आज भारत 25 वां कारगिल विक्ट्री डे मना रहा है, 26 जुलाई को हर साल यह दिवस मनाया जाता है, आज के लेख में हम कारगिल विजय दिवस पर निबंध 2024 Kargil Vijay Diwas Essay in Hindi का यह आर्टिकल बता रहे है.
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कारगिल विजय दिवस पर निबंध 2024 Kargil Vijay Diwas Essay in Hindi
कब मनाया जाता है कारगिल दिवस When is Kargil Victory Day celebrated Essay
भारत पाकिस्तान के साथ 1947 से लेकर आज तक चार बड़ी जंग लड़ चूका है. चारो बार ही भारतीय सेना ने अपने पराक्रम और वीरता का परिचय देते हुए पाकिस्तान को पटखनी दी थी, दोनों देशों के मध्य अंतिम युद्ध आज से 21 साल पूर्व कारगिल घाटी में हुआ था.
आज ही के दिन 26 जुलाई 1999 को इंडियन आर्मी ने ऑपरेशन विजय चलाकर पाकिस्तानी घुसपैठियों को कारगिल घाटी में हराकर कब्जा कर लिया था. इसलिए इस दिन को हर साल कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है.
(कारगिल विजय दिवस पर निबंध) Kargil Vijay Diwas Essay in Hindi
26 जुलाई 1999, भारत के इतिहास के महत्वपूर्ण एवं गौरवशाली दिनों में से एक था, जब भारत ने पाकिस्तान को हराकर कारगिल युद्ध जीता था. उस दिन से लेकर हर साल 26 जुलाई को कारगिल दिवस के रूप में मनाया जाता हैं.
जम्मू कश्मीर में सबसे अधिक उंचाई वाले स्थानों में से एक कारगिल पर पाकिस्तानी सेना ने कई महीनों की पूर्व तैयारी के बाद आक्रमण कर दिया था, भारतीय इंटेलिजेंस ने पाकिस्तान की करतूत को अंजाम देने के कई महीने पूर्व से ही असफल करने की योजना बना ली थी.
संसार की सबसे युद्ध स्थली के रूप में भी कारगिल घाटी को जाना जाता है, अमूमन अधिक उंचाई पर अवस्थित होने के कारण मौसम खराब रहता है तथा श्वास लेने में कठिनाई यहाँ आम बात है.
इन सबके उपरान्त श्रीनगर से दौ सो किमी दूर टाइगर हिल पर लड़े गये इस युद्ध में भारतीय सेना ने ऐसे विकट समय में पाक आर्मी को रौदा जब यहाँ रात बहुत ठंडी हुआ करती थी, रात का तापमान 50 डिग्री माइन्स में हुआ करता था.
1998-99 में पाकिस्तान की कायर आर्मी ने सर्दियों के मौसम में खराब परिस्थितियों का लाभ उठाने के लिए सियाचिन ग्लेशियर को अपने कब्जे में लेने की नियत से अपनी सैनिक टुकड़ियों को भेजना शुरू कर दिया था.
भारत द्वारा पाकिस्तान की ओर से भेजे जा रहे ट्रूप्स के सम्बन्ध में सवाल किया गया तो पाक की ओर से कहा गया ये पाक रेंजर्स नहीं बल्कि मुजाइद्दीन है.
उस समय पाकिस्तान में परवेज मुशरफ का शासन था, जो सेना के जरिये सत्ता में आए थे वे अंतर्राष्ट्रीय दवाब और सैनिक कार्यवाही से भारत से जम्मू कश्मीर को हडपने के अभियान पर लगे हुए थे.
सियाचिन बेहद दुर्गम स्थल है जहाँ किसी सैनिक द्वारा निहत्थे चढाई भी विकट है ऐसे में हथियार लेकर पहाड़ की चोटी पर दुश्मन का सामना करना वाकई भारतीय वीर सैनिकों के शौर्य और पराक्रम का अद्भुत परिचय था.
पाक आर्मी अपनी योजना के तहत एलओसी के भारतीय क्षेत्र में घुस गई, स्थानीय चरवाहों द्वारा भारतीय सेना को इसकी सूचना मिलने के बाद भारत ने लद्दाख में अतिरिक्त सैनिको को कारगिल की ओर रवाना किया.
