पापांकुशा एकादशी 2024 व्रत कथा और पूजा विधि | Papankusha Ekadashi Vrat Katha In Hindi

पापांकुशा एकादशी 2024 व्रत कथा और पूजा विधि | Papankusha Ekadashi Vrat Katha In Hindi आश्विन शुक्ल एकादशी को यह व्रत किया जाता हैं ।

यह एकादशी पापरूपी हाथी को महावत रूपी अंकुश को बेधने के कारण पापाकुंशा कहलाती हैं । इस दिन भगवान विष्णु की पूजा ब्राह्मण को भोजन कराना वांछनीय हैं ।

इस एकादशी के दिन उपवास, व्रत रखने से भगवान समस्त पापों को नष्ट कर देते हैं। पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा हिंदी में पूजन विधि, पापांकुशा एकादशी 2024 डेट टाइम मुहूर्त इसका महत्व आदि की जानकारी इस आर्टिकल में दी गयी हैं।

पापांकुशा एकादशी 2024 व्रत कथा और पूजा विधि

जीवन में कई बार न चाहते हुए भी मनुष्य पाप कर बैठता हैं, विष्णु पुराण में वर्णित आश्विन शुक्ल एकादशी के व्रत के महात्म्य के अनुसार अगर इस व्रत को कोई धारण कर विधि विधान के साथ सम्पन्न करता है तो उनके पापों का नाश हो जाता हैं.

जब महाभारत में अपने भाईयों और पूरे कुटुंब की हत्या का पाप पांडवों को लगा तो धर्मराज युधिष्ठर भगवान श्री कृष्ण से पाप मुक्ति का उपाय पूछते हैं तब भगवान कृष्ण युधिष्ठिर को पापाकुंशा एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान पद्मनाभ की पूजा करने का कहते हैं.

पापांकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha In Hindi)

कथा 1:

धर्मराज के पूछने पर भगवान श्री कृष्ण कहते है हे युधिष्ठिर, सभी पापों को समाप्त कर देने वाली आश्विन शुक्ल एकादशी का पापाकुंशा एकादशी हैं, इस दिन मनुष्यों को भगवान पद्मनाभ की पूजा करनी चाहिए, यह एकादशी मानव को उसका मन इच्छित फल देकर मोक्ष प्रदान करने वाली हैं.

भगवान कहते हैं जो पुण्य सहस्र वाजपेय और अश्वमेध यज्ञ करने से मिलता है वह पापाकुंशा एकादशी के पुण्य का सोलहवां भाग भी नहीं हैं. तीनों लोकों में एकादशी के पुण्य के तुल्य कुछ भी नहीं हैं. कोई मनुष्य जब तक इस एकादशी का व्रत धारण नहीं करता है तब तक वह पापमुक्त नहीं हो सकता.

हे धर्मराज पापाकुंशा अन्न, धन, सुंदर पत्नी, स्वास्थ्य, मोक्ष और स्वर्ग प्रदान करने वाली हैं. इसके व्रत के समान पुण्य तो गंगा, काशी और पुष्कर की तीर्थ यात्राओं से भी नहीं मिलता हैं. इस एकादशी को व्रत रखने वाले, जागरण और हरिवासर करने वालों के दस पीढ़ी मातृ पितृ मित्र स्त्री सभी पक्षों का कल्याण हो जाता हैं.

एक पापी व्यक्ति भी बालपन, युवावस्था या बुढापे में इस व्रत को करके सद्गति पा सकता हैं, जो मनुष्य आश्विन की इस एकादशी का व्रत धारण करते है वे हरिलोक में समस्त पापों से छुटकारा पाकर जाते हैं. इस दिन सोना, तिल, छतरी, जूती आदि के दान करने से मानव यम के दर्शन से मुक्त हो जाता हैं.

भगवान श्री कृष्ण दान के महत्व के बारे में बताते हुए कहते हैं हे युधिष्ठिर जो व्यक्ति बिना दान पुण्य के जीवन गुजार देता हैं उसका जीवन लोहार की भट्टी के समान निर्जीव ही हैं.

