Essay On Vegetable Seller In Hindi : नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है आज हम सब्जी वाला पर निबंध बता रहे है. दैनिक जीवन में दूध वाला, फेरीवाला, चाय वाला हमारे आम जीवन का हिस्सा हैं,
आज के निबंध में हम सब्जी वाला का जीवन दिनचर्या, समस्याएं आदि पर भाषण, अनुच्छेद, लेख सरल भाषा में बता रहे हैं.
Essay On Vegetable Seller In Hindi
sabji wale par nibandh 300 शब्द
सब्जियां खाने से हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और दूसरे पौष्टिक तत्वो की प्राप्ति होती है और जिस व्यक्ति के द्वारा हम तक सब्जियां पहुंचाई जाती हैं उसे सब्जीवाला कहा जाता है।
सब्जियों की पैदावार खेत में होती है। उसके पश्चात खेत से निकाल कर के सब्जियों को सब्जी वाले के द्वारा धोया जाता है और फिर सब्जियों को लारी पर या फिर ठेले पर सजा कर के गली मोहल्ले में बेचने के लिए सब्जी वाला ले करके आता है।
हमारे गली में जो सब्जी वाला आता है उसका नाम किशोर है जो कि काफी मिलनसार व्यक्ति है। किशोर हमारी गली में सुबह 8:00 से 9:00 और शाम को 4:00 से 5:00 के बीच सब्जी बेचने के लिए दैनिक तौर पर आता है। हमारी गली के सभी लोग किशोर से ही सब्जियों की खरीददारी करते हैं।
किशोर के द्वारा हर मौसम में खाई जाने वाली सब्जियों को बेचा जाता है। इसलिए जब वह अपना ठेला ले करके हमारी गली में आता है तो 1 घंटे के अंदर ही उसकी सारी सब्जियां बिक जाती है। इस प्रकार हमें भी ताजी और हरी सब्जियां प्राप्त हो जाती है, साथ ही किशोर को भी आजीविका की प्राप्ति हो जाती है।
किशोरी सब्जी वाले के द्वारा अपने साथ कई सब्जियां बेचने के लिए लाई जाती है जैसे कि लौकी, टमाटर, आलू, प्याज, मिर्चा, बैगन, कोहड़ा, धनिया, टिंडे, भिंडी, मूली इत्यादि।
जब कभी किशोर सब्जी वाला हमारी गली में सब्जी बेचने के लिए नहीं आता है तो हमें घर से तकरीबन 1 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद सब्जी वाले से जाकर के सब्जी खरीदनी पड़ती है। इसलिए हम चाहते हैं कि किशोर सब्जी वाला रोज हमारी गली में सब्जी बेचने के लिए आए ताकि हमें घर बैठे ही ताजी और हरी सब्जी प्राप्त हो जाए।
400 शब्द निबंध
हमारे खाने में सब्जियों का महत्वपूर्ण स्थान हैं. सब्जियों से हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट एवं खनिज पदार्थ उपलब्ध हो जाते हैं.
हम तक सब्जियां पहुचाने का कार्य करने वाले व्यक्ति को हम सब्जी वाला कहते हैं. खेत से सब्जियाँ सब्जी मंडी में बिकने आती हैं. वहा से शहर कस्बें में अलग अलग स्थानों पर सब्जी बेचने वाले सब्जियाँ खरीदते हैं.
ये सब्जी बेचने वाले एक स्थान पर बैठकर भी सब्जी बेचते है तो कुछ ठेले को लेकर गली गली घूमकर आवाज लगाते हुए हमारे घर तक सब्जी बेचते हैं.
कुछ लोग अपने खेतों में सब्जी उगाकर स्वयं ही सीधे उपभोक्ताओं को सब्जी बेचते हैं. ये अधिकांशत: माली जाति के होते है, इनकी महिलाएं मालिन मुख्यतः सब्जी बेचने का कार्य करती हैं.
गाँव में तो सब्जी बेचने का कार्य मुख्यतः इन्ही के हाथों में हैं. ये लोग सुबह जल्दी उठकर खेत पर जाते हैं एवं उस दिन की पकी हुई सब्जियाँ तोड़कर बाजार में लाकर बेचते हैं. यह कार्य बहुत श्रम साध्य हैं. सब्जीवाला हमें रोजाना ताज़ी सब्जियाँ उपलब्ध करवाते हैं.
शहरों एवं बड़े कस्बों में सब्जी बेचने का कार्य कई अन्य लोग भी करते हैं. आजकल तो हर मौसम में हर तरह की सब्जियाँ मिल जाती हैं. सब्जी के थोक व्यापारी इन्हें कोल्ड स्टोरेज में सुरक्षित कर बाद में धीरे धीरे बाजार में बेचते रहते हैं.
जो सब्जियाँ स्था नीय स्तर पर नहीं उगाई जाती है, वे भी यातायात के साधनों के विकास के फलस्वरूप आसानी से उपलब्ध हो जाती है, सब्जी वाला हमें सभी प्रकार की सब्जियाँ घर बैठे उपलब्ध करवा देता हैं.
बड़े मोहल्लों में सब्जी वाला अपने सिर पर ताज़ी शाक सब्जियों से भरी कटोरी लेकर घर घर जाता हैं. झुर्रियों से भरा उनका चेहरा, गर्दन की नसे फूली हुई और भरी दुपहरी की तपन में पसीने से लथपथ सब्जी सब्जी कहते हुए मध्य की गली से गुजरता हैं.
चलती राह में जब कोई गृहणी आती है तो वह अपनी वजनदार टोकरी को जमीन पर उतारकर गहरी सांस लेता हैं, उसकी टोकरी में दर्जन भर सब्जियां यथा गोभी, मूली, टमाटर, बैगन, भिंडी, आलू, मिर्च, कद्दू, करी पत्ते, पालक आदि होते हैं. ग्राहक को यदि उनकी सब्जियाँ पसंद आती है तो वह उसी सब्जी की टोकरी से हस्त तुला निकालकर उन्हें तोलकर देता हैं.
कई बार वह मोहल्लेवासियों के लिए परामर्शदाता की भूमिका भी निभाता है जैसे जिन्हें शुगर की समस्या है वे मूली, मेथी खाए आदि आदि.
वह सवेरे ताज़ी सब्जियाँ तोडकर बेचने के लिए निकलता है, जैसे जैसे सब्जियाँ बिकती जाती है उसकी टोकरी का भार भी कम होता जाता हैं. जब दिन ढलने की ओर होता है तो उसकी टोकरी भी खाली हो जाती हैं, बदलें में अर्जित धन को अपनी जेब में रखकर घर की ओर चल पड़ता हैं.
Nice??