बाघ की कहानी Tiger Story In Hindi

बाघ की कहानी Tiger Story In Hindi बाघ जंगल के सबसे खूंखार और तेज भागने वाले जानवरों में से एक है, जिसे सामने देख कर जानवर तो जानवर इंसानों की भी रूह कांप जाती है।

इस हिंसक जानवर के बारे में बच्चों को कहानियों के जरिए बताया जाता है। अगर आप भी बाघ की बहादुरी, चतुरता पर कहानियां पढ़ना चाहते हैं तो आज हम आपके लिए बाघ की कुछ शानदार कहानियां लेकर आए हैं जो आपको जरूर पसंद आएंगी।

बाघ की कहानी Tiger Story In Hindi

बाघ की कहानी Tiger Story In Hindi

“बाघ एक बिल्ली प्रजाति का भारतीय हिंसक जानवर है . इसे भारत के राष्ट्रीय पशु का दर्जा प्राप्त हैं. भारत में वर्ष १९७३ तक बाघों की संख्या २६८ थी.

इंदिरा गांधी ने जिम कार्बेट उद्यान से टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. २०२३ में प्रोजेक्ट के ५० वर्ष पूरे होने पर भारत में बाघों की संख्या 3167 तक पहुँच गई हैं.”

बाघ की चालाकी- (story 1)

एक जंगल में एक बेहद चालाक बाघ अकेला रहा करता था। हालांकि जंगल में और भी बहुत सारे जानवर रहते थे । परंतु वह बाघ अपने परिवार से बचपन में ही बिछड़ चुका था।

इसलिए उसने अपना सारा जीवन अकेले ही संघर्ष के साथ इस घने से जंगल में गुजारा था। वह जंगल के प्रत्येक कोने कोने से वाकिफ था, अतः उसे इस जगल में किसी भी चीज का भय नहीं रहा था.

वह सारे जंगल में अकेले घूमता और जब जरूरत पड़ती अपने खाने की व्यवस्था कर ही लेता।

कहते हैं ना कि पारिवारिक व्यक्ति की घर की जिम्मेदारी ही उसी की जिंदगी से उस गुमराह कर देती है। क्योंकि वह हर वक्त अपने परिवार के सदस्यों के बारे में ही सोचता है।

अगर वह कुछ खाना अकेले भी खाता है तो उससे वह खाना यह सोचकर हजम नहीं हो पाता कि,उसके घर वाले भूखे रह जाएंगे और उसका पेट भर जाएगा?

लेकिन बाघ का परिवार था ही नहीं और वह अपना जीवन खुद के बनाए नियमों एवम शर्तों के बल पर जीता।

इसलिए वह हर दिन खुशी के साथ मौज मस्ती करके बिता लेता। वह बड़े से बड़े जानवर के साथ चालाकी से खिलवाड़ कर देता।

जब भी उसे अपना पेट खाली महसूस होता, वह चालाकी से जंगल में घास करने वाली जानवरों को घात लगाकर मारता और अपनी भूख शांत करता।

कई बार तो किसी जानवर को उसके साथियों के सामने ही मार डालता और शिकार को दूर ले जाकर वहां अपना पेट भरता।

परंतु एक दिन बाघ कुछ खराब चीजें खाने के कारण अपने स्वास्थ्य को बिगाड़ देता है और कमजोर पड़ जाता है ।

परंतु फिर भी वह जीने की बहुत उम्मीद रखता है, तबीयत बिगड़ने के दौरान वह एक पेड़ के नीचे कई दिनों से झाड़ियों में ही बैठा रहता है।

एक दिन वहां से कुछ सूअर और उसके बच्चे भोजन की तलाश में घूमने निकलते है, तो सुअर की नजर एक बाघ पर पड़ती है और वह अपनी मां को बताता है कि मां पेड़ के नीचे झाड़ियों में एक बाघ बैठा हुआ है ।

जिसका हम शिकार करके अपने रात्रि का भोजन आराम से कर सकते हैं। बच्चा अपनी मां से यह बात बोलता है पर तेजतर्रार कानों की बदौलत बाघ यह बात सुन लेता है।

और एक मृत बाघ की भांति नखरे करते हुए कुछ क्षणों के लिए अपनी सांस रोक कर सो जाता है।

