राजस्थान के राज्य पक्षी गोडावण पर निबंध Essay On State Bird Of Rajasthan In Hindi

नमस्कार आज का निबंध, Essay on Godawan In Hindi राजस्थान के राज्य पक्षी गोडावण पर निबंध पर दिया गया हैं.

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के बारे में स्टूडेंट्स के लिए सरल भाषा में गोडावण क्या है इसकी शारीरिक बनावट विशेषताओं के बारे में जानकारी दी गई हैं.

राजस्थान के राज्य पक्षी गोडावण पर निबंध

राजस्थान के राज्य पक्षी गोडावण पर निबंध Essay On State Bird Of Rajasthan In Hindi

गोडावण जिसे ग्रेट इंडियन बस्टर्ड भी कहा जाता है , वर्तमान में यह राजस्थान का राज्य पक्षी हैं. इसका वैज्ञानिक नाम Choriotis Nigriceps या Ardeotis Nigriceps हैं.

यह मुख्य रूप से राजस्थान में पाये जाने वाले बड़े पक्षियों में से एक हैं. लुप्त हो रही प्रजातियों में शुमार गोडावण को राज्य पक्षी का दर्जा मिलने से सरकार द्वारा इनके संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं.

राज्य पक्षी गोडावण निबंध में विलुप्ति की कगार पर खड़े इस सुंदर पक्षी के बारे में बता रहे हैं. घनी घास में रहने वाला सबसे शर्मिला पक्षी जिन्हें आम भाषा में सोहन चिड़ियाँ भी कहा जाता हैं.

यह आकार में काफी बड़ा है तथा उड़ने वाले सबसे भारी पक्षियों में इसकी गिनती की जाती हैं. सोकलिया अजमेर एवं बारा के अतिरिक्त राष्ट्रीय मरूउद्यान जैसलमेर को गोडावण की शरणस्थली माना जाता हैं.

गोडावण में उत्तरी भारत में पाए जाने वाले हुकना पक्षी से कई समानताएं मिलती हैं. जब यह दबाव की स्थिति में आता है तो हुक हुक की आवाज करता हैं. इसकी गगनभेदी आवाज को गगनभेर या गुरायिन नाम से जाना जाता हैं.

जैसलमेर की सेवण घास में रहने वाले गोडावण को 1981 में राजस्थान सरकार द्वारा इसे राज्य पक्षी का दर्जा दिया गया था. भूरे रंग के शरीर वाले इस पक्षी की गर्दन सफ़ेद रंग की तथा पंखों पर काले स्लेटी धब्बे होते हैं.

सामान्यतया गोडावण की हाईट 1 से डेढ़ मीटर तक की होती हैं. मादा गोडावण की अपेक्षा नर गोडावण का वजन एवं उंचाई दोनों अधिक होती हैं. जिसका बहार दस से बारह किलों तक होता हैं.

ऊंट की तरह कई दिनों तक बिना पानी के जीवित रहने वाला यह मरुस्थलीय पक्षी रेतीली प्रदेश की जलवायु के स्वयं को अनुकूलित कर लेता हैं. निरंतर गोडावण की घटती संख्या की एक वजह मॉस भक्षण हैं.

लोग अपने पेट की पूर्ति के लिए ऐसे दुलर्भ जीवों को मार डालते हैं. इसकी दूसरी वजह थार प्रदेश में घास के मैदानों की निरंतर हो रही कमी भी हैं. वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 9 सी के तहत गोडावण को संरक्षण प्रदान किया गया हैं.

कानूनी प्रावधानों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति गोडावण का शिकार करता हुआ पकड़ा जाता हैं तो उन पर 10 वर्ष का कारावास या 25 हजार रूपये तक का जुर्माना लगाया जाता हैं.

यह शाकाहार एवं मासाहार दोनों से अपने भोजन की प्राप्ति करता हैं. मुख्य रूप से अनाज में गेहूँ, ज्वार, बाजरा, बेर के फल तथा मासाहार में खाद्य टिड्डे, साँप, छिपकली, बिच्छू इत्यादि गोडावण का मुख्य भोजन हैं. राजस्थान सरकार दवारा गोडावण के प्रजनन को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किये हैं.

3162 वर्ग किमी. में फैले डेज़र्ट नेशनल पार्क के 80 गाँवों वाला यह राज्य का सबसे बड़ा वन्य जीव अभ्यारण्य भी हैं. 1980-81 में स्थापित राष्ट्रीय मरु उद्यान में राज्य के सबसे अधिक गोडावण पाए जाते हैं. इसी वजह से इन्हें ग्रेट इंडियन बस्टर्ड सेंचुरी भी कहा जाता हैं.

