आईपीसी की धारा 324 क्या है | IPC Section 324 in Hindi

आईपीसी की धारा 324 क्या है | IPC Section 324 in Hindi दोस्तों आपने देखा होगा कि जब दो लोग लड़ाई करते हैं तो कई बार वे एक दूसरे को या फिर उनमें से कोई एक सामने वाले व्यक्ति को बहुत बुरी तरह से चोट पहुंचा देता है या फिर किसी खतरनाक हथियार से उस पर हमला कर देता है तो उस व्यक्ति के ऊपर धारा 324 लगाई जाएगी। 

पर अफसोस की बात ये है कि अधिकांश लोगों को पता ही नहीं है कि धारा 324 क्या है ? और किन कारणों से लगाई जाती हैं ! अगर आप भी नहीं जानते कि धारा 324 क्या है ?

तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस लेख में हमने आपको धारा 324 के बारे में पूरी जानकारी दी है, इसीलिए इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़िएगा। 

धारा 324 क्या है | IPC Section 324 in Hindi

आईपीसी की धारा 324 क्या है IPC Section 324 in Hindi

धारा 324 में स्पष्ट किया गया है कि  धारा 334 में आने वाले सभी मामलों को छोड़कर, अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को जानबूझकर घोप कर, गोली चला कर, काटने के किसी भी साधन से या फिर अपराध के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों का उपयोग करता है! 

या फिर किसी भी तरीके से उस व्यक्ति को मृत्यु के पास ले जाता है। या आग, विष या किसी अन्य विस्फोटक पदार्थ से चोट पहुंचाता है।

या फिर किसी भी पदार्थ को नाक के जरिए सांस लेकर, मुंह से निगल कर कोई खतरनाक चीज व्यक्ति के खून में मिलाता हैं या उसे किसी जानवर की मदद से मारने का प्रयास करता है। 

तो उस व्यक्ति के ऊपर धारा 324 लगाई जाएगी और इस धारा के अंतर्गत एक निश्चित अवधि के लिए सजा भी दी जाएगी। जिसे जज अपने अनुसार 3 सालों तक बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा इस धारा के अंतर्गत व्यक्ति को सजा के साथ-साथ आर्थिक जुर्माना भी देना पड़ सकता है। 

धारा 324 के आवश्यक तत्व 

जैसे कि मैंने आपको बताया कि धारा 324 में आरोपी द्वारा किसी अन्य व्यक्ति पर किसी खतरनाक हथियार से हमला करने पर उसे सजा सुनाई जाती हैं। इसीलिए इस धारा के लागू होने के लिए कुछ आवश्यक तत्व का होना भी आवश्यक है – 

इस धारा में यह स्पष्ट किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को किसी खतरनाक हथियार से मारता है वह भी जानबूझकर तभी धारा लागू की जाएगी। 

लेकिन इस धारा में कहीं भी व्यक्त नहीं किया गया है कि अगर आरोपी गलती से सामने वाले व्यक्ति को किसी उपकरण से चोट पहुंचा दे तो उसे सजा होगी या नहीं! 

इसीलिए इस बात को मद्देनजर रखते हुए ये निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि धारा 324 के तहत अपराधी को तभी सजा दी जाएगी, जब वह जानबूझकर किसी व्यक्ति को मारने के उद्देश्य से उस पर आक्रमण करेगा या करेगी। 

भारतीय दंड संहिता की धारा 324 का दंड प्रावधान क्या है ? 

अगर किसी अपराधी को भारतीय दंड संहिता की धारा 324 के तहत दंड दिया जाता है तो उसे कारावास की सजा दी जाएगी। यानी कि इस धारा के अंतर्गत व्यक्ति के ऊपर आजीवन कारावास लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं अगर अपराधी का आरोप गंभीर है तो करावास की सजा को 3 सालों तक और बढ़ाया जा सकता है। 

साथ ही साथ धारा 324 में बताए गए आरोप के लिए अपराधी पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया जाता है जिसे आरोप की गंभीरता और अपराधी का क्रिमिनल रिकॉर्ड देख करके तय किया जाता है। 

भारतीय दंड संहिता की धारा 324 में जमानत का क्या प्रावधान है ? 

भारतीय दंड संहिता की धारा 324 किसी अपराधी पर तभी लगाई जाती है जब वो व्यक्ति, किसी दूसरे व्यक्ति को जानबूझकर गंभीर तरह से घायल कर देता है या फिर धारा 324 में बताए गए तरीकों से किसी दूसरे व्यक्ति की जान लेने की कोशिश करता है तो ऐसे अपराध के लिए उस व्यक्ति को किसी भी तरह से जमानत नहीं मिलेगी क्योंकि यह एक गैर जमानती अपराध है। 

इसीलिए भारतीय दंड संहिता की धारा 324 के अंतर्गत किसी भी अपराधी को जमानत मिलना बहुत मुश्किल होता है और ज्यादातर मामलों में व्यक्ति को जमानत नहीं मिलती है। ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि इस तरह के मामलों में सारे सबूत और गवाह जो होते हैं वो सब अपराधी के विरुद्ध होते हैं। 

क्योंकि अदालत की नजरों में यह काफी गंभीर अपराध है जिसमें एक व्यक्ति की जान बूझकर जान लेने की कोशिश की गई हैं। इसीलिए अदालत के द्वारा इस अपराध की कोई जमानत तय नहीं की गई है इसके अलावा अगर अपराधी अपनी जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में भी अपना केस फाइल करता है तब भी सुप्रीम कोर्ट उसे जमानत नहीं देगी। 

धारा 324 में वकील की जरूरत क्यों होती है ? 

