ही लुटाता हैं,

लेकिन कभी कभी जरूरत से ज्यादा नाराजगी, बात बात पर कमी निकालना, उदासी, परेशानी आदि नकारात्मक जीवन में रिश्तों की डोर को इस कदर उलझा देती हैं कि उन्हें फिर से सुलझाना आसन नही होता हैं.

रिलेशनशिप, रिश्‍ते, Relationship Advice in Hindi

बुराई या निंदा सबको चुभती हैं और प्रशंसा करना सबको अच्छी लगती हैं. भले ही निंदा सच्ची हो, लेकिन अच्छी नही लगती, और इस तरह प्रशंसा भले ही झूठी हो, मन को भाती हैं.

यदि हमारे रिलेशन को अच्छा बनाना हैं तो अपनों की निंदा या बुराई करने की बजाय प्रशंसा करने की आदत डाले.

अपनों को प्रोत्साहित करने का प्रयास करे, इसका मतलब यह नही कि कमियों को नजरअंदाज कर दिया जाए, बल्कि यह हैं कि कमियों को भी सकारात्मक रुख देते हुए दूर करने का प्रयास करे.

कमियां है यह सभी जानते हैं, लेकिन दूसरों के सामने स्वीकार नही करते हैं. भले ही इन्हें कोई न स्वीकारे, लेकिन उन्हें सुधारने का प्रयास करके रिश्तों को मजबूत किया जा सकता हैं.

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