Essay On Water Crisis In Rajasthan In Hindi प्रिय विद्यार्थियों आज हम राजस्थान में जल संकट पर निबंध आपके साथ साझा कर रहे हैं. आज राजस्थान ही नहीं बल्कि देशभर में जल संकट की खतरनाक स्थिति पैदा हुई हैं.
यहाँ हम 5,10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में एस्से आपके साथ साझा कर रहे है जिन्हें कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए यह निबंध उपयोगी हैं.
राजस्थान में जल संकट पर निबंध | Essay On Water Crisis In Rajasthan In Hindi
Hello Friends We Welcome You In Short & Big Leanth Essay On Water Crisis In Rajasthan In Hindi For School Students And Kids Let’s Read This Essay.
निबंध 1
प्रस्तावना– पंचभौतिक पदार्थो में पृथ्वी के बाद जल तत्व का महत्व सर्वाधिक माना गया है. मंगल आदि अन्य ग्रहों पर जल के अभाव से ही जीवन एवं वनस्पति का विकास नही हो पाया है.
ऐसा नवीनतम खोजों से स्पष्ट हो गया है. कि धरती पर ऐसे कई भू-भाग है, जहाँ जलाभाव से रेगिस्तान का प्रसार हो रहा है. तथा प्राणियों को कष्टमय जीवन यापन करना पड़ रहा है.
राजस्थान प्रदेश का अधिकतर भू भाग सदा से जल ग्रस्त रहता है. समय पर उचित अनुपात में वर्षा न होने से यह संकट और बढ़ जाता है.
जल संकट की स्थति–राजस्थान में प्राचीन काल से सरस्वती नदी प्रवाहित होती थी. जो अब धरती के गर्भ में विलुप्त हो चुकी है. यहाँ अन्य ऐसी कोई नदी नही बहती है जिससे जल संकट का निवारण हो सके. चम्बल एवं माही आदि नदियाँ राजस्थान के दक्षिणी पूर्वी कुछ ही भाग को हरा-भरा रखती है.
इसकी पश्चिमोउत्तर भूमि एकदम से निर्जल है. इसी कारण यहाँ पर रेगिस्तान का उतरोतर विकास हो रहा है. भूगर्भ में जो जल है, वह काफी नीचे है, खारा एवं दूषित है.
पंजाब से श्रीगंगानगर जिले से होते हुए इंदिरा गांधी नहर से जो जल राजस्थान के पश्चिमोतर भाग में पहुचाया जा रहा है उसकी स्थति भी सन्तोषप्रद नही है.
पूर्वोत्तर राजस्थान में हरियाणा से जो जल मिलता है, वह भी जलापूर्ति नही कर पाता है. इस कारण राजस्थान में जल संकट की स्थति सदा ही बनी रहती है.
राजस्थान में जल संकट के कारण (The water crisis in Rajasthan)
पहले से ही राजस्थान में मरुस्थलीय भूभाग होने से जल का संकट है. फिर लगातार प्रदेश की आबादी बढ़ रही है और औद्योगिक विकास भी तीव्र गति से हो रहा है.
यहाँ के शहरों में बड़ी बड़ी औद्योगिक इकाईयों में भूगर्भीय जल का दोहन बड़ी मात्रा में हो रहा है. खनिज संपदा तथा संगमरमर, ग्रेनाईट, इमारती पत्थर, चूना पत्थर आदि के विदोहन से धरती का जल स्तर गिरता जा रहा है.
दूसरी ओर वर्षाकाल में सारा पानी बाढ़ के रूप में बह जाता है शहरों में कंक्रीट डामर आदि के निर्माण कार्यो से वर्षा का जल जमीन के अंदर नही जा पाता है. इस कारण पातालतोड़ कुँए भी सूख गये है. यहाँ भूगर्भीय जल के विदोहन की यही स्थति अनियंत्रित है.
पुराने कुँए बावड़ी आदि की अनदेखी करने से भी जल स्त्रोत सूख गये है. पिछले कुछ वर्षो से राजस्थान में वर्षा भी अत्यल्प मात्रा में हो रही है. इस कारण बाँधो, झीलों, तालाबों-पोखरों और छोटी कुइयों में भी पानी समाप्त हो गया है. इन सब कारणों से यहाँ पर जल संकट गहराता जा रहा है.