इस तरह दोनों सेनाओं के मध्य कारगिल लड़ाई शुरू हो गई. कुछ समय बाद ही भारतीय वायुसेना ने मोर्चा सम्भाल किया, दो तरफी मार पड़ने के बाद पाकिस्तानी आर्मी को मजबूरन पीछे हटना पड़ा.
अंतर्राष्ट्रीय दवाब और भारतीय सेना की कार्यवाही के बाद पाकिस्तान को उन इलाकों से वापिस लौटना पड़ा, जिसे उसने कब्जा करने की नियत से सैनिक ट्रूप्स भेजे थे. भारतीय सेना ने इस अभियान को ऑपरेशन विजय का नाम दिया.
लगभग तीन महीने तक दोनों सेनाएं आमने सामने रही और आखिर 26 जुलाई 1999 को भारत की विजय हुई और इस दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.
कारगिल विजय दिवस का महत्व Importance of Kargil Victory Day Kargil fight in Hindi
प्रत्येक देश के अपने कुछ एतिहासिक दिवस होते है जब उस राष्ट्र के नागरिकों को अपने वतन पर अभिमान करने के अधिक तम अवसर प्राप्त हो. अपने इतिहास के गौरव और पराक्रम की गाथाएं सुनहरे भविष्य की नींव डालती हैं.
हमारे बच्चों के लिए देश के जाबाज वीरों ने एक से बढ़कर ऐसी शौर्य गाथाएं प्रस्तुत की हैं. बलिदान और अद्भुत पराक्रम के ऐसे उदाहरण भारत के वीरों को अपनी मातृभूमि के लिए सर्वस्व त्याग के लिए सदैव प्रेरित करती रहेगी.
पाकिस्तान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन के बाद वैश्विक समुदाय में उसकी साख को गहरी चोट पहुंची तथा भारत और भारत की सेना के पराक्रमी शौर्य के प्रदर्शन के लिए दुनिया ने प्रशंसा की.
देश के लिए कारगिल युद्ध में 2 लाख जाबाजों ने अपना पराक्रम दिखाया था. युद्ध की समाप्ति तक भारत को 550 वीरों का बलिदान देना पड़ा तथा 1400 यौद्धा घायल हुए.
कारगिल विजय दिवस के अवसर पर देश के प्रधानमंत्री अमर जवान ज्योति पर बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजली अर्पित करते है. देशभर में कारगिल डे को हर्षोल्लास के साथ विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है तथा भारतीय सेना को सेल्यूट किया जाता हैं, जो न केवल हमारी सीमाओं की रक्षा करती है बल्कि कुदरत के कहर से बचाने के लिए हरदम अपना सर्वश्रेष्ठ देती है.
कारगिल युद्ध का इतिहास History of Kargil fight in Hindi
वर्ष 1971 में भारत ने बांग्लादेश युद्ध में पाकिस्तान को करारी शिकस्त देने के साथ ही दो टुकड़े भी किये तथा 93 हजार सैनिकों को सरेंडर करवाकर दुनियाभर में पाकिस्तानी आर्मी को हंसी का विषय बना दिया था.
पाकिस्तान अपनी वैश्विक बेइज्जती का बदला लेने के लिए दिन रात षड्यंत्र रचने लगा. भारत से प्रत्यक्ष युद्ध और कश्मीर और पंजाब में आतंकवाद की योजनाओं को समांतर चलाया जाने लगा.
1971 युद्ध के दौरान सियाचिन के आसपास अपने अपने इलाकें में दोनों सेनाओं के अपने अपने पोस्ट थे. 1980 में सीमा पर बढती झडपे 1990 में पाकिस्तान परस्त आतंकवाद और कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के बाद पाकिस्तान ने यह गलत फहमी पाल रखी थी,
कि अब कश्मीर की आम जनता उसके साथ है और ऐसे में वह कश्मीर को आसानी से हथिया सकता है. 1998 में दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण के बाद माहौल और गरमा गया था.
ओपरेशन अल बदर के तहत पाक आर्मी ने एक विशाल सेना को प्रशिक्षण देकर 1998-99 के ठंड के मौसम में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ कराना शुरू कर दिया था.
पाक आर्मी ने इन्हें मुजाइदीन का नाम देकर विश्व की नजरों में एक बार फिर कश्मीर की ओर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया गया, मगर पाकिस्तान की यह बाजी उल्ट उसके ही गले पड़ गई और उन्हें कारगिल में करारी शिकस्त झेलनी पड़ी.