अंतरिक्ष के बारे में जानकारी- Information About Space In Hindi

आपका स्वागत हैं. अंतरिक्ष के बारे में जानकारी- Information About Space In Hindi में हम जानेगे अंतरिक्ष क्या है इसकी खोज कब और कैसे की गई.

अन्तरिक्ष विज्ञान और शोध के सिद्धांत और परिकल्पनाएं क्या हैं. साथ ही हम अंतरिक्ष के बारे में कुछ रोचक तथ्य भी पढ़ेगे.

अंतरिक्षविज्ञान (खगोलशास्त्र) का जन्म किस देश में और किस समय हुआ होगा, इस विषय पर सभी विद्वान एकमत नही है. प्रारम्भ में यह केवल निरिक्ष्नात्मक रहा होगा.

लेकिन क्रमशः वैज्ञानिक स्वरूप पाकर वह वर्तमान में खगोल विज्ञान बन गया. इस विधा का चरमोत्कर्ष मिश्र के पिरामिडों द्वारा लगभग ईसा पूर्व 2500 वर्ष पूर्व स्थापित हुआ था.

अंतरिक्ष के बारे में जानकारी- Information About Space In Hindi

अंतरिक्ष के बारे में जानकारी- Information About Space In Hindi

प्राचीनकाल से ही मानव ब्रह्मांड के बारे में जानने के लिए प्रयत्नशील रहा है. सभ्यता के प्रारम्भिक काल में पृथ्वी से आकाश की गतिविधियों को देख पाना संभव नही था.

किन्तु लम्बें समय तक इन आकाशीय पिंडों की गतिविधियों को देखकर प्राप्त निष्कर्षों की सहायता से मानव ने पुरानी मान्यताओं को गलत साबित कर दिया है. खगोलशास्त्रियों ने विश्व के सामने कई नयें सिद्धांत और परिकल्पनाएं पेश की है.

अन्तरिक्ष या खगोलीय खोज में भारत की प्राचीन सभ्यताओं सहित, मेसोपोटामिया, मिश्र, चीन और यूनान का योगदान रहा है. मानव ने पुरातन काल से ही कई यंत्रों की सहायता से सौर मंडल, ग्रहों एवं तारों के बारे में जानकारी प्राप्त की.

राकेट की सहायता से कई अंतरिक्ष याँ अंतरिक्ष में भेजे गये थे. यहाँ हम About Space In Hindi में प्राचीन व नवीन अंतरिक्ष खोज की जानकारी प्राप्त करेगे.

क्या है अंतरिक्ष इसके बारे में जानकारी

परिभाषा के रूप में उस पिंड को अंतरिक्ष कहते है जो पृथ्वी से दूर शून्य होता हैं. प्राचीन भारत के संस्कृत और वैदिक साहित्य में अंतरिक्ष शब्द का प्रयोग कई बार आता हैं.

वैदिक साहित्य में इसका अर्थ तारे, सूर्य और द्युक लोक के मध्य के भाग को अंतरिक्ष कहा जाता हैं. वेदों में इसका प्रयोग द्यावा और पृथ्वी के साथ देखने को मिलता हैं.

इस तरह प्राचीन भारतीय ग्रंथों के अनुसार अंतरिक्ष में वायुमंडल को भी सम्मिलित कर सकते हैं. मगर आधुनिक परिभाषा में अंतरिक्ष में वायुमंडल को इसके अंतर्गत नहीं माना जाता हैं.

बहरहाल जो भी हो अंतरिक्ष का आकार इतना बड़ा है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. खगोल विज्ञान के मुताबिक़ स्पेस एक थ्रीडी अर्थात त्रिविमीय क्षेत्र है जिसकी शुरुआत पृथ्वी के वायुमंडल की समाप्ति से होती हैं.

यह उस ऊंचाई पर हैं जहाँ से कोई भी ग्रह पृथ्वी की सीमा में बिना गिरे स्वयं को अपनी कक्षा में बनाए रखते हैं.

अंतरिक्ष खोज का इतिहास (space travel information essay & exploration history)

अभी तक प्रमाणों के आधार पर ऐसा ज्ञात हुआ है, कि पिरामिड के निर्माण के संबंध तारों की दिशा और गति को जानने के लिए किया गया था. गीजा के महान पिरामिड का ध्रुव तारे की सिध में होना इस बात का प्रमाण है.

