नरक चतुर्दशी रूप चौदस की कथा | Narak Chaturdashi Story In Hindi

नरक चतुर्दशी रूप चौदस की कथा Narak Chaturdashi Story In Hindi: काली चौदस, रूप चौदस, छोटी दीवाली नरक चतुर्दशी कथा ये समस्त नाम नरक चतुर्दशी के ही हैं.

2023 में नरक चतुर्दशी की डेट 11 नवम्बर यानि दिवाली के एक दिन पहले यह मनाई जायेगी. कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी का दिन नरक चतुर्दशी का दिन माना गया हैं.

इस दिन नरक से मुक्ति पाने के लिए प्रातःकाल तेल लगा कर अपा मार्ग पौधे सहित जल से स्नान करने का महत्व हैं. नरक चतुर्दशी की रात्रि को यमराज के लिए दीपदान करना चाहिए,

नरक चतुर्दशी की कथा के अनुसार इसी दिन भगवन श्री कृष्ण जी ने नरकासुर नाम दैत्य का संहार किया था. चलिए अब हम नरक चतुर्दशी की स्टोरी को जानते हैं.

नरक चतुर्दशी रूप चौदस की कथा Narak Chaturdashi Story In Hindi

नरक चतुर्दशी रूप चौदस की कथा Narak Chaturdashi Story In Hindi

नरक चतुर्दशी रूप चौदस कथा महत्व पूजा विधि शायरी Narak Chaturdashi Roop Chaudas 2023 significance, Puja Vidhi, Story In Hindi प्राचीन समय में रंतिदेव नामक राजा था,

वह पहले धर्म में धर्मात्मा व दानी था, उसी पूर्ववत कर्म से, इस जन्म में भी राजा ने दान आदि देकर सत्य कार्य किये, जब उसका अंत समय आया तब यमराज के दूत उन्हें लेने आए.

बार बार राजा को लाल आँखे निकालकर कह रहे थे. राजन नरक में चलो, तुम्हे वही चलना पड़ेगा. इस पर राजा घबराया और उनसे नरक में चलने का कारण पूछने लगा.

यम के दूतों ने कहा- राजन आपने जो दान पुण्य किया है, उसे तो अखिल विश्व जानता है किन्तु पाप को केवल भगवान और धर्मराज जानते हैं.

राजा बोले- उस पाप को मुझे भी बताओं, जिससे उसका निवारण कर सकू. यमदूत बोले- एक बार तेरे द्वार से भूख से एक व्याकुल ब्राह्मण लौट गया था,

इससे तुझे नरक में जाना पड़ेगा. यह सुन राजा ने यमदूतों से विनती की कि मेरी मृत्यु के बाद स्वतः ही मेरी आयु एक वर्ष बढ़ा दी जाए.

इस विषय को दूतों ने बिना सोचे समझे ही स्वीकार कर लिया और राजा की आयु एक वर्ष बढ़ा दी. यमदूत चले गये. राजा ने ऋषियों के पास जाकर इस पाप की मुक्ति का उपाय पूछा.

ऋषियों ने बतलाया कि हे राजन, तुम कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को व्रत रखकर भगवान कृष्ण का पूजन करना, ब्राह्मणों को भोजन कराना तथा दान देकर सब अपराध सुनाकर क्षमा माँगना तब तुम पापमुक्त हो जाओगे.

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी आने पर राजा ने नियमपूर्वक व्रत रखा और अंत में विष्णुलोक को प्राप्त किया.

रूप चतुर्दशी की कथा हिंदी में (Narak Chaturdashi/ Roop Chaturdashi story in hindi)

रूप चौदस या रूप चतुर्दशी कार्तिक कृष्ण पक्ष में आती हैं इस दिन सौदर्य रूप श्री कृष्ण की पूजा की जानी चाहिए, इस चतुर्दशी को लोग व्रत भी रखते हैं. ऐसा करने से भगवान सुन्दरता देते हैं. इस दिन नरक चतुर्दशी का व्रत रखा जाता हैं.

नरक चतुर्दशी रूप चतुर्दशी व्रत कथा

एक समय भारत वर्ष में हिरण्यगर्भ नामक नगर में एक योगिराज रहते थे. उन्होंने अपने मन को एकाग्र करके भगवान में लीन होना चाहा,

अतः उन्होंने समाधि लगा दी. समाधि लगाए कुछ ही दिन बीते थे कि उनके शरीर में कीड़े पड़ गये, बालों में छोटे छोटे कीड़े लग गये.

आँखों के रोओ और भोहों पर जुएँ जम गये. यह दशा उन योगिराज की हो गई कि योगिराज बहुत दुखी होकर रहने लगा. इतने में वहां नारद जी घूमते हुए वहां गये.

वीणा और खरताल बजाते हुए आ गये. तब योगिराज बोले- हे भगवन, मैं भगवान के चिन्तन में लीं में लीन होना चाहता था परन्तु मेरी दशा यह क्यों हो गई.