जल संकट के समाधान हेतु सुझाव (water crisis and its solution)
राजस्थान में बढ़ते हुए जल संकट के लिए निम्न उपाय किये जा सकते है-
- भूगर्भ के जल का असीमित विदोहन रोका जावे.
- खनिज सम्पदा के विदोहन को नियंत्रित किया जावे.
- शहरों में वर्षा जल के जल को जमीन में डालने की व्यवस्था की जाए.
- बाँधो एवं एनिकटों का निर्माण, कुओं एवं बावड़ियो को अधिक गहरा एवं कच्चे तालाबों पोखरों को अधिक गहरा और चौड़ा बनाया जाए.
- पंजाब हरियाणा और गुजरात में बहने वाली नदियों का जल राजस्थान में लाने का प्रयास किया जावे/
ऐसे उपाय करने से निश्चित ही राजस्थान में जल संकट का निवारण हो सकता है.
उपसंहार
‘रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून’ अर्थात पानी के बिना जन जीवन अनेक आशंकाओं से घिरा रहता है. सरकार को तथा समाज सेवी संस्थाओं को विविध स्रोतों से सहायता लेकर राजस्थान में जल संकट के निवारणार्थ प्रयास करने चाहिए. ऐसा करने से ही यहाँ की धरा मंगलमयी बन सकती है.
निबंध 2
प्रस्तावना- रहीम कहते है
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून
पानी गये न उबरे, मोती मानुस चुन
अर्थात पानी मनुष्य के जीवन का स्रोत है. इसके बिना जीवन की कल्पना नहीं हो सकती हैं. सभी प्राकृतिक वस्तुओं में जल महत्वपूर्ण हैं.
राजस्थान का अधिकांश भाग मरुस्थल है. जहाँ जल नाम मात्र को भी नहीं हैं. इस कारण यहाँ के निवासियों का कष्टप्रद जीवन यापन करना पड़ता हैं.
वर्षा के न होने पर यहाँ भीषण अकाल पड़ता है. और जीवन लगभग दूभर हो जाता है. वर्षा को आकर्षित करने वाली वृक्षावली का अभाव हैं. जो थोड़ी बहुत उपलब्ध हैं. उसकी अंधाधुंध कटाई हो रही है. अतः राजस्थान का जल संकट दिन प्रतिदिन गहराता जा रहा हैं.
जल संकट के कारण- राजस्थान के पूर्वी भाग में चम्बल, दक्षिणी भाग में माही के अतिरिक्त कोई विशेष जल स्रोत नहीं हैं. जो जल सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा कर सके.
पश्चिमी भाग तो पूरा रेतीले टीलों से भरा हुआ निर्जल प्रदेश है, जहाँ केवल एकमात्र इंदिरा गांधी नहर ही आश्रय हैं. राजस्थान में जल संकट के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं.
- भूगर्भ के जल का तीव्र गति से दोहन हो रहा हैं.
- पेयजल के स्रोतो का सिंचाई में प्रयोग होने से जल संकट गहरा रहा हैं.
- उद्योगों में जलापूर्ति भी आम लोगों को संकट में डाल रही हैं.
- पंजाब, हरियाणा आदि पड़ौसी राज्यों का असहयोगात्मक रवैया भी जल संकट का एक प्रमुख कारण हैं.
- राजस्थान की प्राकृतिक संरचना ऐसी है कि वर्षा की कमी ही रहती हैं.
निवारण हेतु उपाय– राजस्थान में जल संकट के निवारण हेतु युद्ध स्तर पर प्रयास होने चाहिए अन्यथा यहाँ घोर संकट उपस्थित हो सकता हैं. कुछ प्रमुख सुझाव इस प्रकार हैं.
- भूगर्भ के जल का असीमित दोहन रोका जाए.
- पेयजल के जो स्रोत है उनका सिंचाई हेतु उपयोग न किया जाए.
- वर्षा के जल को रोकने के लिए छोटे बांधों का उपयोग किया जावे.
- पंजाब, हरियाणा, गुजरात, मध्यप्रदेश की सरकारों से मित्रतापूर्वक व्यवहार रखकर आवश्यक मात्रा में जल प्राप्त किया जाए.