मिश्र व चीन का खगोल इतिहास स्पष्ट रूप से ज्ञात नही हो सका है फिर भी चीन में खगोलीय ज्ञान की शुरुआत ईसा पूर्व छठी शताब्दी से आंकी गई है. सम्पूर्ण एशिया के लिए चीनी खगोलीय विज्ञान बहुत महत्वपूर्ण था.

वैज्ञानिकों का विचार है कि विश्व में सबसे पहले तारों की तालिका चीन में ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में तैयार हुई थी. इसी आधार पर पश्चिमी अंतरिक्ष विज्ञान का प्रारम्भ यूरोप के यूनान में संभव हुआ.

भारत के खगोलविद भी अंतरिक्ष की जानकारी प्राप्त करने के लिए प्राचीनकाल से ही प्रयत्नशील रहे है. जिनमें प्रमुख रूप से आर्यभट्ट, वराहमिहिर, भास्कराचार्य द्वितीय आदि है.

आर्यभट्ट भारत के महान खगोलविद थे. जिनकी मान्यता थी कि पृथ्वी गोल है, इन्होने पृथ्वी स्थिर नही है. इस बात ईसा पूर्व पाँचवी शताब्दी में ही बता दी थी.

इसके घूमने के कारण हमे लगता है, कि तारे उदय व अस्त होते है. उन्होंने पृथ्वी की परिधि लगभग 24835 मील बताई थी. जो कि आधुनिक काल में भूवैज्ञानिकों द्वारा बताई गई परिधि 24901 मील के लगभग बराबर है.

आर्यभट्ट (Aryabhata) ने चन्द्रग्रहण का कारण चन्द्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ना बताया था, जो अटल सत्य है. भारत द्वारा अन्तरिक्ष में भेजे गये प्रथम कृत्रिम उपग्रह का नाम आर्यभट्ट रखा गया था.

यूनान में भी ईसा पूर्व चौथी सदी से अंतरिक्ष ज्ञान विज्ञान का विकास होने लगा. इसमें प्रमुख दार्शनिक प्लेटो, अरस्तु और टालेमी थे. उस समय माना जाता था कि पृथ्वी केंद्र में है और सूर्य इसके चारों ओर वृताकार मार्ग में चक्कर लगाता है.

यह धारणा 16 वीं सदी तक बनी रही जिसे कोपरनिकस (Copernicus) ने गलत साबित किया. पृथ्वी की सही परिधि का आकलन इराटोस्थनेस (Arthostosis) ने ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में किया था.

भारत के प्रसिद्ध खगोलशास्त्रियों में भास्कराचार्य द्वितीय प्रसिद्ध है. इनका जन्म 1114 ईसा में हुआ था. इस विद्वान ने मात्र 36 वर्ष की आयु में सिद्धांत शिरोमणी नामक ग्रंथ की रचना की. उनका मानना था कि पृथ्वी गोलाकार है तथा अपने गुरुत्वाकर्षण किए कारण सभी चीजों को अपनी ओर खिचती है.

इससे स्पष्ट है, कि भारतीय खगोलशास्त्रियों ने पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत, पृथ्वी के घूर्णन तथा परिक्रमण आदि का प्रतिपादन न्यूटन से कई सदियों पूर्व ही कर लिया था. भास्कराचार्य के ग्रंथों में अंकगणित, बीजगणित, ज्यामितिशास्त्र आदि का विस्तृत वर्णन है.

अंतरिक्ष के बारे में रोचक तथ्य (Interesting facts about space)

युरी गैगरिन अंतरिक्ष की सैर करने वाले पहले इंसान थे. 1961 में उन्होंने स्पेस का चक्कर लगाया था. SPACE में वायु का अभाव है जिस कारण बिना ऑक्सीजन के व्यक्ति दो मिनट से अधिक जीवित नही रह पाता है.

SPACE आवाजशून्य है, यहाँ तक कि व्यक्ति स्वयं की आवाज भी नहीं सुन पाता है. वायुमंडल के अभाव के कारण ऐसा होता है. यहाँ से सूर्य व पृथ्वी काली नजर आती है.

अमेरिका द्वारा स्पेस में एक बार हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण किया गया था. यह जापान पर गिराए गये परमाणु से सैकड़ो गुना अधिक प्रभावशाली है.

USA के सहयोग से ही अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण किया गया है. वैज्ञानिकों की माने तो यहाँ पर 15 बार सूर्य अस्त व उदय होता है.

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