गांव की यात्रा पर निबंध Visit To A Village Essay In Hindi And English-many time we listen to that ”real Indian lives in the village.
Hindi essay on village or rural life essay in Hindi and English. almost 70 percent population of India lives in our villages, its scene totally different from urban life.
as we see long green fields and many trees view seen in every Indian village. Visit A Village Essay will help students who are read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 and want to write a short essay/paragraph on village life in Hindi.
Visit To A Village Essay In Hindi And English
back to villages was the call of Mahatma Gandhi. it villagers are kept happy socially and economically, India will enjoy real freedom.
social- service in villages, is, therefore, be encouraged. young men of India should sympathize with the villagers. let them come in personal contact.
so I went to Noor Nagar (my friend’s village) at the last Holi festival. huts and cottages are seen around fields. village-wells were used for drinking water. a few tube wells were set up in agricultural fields for irrigation.
I enjoyed my bath in running water of a tubewell there. cattle were grazing in fields. some villagers in fields.
some villagers were smoking the pipes and were chatting a chapels (a common place for the meeting)mud-houses were in majority.
there were a few pacca houses. kachacha roads were there. it had a thin population. there I enjoyed village life in the open.
गांव की यात्रा पर निबंध essay on Indian village in Hindi
महात्मा गांधी ने कहा था, कि भारत का असली स्वरूप गाँवों में बसता है. अतः गाँवों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास से ही भारत प्रगति कर सकता है. तथा सच्चे मायनों में तभी हम पूर्ण रूप से स्वतंत्र कहलाएगे.
भारतीय गाँवों में सामाजिक सेवा जैसे गुण देखने को मिलते हैं, जो शहरी जीवन में नही है. हमे अपने गाँवों की ओर जाना चाहिए तथा ग्रामीणों के साथ अच्छे तालुकात रखने चाहिए, उनके साथ सहानुभूति रखनी चाहिए.
पिछली होली के त्यौहार के अवसर पर नूर नगर जों कि मेरे दोस्त का गाँव था. यात्रा पर गया था. गाँव का नजारा मेरे लिए अद्भुत था, चारों ओर हरियाली से भरे खेत और कही कही झौपड़ीयाँ नजर आ रही थी.
गाँव में पीने के पानी के लिए लोग कुँए पर जाते है. जबकि कृषि कार्यों के लिए ट्यूबवेल खुदवाएं गये है.
मैंने गाँव में जाते ही उस टयूबवेल पर स्नान किया. आस-पास के खेतों में कुछ किसान पशुओं की चराई कर रहे थे. दूसरी तरफ कुछ लोग चौपाल (बैठक के लिए आम स्थान) में बैठकर हुक्का पीतें हुए बाते कर रहे थे.
इस गाँव में अधिकतर घर मिटटी के बने हुए कच्चें थे. हालांकि कुछ पक्के घर भी थे. गाँव में सड़के कच्ची थी. बेहद कम आबादी के इस खुले गाँव में मैंने कुछ दिन बहुत आनन्द के साथ गुजारे.