गोडावण : राजस्थान का राज्य पक्षी की आत्मकथा

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड कहा जाने वाला मै गोडावण हु. राजस्थान का राज्य पक्षी होने का सम्मान मुझे प्राप्त हैं. उड़ने वाले पक्षियों में मेरा शरीर सबसे वजनदार हैं. राजस्थान के पश्चिमी जिलों और पाकिस्तान में मेरा रेन बसेरा हैं. मै गोडावण हु और मेरी कहानी आपकों बता रहा हु.

गोडावण पर निबंध

अरे, आप मेरी हुम,हुम .. सुनकर चौको मत. मै ही हु गोडावण. धोरो की धरती का प्यारा गोडावण.

मित्रो ! मै अपने मुह से मिया मिट्ठू नही बनना चाहता हु, पर लोग मुझे सुंदर पक्षी मानते हैं. वे मुझे सोहन चिड़िया कहकर पुकारते हैं. कुछ लोग मुझे हुकना पक्षी भी कहते हैं.

मुझे मराठी भाषा में मालढोक कहा जाता हैं. मै लगभग एक मीटर ऊँचा जीव हु, मेरी चौच हलके पीले रंग की होती हैं. और गर्दन व पेट सफेद.

मेरे सिर पर काली टोपी और सीने पर काला मोटा दुपट्टा होता हैं. मेरा शरीर भूरा होता हैं. पंख काले भूरे और सफेद बिन्दुदार होते हैं. हाँ मेरे पैर पीले जरुर होते हैं. और पंजे सपाट होते हैं.

मेरा वजन पन्द्रह किलों के आस-पास होता हैं. मादा कद में थोड़ी छोटी और वजन में कम होती हैं. यदि हम साथ हो तो आप हमे आसानी से पहचान सकते हो.

मै सेवण घास से भरे मैदान में रहता हु, जैसलमेर में मेरे घर को राष्ट्रिय मरु उद्यान कहते हैं. जिसे नॅशनल डेजर्ट पार्क भी कहा जाता हैं. यहाँ हमारा बड़ा परिवार हैं.

मै शौकलिया, सारसेन में भी पाया जाता हु, किसी जमाने में मेरे पूर्वज शोलापुर, नलिया तथा रोलापद्दू में भी रहा करते थे. वर्तमान में पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में रहता हु.

मै सर्वाहारी प्राणी हु. किट पतंगे, बिच्छु, मकड़ी, टिड्डी, छिपकली, गिरगिट छोटे सांप आदि खाना मुझे बहुत पसंद हैं. मुझे ज्वार, चना, तुअर, मुगफली, आदि खाना अच्छा लगता हैं. आपकों यह जानकार आश्चर्य होगा कि मै बिना पानी के भी सेवण घास के मैदानों और रेतीले प्रदेश में कई दिन प्यासा रह सकता हु.

वर्षा त्रतु के आगमन पर मै फुला नही समाता हु. मै उड़-उड़कर हूम हूम की आवाज करता हु, मादा गोडावण को यह आवाज बहुत लुभाती हैं. जब मै यह आवाज करता हु, उस समय मेरे गले के निचे एक थैली अपने आप ही उभरकर लटकती हैं.

स्वभाव से मै बहुत शर्मिला पक्षी हु. पर आलसी नही. मै अपने रहने के लिए खुद घर बनाता हु, हम घौसला नही बनाते हैं. सेवण घास में या अन्य ऊँचे स्थान पर मादा गोडावण अंडा देती हैं.

वह भी एक बार में एक ही अंडा, इन अंडो को सांप और बिलाव से बचाकर रखना होता हैं.कई लोग हमारा शिकार कर लेते हैं. इन दिनों हमारी संख्या में बहुत कमी आ गईं हैं.

मै बहुत चिंतित हु, ख़ुशी की बात यह हैं कि, हमारी सुरक्षा के लिए बहुत लोग आगे आ रहे हैं. सरकार ने भी जंगली जानवरों की रक्षा के लिए बहुत कानून बनाए हैं.

दोस्तों फिर भी मुझे खेद हैं कि हमारी संख्या घट रही हैं, खेती में कीटनाशको का प्रयोग होने से जहरीला दाना मुझे खाने को मिलता हैं. पत्थरों की खुदाई के लिए खदानों में होने वाले ब्लास्ट से मुझे बहुत डर लगता हैं.

आप ही बताओ में मै क्या करू ? मै भयभीत हु, राजस्थान सरकार ने मुझे ‘ राज्य पक्षी ‘ का दर्जा दिया हैं.केंद्र सरकार ने मेरे सम्मान में डाक टिकट जारी किया हैं.

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