वर्किंग कैपिटल क्या होती है Working Capital Meaning In Hindi: आज हम Working Capital यानि कार्यशील पूंजी की बात कर रहे हैं.
चाहे सरकारी कम्पनी हो या निजी कम्पनी हो उसके लिए वैर्किग कैपिटल बेहद महत्वपूर्ण हैं. यह वह पूंजी होती हैं जो किसी भी कम्पनी की स्ट्रेंथ का मापदंड होती हैं.
जिस कम्पनी के पास कार्यशील पूंजी अधिक होगी, वह अधिक उत्पादन कर सकेगी अधिक लाभ व उसका टर्न ओवर भी अधिक रहेगा.
कार्यशील पूंजी क्या होती है Working Capital Meaning In Hindi
किसी भी कम्पनी के लिए बहुत सारे दैनिक कार्य होते हैं, जिन्हें उन्हें सम्पन्न करना होता हैं जिसमें काफी सारे धन की आवश्यकता होती हैं.
उदहारण के लिए कच्चा माल खरीदना, उन्हें आगे प्रोसेस के लिए भेजना, तैयार माल की पैकिंग और फिर उसे बाजार तक पहुचाने का कार्य करना होता हैं. इस कार्य में लगे पैसे उन्हें वापिस नही मिलते हैं.
कई बार इस पैसे की भरपाई लम्बे समय बाद उस उत्पाद की ब्रिक्री पर होती हैं. अतः लॉन्ग टर्म तक कार्य को अनवरत चलाने के लिए हर संस्थान को पैसे की जरूरटी रहती हैं. इसके लिए उन्हें बैंक के पास जाना होता हैं, तथा छोटे समय के लिए वर्किंग कैपिटल का लोन लेना पड़ता हैं.
Working Capital के बारे में अब आप समझ ही गये होंगे, यानि यह वह राशि होती है जो नित्य के व्यवहार हेतु काम में ली जाती हैं जिन्हें व्यवसायिक भाषा में वर्किग कैपिटल कहते हैं.
व्यापारियों के लिए बैंक क्रेडिट कार्ड के रूप में यह सुविधा उपलब्ध करवाती है कि वे थोड़े समय के लिए एक रकम निश्चित ब्याज पर उधार ले सकते हैं. इसको और अधिक गहराई से समझने के लिए हम किसी कम्पनी के efficiency और short-term financial health के बारे में समझना होगा.
वर्किंग कैपिटल = वर्तमान संपत्तियां – वर्तमान दायित्व
working capital ratio एक नई शब्दावली है जिसका मान वर्तमान सम्पति में वर्तमान लेबिलिटिज का भाग देकर निकाला जाता हैं. इसका अर्थ यह हुआ कि कम्पनी को अमुक राशि अभी के लिए खर्च करनी हैं.
जबकि वर्तमान स्वामित्व का आशय है अभी कम्पनी के अधिन इतनी परिसंपति हैं. किसी भी कम्पनी की वेल्थ जानने का यह अच्छा तरीका हैं. इसका मान एक अथवा दो होने पर सकारात्मक तथा १ से भी कम होने पर इसे नकारात्मक की श्रेणी में रखा जाता हैं.
किसी कम्पनी का रेटियो २ हैं इसका मतलब यह हुआ कि उनके पास वर्तमान सम्पत्ति वर्तमान दायित्व से दुगुनी हैं जो आगामी भविष्य के लिए अच्छा माना जाता हैं. इसका परिणाम यह होगा कि कम्पनी के पास डयूटी से अधिक सेल्स हैं तथा यह लम्बे समय तक इस फिल्ड में बने रहने के काबिल हैं.
वर्किंग कैपिटल कम्पनी के भविष्य का निर्धारण करती हैं, यदि किन्ही संस्थान के पास वर्किंग कैपिटल पर्याप्त मात्रा में हैं तो वह न केवल वर्तमान में अच्छा कर सकती हैं बल्कि आगे चलकर अच्छा लाभ कमाने की संभावनाएं भी उनके पास हैं.
जिस कम्पनी के पास वर्किंग कैपिटल की कमी हैं तथा यह आवश्यक दायित्व से कम है तो उसके विस्तार, लाभ तथा परिचालन पर संकट के बादल आने वाले हैं.