अब जैसे ही सूअर उसके मुंह के सामने जाकर उसकी नाक सूंघता है। तो वह उसे मरा हुआ समझता है और उसे अपने स्वास्थ्य के लिए हानिकारक समझ कर वहां से चला जाता है।

सीख- इस प्रकार एक बाघ अपनी चालाकी के कारण सूअरों के मुंह से बच पाता है । हमें भी हमेशा मुश्किल वक्त पर अपनी बुद्धि का सही प्रयोग कर ऐसे निर्णय लेने चाहिए जिससे हम खुद की सुरक्षा कर सके।

बाघ की दुश्मनी (story 2)

अक्सर बाग से कोई दुश्मनी नहीं करना चाहता। पर एक समय की बात है एक बडे जंगल में छोटा सा हिरन ऐसी गलती कर बैठता है । जिसके कारण जंगल में रहने वाला बड़ा सा बाघ उसका दुश्मन बन जाता है।

जिसे देखते हुए मासूम से हिरन को पल-पल अपनी जान सताने लगती है। क्योंकि हम इंसानों की ही बातें जंगल के अन्य जानवरों को भी मालूम है बाघ से दुश्मनी मतलब अपनी जान से हाथ धो बैठना!

बाघ और हिरन की दुश्मनी की मुख्य वजह एक मीटिंग होती है।

दरअसल जब एक दिन जंगल में सभी जानवरों की एक मीटिंग आयोजित की जाती है। जिसमें जंगल के राजा शेर का स्वास्थ्य खराब होने के कारण वह नहीं आ पाता।

और शेर की अनुपस्थिति में वहां एक मुखिया की जरूरत होती है जो इस मीटिंग का सही सही निर्णय ले सकता हो।

जब मीटिंग में मुख्या को चुनने की बारी आती है,तो सबसे पहले हिरन से पूछा जाता है कि,तुम किसे मुखिया बनाना चाहते हो?

तो हिरन के सामने हाथी और बाघ का विकल्प रखा जाता है। हिरण कुछ पल विचार करता है और फिर हाथी को इस मीटिंग में मुखिया बनाने का निर्णय लेता है।

हिरण की इस फैसले के पीछे एक खास वजह थी, हिरण को लगता था हाथी हर वक्त अपने कामों में व्यस्त रहता है और कभी भी मुझे परेशान नहीं करता ।

परंतु बाघ जब भी मुझे देखता है तो मेरा शिकार करने के लिए मुझे बहुत दूर-दूर तक दौड़ा देता है और शायद ही कभी मैं गलती से भी उसके हाथ लग जाऊं तो वह मेरा शिकार भी कर बैठेगा ।

बाघ इस भरी सभा में हिरन का कुछ भी नहीं उखाड़ सकता इसलिए हिरण ने यह निर्णय लिया। फिर दूसरी तरफ से अन्य जानवरों को पूछने की बारी आई तो हर कोई हाथी को ही मुखिया बनाने के लिए सहमत होता है

पर बात को लगने लगा अगर हिरन बाघ को मुखिया बनाता तो शायद बाकी अन्य जानवर भी उसे ही मुखिया बनाते। इसीलिए बाघ यहां से हिरण का सबसे खतरनाक दुश्मन बन गया ।

अब बाघ हर वक्त हिरण की जान के पीछे पड़ा रहता लेकिन कई बार जब बाघ हिरण के शिकार के लिए उसके पीछे भागता तो हिरण मदद के किए भागते भागते हाथी के पैरों के बीच में जाकर बैठ जाता। और इस तरह किरण बाघ के हमले से बच जाता।

जंगल के जानवर भी हिरण की हालत को देखकर सोचने लगते हैं कि अगर हिरन उस मीटिंग में बाघ को मुखिया बना देता तो शायद आज बाघ हिरण का दुश्मन नहीं होता और बाघ और हिरण की पक्की मित्रता होती।

लेकिन चूंकि हाथी एक शाकाहारी जानवर है और वह हिरण का शिकार कभी भी नहीं सकता। इसलिए हिरण ने गलत निर्णय लेकर अपने ही पैरों में कुल्हाड़ी मार दी है।

सीख- हमें इस कहानी से सीख मिलती है कि हमें हमेशा निर्णय ऐसे लेने चाहिए जिनसे हमें ताउम्र लाभ मिल सके। हमारे द्वारा लिए गए फैसले कहीं भविष्य में दुखदाई ना हो, इस लिए हमें कोई भी महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए सोच विचार करना चाहिए।

