नमस्कार आपका स्वागत हैं. यहाँ हम फीचर लेखन किसे कहते है उदाहरण – Feature Lekhan In Hindi writing Examples में हम फीचर राइटिंग को जानेगे.
फीचर लेखन क्या है इसका महत्व क्या है कुछ उदाहरण सहित इसे समझने का प्रयास करते हैं. उम्मीद करते है आपको ये आर्टिकल पसंद आएगा.
फीचर लेखन किसे कहते है उदाहरण Feature Lekhan In Hindi Examples
hindi feature lekhan: आज का आर्टिकल का उद्देश्य जनसंचार माध्यमों के विविध प्रकार के लेखन से अवगत कराना हैं जिसमें समाचार पत्र पत्रिकाओं के लिए समाचारों के या फीचर लेखन भी महत्वपूर्ण कार्य हैं.
विविध ज्वलंत विषयों पर वैचारिक मंथन के लिए पाठकों के समक्ष एक विचार के रूप में प्रस्तुत सम्पादकीय लेखन.
समाचार पत्र में प्रकाशित किसी अंश अथवा समाचार को लेकर किसी पाठक की ओर से व्यक्त की गई प्रतिक्रिया तथा किसी विषय विशेष के प्रति पाठकों के ध्यानाकर्षण हेतु लिखा गया पाठक सम्पादक के नाम पत्र की लेखन विधा से परिचय कराना हैं.
हालांकि लेखन के और भी कई स्वरूप हैं लेकिन उनमें से कतिपय आवश्यक घटकों के बारे में आधारभूत जानकारी देना हैं.
फीचर लेखन का अर्थ क्या है (What is the meaning of feature writing Lekhan In Hindi)
फीचर लेखन अर्थात शब्दो द्वारा चित्राकन याने शब्द चित्र. भाव और भाषा के मिश्रित लेखन प्रस्तुति को शैली कहते है. यदि यह शैली मानवीय भावनाओ और उनकी अभिरुचि के अनुरूप मनोरजक ढग से प्रस्तुत की जाए तो उसे हम फीचर कह सकते है.
एक सर्वमान्य परिभाषा के अनुसार एक परिभाषा के अनुसार रोचक विषय का मनोरम और विशद प्रस्तुतीकरण ही फीचर है.
इसमें दैनिक समाचार, सामयिक विषय और बहुसख्यक पाठको की रूचि वाले विषय की चर्चा होती है. इसका लक्ष्य मनोरजन करना, सूचना देना और जानकारी को जन उपयोगी ढग से प्रस्तुत करना है.
फीचर लेखक घटना या विषय की जानकारी के अतिरिक्त अपनी प्रतिक्रिया अथवा विचारो से भी पाठक को अवगत कराता है और इस तरह पाठक की कल्पनाशक्ति और उसकी मनः स्थिति को भी प्रभावित करता है.
फीचर मे कथा तत्व की प्रधानता रहती है याने उसके लेखन या प्रस्तुति मे सरलता और प्रवाह दोनो ही होते है. सामान्य शब्दो मे कहे तो समाचार का काम तथ्य और विचार देकर खत्म हो जाता है.
जबकि फीचर का काम इससे आगे का होता है. यह समाचार की पृष्टभूमि का खुलासा करते है, विषय या घटना के जन्म और विकास का विवरण देते है.
फीचर के प्रकार (Types of Features In Hindi)
फीचर पत्रकारिता की एक बहुत ही विस्तृत विधा है. विषयों की विविधता और विस्तार को देखते हुए फीचर को निम्नलिखित प्रमुख श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता हैं.
- समाचार फीचर– ऐसे फीचर जिनका सम्बन्ध सीधे ही किसी समाचार से होता है, उसे समाचार फीचर कहा गया है. आज आधिक्य फीचर समाचार आधारित होते हैं. इसमें लेखक प्रस्तावना में ही मूल समस्या का उल्लेख कलात्मक और कथात्मक ढंग से आरंभ करता है. दैनिक समाचार पत्रों के साथ साथ पत्रिकाओं के लिए ही इस तरह के फीचर आज की जरूरत बन चुके हैं.
