नमस्कार दोस्तों मिस्र के पिरामिड के बारे में तथ्य Information About Pyramids In Hindi आज के आर्टिकल में आपका स्वागत हैं.
आज हम मिस्र के गाजा पिरामिड्स के बारे में रोचक तथ्य और जानकारी प्राप्त करेगे, आशा करते है आपको पिरामिड के बारे में दी गई इनफार्मेशन पसंद आएगी.
मिस्र के पिरामिड के बारे में तथ्य Information About Pyramids In Hindi
विश्व के सात अजूबों में से एक मिस्र के पिरामिड आज के वैज्ञानिको के होश उड़ा देते हैं. आज विज्ञान और टेक्नोलॉजी इतनी प्रगति कर चुकी हैं कि आसमान को सूने वाली इमारतों का निर्माण कोई बड़ी बात नहीं हैं.
मगर क्या आज से 2500 वर्ष पूर्व कोई ऐसी तकनीक रही जिससे 10 टन के पत्थर 450 फिट ऊपर ले जाकर एक ईमारत का निर्माण कर दिया जाए.
एक दो पत्थर नहीं इनकी इतनी बड़ी तादाद की इन्हें पतले काटा जाए तो पेरिस जैसे शहर की चारदीवारी तैयार की जा सकती हैं. ऐसी ही विचित्र कहानी है मिस्र के पिरामिड की. mystery of pyramids in hindi में हम ऐसी ही और अन्य जानकारियाँ आपके साथ शेयर कर रहे हैं.
मिस्र की सभ्यता उतनी ही प्राचीन है जितनी भारत की सिन्धु घाटी सभ्यता. उस समय मिस्र के सम्राटों को फेरों कहा जाता था. उनके मरने के बाद जो समाधि स्थल अथवा कब्र बनाई जाती थी उन्हें पिरामिड कहते थे.
इन पिरामिड में राजा के मृत शरीर के साथ साथ उनके खाने पीने की सामग्री, आभूषण, सौन्दर्य प्रसाधन की वस्तुएं, खाने पीने के बर्तन, हथियार, कीमती रत्न यहाँ तक की दास व दासियों को भी जीवित दफन कर दिया जाता था.
उस समय शायद मिस्र में भी पुनर्जन्म की मान्यता रही होगी. इन शवों को ममी कहकर पुकारा जाता था. इन ममी के ऊपर वृहत त्रिभुजाकार पिरामिड निर्मित किये जाते थे.
ये पिरामिड मिस्र की प्राचीन सभ्यता, उस समय की विज्ञान, तकनीक तथा लोगों की कलाकारी का जीता जागता उदहारण ये पिरामिड हैं.
अनुमान लगाइए ढाई हजार साल पूर्व साढ़े चार सौ फीट की ऊँचे ये ईमारते कैसे बनी होगी, जो 20 वीं सदी तक विश्व की सबसे ऊँची बिल्डिंग का खिताब भी अपने नाम रखा था.
13 एकड़ भूमि में इन ईमारतों का आधार जो किसी बड़े नगर के क्षेत्रफल से कम नही था. आज भी मिस्र में 138 पिरामिड बने हुए हैं.
लेकिन राजधानी काहिरा के गीजा में बने तीन ग्रेट पिरामिड इन सभी में बेहद ख़ास हैं. कई सदियाँ बीत गई मगर ये अपनी मौजूदगी उसी अटलता के साथ साबित करते हुए अपने स्थान पर यथास्थिति खड़े रहे.
गीजा के ग्रेट पिरामिड जैसी कोई दूसरी ईमारत इस दुनियां में हैं न ही ऐसी रचना पृथ्वी पर दुबारा संभव हैं. वैज्ञानिक सदियों से इन पिरामिडों के रहस्यों को सुलझाने में लगे है मगर वे अभी तक इसकी सममिति भी नहीं बना पाए हैं.
इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता हैं. मिस्र के लोगों के पास आज से बेहतर तकनीक एवं साधन रहे होंगे. गीजा के इन पिरामिड के निर्माण में लगभग पच्चीस लाख चूने के पत्थर काम में लिए गये हरेक पत्थर का वजन दो टन से 30 टन तक का हैं.
आज से तक़रीबन 25 सौ वर्ष पहले मिस्र के खुफु वंश के चौथे वंशज द्वारा गीजा के पिरामिड का निर्माण करवाया गया था. जिनके बनने में तक़रीबन 23 वर्ष लगे.
अवधि पर विचार जरुर करे. ये पिरामिड निरंतर आधुनिक वैज्ञानिकों को चुनौती देते नजर आ रहे हैं. ऐसा हो भी क्यों न आज हमारे पास सुपर कंप्यूटर बड़ी बड़ी क्रेन मशीने, पत्थर को काटने के आधुनिक हथियार नाप तौल की परिष्कृत प्रणाली होने के बाद भी इस तरह की मंजिल को बनाने के बारे सोचने से भी भय लगता हैं.
हाथों से ताम्बे की छैनी तथा हथोडों से किस तरह पत्थर को तराशा गया, कि आज भी एक दूसरे पर पत्थर इस तरह रखे गये हैं जिसके बिच तिनका जाने की जगह भर नहीं हैं.
मिस्र के इन पिरामिड पर चढने के लिए 203 स्टेप्स बनी हुई हैं, मगर किसी भी पर्यटक को इस पर चढने की अनुमति नहीं हैं. मिस्र के ये पिरामिड नील नदी के पश्चिम की ओर बने हुए हैं, इसे बनाने में एक लाख मजदूर लगे. इतिहासकारों का मानना है कि ये सभी मजदूर दहाड़ी पर काम करते थे न कि ये गुलाम थे.
एक वैज्ञानिक ने कुल पत्थरों तथा इसे बनाने के समय के बिच एक सम्बन्ध बैठाने की कोशिश की थी. इस शोध के तथ्य हैरान कर देने वाले थे.
यानी जिन 25 लाख पत्थरों से 23 वर्षों में इन पिरामिड का निर्माण किया गया था, मजदूर 10 घंटे काम करते थे तथा हर दूसरे मिनट में एक पत्थर को तैयार कर मंजिल पर लगा दिया जाता था.
यह विशवास करने योग्य बात नहीं है क्या इतना जल्दी कार्य तकनीक के सहारे भी संभव नही है तो उस समय यह कैसे हुआ होगा.