गुरु भक्ति पर कविता Guru Bhakti Poems In Hindi: गुरु अर्थात सत्य ज्ञान, उस ज्ञान की महिमा क्या करे जिसका सम्पूर्ण स्वरूप हम एक जीवन में तो नहीं जान सकते.
उनके आशीष वचन से जीवन तर जाते है गुरु के तिरस्कार से साम्राज्य भी स्वाहा हो जाते है जो चाणक्य का अपमान कर घनानन्द ने भुगता.
जीवन के व्यवहारिक ज्ञान की पहचान गुरु ही अपने शिष्य को कराता है जीवन की विभिन्न परिस्थतियों में जीने की कला हम गुरु से ही सीखते हैं.
आज के गुरु भक्ति के कविता शायरी के लेख में guru ke upar kavita आपकों बता रहे हैं.
Guru Bhakti Poems In Hindi
आज की guru par kavita Poem को हमने हिंदी के हास्य कवि श्री सुनील जोगी की रचना ली हैं. गुरु की महिमा, जीवन में गुरु के महत्व को इस शोर्ट कविता में अच्छे से बताया हैं,
हम उम्मीद करते है आपकों यह कविता अच्छी लगेगी. चलिए डॉ जोगी रचित यह गुरु भक्ति कविता पढ़ते हैं.
गुरु कविता 1#
पूज्य गुरुवर
ज्ञान चक्षु खोल दिए
कर दिया उपकार
तप से अपने , आपने
किया हमको साकार
अज्ञान का फैला था घोर तम
पूँजी ज्ञान की थी जो अलौकिक
दे कर उसे किया उपकार
गुरु है ज्ञान की
दिव्या ज्योति अलौकिक
स्वयं की आहुति दे
हमको दिया विद्या वरदान
विजयी घोष कर दिया
नव जीवन पथ का
आने वाले थे जिसमें संघर्ष अनेक ।
कैसे करूँ धन्यवाद सभी का
जिन्होंने नितदिन नव ज्ञान दिया
शीश झुक जाता है चरणों में उनके
जिन्होंने प्रेम सहित भरपूर ज्ञान दिया ।
poem on guru in hindi
“दिव्य ज्ञान की ज्योति जलाकर
मन को आलोकित कर दो
मुझको विद्या का धन देकर
जीवन को सुख से भर दो ।”
“ना शब्दों का ज्ञान
न अर्थों की गहराई आती है
इस दीपक में तेल नहीं है
केवल इसमें बाती है
जो अज्ञान का तम है मुझमें
अपनी आभा से हर दो
दिव्य ज्ञान की ज्योति जलाकर
मन को आलोकित कर दो”
“नवल चेतना, नव प्रकाश की
मुझ को कमी अखरती है
गुरु का जब आशीष मिले तब
पांव के नीचे धरती है
दान दया, आशीर्वचन का
मेरे शिक्षक, गुरुवर दो
दिव्य ज्ञान की ज्योति जलाकर
मन को आलोकित कर दो”
“शिक्षा रूपी दीप शिखा का
हो प्रकाश घर आंगन में
मानवता के पुष्प मनोहर
खिले रहें मेरे मन में
सदविचार की शक्ति भरी हो
वाणी को ऐसा स्वर दो
दिव्य ज्ञान की ज्योति जलाकर
मन को आलोकित कर दो”
“बिन गुरु यह जीवन है ऐसा
जैसे सृष्टि अधूरी है
जिस ने गुरु को पाया उस की
सारी इच्छा पूरी है
द्वार तुम्हारे खड़ा हुआ हूं
ज्ञानोदय वाला वर दो
दिव्य ज्ञान की ज्योति जलाकर
मन को आलोकित कर दो”
एक व्यक्ति के जीवन में गुरु कृतज्ञता का ऋण सबसे बड़ा होता है. सदा अपने गुरु के प्रति प्रार्थना का भाव रखिये तथा मन में उनके प्रति सच्ची श्रद्धा रखिये. गुरु गीत सुनील जोगी द्वारा रचित था, यह आपकों कैसा लगा हमें कमेंट कर जरुर बताएं.