तब योगिराज ने नारद जी से बोले- देह आचार से अब तुम्हे कोई लाभ नही हैं. पहले तुम्हे मैं जो जानता हूँ, उन्हें पहले करना फिर देह आचार के बारे में बताउगा.

थोड़ा रुककर नारद जी ने कहा- इस बार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी आवे तो तुम उस दिन व्रत रखकर भगवान की पूजा से ध्यान करना. ऐसा करने से तुम्हारा शरीर पहले जैसा स्वस्थ हो जाएगा

और रूपवान हो जाएगा. योगिराज ने ऐसा ही किया उनका शरीर पहले जैसा हो गया. उसी दिन से इस चतुर्दशी को रूप चौदस कहा जाने लगा.

छोटी दिवाली छोटी दीपावली कथा हिंदी में (Diwali Stories in Hindi)

यह कार्तिक कृष्ण चौदस के दिन छोटी दिवाली के रूप में मनाई जाती हैं. इस दिन सुबह उठकर आटा तेल हल्दी से उबटन करे फिर स्नान करे.

भोजन करने से इस प्रकार पूजा करे. एक थाली में एक चौमुख दीपक और 16 छोटे दीपक रखे. उनमे तेल और बत्ती डाल कर जला देवे.

फिर रोली, खीर, गुड़, धूप, अबीर, गुलाल, फूल आदि से पूजा करे. शाम को पहले कारखाने की गद्दी की पूजा करे. फिर घर में इसी भांति पूजा करे. पहले पुरुष फिर घर की स्त्रियाँ पूजन करे.

पूजन के पश्चात सब दीपकों को घर में अलग अलग प्रत्येक स्थान पर रख दे, गणेश लक्ष्मी के आगे चौक पूर कर धूप दीप कर दे.

Chhoti Diwali : छोटी दिवाली 2023 नरक चतुर्दशी का महत्व, पूजा विधि

Chhoti Diwali नर्क चतुर्दशी या नरक चौदस जो दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है. इस कारण इसे छोटी दिवाली/दीपावली कहा जाता है.

अपने परिवार के आरोग्य तथा मृत्यु से मुक्ति पाने के लिए इसे मनाया जाता है. इस दिन तेल का एक दीपक जलाए जाने की प्रथा है.

साथ ही नरक चौदश के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है. वर्ष 2023 में यह 11 नवम्बर को है. दीपावली के पंचदिवसीय उत्सव की शुरुआत कार्तिक के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से होती है, जिन्हें धनतेरस भी कहा जाता है.

इसके अगले दिन छोटी दिवाली अगले दिन मुख्य पर्व दीपावली व लक्ष्मी पूजन इस पर्व का तीसरा दिन होता है. इसके बाद गौवर्धन पूजा और भाई दूज का उत्सव आता है.

छोटी दिवाली 2023 नरक चतुर्दशी का महत्व, पूजा विधि

इसे रूप चौदस और रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है. इसमे और दीपावली में पूजा का मुख्य अंतर होता है. चतुदर्शी को मृत्यु के देवता यानि यम की पूजा होती है. जबकि मुख्य दिवाली के दिन घी के दिए जलाकर माँ लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा आराधना की जाती है.

इस दिन पूजा से पूर्व स्नान किया जाना जरुरी माना जाता है. हिन्दू पंचाग के अनुसार इस साल नरक चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 4.47 से 06.27 तक जिनमे पूजा करने की अवधि 100 मिनट की है.

नरक चतुर्दशी का महत्व

इस तिथि को रूप चतुर्दर्शी कहने के पीछे एक पौराणिक कथा मानी जाती है. एक समय हिरनाक्ष्यप ने कई वर्षो तक भगवान् की कठिन भक्ति की.

लम्बी अवधि तक चलने वाली इस भक्ति के चलते उनका शरीर कीड़े मकोड़ो का घर बन गया तथा काया का कुरूप हो गया.

अपनी भक्ति के पश्चात वह ब्रामण देवता नारद जी के पास गये और अपनी कथा बताई. तब नारद जी ने उनकी समस्या के हल के लिये कार्तिक पूर्णिमा की चौदस के दिन जल्दी उठकर भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करने को कहा. ऐसा करने से राजन फिर से अपनी सुंदर काया को पा सका. इस कारण इसे रूप चतुर्दशी कहा जाता है.

एक अन्य कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने छोटी दिवाली के ही दिन नरकासुर नामक राक्षस का अंत किया था. तब से इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है.

हिन्दू धर्म में बुरे कर्म करने वालों को मृत्यु के बाद नरक में जाने से जुड़ी दंतकथाएँ प्रचलित है. इसलिए इस दिन लोग यम के देवता की पूजा कर अपने परिवार के सदस्यों की इस यातना से रक्षा की गुहार लगाते है.

नरक चतुर्दशी पूजा विधि

नरक चतुर्दशी के दिन परिवार की सभी स्त्रियाँ एवं लड़किया सुबह जल्दी उठती है. प्रात जल्दी उठने के बाद सूर्यनमस्कार के साथ ही सूर्य देव को कलश से जल चढाया जाता है तथा बाद में जल में थोड़ा सा तेल मिलाकर स्नान किया जाता है.

