चेक क्या होता है इसके बारे में जानकारी | What Is Cheque In Hindi

चेक क्या होता है इसके बारे में जानकारी | What Is Cheque In Hindi सामान्यत बैंकिंग व्यवहारों में सबसे अधिक प्रयोग लिए जाने वाले प्रलेख है चैक, बैंक ड्राफ्ट तथा पे आर्डर. चैक किसी बैंक को दिया गया शर्त रहित आदेश होता है.

जिसमे एक निश्चित राशि किसी निश्चित व्यक्ति को तथा विलेख को वाहक को मांग पर देय होती है. खासकर व्यापारी वर्ग द्वारा अपने खर्च के भुगतान के लिए इस भुगतान माध्यम का अधिक उपयोग होता हैं.

चेक क्या होता है इसके बारे में जानकारी | What Is Cheque In Hindi

भारतीय विनिमय साध्य विलेख अधिनियम 1881 की धारा 6 के अनुसार ”चैक एक ऐसा विनिमय पत्र है जो किसी विशेष बैंक पर लिखा जाता है और जिसका भुगतान स्पष्ट रूप से मांग किये जाने के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार से नही हो सकता.

चैक के आवश्यक तत्व (Essential elements of Cheque)

  1. चैक सदैव लिखित आदेश होता है, यह कभी भी मौखिक नही होता है.
  2. चैक ग्राहक द्वारा स्वयं के बैंक को ही लिखा जाता है.
  3. चैक में कोई शर्त नही हो सकती.
  4. चैक द्वारा निश्चित राशि का भुगतान होता है जो Cheque में लिखी गई है.
  5. Cheque का भुगतान किसी व्यक्ति या संस्था को ही होगा. जिसका नाम Cheque पर लिखा होता है. या उसका आदेशित होता है. इसका भुगतान वाहक को भी किया जा सकता है.
  6. Cheque का भुगतान प्रापक के मांगने पर होगा. इसके भुगतान की तिथि ग्राहक द्वारा निर्धारित की जाती है.
  7. Cheque पर ग्राहक के हस्ताक्षर होने चाहिए तथा इसका मिलान बैंक के नमूने हस्ताक्षर से होना चाहिए.
  8. चैक पर खाता संख्या व दिनांक का होना आवश्यक है.
  9. बैंक द्वारा निर्धारित प्रारूप में छपे हुए Cheque ही प्रयोग में लाए जाते है.

चैक के पक्षकार (check writing terminology)

  • आहर्ता या लेखक- आहर्ता वही व्यक्ति हो सकता है जिसका बैंक में खाता हो, बैंक में खाता रखने वाले ग्राहक को Cheque लिखने व हस्ताक्षर करने का अधिकार होता है.
  • आह्रती या देनदार- आह्रती सदैव बैंक ही होता है जिस पर ग्राहक चैक लिखता है.
  • आदाता या प्रापक – जिसके नाम से Cheque लिखा जाता है, वह चैक का आदाता होता है. Cheque स्वयं के नाम से i लिखा जा सकता है. यदि चैक का बेचान कर दिया जाता है तो वाहक आदाता होता है. इस प्रकार से जो पक्षकार चैक का भुगतान बैंक से प्राप्त करने के लिए अधिकृत होता है, वह आदाता होता है.

चैक बाउंस होने पर क्या करे (check bounce case in india hindi)

धारा 138 परक्राम्य अधिनियम (Instrument Act) में चैक बाउंस की कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है. यदि आपका चैक बाउंस हुए अभी 30 दिन यानि एक महीने की अवधि पूरी नही हुई है तो उस व्यक्ति या दुकानदार जिससे आपने चैक प्राप्त किया है.

उस पर सम्पूर्ण खर्चे सहित आपके अनुमानित नुक्सान की रसीद बनाकर उसके खिलाफ परिवाद दायर किया जा सकता है.

चैक बाउंस की घटना के तीन माह की अवधि समाप्त नही हुई हो तो एक बार आप फिर बैंक जा सकते है. फिर भी आपका चैक बाउंस दिखाए तो आप 45 दिन के भीतर किसी न्यायालय या पुलिस में धोखाधड़ी का केस लगाकर अपने नुकसान सहित सम्पूर्ण भरपाई की रकम वसूल कर सकते है.

