Social Evils Essay In English And Hindi सामाजिक बुराइयों पर निबंध: In this short paragraph on Social Evils, we are discussing on Social Evils in India.
bed version of our Old system & custom become the heaven for women, child’s and Low-class family are called Social Evils.
Social Evils Essay In English and Hindi, today we address some Social Evils and their bad effects on our society. let’s start reading major social evils essay and lists.
Social Evils Essay In English Hindi सामाजिक बुराइयों पर निबंध
our ancient India had no social evils which are present in modern times. it was the golden era. but now the day are growing from bad to worse.
Social Evils Essay In English
1. Communalism– the aliens have brought this evil in our country. communal riots take place now and then ever on petty issues. they cause heavy loss of lives and property.
in Meerut itself, riots have been taking place on large scale in 1982, 1987. 1991 and two times in 1992.
the police, B.SF. C.R.P. and P.A.C. have patrolled the city. this all cause heavy expenditure which is to be borne by the common men.
2. Dowry– the giant of dowry is opening its jaw widely to swallow the poor and middle-class families. settled boys are auctioned to the highest bidder.
heavy cash, jewelry, furniture and other household goods are considered to be normal things to be given in dowry.
the brides whose parents fail to fulfill the greeds of the bridegroom and their parents are forced to commit suicide are killed, burnt alive and tortured in countless ways.
3. Beggary– in religious places, pilgrimages, fairs, railway stations, bus stands and allied places, one has to face the crowds of beggars.
the collection of alms being easy and sufficient to fill the stomach makes the main indifferent to his duties.
4. Oversize Of The Family–being illiterate 80%population which lives in villages, as well as our elders consider new arrival to be the gift of the God.
without understanding their responsibilities regarding their children, they go in giving birth to new once.
most of the children, illiterate, earn their livelihood either by working as the laborer or by adopting foul ways of crime.
5. Poverty– in 1970 in India, one-third of country’s population was below poverty line.
in 1979-80 nearly 48.4 percent of country’s population went down below the poverty line. in the other words, 31.7 crore people were below that line. [Social Evils Essay]
6. Illiteracy– in our country, the number of illiterate persons is great. the children are not sent to school because they are needed to work in fields and factories.
at present only 40 percent population is educated. the number of people who have studied in college is far less.
7. Slums– in some cities there is acute housing problem. every year the problem of 21 lakh new houses conies before us in India.
in 1985 more than 145 lakh families were in need of lodging. there are 140 slums in Mumbai. 311 in Madras and 902 in New Delhi, the capital of the country, where the people lead hell-like life.
8. Superstitions– there are age-old superstitions everywhere in our society.
out of ignorance the people call some diseases as evil influences and commit crimes to get rid them.
9.Misuse of time and lives– in the big towns, both father and mother work outside the houses to earn more and more money.
as a result of it, proper attention is not paid to their children. as such they turn mischievous. instead of going to the colleges.
the students loiter about in public places and commit such works as are unbecoming to their student life.
10. lack of moral sense– the man has ignored morality. he aims at growing rich my fair and foul means. the moral norms are laughed at.
the lack of moral sense results in the commission of a number of crimes.
11. Conclusion– educations should be spread because it leads to the moral, ethical and cultural development of man as well as eradication of this social evils.
it is high time we should take effective steps to remove these evils from our society.
Social Evils Essay In Hindi | सामाजिक बुराइयों पर निबंध
हमारे प्राचीन भारत में कोई सामाजिक बुराई नहीं थी जो आधुनिक समय में मौजूद है। यह सुनहरा युग था। लेकिन अब दिन ब दिन हालात बद से बदतर हो रहा है।
समाज की मुख्य सामाजिक बुराइयाँ | सोशल ऐविल निबंध | social evils in hindi language
सांप्रदायिकता-आज के समय में सबसे आम देखे जाने वाली समस्या है. अंग्रेजों ने इसकी जड़े भारत में बोई थी, आज के हमारे राजनेता इसका पोषण कर रहे है.
मेरठ में ही, 19 82, 1987 में बड़े पैमाने पर दंगे हुए थे। 1991 और 1992 में दो बारसांप्रदायिक दंगे देखने को मिले थे.
इस प्रकार की स्थति उत्पन्न होने पर प्रशासन द्वारा शहर में पुलिस, बीएसएफ,C.R.P. और पीएसी के कड़े बन्दोबस्त के चलते आम नागरिकों को कई तरह की परेशानियां उठानी पडती है. साथ ही बड़ी मात्रा में राजकीय खर्च भी इन सुरक्षा बलों पर खर्च होता है.
दहेज – गरीब तथा मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए दहेज आज दानव बन चूका है. दहेज के लोभी लोगों द्वारा मजबूर वधू के पिता से भारी नकद, गहने, फर्नीचर और अन्य घरेलू सामान की मांग की जाती है. कई बार इस तरह की बेवजह मांगे पूरी नही होने के कारण घर आई हुई बारात लौट जाती है.
