Poem On Good Habits In Hindi – अच्छी आदतों पर कविता: आपका स्वागत है दोस्तों अच्छी आदतों को हर कोई अपनाना चाहता हैं.
आज का हमारा लेख good habits for kids पर दिया गया हैं. आज के लेख [poem on good habits] में हम जानेगे कि अच्छी आदतें कौन कौनसी हैं तथा हमें ये क्यों अपनानी चाहिए.
कक्षा 1, 2, 3, 4, 5 के स्टूडेंट्स या बच्चों के लिए यहाँ कविताएँ दी गई हैं.
Poem On Good Habits In Hindi – अच्छी आदतों पर कविता
Here Is A poem on good habits in hindi language For Students And Kids. Short And Best Hindi Kavita. आपने कभी सोचा कि शारीरिक बनावट व रचना में सभी व्यक्ति समान होते फिर सभी लोग असमान क्यों होते हैं. भिन्नताएँ क्यों होती हैं.
इसका कारण होता होता हैं हमारी आदतें. सफल और आम व्यक्ति में मूलभूत अंतर आदतों का ही होता हैं. जब हम कुछ लोगों की आदतों का निरिक्षण करते हैं तो कुछ आम बाते अवश्य पाते हैं.
सफल व्यक्ति को आप कभी आलसी या बहाने बनाने वाला नहीं पाएगे, जबकि एक आम व्यक्ति में इस तरह की चीजे स्पष्ट देखी जा सकती हैं.
Poem On Good Habits In Hindi
बच्चो सब हिलमिल कर रहना
देखो झूठ कभी न कहना
किसी बात मैं जिद न करना
और नहीं आपस में लड़ना
माता पिता का कहना मानो
रोना डरना कभी न जानो
पढ़ लिखकर बनना होशियार
सभी करेंगे तुमको प्यार
अच्छी आदतों पर कविता
सुबह सवेरे जल्दी उठना, अपने बड़ो को नमन करना,
बढ़िया हैं बढ़िया हैं
नित्य कर्म में ना अलसाना, कुल्ला- मजन ढग से करना,
बढ़िया हैं बढ़िया हैं
खूब चबा कर भोजन करना, दिन भर खूब पानी पीना ,
बढ़िया हैं बढ़िया हैं
समय पर पढ़ना, समय पर लिखना, खेल- कूद भी, समय पर करना,
बढ़िया हैं बढ़िया हैं
स्वस्थ रहेगा, जब तुम्हारा बचपन, खुशहाल होगा, तब ही सारा जीवन।
बढ़िया हैं बढ़िया हैं
गुड हैबिट्स पॉएम
बच्चो, सब हिलमिल कर रहना
देखो, झूठ कभी न कहना !
किसी बात मै ज़िद न करना
और नही आपस मे लड़ना !
माता-पिता का कहना मानो
रोना, डरना कभी न जानो !
पढ़ लिखकर बनना होशियार
सभी करेगे तुमको प्यार !
अच्छी आदत पर कविता
तू करके किसी को न बोलो,
किसी को तुम भी कभी न बोलो।
अच्छा संबोधन सब को भाता है,
सुनकर मन प्रसन्न हो जाता है।
आत्मसम्मान सभी का होता है,
इनमें छोटा-बड़ा नहीं होता है।
तू तुम की बजाय आप बोलना,
आप के अच्छे संस्कार दर्शाता है।
अच्छे लालन-पालन अच्छी दीक्षा का,
आपके मुहं खोलते पता चल जाता है।
अपने से छोटों, अपने निकट वालों को,
हमेशा आप ही कह कर बुलाना।
तू और तुम से बुलाने की अपनी,
आदत से छुटकारा पाना।
nice poem
very nice poem