चेक की अवधि? | Validity of Cheque in Hindi

अगर बात करे चेक के भुगतान की तिथि को अवधि की तो यह तीन माह अर्थात 90 दिन तक वैध होता हैं. इस अवधि के बाद चेक स्वतः अमान्य हो जाता हैं.

पोस्ट डेटेड चेक को कैसिल करने के अलावा धारक के पास अधिक विकल्प नहीं बचते हैं.

Types of Cheque in Hindi | चेक के प्रकार

अगर हम चेक के प्रकार और वर्गीकरण की बात करें तो उद्देश्य और प्रकृति के अनुसार इसके भिन्न भिन्न प्रकार हैं, यहाँ दी गई तालिका के जरिये इनके नाम काम ली जाने वाली शब्दावली और संक्षिप्त विवरण को जानेगे.

प्रकारविवरण
Order Chequeप्राप्तकर्ता को भुगतान राशि अदा करने वाला चेक
Bearer chequeप्राप्तकर्ता इसका उपयोग या स्थानातरण कर सकता हैं
Open Chequeइसके दोनों तरफ हस्ताक्षर होते है.
Crossed Chequeगैर हकदार व्यक्ति को लाभ प्राप्त करने से रोकता है
Post Dated Chequeतीन माह की अवधि को व्यय कर चूका चेक
Blank Chequeइसमें हस्ताक्षर के अलावा सभी फिल्ड खाली छोड़ दिए जाते है.
Gift Chequeहार्ड कैश के स्थान पर उपहार स्वरूप दिया जाता हैं.
Bankers Chequeबैंक की ओर से ग्राहक को दिया जाता है.
Stale Chequeअवधि को बढाया जा सकता है.
Traveler’s chequeएक स्थान से दूसरे स्थान फोरवर्ड किये जा सकते है.
Self chequesअदाकर्ता के स्वयं का चेक
Mutilated chequesफटे चेक

बैंक ड्राफ्ट और बैंकर्स चेक क्या है इसकी जानकारी | Bank Draft in Hindi

बैंक ड्राफ्ट एक स्थान से दुसरे स्थान पर धन प्रेषण का एक सरल, सुरक्षित एवं मितव्ययी उपाय है. जिसे बैंक द्वारा पूरा मूल्य एवं कमिशन प्राप्त करने के बाद जारी किया जाता है.

बैंक ड्राफ्ट क्या है | Bank Draft in Hindi

  • निर्गमक बैंक- बैंक ड्राफ्ट जारी करने वाले बैंक को निर्गमक बैंक कहा जाता है. जो निर्धारित शुल्क या कमीशन लेकर बैंक ड्राफ्ट बनाता है. ड्राफ्ट के माध्यम से निर्गमक बैंक शोधी बैंक को आदेश देता है. कि प्रेषक द्वारा ड्राफ्ट प्रस्तुत करने पर उसकी राशि का भुगतान कर दिया जावे.
  • क्रेता- जो व्यक्ति ड्राफ्ट बनवाता है उसे ड्राफ्ट का क्रेता कहा जाता है. क्रेता को कमीशन व ड्राफ्ट राशि सहित निर्धारित प्रपत्र भरकर निर्गमक बैंक में जमा करवाना होता है.
  • अदाता या प्रापक- ड्राफ्ट जिस व्यक्ति या संस्था के पक्ष में लिया जाता है, उसे ड्राफ्ट का आदाता कहते है. शोधी बैंक आदाता या प्रापक को ड्राफ्ट का भुगतान करने के लिए उतरदायी होता है.
  • शोधी बैंक- जिस बैंक को ड्राफ्ट का भुगतान करने का आदेश दिया जाता है, उसे शोधी बैंक कहा जाता है.

पे-ऑर्डर (बैंकर्स चैक) Pay order

पे ऑर्डर बैंक की ओर से स्थानीय ग्राहकों को भुगतान करने के लिए जारी किया जाता है. क्रेता द्वारा पे ऑर्डर की राशि व कमीशन बैंक में निर्धारित प्रपत्र के साथ जमा करवाने पर बैंक द्वारा इसे जारी किया जाता है.

जिसका भुगतान उसी बैंक द्वारा पे ऑर्डर को प्रस्तुत करने पर प्रापक को कर दिया जाता है. पे ऑर्डर पर बैंक ड्राफ्ट के नियम ही लागू होते है किन्तु इसका शुल्क बैंक ड्राफ्ट की तुलना में कम होता है.

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