इससे बेटी के पिता को समाज के सामने नीचा देखना पड़ता है. किसी तरह दहेज की इन मांगो को पूरी कर शादी हो भी जाती है. तो वर पक्ष द्वारा उस लड़की से बार बार महंगी चीजों की मांग की जाती है. जिस कारण वो या तो आत्महत्या कर लेती है, अथवा जलाकर मार डाल देते है.
भिखारी– धार्मिक स्थानों में, तीर्थयात्रा, मेले, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और संबद्ध स्थानों में, हर किसी को भी भिखारी की भीड़ का सामना करना पड़ता है।
पेट भरने के लिए सबसे आसान तरीका भीख मांगने को चुन लिया जाता है. तथा इन स्थलों पर आने वाले लोगों से भगवान, मा, बाप न जाने किन किन के लिए भीख मांगकर ये अपना गुजारा करते है.
अनियंत्रित जनसंख्या- भारत की अधिकांश आबादी गाँवों में बसती है. जहाँ शिक्षा की उपलब्धता कम होने के कारण लोग सन्तान उत्पति को ईश्वर की कृपा मानते है.
उन्हें एक बच्चें के लिए अच्छे विकास के लिए किन किन चीजों का होना जरुरी है, इन बातो का अहसास किये बिना. एक के बाद एक बच्चों को जन्म दे देते है.
आगे जाकर इन्हें पर्याप्त शिक्षा न मिलने की स्थति में कार्य अथवा मजदूरी के लिए कभी भेज दिया जाता है.
गरीबी– 1 970 में भारत में, देश की आबादी का एक-तिहाई गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की संख्या थी । 1979 -80 में देश की आबादी का लगभग 48.4 प्रतिशत गरीबी रेखा से नीचे चला गया। दूसरे शब्दों में, 31.7 करोड़ लोग उस रेखा से नीचे थे।
निरक्षरता– हमारे देश में, अशिक्षित व्यक्तियों की संख्या बहुत अधिक है, जिनके बच्चों को स्कूल नहीं भेजा जाता है क्योंकि उन्हें खेतों और कारखानों में काम करने की आवश्यकता होती है।
वर्तमान में केवल 40 प्रतिशत आबादी ही शिक्षित है। कॉलेज में अध्ययन करना उनके लिए कभी न पुरे होने वाले सपने जैसा है.
आवास की समस्या– कुछ शहरों में आवास की बड़ी समस्या है। हर साल 21 लाख नए घरों की समस्या भारत में हमारे सामने आती है।
1985 में 145 लाख से अधिक परिवारों को रहने के लिए घरों की आवश्यकता थी। मुंबई में 140 झोपड़ियां हैं। मद्रास में 311 और नई दिल्ली में 902, देश की राजधानी, जहां लोग नरक की तरह जीवन जीते हैं।
अंधविश्वास– हमारे समाज में हर जगह अंधविश्वास तथा इसको मानने वाले लोग व्याप्त हैं। अज्ञानता से लोग इस तरह की कही सुनी बातो पर यकीं कर लेते है.
तथा उन्हें ही सत्य मान लेते है. हैरानी की बात यह है कि आज विज्ञान पढ़ने वाले विद्यार्थी भी इस तरह की सोच रखते है, जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.
बच्चों पर ध्यान न देना– बड़े शहरों में, पिता और मां दोनों घरों के बाहर काम करते हैं ताकि अधिक से ज्यादा पैसे कमा सकें। इसके परिणामस्वरूप, उनके बच्चों को उचित ध्यान नहीं दिया जाता है।
और वे शरारती हो जाते है. स्कूल या कॉलेज जाने की बजाय दिन भर ऐसे कार्य एवं स्थानों पर मशगुल रहते है. जहा एक विद्यार्थी को कदापि नही जाना चाहिए.
नैतिक मूल्यों की कमी– आज के समय में आदमी ने नैतिकता को नजरअंदाज कर दिया है। वह उचित अनुचित पर ध्यान दिए बिना अपने जीवन में अधिक से अधिक सुख के साधनों को प्राप्त करने के लक्ष्य स्थापित करता है.।
नैतिक मूल्यों के पतन के कारण अज हमारे समाज में कई तरह के अपराध पनपने आरम्भ हुए है.
सामाजिक बुराइयों पर निबंध निष्कर्ष– यदि हम इन सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ना है, तो सभी जगह शिक्षा का व्यापक प्रचार प्रचार करना होगा.
क्योंकि शिक्षा के बिना मनुष्य का नैतिक और सांस्कृतिक विकास होने के साथ-साथ सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन की ओर ले जाती है।
अभी भी समय है, हमे एकजुटता रखते हुए इन सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जंग लड़नी होगी.