धारा 324 के बारे में जानने के बाद आप समझ ही गए होंगे कि ये धारा कितने गंभीर अपराध के लिए लगाया जाता है तो अगर यह धारा किसी अपराधी पर लगाई जा रही है तो उस व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा मिलेगी। 

जिससे बच निकलना अपराधी के लिए भी संभव नहीं है तब तक जब तक वो अपने लिए कोई वकील ना ढूंढ ले। 

क्योंकि बिना वकील के ऐसे मामलों से बाहर निकल पाना या खुद को निर्दोष साबित कर पाना बेहद मुश्किल है। अपना केस लड़ने के लिए अगर अपराधी किसी होनहार वकील को अपना केस देता है तो यह मुमकिन है कि वह अपराधी को निर्दोष साबित कर उसकी सजा को कम कर दें। 

लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि इस तरह के मामले में वकील आपके काम तभी काम आ सकता है जब वह वकील अपने क्षेत्र में सबसे अच्छा हो। क्योंकि ऐसे मामलों के लिए अगर आप किसी साधारण वकील का चयन करेंगे तो वह वकील आपके केस को नहीं जीत पाएगा। 

भारतीय दंड संहिता की धारा 324 की Case study 

भारतीय दंड संहिता की धारा 324 के अंतर्गत जो भी बातें कही गई हैं वह किन किन मामलों में लागू होती है? यह समझने के लिए इसके केस स्टडी को ध्यान से समझना जरूरी है। 

Case study .1 सूरज विरुद्ध रमेश

सूरज और रमेश दोनों में आए दिन घर के बंटवारे को लेकर लड़ाई होती रहती थी। पहले यह लड़ाई बातों में होती थी लेकिन एक दिन सूरज ने मौका पाकर रमेश पर हमला कर दिया जिससे रमेश घायल हो गया जिसके बाद रमेश के परिवार वालों ने सूरज के ऊपर केस कर दिया। 

पुलिस वाले जब सूरज को कोर्ट लेकर जाते हैं तब कोर्ट में जज ये फैसला सुनाता है कि सूरज को आजीवन कारावास की सजा मिलेगी साथ ही साथ उसके ऊपर आर्थिक जुर्माना भी लगाया जाएगा।

क्योंकि जिस तरीके से सूरज ने रमेश पर आक्रमण किया था उससे वह बहुत ज्यादा घायल हो गया था और उसे ठीक होने में भी बहुत समय लगने वाला था। 

इसीलिए जानबूझकर दूसरे व्यक्ति को खतरनाक हथियारों से घायल करने के लिए रमेश को यह सजा सुनाई गई। 

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 324 के महत्वपूर्ण केस

अगर आप सेक्शन 324 के विषय में और भी ज्यादा जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं पर यह समझना चाहते हैं कि इस तरह की घटना होने पर धारा 324 के तहत कौन सी सजा सुनाई जाएगी? या फिर सेक्शन 324 लगाए जाने के बाद क्या किसी व्यक्ति का एक निर्दोष निकल पाना मुमकिन है या नहीं?

 यह सभी बातें जानने के लिए आप इस धारा के अलग-अलग केस को study कर सकते हैं! लेकिन अगर आपको समझ नहीं आ रहा है कि आप को सेक्शन 324 के किस केस को स्टडी करने से शुरुआत करनी चाहिए तो आप नीचे बताई गई धाराओं की सूची को study कर सकते हैं – 

  • के. नागमल्लेश्वर राव Vs आंध्र प्रदेश राज्य 14 मार्च, 1991
  • मुथु नायकर Vs तमिलनाडु राज्य 10 अगस्त, 1978 State
  • याकूब अब्दुल रजाक मेमन Vs महाराष्ट्र राज्य: सीबीआई 21 मार्च, 2013 
  • एस्सा @ अंजुम अब्दुल रजाक मेमन Vs महाराष्ट्र राज्य Tr.Stf, सीबीआई 21 मार्च, 2013
  • गोपाल सिंह Vs उत्तराखंड राज्य 8 फरवरी, 2013 State
  • प्रवत चंद्र मोहंती Vs ओडिशा राज्य 11 फरवरी, 2021 State
  • देवी सिंह Vs मध्य प्रदेश राज्य गृह 5 सितंबर, 2018 को
  • शीतला प्रसाद Vs श्री कांत और अन्य 17 दिसंबर, 2009 को
  • नरेश Vs उत्तराखंड राज्य 25 अप्रैल, 2018
  • कट्टुकुलंगरा माधवन Vs मजीद और अन्य 30 मार्च, 2017 

इन सभी केसेस में आईपीसी सेक्शन 324 लगाई गई है। ये सभी मामले एक दूसरे से अलग है तो अगर आप इन केस की सही ढंग से स्टडी करते हैं तो आपको सेक्शन 324 से अलग-अलग पहलुओं के बारे में जानने को मिलेगा।  

आईपीसी धारा 324 से बचने के लिए क्या करें ? 

अगर आप भारतीय दंड संहिता की सेक्शन 324 में व्यक्त किए गए दंड प्रावधान से बचना चाहते हैं तो इसका सिर्फ एक ही तरीका है आप किसी भी दूसरे व्यक्ति से झगड़ा लड़ाई ना करें!

और अगर किसी कारणवश लड़ाई हो भी जाती है तब भी लड़ाई में किसी तरह के हथियार का या फिर किसी अन्य उपकरण का इस्तेमाल ना करें। 

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