स्त्री और पुरुष पर सुविचार अनमोल वचन | Men And Women Quotes In Hindi : शायद स्त्री और पुरुष प्रकृति की सबसे सुन्दरतम कृति है. जगत का निर्माण विस्तार और इसे एक आकार देने में स्त्री पुरुष की ही सबसे बड़ी भूमिका हैं.
विपरीतलिंगी होने के कारण दोनों के बीच आकर्षण स्वाभाविक है मगर दोनों में समानताएं कम व असमानताएं अधिक होती है, शादी नर नारी के जीवन का ऐसा मोड़ होता है जहाँ से उन्हें दम्पति के रूप में रहकर सन्तति कर्म को अपनाना पड़ता हैं.
स्त्री और पुरुष पर सुविचार (Men And Women Quotes, quotes about man and woman equality) में हम कुछ दार्शनिकों के थोट्स जानेगे.
Men And Women Quotes In Hindi | स्त्री और पुरुष पर सुविचार
पुरुष व स्त्रियों के सम्बन्ध पर विचार man and woman quotes relationship
स्त्रियाँ अपनी अवस्था के बारे में झूठ बोलती हैं और पुरुष अपने आय के बारे में झूठ बोलते हैं.
Women lie about their condition and men lie about their income.
पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियाँ अधिक बुद्धिमान होती हैं, क्योंकि वे अपेक्षाकृत कम जानती हैं और कम समझती हैं.
Women are more intelligent than men because they know less and understand less.
स्त्रियाँ कायर पुरुषों को पसंद नहीं करती हैं. बिल्लियाँ समझदार चूहों को पसंद नहीं करती हैं.
Women do not like cowardly men. Cats do not like sensible mice.
एक स्त्री का काम है कि वह जितना संभव हो, विवाह कर ले. पुरुष को चाहिए कि जब तक वह अविवाहित रह सके, विवाह न करो.
The job of a woman is to get married as much as possible. The man should not marry unless he can remain unmarried.
आदमी बारूद है, औरत उसमें आग लगाने वाली चिंगारी हैं.
The man is ammunition, and the woman is a spark of fire.
मनुष्य अपनी इच्छा पर बल देता है, परन्तु स्त्री इच्छानुसार काम कराती हैं.
English : A man emphasizes his desire, but the woman works according to the will.
पुरुष शीश है, नारी गर्दन. यह गर्दन होती है जो शीश को चलाती घुमाती हैं.
English : Men’s head, women’s neck It is the neck that turns the head moving.
एक पुरुष चाहे कितनी भी तरक्की क्यों न कर ले वह बिना स्त्री के आधा है
English : No matter how much a man can grow She is half without a woman
यदि एक पुरुष को शिक्षित किया तो केवल वही पुरुष ही शिक्षित होता है जबकि यदि किसी नारी को शिक्षित करते है तो दो परिवारों के उनके पीढ़ी को शिक्षित करते है
English : If educating a man, then only those men are educated, whereas if educating a woman, two families educate their generation
नारी वह सुख की नदी है जिसमे पुरुष बहकर अपने दुखो को दूर करता है.
English : A woman is a river of happiness in which the man takes away his suffering.