चौदस पूजा मुहूर्त के उपर्युक्त समयानुसार यम देव की मंत्रोच्चार के साथ विधिवत पूजा की जाती है. तथा शाम के समय तेल का दिया जलाकर घर के द्वार पर रखा जाता है.

नरक चतुर्दशी के दिन नरक की यातना से बचने के लिए उपाय के तौर पर स्नान करने से पूर्व शरीर के सभी अंगो पर तेल की मालिश की जाती है.

रूप चौदस (नर्क चतुर्दशी) की कथा और महत्व

Rup Choudas Ki Katha Or Mahtav/ रूप चौदस (नर्क चतुर्दशी) की कथा और महत्व: दीपावली का त्यौहार पांच दिन का त्यौहार है, जिनमे दीपवली से ठीक एक दिन पहले रूप चौदस का त्यौहार आता है. इसे छोटी दिवाली, नर्क चतुर्दशी और काली चतुर्दशी भी कहते है.

इसे छोटी दिवाली इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह दिवाली से ठीक एक दिन पहले आती है और इस दिन भी दिवाली की तरह दीप जलाये जाते है.

रूप चौदस या नर्क चतुर्दशी कार्तिक मॉस की चौदस को मनाई जाती है. कहते है की अगर इस दिन सही तरीके और विधि-विधान से पूजा की जाए तो सारे पापों से छुटकारा मिल जाता है.

इस दिन भी रात को दीपक जलाये जाते है और यह दीपावली के पांच दिनों में मध्य का त्यौहार है. आईये जानते है इसके पीछे की कथा के बारे में.

क्यों मनाई जाती है रूप चौदस? (Why Celebrate Rup Choudas)

पहली कथा तो यह हा की इस दिन भगवान कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध किया था और 16100 कन्याओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी. इस वजह से ख़ुशी में दीप जलाये गए थे.

दूसरी मान्यता है की रन्ति देव नाम का राजा था उसने अपनी जिंदगी में कोई पाप नहीं किया था. जब उसकी मृत्यु का समय निकट आया तो उसे लेने यमराज आये.

तब राजा ने कहा की मैंने अपनी जिंदगी में कोई पाप नहीं किया तो आप मुझे लेने क्यों आये है और अगर आप लेने आये है तो इसका मतलब है की मुझे नर्क जाना पड़ेगा. इसलिए मुझे मेरे अपराध के बारे में बताये.

तब यमराज ने कहा की एक बार तुम्हारे दरवाजे से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था और यह उसी पाप का फल है और इसलिए तुम्हे नर्क में जाना पड़ेगा. तब राजा ने कहा मुझे एक साल का समय दे. यमराज ने उन्हें एक साल का समय दे दिया.

राज ऋषियों के पास गए और अपनी गाथा उन्हें सुनाई तब ऋषि ने कहा की कार्तिक मॉस की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत कर ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उनसे अपनी भूल की माफ़ी मांगे.

रंति देव ने वैसा ही किया और इस तरह वे अपने पाप से मुक्त हो गए और उन्हें विष्णु लोक प्राप्त हुआ. इसलिए इस दिन पाप से मुक्ति होने पर नर्क चतुर्दशी और रूप चौदस का त्यौहार मनाया जाता है.

रूप चौदस का महत्व? (Importance Of Rup Choudas)

इस दिन सुबह जल्दी उठाना चाहिए और तेल लगाकर पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर उससे स्नान करना चाहिए. इससे रूप निखरता है. इसके बाद विष्णु और कृष्ण भगवान के दर्शन करने चाहिए, इससे पाप से मुक्ति मिलती है.

इस दिन यह भी कहा जाता है की घर का एक बड़ा बुजुर्ग व्यक्ति इस दिन एक दिया लेकर सारे घर में घुमाता है और बाद में इसे बाहर कहीं दूर रख देता है. इसे घर के लोग नहीं देखते है.

यह दिया यम का दिया कहलाता है. कहते है की इसे पुरे घर में घुमाकर बाहर रखने से घर की बुराईयाँ और बुरी शक्तियाँ दूर हो जाती है.

नरक चतुर्दशी कब होती है?

इसे हर साल आने वाले कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी के दिन सुबह सूरज निकलने के पहले शरीर पर सरसों का तेल लगाकर चिचड़ी की पत्ती को पानी में डालकर के नहाया जाता है। 

इसके पीछे मान्यता यह है कि ऐसा करने से स्वास्थ्य अच्छा होता है और नर्क में जाने का भय भी खत्म हो जाता है।

नरक चतुर्दशी की शाम को मिट्टी के चार बाती वाले दीपक को पूरब दिशा में घर के बाहर मुख्य दरवाजे पर रखा जाता है साथ ही साथ इस दिन नीले या फिर पीले रंग के कपड़े पहनने की भी मान्यता है।

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