राजा राममोहन राय पर निबंध – Essay on Raja Ram Mohan Roy in Hindi

राजा राममोहन राय पर निबंध Essay on Raja Ram Mohan Roy in Hindi: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले राजाजी महान समाज सुधारक भी थे.उन्होंने ब्रह्म समाज नामक संगठन की स्थापना भी की.

राय जी को भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत और आधुनिक भारत का जनक भी कहा जाता हैं. आज के निबंध में उनके जीवन, कार्यों, स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में जानेगे.

Essay on Raja Ram Mohan Roy in Hindi राजा राममोहन राय पर निबंध

राजा राममोहन राय पर निबंध - Essay on Raja Ram Mohan Roy in Hindi

बंगाल में उन्नीसवीं सदी में जो समाज सुधार की लहर उठी उसे पुनर्जागरण का नाम दिया गया. उन्नीसवीं सदी के शुरूआती समय में बंगाल में बड़ी भीषण प्रथा का प्रचलन था. बंगाल के लोग इसे सती प्रथा कहकर प्रतिष्ठित करने लगे.

सती प्रथा की चर्चा प्राचीनकाल में भी यदा कदा होती थी, मध्यकाल में इसका प्रचलन कुछ ज्यादा बढ़ गया था. पर उन्नीसवीं सदी के बंगाल में तो इसने वीभत्स रूप ले लिया था.

कुलीन परिवारों में जोर जबरदस्ती से सती के नाम पर नई विधवा की आहुति दे दी जाती थी. यह बड़ी विकराल परिस्थिति थी, जिसका लोग सती प्रथा की आड़ में पालन किया करते थे.

इस कुरीति के खिलाफ कलकत्ता के राजा राममोहन राय ने एक मुहीम छेड़ी. राम मोहन राय का जन्म बंगाल के राधानगर में एक जमीदार ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उन्होंने कई भाषाओं व वैदिक ग्रंथों का अध्ययन किया तथा वैदिक ग्रंथों का साधारण भाषा में अनुवाद किया.

राजा राममोहन राय ने भारत के सभी धर्म ग्रंथों का विश्लेष्ण करके यह बताया कि कहीं भी यह नहीं कहा गया हैं कि स्त्री को अपने पति की मौत पर अपने आप को आग में झोक देना चाहिए. राम मोहन राय ने अपनी बातों के आधार पर अंग्रेजी शासन को भी सहमत होने के लिए बाध्य किया.

राजा राममोहन राय‘ को अपनी भाभी सती होते देखकर सती प्रथा के विरोध करने की प्रेरणा मिली और उन्होंने विलियम बेटिंक से 1829 ई. में सती प्रथा विरोधी कानून बनवाकर इस प्रथा को गैर कानूनी घोषित करवाया.

इसके अलावा मोहनराय जी ने बाल विवाह, बहुविवाह, छुआछुत, नशा आदि कुप्रथाओं का विरोध किया. राजा राममोहन राय पाश्चात्य ज्ञान व शिक्षा के अध्ययन को को भारत के विकास और प्रगति के लिए आवश्यक मानते थे.

उन्होंने कोलकाता में वेदांत कॉलेज, इंग्लिश स्कुल ऑफ हिन्दू कॉलेज की स्थापना की, उन्होंने बग्ला से संवाद कौमुदी, पारसी से मिरातुल अखबार व अंग्रेजी में बढ़ानिकल पत्रिका प्रकाशित की.

1883 में इंग्लैंड के ब्रिस्टल नगर में राजाराम की मृत्यु हो गई. इनकी मृत्यु क्र बाद रवीन्द्रनाथ टैगोर और केशव चन्द सेन ने इस संस्था को आगे बढ़ाया.

बाद में ब्रह्म समाज दो भागों में विभाजित हो गया- आदि ब्रह्म समाज एवं भारतीय ब्रह्म समाज. ब्रह्म समाज के प्रभाव से सन 1867 में आत्माराम पांडुरंग ने प्रार्थना सभा की स्थापना की बाद में महादेव गोविन्द रानाडे ने इसे गति दी.

22 मई के दिन को राजा राममोहन राय की जयंती के रूप में मनाया जाता हैं. आधुनिक भारत के रचयिता कहे जाने वाले राय ने समाज सुधार के साथ साथ महिलाओं के अधिकारों की मांग की. वे आधुनिक भारत की नींव रखने वाले अग्रणी महापुरुष थे, यही वजह है कि दो शताब्दी बाद भी हम उनका स्मरण करते है.

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