- गाँवों में तालाब पोखर, कुआँ आदि को विकसित कर बढ़ावा दिया जाए.
- मरुस्थल में वृक्षारोपण पर विशेष ध्यान दिया जाए.
- खनन कार्य के कारण भी जल स्तर गिर रहा हैं अतः इस ओर भी ध्यान अपेक्षित हैं.
- पहाड़ों पर वृक्ष उगाकर तथा स्थान स्थान पर एनिकट बनाकर वर्षा जल को रोकने के प्रयास करने चाहिए.
- हर खेत में गड्डे बनाकर भूगर्भ का जलभरण किया जाना चाहिए ताकि भू गर्भ जल का पेयजल और सिंचाई के लिए उपयोग किया जा सके.
उपसंहार- अपनी प्राकृतिक संरचना के कारण राजस्थान सदैव ही जलाभाव से पीड़ित रहा हैं. किन्तु मानवीय प्रमाद ने इस संकट को और अधिक भयावह बना दिया हैं.
पिछले दिनों राजस्थान में आई अभूतपूर्व बाढ़ ने जल प्रबन्धन विशेषयज्ञों को असमंजस में डाल दिया हैं. यदि वह बाढ़ केवल एक अपवाद बनकर रह जाती है तो ठीक है लेकिन इसकी पुनरावृत्ति होती है तो जल प्रबंधन पर नयें सिरे से विचार करना होगा.
निबंध 3
प्रस्तावना– इस दृष्टि में पृथ्वी के बाद जल तत्व का महत्व सर्वाधिक माना जाता हैं. मंगल आदि अन्य ग्रहों में जल के अभाव से ही जीवन एवं वनस्पतियों का विकास नहीं हो पाया हैं. ऐसा नवीनतम खोजों से स्पष्ट हो गया हैं.
धरती पर ऐसे कई भूभाग हैं जहाँ जलाभाव से रेगिस्तान का प्रसार हो रहा हैं. तथा प्राणियों को कष्टमय जीवन यापन करना पड़ता हैं. राजस्थान प्रदेश का अधिकतर भूभाग जल संकट से सदा ग्रस्त रहा हैं. मौसमी वर्षा न होने पर यह संकट और भी बढ़ रहा हैं.
जल संकट की स्थिति– राजस्थान में प्राचीनकाल में सरस्वती नदी प्रवाहित होती थी, जो अब धरती के गर्भ में विलुप्त हो गई. यहाँ पर अन्य कोई ऐसी नदी नहीं बहती हैं, जिससे जल संकट का निवारण हो सके. चम्बल एवं माही आदि नदियाँ राजस्थान के दक्षिणी पूर्वी भूभाग को ही हरा भरा रखती हैं.
इसकी पश्चिमोत्तर भूमि तो एकदम निर्जल है. इसी कारण यहाँ पर रेगिस्तान का उत्तरोतर विस्तार हो रहा हैं. भूगर्भ में जो जल हैं वो काफी नीचे हैं.
पंजाब से श्रीगंगानगर जिले में से होकर इंदिरा गांधी नहर द्वारा जो जल राजस्थान के पश्चिमोत्तर भाग में पहुचाया जा रहा हैं. उसकी स्थिति भी संतोषप्रद नहीं हैं. इस कारण यहाँ जल संकट की स्थिति सदा ही बनी रहती हैं.
जल संकट के कारण- राजस्थान में पहले ही शुष्क मरुस्थलीय भू भाग होने से जलाभाव हैं. फिर उत्तरोतर आबादी बढ़ रही हैं. और औद्योगिक गति भी बढ़ रही हैं. यहाँ शहरों एवं औद्योगिक इकाइयों में भूगर्भीय जल का दोहन बड़ी मात्रा में हो रहा हैं.
टर्टल‘ फिल्म में राजस्थान का जल संकट
अशोक चौधरी द्वारा राजस्थानी भाषा में बनाई गई टर्टल फिल्म को नेशनल अवार्ड मिला हैं. राजस्थान के जल संकट की वास्तविक स्थिति का इसमें काल्पनिक रूपांतरण किया गया हैं.
फिल्म में जल की समस्या को विस्तृत रूप से दृशाया गया है फिल्म जल संकट के चलते तीसरे विश्व युद्ध की ओर ईशारा कर रही हैं.
Nice