नमस्कार दोस्तों आज का निबंध, भीषण वर्षा की वह रात पर निबंध Essay on Rainy Night in Hindi पर दिया गया हैं.
तेज मूसलाधार बरसात में बिताई गई एक रात अर्थात रैनी नाईट पर सरल भाषा में निबंध स्टूडेंट्स के लिए दिया गया हैं. उम्मीद करते है आपको यह निबंध पसंद आएगा.
भीषण वर्षा की वह रात पर निबंध Essay on Rainy Night in Hindi
भारत में सभी ऋतुओं का अपना अपना सौन्दर्य हैं. यहाँ प्रकृति रुपी नायिका इन ऋतुओं में भिन्न भिन्न वेश धारण करती हुई स्वयं को सजाती संवारती हैं. वसंत ऋतु का मनोरम वातावरण सारे भारत में विशेष आकर्षक रहता हैं.
परन्तु राजस्थान में तो वर्षा विशेष अच्छी लगती हैं. इस सूखे रेतीले प्रदेश में अलसाई मुरझाई हुई प्रकृति को वर्षा ऋतु ही उल्लासित एवं हरी भरी रहती हैं. यहाँ के निवासी वर्षा के लिए तरसते रहते हैं और बाढ़ के प्रकोप से अपरिचित रहते हैं.
मेरे गाँव की स्थिति– मेरा गाँव पूर्वी राजस्थान में बनास नदी से थोड़ी दूरी पर बसा हुआ हैं. नदी के किनारे की भूमि काफी उप जाऊ हैं.
इस कारण कई बार बाढ़ से हानि हो जाने पर भी हम अपने गाँव को छोड़कर अन्यत्र नहीं जा पाए. मानव अपने लाभ के लिए जान बूझकर कष्ट झेलने को उद्यत रहता हैं.
और प्रकृति की चुनौती स्वीकार करता हैं हमारे गाँव वालों की भी यही स्थिति हैं. वर्षा ऋतु में कभी कभी नदी में पानी बढ़ जाता हैं. और कुछ नुकसान भी हो जाता हैं.
लेकिन पानी के उतरते ही सारा गाँव अमन चैन से रहता हैं. प्रतिवर्ष इसी प्रकार वर्षा ऋतु का मौसम निकल जाता हैं.
वर्षा की जोरदार झड़ी– दो साल पहले की बात हैं, उस दिन जुलाई की अंतिम तारीख थी, रविवार था और रात्रि के समय सारा गाँव अपने काम धंधे से निवृत होकर विश्राम करने की तैयारी कर रहा था.
उसी समय कुछ देर हल्की बूंदाबादी हुई. लेकिन फिर वर्षा की जोरदार झड़ी लग गई. बादल चारों ओर से इस तरह उमड़ घुमड़ कर आये कि वर्षा का जोर बढ़ता जा रहा था.
रात के अँधेरे में बाहर कुछ नहीं दिखाई दे रहा था, केवल तेज बौछारों की सरसराहट से ही अनुमान लगाया जा सकता था या झौपडियों में चू रही जल धाराओं से पता चल रहा था कि वर्षा कितनी तेज हैं. और अपना क्या तांडव दिखाने वाली हैं. इस कारण मन में अज्ञात भय उत्पन्न हो रहा था.
भीषण वर्षा से विनाश लीला-वर्षा की जोरदार झड़ी को देखकर लोगों को आशंका हो गई थी. लगभग रात्रि साढ़े ग्यारह बजे बनास नदी का पानी गाँव की ओर बढ़ता प्रतीत हुआ.
पानी निरंतर बढ़ता आ रहा था, इससे सारे गाँव में शोरगुल मच गया. कुछ समझ दार लोगों ने एक घंटे पहले ही अपने बाल बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर पंहुचा दिया था.
परन्तु कुछ इस काम न सफल रहे और वे बाढ़ की चपेट में आ ही गये. अधिकतर लोग पंचायत भवन और स्कूल भवन में एकत्रित हो गये.
सारी रात मूसलाधार वर्षा होती रही, सुबह लगभग पांच बजे इंद्र देव ने अपनी माया रोकी, वर्षा थमी और नदी का वेग भी कुछ कम होने लगा. लोगों ने राहत की सांस ली.
कुछ समय बाद दिन का उजाला चारों ओर फ़ैल गया. जो नर नारी और बच्चे इस विनाश लीला से बच गये, वे अपने अपने घर द्वार की दुर्दशा देखने के लिए उतावले होने लगे.
आठ बजे तक नदी का पानी एकदम उतर गया था. गाँव के अधिकतर लोगों का सारा सामान बाढ़ में बह गया था. सैकड़ों लोगों के घर उजड़ गये थे. मवेशी तो बहुत ही कम बच पाए थे.
धन सम्पति की अपार क्षति हुई थी. मेरे गाँव के तीन आदमी भी इस भीषण वर्षा के प्रकोप के शिकार हो गये थे. वे बेचारे रात्रि में न जाने कहाँ बह गये थे. इस घटना से सारे गाँव में मातम छाया हुआ था, परन्तु उस दशा में करते भी तो क्या करते.
उपसंहार– लगभग दस बजे आसपास के गाँवों से कई लोगों ने आकर सहायता कार्य प्रारम्भ कर दिया था. इसके बाद पंचायत समिति और सरकार की तरफ से राहत कार्य प्रारम्भ हो गया था.
भीषण वर्षा की वह रात आज भी जब याद आती है तो सारा शरीर अज्ञात भय से कांपने लगता हैं. मैंने अपने गाँव में ऐसी भीषण वर्षा पहले कभी नहीं देखी थी. भगवान भविष्य में ऐसी विनाश लीला में हमे बचाए.