मां की ममता – (Tiger Story In Hindi 3)

एक बाघिन अपने बच्चों के साथ अपने घर यानी जंगल में रहती थी। उसके छोटे से नन्हे,प्यारे 3 बच्चे थे वे उनसे बहुत प्यार करती थी।

मां के लाड प्यार की वजह से बच्चे मां को भी बेहद परेशान किया करते परंतु बाघिन को उनपर कभी गुस्सा नहीं आता । बाघिन अपने छोटे से बच्चों को घर में छोड़कर उनके लिए शिकार करने सुबह- शाम जाया करती।

वह अपने बच्चों को यह बोलकर जाती कि मैं तुम्हारे लिए खाना लेकर जल्दी लौट कर वापस आऊंगी? इस प्रकार उसके बच्चे हर रोज अपनी मां के वापस आने तक आपस में मस्ती करते एक दिन जब बाघिन अपने बच्चों के लिए शिकार करने निकलती है।

तो कुछ समय पश्चात ही एक छोटा सा लोमड़ी का बच्चा जो कि अपने मां बाप से बिछड़ जाता है। वह बाघिन के छोटे बच्चों के पास पहुंच जाता है ।

बाघिन के छोटे से बच्चे किसी भी जानवर को अपना दुस्मन नहीं समझते, इसलिए वे उसे भी एक छोटा जानवर समझ कर उसके साथ खेलने लग जाते हैं।

जब तक बाघिन वापस नहीं आती तब तक वे सारे बच्चे एक साथ खेलते हैं,एक साथ खेलने के कारण लोमड़ी का बच्चा भी बहुत खुश रहता है l लोमड़ी का बच्चा इस बात से बेखबर था कि बाघ कभी भी लोमड़ी का शिकार कर सकता है।

शाम होने लगती है और बाघिन शिकार से वापस लौट कर,अपने बच्चों के पास पहुंचती है । लेकिन आज उसे अपने बच्चों के संग लोमड़ी का बच्चा भी खेलते दिखाई देता है, यह देखकर बाघिन उसे अपना अपना शिकार बनाने की सोचती है।

परंतु जब बाघिन अपने बच्चों को उन बच्चों के साथ अच्छे से खुश देखती है तो वह एक मां की भांति अपने बच्चों की भावनाओं को समझ लेती है,और उस लोमड़ी के बच्चे को बड़े ही प्यार से भोजन कराती है ।

बाघिन ने अपने बच्चों को खुश पाकर यह निर्णय लेती है कि इस लोमड़ी के बच्चे को भी मैं अपने बच्चों के जैसे ही लाड प्यार करके बड़ी ही खुशियों के साथ पालुंगी ।

यह सब सुनकर बाघिन के बच्चे भी अत्यधिक प्रसन्न होते हैं और अपनी मां पर प्यार जताते हुए मां के साथ खेलने लगते हैं।

अब लोमड़ी का बच्चा भी बाघिन के साथ वैसे ही व्यवहार करता जैसा बाघ के बच्चे अपनी माॅ के साथ करते हैं ।बाघिन जब भी शिकार करने जाती तो वह अपने चार बच्चों के लिए शिकार करके लाती ।

जब भी वह बड़ी बड़ी लोमड़ी को देखती तो उन्हें बहुत दूर-दूर तक भगा कर आती ताकि उसके उस चौथे बच्चे को कोई लोमड़ी अपने साथ में न ले जा सके ।

इस प्रकार बाघिन उस लोमड़ी के बच्चे को अपने बच्चों के साथ पाल पोस कर बड़ा कर देती है। अब लोमड़ी का बच्चा भी बाकी बच्चों की तरह आसानी से अपने लिए शिकार कर सकता था।

सीख- हमें यह छोटी सी कहानी संदेश देती है कि इस संसार में प्रत्येक बच्चा भगवान रूपी होता है। इसलिए हमें जिस प्रकार अपने बच्चों से लाड प्यार करते हैं, उसी तरह दूसरे बच्चों को भी अपना समझ कर उनके साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। फिर चाहे वह बच्चे किसी जानवर की ही क्यों ना हो।

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