- मानवीय रुचिपरक फीचर- ऐसा माना जाता है कि मानवीय रुचियाँ एक समान नहीं होती हैं. सामूहिक रूप किसी समुदाय या समाज की सामान्यत रुचियों और व्यवहार में समानता के कतिपय बिंदु निर्धारित कर लिए जाते हैं. इन्हीं को आधार मान कर अभिरुचियों के विभिन्न पहलुओं पर लिखे गये फीचर मानवीय रुचिपरक फीचर कहलाते हैं.
- व्याख्यात्मक फीचर- कभी कभी समाचार पत्रों के लिए प्रेषित समाचार ऐसे भी होते हैं जिनमें घटना अथवा तथ्यों की व्याख्या आवश्यक महसूस होती है. सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं धार्मिक स्थितियों की तथा विविध समस्याओं की भावनात्मक दृष्टि से विवेचना करते हैं ऐसे फीचर व्याख्यात्मक फीचर कहलाते हैं.
- ऐतिहासिक फीचर- इतिहास के बारे में जानने की अभिरुचि मानव स्वभाव हैं. इसी जिज्ञासा वृत्ति और स्वाभाविक अभिरुचि के लिए तथ्याधारित कथात्मक प्रस्तुतिकरण ऐतिहासिक फीचर की श्रेणी में आते हैं.
- विज्ञान फीचर– वर्तमान में पत्र पत्रिकाओं में विज्ञान सम्बन्धी समाचारों और नये आविष्कारों के बारे में जानकारी का प्रकाशन अब अनिवार्य सा हो गया हैं. विज्ञान की उपलब्धियों, खगोलीय घटनाओं, चिकित्सा जगत की नई खोजों, इंटरनेट व संचार क्रांति आदि से जुड़े विषयों आदि पर केन्द्रित फीचर इस श्रेणी में आते हैं. इस श्रेणी के फीचर लेखन के लिए एक विशेष प्रकार की विशेष्यज्ञता जरुरी समझी जाती हैं.
- खेलकूद फीचर– समाचार पत्रों में खेल के पृष्ट युवा पीढ़ी के लिए काफी रुचिकर होते हैं. क्रीड़ा समीक्षक श्री विनोद श्रीवास्तव का कथन है कि खेलकूद का पृष्ट ही इस बात का प्रमाण है कि दिनचर्या का यह पक्ष समाचार पत्रों के लिए महत्वपूर्ण हैं. किसी राष्ट्रीय पर्व या स्थिति विशेष में भले ही पाठक की दृष्टि सम्बन्धित की ओर अधिक हो, किन्तु खेलकूद के प्रति रूचि व्यापक हैं. चाहे पाठक खिलाड़ी हो अथवा नहीं. अतः समाचारों से इतर खेल सम्बन्धी जानकारी को फीचर के स्वरूप किया जाता हैं.
- पर्वोत्सवी फीचर– भारत विविधताओं का देश है जिसमें विविध परम्पराओं का समावेश हैं. समय समय पर समाज अथवा लोकजीवन में अनेक पर्वो और उत्सवों का आयोजन किया जाता हैं. कई उत्सव राष्ट्रीय स्तर पर मनाए जाते है तो अनेक क्षेत्रीय होती हैं, किन्तु प्रत्येक उत्सव का अपना एक उत्सव हैं और उसकी पृष्टभूमि में कोई कथा अथवा इतिहास भी जुड़ा हैं, इन्ही सब को वर्तमान के साथ जोड़कर प्रासंगिक बनाने का कार्य भी फीचर के रूप में किया जा सकता हैं.
- विशेष घटनाओं पर आधारित फीचर– युद्ध, बाढ़, बम विस्फोट, हवाई दुर्घटना आदि पर आधारित फीचर किसी भी अखबार को विशिष्ट बना देते हैं. इस तरह के फीचर अब इलेक्ट्रानिक माध्यमों में भी खूब लोकप्रिय होने लगे हैं.