एक स्त्री ही कभी माँ, कभी पत्नी, कभी बहन तो कभी बेटी बनकर पुरुषो की सेवा करती है
English : A woman is never a mother, a wife, never a sister, and sometimes a daughter serves men/
स्त्री पुरुष पर सुविचार
स्त्री जितनी सम्मानीय होती है पुरुष भी उतने ही सम्मान के हकदार होते हैं। दोनों अपने कर्मों के हिसाब से सम्मान पाते हैं।
स्त्री में सहनशीलता का गुण श्रेष्ठ है उसकी सहनशीलता अपने बच्चे के जन्म के वक्त दर्द सहने में दिखती है। पुरुष परिवार का आधार होते हैं जो अपनी छाँव में स्त्री और बच्चे का संरक्षण करते हैं।
पुरुष परिवार को चलाता है तो स्त्री परिवार को संभालती है।
स्त्री पुरुष धरती पर मानव जीवन स्वरूप ईश्वर की विचित्र कृति हैं जो अपने अपने स्वरूप एवं विशेषता से महत्वपूर्ण माने जाते है।
पिता,भाई, दोस्त, पति, हम साथी, शुभचिंतक आदि रूप में पुरुष ने अपनी छवि को विशिष्ट बनाया है तो माँ, पत्नी, बहन, दोस्त, हमसाथी, शुभ चिंतक आदि के रूप में स्त्री ने अपनी विशिष्ट जगह बनाई है।
एक स्त्री को कभी चरित्रहीन नहीं कहा जा सकता है जब तक पुरुष चरित्रहीन की श्रेणी में नहीं आते क्योंकि पुरुष की लालसा ही एक स्त्री को उस दिशा की ओर उन्मुख करती है।
समाज का निर्माण मनुष्य ने किया है जिसमें स्त्री और पुरुष समान रूप से सहभागी हैं। दोनों के समान रुप से सहयोग से समाज में विकास की नींव मज़बूत होती है।
पुरुष की सत्ता अकेले नहीं चल सकती है। स्त्री के बिना पुरुष अधूरा है दोनों मिलकर ही पूर्णता प्राप्त करते हैं।
स्त्री अगर कोमलता का प्रतीक है तो पुरुष मज़बूती का प्रतीक है।
स्त्री के रूप में माँ और पुरुष के रूप में पिता बच्चे के लिए दोनों ज़रूरी होते हैं वरना परिवार अधूरा लगता है।
भले प्रकृति ने पुरुष और स्त्री को भिन्न भिन्न रूपों से सँवारा है लेकिन दोनों के आपसी सहयोग, समझदारी से परिवार खुशहाल रहता है।
पुरुष अच्छे मित्र साबित होते हैं तो स्त्री अच्छी संगिनी साबित होती है।
स्त्री और पुरुष अपने बलिदान से महान बन जाते हैं।
पुरुष में अगर शक्ति, साहस, विनय का गुण,शास्त्रों का ज्ञान, कम बोलना, अपनी क्षमता अनुसार दान करना, कृतज्ञता, ज्ञानवान, कुलीनता आदि गुण विद्यमान है तो पुरुष समाज में ख्याति प्राप्त करते हैं। स्त्री अपने संपूर्ण व्यक्तित्व में ख्याति प्राप्त कर लेती है।
स्त्रियाँ पुरुषों को अच्छे से समझ सकती हैं जितना पुरुष भी स्त्रियों को समझ नहीं पाते हैं। स्त्रियाँ समझदार होती हैं और पुरुष बुद्धिमान होते हैं। दोनों अपने अपने गुणों स्वरूप प्रशंसा पाते हैं।
पुरुष के चरित्र के बारे में स्त्री से अधिक कोई नहीं जान समझ सकता है। स्वयं पुरुष भी पुरुष को पूरी तरह समझ नहीं पाते हैं जितना स्त्री किसी पुरुष को समझती है।
स्त्री और पुरुष अपने अपने गुणों स्वरूप अलग छवि रखते हैं। लेकिन दोनों के गुण आपस में मिल जाए तो एक को सर्वश्रेष्ठ तो दूसरे को नीचे गिरा देते हैं। पुरुषों में स्त्री के गुणों का समावेश पुरुष को महान बना देता है लेकिन पुरुषों के गुणों का समावेश स्त्री के लिए उचित नहीं होता है।
स्त्रियों में उत्साह रूपी गुण अक्सर दिखाई पड़ते हैं जबकि पुरुषों में गंभीरता का गुण प्रधान दिखाई पड़ता है।
एक पुरुष का जीवन कई संघर्षों से शुरू होता है वहीं स्त्री का जीवन आत्मसमर्पण की शुरुवात करता है।
एक पुरुष अपनी त्याग भावना, शीलता, गुणों, कर्मों के कारण पहचाने जाते हैं। स्त्री स्वयं अपने पूर्ण अस्तित्व में पहचान है।
सफल पुरुष से अधिक सम्मानीय पुरुषों में नैतिक गुणों की विद्यमानता होती है। स्त्री की महानता उसके गुणों में झलकती है।