गुरु पर कविता ( Guru Poem in Hindi )
नर पशु मे जो भेद बताये
वोही सच्चा गुरू कहलाएँ
जीवन की राह पे जो हमकोचलाना सिखाये
वोही सच्चा सदगुरु कहलाएँ
जो गम्भीरता का ज्ञान कराएं
वो ही सच्चा गुरु कहलाएँ
सकट मे जो हसना सिखाये
वोहीं सच्चा गुरु कहलाएँ
हर मुश्किल पर परछाई सा साथ निभाये
वोहीं सच्चा गुरु कहलाएँ
जिसे देख सम्मान में शीश झुक जाएँ
वोहीं सच्चा गुरु कहलाएँ.
गुरु शिष्य भक्ति पर कविता GURU Shishya POEMS IN HINDI
गुरु होना आसान नहीं
गुरु जैसा कोई महान नहीं,
गुरु के बिना यह जीवन है अधूरा
गुरु मिल जाए तो हो जाए हर मकसद पूरा,
गुरु ने अपना जीवन विद्या को सौंपा है
गुरु भगवान का दिया एक अमूल्य तोहफा है,
गुरु से ही सीखा है दुनिया का चक्रव्यूह
गुरु की वजह से ही पास किए है सारे इंटरव्यू,
गुरु से ही जीवन का अर्थ है
गुरु की शिक्षा बिना ये जीवन अधूरा है,
गुरु ही शिश्य का हुनर उभरते है
गुरु ही हमारी गलतियों को सुधारते है,
गुरु ही हमारे सच्चे मित्र है
गुरु बिना ये ज़िन्दगी बिना रंग के चित्र है,
गुरु के पास है सारी उलझनों का हाल
गुरु ने खिलाए है कीचड़ में भी कमल,
गुरु बिना कोई धर्म नहीं गुरु से अच्छा को कर्म नहीं,
गुरु से ही समाज की एकता है
गुरु सभी शिष्यों को एक ही नजर से देखता है,
गुरु है इस दुनिया के समंदर में हमारी नाव
जिन्होंने मदद की हमें पार करने में जीवन के हर पड़ाव,
यूंही आपका आशीर्वाद बनाए रखना
ताकि जीवन के किसी पड़ाव पे ना पड़े हमें भटकना।
टीचर्स डे, शिक्षक दिवस हिंदी कविता गुरु भक्ति पर
गुरु चरणों की वन्दना, करते बारम्बार।
अर्पित कर श्रद्धा सुमन,हर्षित सब नर नार।
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अनगढ़ माटी के घड़े ,बन इस जग में आय।
संस्कार की सीख से ,जीवन दिया तपाय।
प्रथम गुरू माता पिता,दूजा ये संसार।
गुरु कृपा यदि साथ तो,जीवन धन्य अपार।
गुरु चरणों की वन्दना, करते बारम्बार।
अर्पित कर श्रद्धा सुमन,हर्षित सब नर नार।
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दूर करे मन का तमस,करे दुखों का नाश।
अध्यातम की लौ जला,उर में भरे प्रकाश।
गुरु बिन ये मन नहि सधे,गुरू ज्ञान भंडार।
मिले गुरू आशीष जब,भवसागर से पार ।
गुरु चरणों की वन्दना, करते बारम्बार।
अर्पित कर श्रद्धा सुमन,हर्षित सब नर नार।।
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श्रद्धा अरु विश्वास से ,चित्त साध लें आज।
गुरु कृपा बिन होय कब,पूरन मङ्गल काज।
गुरू बिना हम कुछ नहीं,गुरु जीवन आधार।
अन्तस में जोती जले,महिमा अपरम्पार।
गुरु चरणों की वन्दना, करते बारम्बार।
अर्पित कर श्रद्धा सुमन,हर्षित सब नर नार।।
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एक गुरु के शिष्य
शिष्य एक गुरु के हैं हम सब,
एक पाठ पढ़ने वाले।
एक फ़ौज के वीर सिपाही,
एक साथ बढ़ने वाले।
धनी निर्धनी ऊँच नीच का,
हममे कोई भेद नहीं।
एक साथ हम सदा रहे,
तो हो सकता कुछ खेद नहीं।
हर सहपाठी के दुःख को,
हम अपना ही दुःख जानेंगे।
हर सहपाठी को अपने से,
सदा अधिक प्रिय मानेंगे।
अगर एक पर पड़ी मुसीबत,
दे देंगे सब मिल कर जान।
सदा एक स्वर से सब भाई,
गायेंगे स्वदेश का गान।
शब्द कम पड़ जाते हैं
कैसे करूं आपकी तारीफ शुरू
इतना कह सकती हूं आपके लिए
कलयुग में भगवान की मूरत है गुरु!!
Thank you ?