- व्यक्तिगत फीचर– किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति के व्यक्तित्व, कृतित्व या उसकी किसी सामयिक उपलब्धि पर आधारित फीचर इस श्रेणी में आते हैं.
- खोजपरक अथवा छानबीन पर आधारित फीचर– इस श्रेणी में वे फीचर सम्मिलित हैं जिनके लेखन के लिए विशेष रूप से छानबीन की जाती हैं. तथ्यों की खोज की जाती हैं. और लोगों से पूछताछ की जाती हैं.
- मनोरंजन फिल्म या सांस्कृतिक कार्यक्रमों से सम्बन्धित फीचर- इस तरह के फीचर भी काफी लोकप्रिय माने जाते हैं. क्योंकि ये सभी विषय मनोरंजन से सीधे साधे जुड़े हैं. फिल्म तो अपने आप में एक फीचर की ही विधा हैं सांस्कृतिक कार्यक्रमों और उत्सवों पर आधारित फीचर भी पाठकों और दर्शकों द्वारा पसंद किये जाते हैं.
- जनरूचि के विषयों पर आधारित फीचर– इस तरह के फीचर स्थानीय पाठक अथवा दर्शकों की रूचि को देखते हुए लिखे जाते हैं. स्थानीय समस्याओं, महंगाई, सामाजिक विषयों आदि पर केन्द्रित फीचर इस श्रेणी में आते हैं.
- फोटो फीचर– फीचर एक और लोकप्रिय विधा है फोटो फीचर. इसके तहत एक विषय पर आधारित विविध आयामों के साथ ली गई अनेक तस्वीरों का प्रयोग संक्षित मे उनका परिचय देकर सम्पूर्ण कहानी वर्णित की जा सकती हैं. वर्तमान में इस तरह का प्रयोग व्यापक स्तर पर हो रहा हैं.
- इलेक्ट्रानिक माध्यमों के फीचर– रेडियो तथा टेलीवीजन समाचारों में भी अब फीचर का खूब इस्तेमाल हो रहा हैं, रेडियो रूपक तो पहले से ही लोकप्रिय थे. लेकिन अब टेलीवजन में समाचार चैनल भी फीचर का उपयोग करने लग गये हैं. डिस्कवरी और नेशनल जियोग्राफिकल चैनलों के फीचर तो किसी भी दर्शक को बाँध लेते हैं. विषयवस्तु पर आधारित वर्गीकरण के अलावा भी फीचर की अनेक अन्य श्रेणियां हैं. वर्तमान में ग्राफिक्स आधारित फीचर भी काफी लोकप्रिय हैं. व्यंग्य और हास्य चित्रों पर आधारित रूपक का भी अलग स्वरूप हैं. तिथियों पर आधारित रूपक भी कम महत्वपूर्ण नहीं होते हैं. प्रसिद्ध व्यक्तियों के जन्म दिन, जयंती, प्रमुख राष्ट्रीय और धार्मिक पर्व आदि पर लिखे जाने वाले फीचर इस श्रेणी में आते हैं.
फीचर की रचना और लेखन (Creating and Writing Features In Hindi)
फीचर लेखन पत्रकारिता की एक ऐसी विधा है जिसमे लेखन को किसी खास सीमा मे नही बाधा जा सकता. फीचर रचना का मुख्य नियम यह है कि फीचर आकर्षक, तथ्यात्मक और मनोरजक होना चाहिए, मोटे तौर पर फीचर लेखन के लिए पाच मुख्य बातो का ध्यान रखा जाता है.
- तथ्यो का सग्रह– जिस विषय या घटना पर फीचर लिखा जाना है, उससे जुड़े, तथ्यों को एकत्र करना सबसे जरुरी काम है. जितनी अधिक जानकारी होगी, फीचर उतना ही उपयोगी और रोचक बनेगा. तथ्यो के सग्रह मे इस बात का भी खास ध्यान रखा जाना चाहिए कि तथ्य मूल स्रोत से जुटाए जाए और वह एकदम सही हो.