इस पूंजी के जरिये किसी भी कम्पनी के इंटरनल संचालन में भी हेल्प मिलती हैं. प्रबंधकों के लिए यह पोजिटिव या नेगेटिव संकेतक का काम करती हैं कि उनके पास पर्याप्त धन है अथवा नही जिससे छोटे समय की देनदारियां तथा कम्पनी का परिचालन किया जा सके.
वर्किंग कैपिटल इंपॉर्टेंट क्यों है?
बिजनेस को स्टार्ट करने से पहले वर्किंग कैपिटल के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए, क्योंकि यह हमारे बिजनेस के लिए बहुत ही इंपॉर्टेंट होता है।
व्यापार को अच्छे से चलाने के लिए हमारे पास एक ऐसा फंड हमेशा रेडी रहना चाहिए जिसे हम जब चाहे तब अपनी इच्छा के अनुसार यूज कर सकते हैं।
जैसा कि आप जानते हैं कि, बिजनेस में हमेशा उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। ऐसी अवस्था में हमें अपने बिजनेस को एनालाइज करने की आवश्यकता होती है, जहां पर हमें वर्किंग कैपिटल के द्वारा सहायता प्राप्त होती है।
कोई भी सक्सेसफुल बिजनेसमैन अनिवार्य रूप से वर्किंग कैपिटल मैनेजमेंट करता है। जिन कंपनियों का खुद का वर्किंग कैपिटल मैनेजमेंट ठीक-ठाक नहीं होता है वैसी कंपनियां अधिकतर घाटे में चलती हैं और कई कंपनियां तो बंद भी हो जाती हैं।
वर्किंग कैपिटल को मैनेज करना जरूरी क्यों है?
फाइनेंस की अंडरस्टैंडिंग हमें किसी भी प्रकार के बिजनेस को स्टार्ट करने से पहले बनानी पड़ती है। अगर आप अपने बिजनेस की दैनिक आवश्यकताओं के लिए फाइनेंस का मैनेजमेंट नहीं कर सकते हैं तो आप कभी भी अपने बिजनेस को सफलता के रास्ते पर आगे नहीं बढ़ा सकते, ना ही एक सफल बिजनेसमैन आप बन सकते हैं।
वर्किंग कैपिटल मैनेजमेंट हमें बैंकरप्ट होने से बचाने का काम करता है। इसके अलावा अगर किसी को लिक्विडिटी की समस्या से बचना है तो उसे वर्किंग कैपिटल मैनेजमेंट करना आना चाहिए। बिना प्रॉब्लम के व्यापार को अच्छे से चलाने के लिए वर्किंग कैपिटल को मैनेज करना जरूरी होता है।
वर्किंग कैपिटल ऑपरेटिंग साइकिल क्या है?
वर्किंग कैपिटल ऑपरेटिंग साइकिल को अच्छे से समझने के लिए हमें वर्किंग कैपिटल की भी अंडरस्टैंडिंग करनी होगी। बता दें कि, वर्किंग कैपिटल ऑपरेटिंग साइकिल को कैस टू कैस साइकिल भी कहा जाता है।
यह बात तो आप अच्छी तरह से जानते ही होंगे कि, कच्चे माल की खरीदी करके ही किसी भी प्रकार के प्रोडक्शन की स्टार्टिंग की जाती है और कच्चे माल को खरीदने के लिए आपको नगद की आवश्यकता होती है।
कच्चे माल की प्राप्ति के बाद ही प्रोडक्शन का वर्क स्टार्ट होता है जिसे हम वर्क इन प्रोग्रेस कहते हैं। जब प्रोडक्शन हो जाता है तो उसे पैक किया जाता है और उसके बाद उसकी सेलिंग का काम स्टार्ट होता है।
हालांकि जब प्रोडक्ट की बिक्री चालू होती है तो तुरंत ही हमें फंड प्राप्त नहीं होता है बल्कि इसके लिए हमें कुछ टाइम तक वेटिंग करनी पड़ती है और उसके बाद ही हमें फंड प्राप्त होता है, तो पैसे से पैसे मिलने की इसी प्रक्रिया को वर्किंग कैपिटल ऑपरेटिंग साइकिल कहते हैं।