अब्दुल हमीद का जीवन परिचय व इतिहास Veer Abdul Hamid History In Hindi: युद्ध के बारे में हमेशा यह माना जाता है कि इसमें हथियारों और सैनिकों के साथ साथ हौसले और साहस की जरूरत होती हैं.
पाकिस्तान के साथ लड़ी गई 65 की जंग में शहीद हजारों सपूतों में एक थे, अब्दुल हमीद. जिन्होंने मात्र गन माउनटेड जीप से आठ पाकिस्तान के अमेरिका के बनाएं पैटन टैंक को तबाह कर पाकिस्तान की कमर ही तोड़ दी थी.
हमीद ने इस युद्ध में माँ भारती की सेवा करते हुए बलिदान दे दिया.
Veer Abdul Hamid History In Hindi अब्दुल हमीद की जीवनी
1965 के भारत पाक युद्ध में वीर यौद्धा अब्दुल हमीद – Veer Abdul Hamid ने वीरता के साथ लड़ते हुए 8 टैंकों को ख़ाक कर दिया था.
अमेरिका से खरीदे गये इन लडाकू टैंक को ध्वस्त कर अब्दुल हमीद ने भारत की विजय का रास्ता साफ़ कर दिया था. उनके इस पराक्रम के कारण इन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
भारत के ऐसे जाबाज सैनिक की कहानी हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा कर जाती हैं. जब 1965 का युद्ध जिस समय शुरू हुआ वे छुट्टी पर घर थे.
मगर मातृभूमि की रक्षार्थ उन्होंने सभी घरवालों की बात को अनसुना कर देश के लिए शहादत का रास्ता चुना, ऐसे वीरों को पूरा देश नमन करता हैं.
१ जुलाई १९३३ को अब्दुल हमीद का जन्म उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जिले के धामुपुर गाँव में हुआ था. उसकी माता का नाम सकीना बेगम तथा पिता का नाम मोहम्मद उस्मान था जो वस्त्र सिलाई का कार्य करते थे.
हमीद को बचपन से ही भारतीय सेना में जाने का शौक था. उसका यह सपना २७ दिसम्बर १९५४ को परवान चढ़ा जब भारतीय सेना के ग्रेनेडियर रेजीमेंट में शामिल हुए थे.
४ ग्रेनेडियर बटालियन का सदस्य हमीद को बनाया गया ये अपने जीवनकाल तक इसी रेजिमेंट में रहे. इन्होने भारतीय आर्मी के एक सिपाही के रूप में आगरा, अमृतसर, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, नेफा और रामगढ़ शहरों में कारू किया.
हमीद ने १९६२ में चीन के साथ हुए युद्ध में भी हिस्सा लिया था. उस समय उनकी रेजिमेंट जॉन दलवी के नेतृत्व में सातवीं इंफैन्ट्री ब्रिगेड के साथ चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी के साथ युद्ध किया. इस जंग में जी.वी.पी.राव ने शहादत पाई थी जिनके लिए उन्हें महावीर चक्र पुरस्कार म्रत्युप्रांत दिया गया.
जब १९६५ का हमला पाकिस्तान की ओर से किया गया तो वह ऑपरेशन जिब्राल्टर स्कीम के तहत कश्मीर और सीमा से सटे इलाकों में पाकिस्तान ने घुसपैठ आरम्भ कर दी.
5 से 10 अगस्त 1965 तक बड़ी तादाद में पाक फौजी और नागरिक भारतीय सीमा में दाखिल हो चुके थे. सुरक्षा एजेंसियों ने जब इन घुसपैठियों को पकड़ा तो उन्होंने बताया कि पाकिस्तान कश्मीर हड़पने के उद्देश्य से तीस हजार गुरिल्ले सैनिक तैयार कर सीमा पार भेजने वाला हैं.
८- सितम्बर-१९६५ की मध्यरात्री उम्मीद की मुताबिक़ पाकिस्तान की ओर से हमला हो गया. भारतीय आर्मी के सैनिक इसका कड़ा जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार थे.
उस समय अब्दुल हमीद पंजाब के पंजाब के तरनतारन जिले के खेमकरण सेक्टर में तैनात थे. पाकिस्तानी फौज के पास युद्ध में निर्णायक माने जाने वाले अमेरिकी टैंक थे,
जिससे उन्होंने असल उताड़ गाँव पर हमला कर दिया. जवाबी हमला करने के लिए भारतीय फौज के पास राइफल और भारत माँ की जय के नारे के सिवाय कुछ न था.
गन माउनटेड जीप में बैठकर हवलदार अब्दुल हमीद उन पाकिस्तानी टैंकों की तरफ तेजी से बढ़ रहे थे. उन्होंने उन टैंकों को अपना निशाना चुना, देखते ही देखते उसने खिलौने की तरह 7 पाकिस्तानी टैंकों को नष्ट कर डाला,
यह पराक्रम भारतीय सिपाहियों में जोश को दुगुना करने वाला था. असल उताड़ में पाकिस्तानी टैंक और उनके सिपाहियों की लाछे बिसरी पड़ी थी. उसी वक्त हमीद की जीप पर एक ग्रेनेड आ पड़ा.
इस हमलें में वीर अब्दुल हमीद बुरी तरह घायल हो, गये 9 सितम्बर के दिन हमीद ने मातृभूमि की रक्षार्थ अपने प्राणों का बलिदान दे दिया.
इस तरह एक जाबाज भारतीय की कहानी तो समाप्त हो गई मगर इसने यह अमेरिका तक को बता दिया कि देशभक्त के हौसले के आगे पैटन टैंक भी बोने ही होते हैं.
Ap her insan ko chota mat samajhiye kyuki Ap ek veer sapoot bhrtiye javan peremveer chakr sammanit veer Abdul hameed ji ke bare me bata rahe hai lekin batane ka andaj theek nahi hai. Maine poora beora pada hai Ap her bar uski mat likhiye vo ek shaheed javan hai Apko koi huq nahi hamare saheedo ke bare aise likhne ya bolne
जी सर आपका शुक्रिया हम इस तरह की वर्तनी में सुधार करेगे.