- फीचर का उद्देश्य– फीचर लेखन का दूसरा महत्वपूर्ण बिदु फीचर के उद्देश्य का निर्धारण है. किसी घटना या विषय पर लिखे जाने वाले फीचर का उद्देश्य तय किये बिना फीचर लेखन स्पष्ट नही हो सकता.
- प्रस्तुतीकरण– फीचर लिखने के लिए यह जरुरी चीज हैं. मुख्य रूप से फीचर लेखन में इस बात का महत्वपूर्ण तरीके से ध्यान रखना चाहिए कि फीचर मनोरन्जन के लिए हो. उसे सरल और आम बोलचाल में प्रयोग किया जाता हैं.
- शीर्षक और आमुख– किसी भी समाचार अथवा फीचर के लेखन के लिए उसका शीर्षक और आमुख को अच्छे तरीके से लिखा जाना चाहिए. एक अच्छे फीचर में यह खूबी होनी चाहिए कि वह न सिर्फ पाठकों को आकर्षित करने योग्य हो बल्कि जिज्ञासा और सार्थक हो.
- साज सज्जा– एक अच्छे फीचर लेखन में जब तक पूर्ण ना माना जाए कि वह जिसमें साज सज्जा ना हो. साथ ही एक अच्छे फीचर की विशेषता यह भी हैं कि इसमें उपयोग किये जाने वाले चित्र, रेखाचित्र और ग्राफिक्स आवश्यक पहलू हैं.
फीचर और लेख में अंतर (Differences in feature and article In Hindi)
पत्रकारिता में समाचारों के बाद लेख और फीचर का स्थान हैं. लेख और फीचर दोनों ही समान रूप से महत्वपूर्ण हैं. लेकिन दोनों का प्रभाव अलग अलग होता हैं.
फीचर पाठकों की रूचि के अनुरूप, किसी घटना या किसी विषय की तथ्यपूर्ण रोचक प्रस्तुति हैं गहन अध्ययन पर आधारित गम्भीर प्रमाणित लेखन, लेख की श्रेणी में आता हैं. फीचर दिल को प्रभावित करता हैं जबकि लेख दिमाग को.
फीचर एक प्रकार का गद्य गीत है जबकि लेख गम्भीर व उच्च स्तर की बहुआयामी गद्य रचना. फीचर किसी भी घटना या विषय के कुछ आयामों को छूता हैं
तो लेख उस घटना के हर पहलू को स्पर्श करता हैं. प्रस्तुत करता हैं. पत्रकार पी डी टंडन के अनुसार किताबे पढ़कर आकंडे जमा कर के लेख लिखा जा सकता हैं.
लेकिन फीचर को अपनी आँख, कान, भावों, अनुभूतियों, मनोवेगों और अन्वेषण का सहारा भी लेना पड़ता हैं. लेख लम्बा और गम्भीर हर व्यक्ति के अनुकूल न होते हुए भी प्रशंसनीय हो सकता हैं.
लेकिन ये बाते फीचर के लिए जानलेवा हैं. फीचर को रोचक, दिलचस्प और सबकी रूचि के अनुसार होना ही होता हैं.
लेख सामान्यतः किसी विशेष समस्या पर उसके लिए किसी विशेष पहलू का सूक्ष्म और गहन अध्ययन होता हैं. विषय की पृष्टभूमि के अध्ययन से लेख तो तैयार किया जा सकता हैं. लेकिन फीचर नहीं.
लेख और फीचर दोनों की ही शैली भी भिन्न होती हैं. लेख में लेखक को उपलब्ध आधार सामग्री के अनुसार गम्भीरतापूर्वक चीजे प्रस्तुत करनी होती हैं, मगर फीचर लेखक को जीवन और जीवन की समस्याओं पर अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करने की भी छूट होती हैं.