गरीब से गरीब व्यक्ति को भी अपने सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए, अमीर लोगों को गरीबों को घर, बाग़ आदि बनाकर देने चाहिए. दान करने से मानव सुखी, सम्पन्न, रोग रहित होता है तथा उसे मृत्यु के बाद यम के द्वार नहीं देखने पड़ते हैं.

कथा 2- विंध्य पर्वत पर महाक्रूर क्रोधन नामक एक बहेलिया रहा करता था। उसने हिंसा, लूट पाट, मिथ्या भाषण तथा मद्यपान में ही अपनी सारी जिंदगी को गुजार दिया था।

जीवन का अंतिम समय आया तब यमराज ने क्रोधन को एक दिन पूर्व दरबार में लाने हेतु दूतों को आज्ञा दी। दूतों ने यह बात उसे बता दी।

मृत्यु भय से आक्रांत वह नृशंस अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुंचा। ऋषिवर ने उसके अनुनय विनय से प्रसन्न होकर आश्विन शुक्ल एकादशी का व्रत तथा भगवान् विष्णु के पूजन का विधान बताया। इस प्रकार ब्याध विधि व्रत पूजन कर भागवत कृपा से विष्णु लोक को गया। उधर यमदूत हाथ ही मलते रह गए।

पापांकुशा एकादशी 2024 डेट टाइम मुहूर्त (Papankusha Ekadashi Date Muhurat)

हर वर्ष पापांकुश एकादशी का व्रत आसोज मास की शुक्ल एकादशी के दिन किया जाता हैं। अंग्रेजी महीने के अनुसार यह अक्टूबर माह में पड़ता हैं। इस साल 2024 में यह 13 अक्टूबर रविवार के दिन हैं, एकादशी तिथि का आरम्भ समय, समाप्ति एवं पराना का मुहूर्त इस प्रकार हैं।

पापांकुशा एकादशी पूजा विधि (Papankusha Ekadashi Pooja Vidhi)

अर्थ, मोक्ष और काम तीनो का नाश कर मोक्ष प्रदान करने वाली आश्विन की पापांकुशा एकादशी के दिन विष्णु जी का व्रत रखकर उनकी पूजा की जाती हैं। ब्रह्माण्ड पुराण में इस एकादशी की पूजा विधि के बारे स्पष्ट निदिष्ट किया गया हैं।

जो स्त्री पुरुष इस पाप निरोधक एकादशी का व्रत धारण करना चाहता हैं हैं उन्हें जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान् विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए। बिना कुछ खाए पीए पूर्ण श्रद्धा भक्ति के साथ व्रत रखे तथा रात को विष्णु जी के नाम रात्रि जागरण करे।

इस एकादशी का दान पुण्य अगले दिन द्वादशी तिथि को किया जाता हैं इस दिन सोना, तिल, भूमि, गौ, अन्न, जल, छतरी और जूती आदि का दान ब्राह्मण को दिया जाना चाहिए।

पापांकुश एकादशी महत्व (Papankusha Ekadashi Significance Importance) –

अच्छे स्वास्थ्य परिवार में सुख समृद्धि तथा अपने अतीत के पापों का प्रायश्चित करने के लिए इस एकादशी का व्रत किया जाता हैं।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जो विष्णु जी के भक्त हैं जो विष्णु जी का तथा जो अन्य आराध्य को मानते हैं उनकी इस दिन पूजा की जाती हैं।

जों इंसान अपने पापों को धोना चाहते है, मौत के बाद यमलोक में न जाकर मोक्ष की प्राप्ति करना चाहते हैं उन्हें यह व्रत चाहिए।

पापांकुश एकादशी व्रत कथा के अनुसार जितना इस दिन के व्रत का महत्व हैं उससे बढ़कर दान पुण्य का महत्व हैं। इसलिए अपने सामर्थ्य के अनुसार दान पुण्य जरूर करे।

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