जीवन की कठिनाईयों में स्त्री पुरुष अगर साथ मिलकर चलें, एक दूसरे का साथ निभायें तो समस्या का समाधान मिल जाता है और कठिनाईयाँ दूर हो जाती है।
सज्जनता पुरुष को समाज में महान बनाती हैं और स्त्री समाज में महान अपनी छवि से बनती है।
जीवन में स्त्री पुरुष का समझदारी पूर्वक कदम उठाना ही विकास को बढ़ावा देता है।
स्त्री पुरुष अपने कर्मों से समाज में अपनी जगह बना पाते हैं।
समाज में अगर स्त्री को देवी स्वरूप माना चाहता है तो पुरुष को भी परमेश्वर कहा जाता है।
पिता के रूप में पुरुष अपने बच्चे के लिए ढाल स्वरूप बन जाते हैं तो माँ के रूप में स्त्री अपने बच्चों के लिए रक्षा कवच बन जाती है। माता पिता के रूप में स्त्री पुरुष सम्मान पाते हैं और पूजे जाते हैं।
स्त्री हो या पुरुष अगर कठिन परिस्थितियों का सामना साहस, धैर्य, क्षमता, आंतरिक प्रबलता, कोशिशों से करते हैं तो जीत हासिल कर लेते हैं।
स्त्री और पुरुष का सकारात्मक साथ ही जीवन को सही दिशा की ओर ले जाता है।
स्त्री निस्वार्थ भावना से सेवा करती है। पुरुष में अगर निस्वार्थ भावना उपस्थित है तो पुरुष को जीवन में मान सम्मान मिलता है।
स्त्री का सम्मान करने वाला पुरुष अक्सर समाज में सम्मान पाता है।
स्त्री ईश्वर की ऐसी कृति है जो सुंदर होने के साथ-साथ अपने आंतरिक गुणों से जग में सम्मान पाती है एवम् देश को उन्नति की ओर ले जाती है। पुरुष स्त्री के साथ समाज में अपने सज्जन स्वभाव के कारण ही सुशोभित होते हैं।
स्त्री का जग में मान सम्मान रखने वाला पुरुष ईश्वर की कृपा दृष्टि प्राप्त करता है।
स्त्रियों में अनेक भावों की अभिव्यक्ति होती है और पुरुषों के अनेक तर्कों की अभिव्यक्ति स्त्री के एक भाव में अभिव्यक्त हो जाती है।
अभिभावकों को अपने बेटा बेटी के रूप में स्त्री का सम्मान करना है एवम् सही पुरुष का आदर करना सिखाना चाहिए जो समाज की उन्नति में विशेष भूमिका निभाते हैं।
स्त्री की समझ और बुद्धि से जीवन सँवर जाता है वहीं सज्जन पुरुष की बुद्धि से अच्छे कार्य ही होते हैं। ऐसे पुरुषों की बुद्धि कभी कुंठित नहीं होती है।
स्त्री पुरुष के जीवन में चाहे कितनी भी परेशानियाँ आयें अगर उनमें नैतिक गुण हैं तो जीवन में सफलता मिलती है।
स्त्रियों को पुरुषों में निकम्मापन कभी पंसद नहीं आता है वहीं पुरुषों को स्त्रियों में अधिक क्रोधी स्वभाव पसंद नहीं आता है।
विवाह के बंधन में बंध कर स्त्री पुरुष अगर एक-दूसरे के साथ मिलकर सही सोच के साथ चलें तो जीवन खुशहाल होता है।
अगर पुरुष शिक्षा ग्रहण करता है तो उसका दायरा सीमित होता है लेकिन अगर स्त्री शिक्षा ग्रहण करती है तो कई पीढ़ी को शिक्षित कर देती है।
पुरुष के दुख स्त्री के संपर्क में आने से दूर हो जाते हैं।
स्त्री में सेवा का गुण मूल रूप से दिखाई पड़ता है जो पुरुषों को आंनद प्रदान करता है वहीं पुरुष का अच्छा व्यवहार स्त्री को खुशी प्रदान करता है।
स्त्री एक साथ कई दायित्व निभा सकती है वहीं पुरुष अपने परिवार का दायित्व निभा सकता है।
स्त्री पुरुष एक दूसरे के पूरक समान कहे जाते हैं पुरुष कितनी भी कामयाबी हासिल कर ले लेकिन बिना स्त्री के उसके जीवन में अधूरापन रहता है।
स्त्री की सुन्दरता का संबंध पुरुष की दृष्टि व दृष्टिकोण से होता है जो पुरुषों को कुछ कहने के लिए शब्द देते हैं जिनमें तारीफ निकले तो स्त्री खुश होती है और बुरे शब्द निकले तो स्त्री का रूखापन नज़र आता है।
पुरुष को प्यार आसानी से हो जाता है लेकिन स्त्री को कभी भी अपनी इच्छा के खिलाफ प्यार नहीं होता है।
पुरुष से अधिक क्षमता स्त्री में होती है फिर भी स्त्री के लिए अबला, बेचारी, असहाय जैसे शब्द प्रयोग किए जाते हैं।