खुले में शौच मुक्त गाँव हिंदी निबंध | Khule Me Soch Mukt Gaon Par Nibandh

आज हम Khule Me Soch Mukt Gaon Par Nibandh (खुले में शौच मुक्त गाँव) के इस हिंदी निबंध के जरिये, स्वच्छ भारत अभियान के मुख्य लक्ष्य खुले में शौच मुक्त भारत के सरकारी अभियान एवं आमजन के सहयोग से हम किस तरह से घर घर शौचालय निर्माण तथा उसके समुचित उपयोग पर इस निबंध में आपकों जानकारी दे रहे हैं.

खुले में शौच मुक्त गाँव हिंदी निबंध

खुले में शौच मुक्त गाँव हिंदी निबंध | Khule Me Soch Mukt Gaon Par Nibandh

ODF Free India ODF Free Village Short Essay Speech

खुले में शौच मुक्त भारत निबंध (250 शब्द)

जिस घर में स्वच्छता होती है वहां पर हमेशा मां लक्ष्मी जी विराजमान होती है, अगर हम इसी काम को अपने आसपास के इलाकों में भी करना चालू कर दें तो जल्दी से हम अपने आसपास को इलाकों को स्वच्छ बना सकते हैं।

भारत का एक आदर्श और जिम्मेदार नागरिक होने के नाते सभी व्यक्तियों का यह कर्तव्य बनता है कि हम खुले में शौच करना बंद करें। इसके साथ ही ऐसे लोगों को भी खुले में शौच करने के नुकसान बताएं जो खुले में शौच करते हैं।

इंडियन गवर्नमेंट के द्वारा खुले में शौच करने के लोगों की आदत को बदलने के लिए कई स्कीम चलाई जा रही है जिसके अंतर्गत गवर्नमेंट के द्वारा ऐसे लोगों को घर में टॉयलेट बनाने के लिए ₹12000 की आर्थिक सहायता दी जा रही है जिनके घर में टॉयलेट नहीं है ताकि वह अपने घर में इज्जत घर का निर्माण कर सकें और खुले में शौच करना बंद कर सकें।

खुले में शौच करने से हमें कई प्रकार की बीमारियां होती हैं और उन तमाम प्रकार की बीमारियों से बचने के लिए हमें खुले में शौच नहीं करना चाहिए साथ ही किसी भी व्यक्ति को खुले में शौच के लिए नहीं जाने देना चाहिए।

स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार तो प्रयास कर ही रही है साथ ही हमें भी अपने स्तर से हरसंभव प्रयास लोगों को जागरूक करने के लिए करना चाहिए।

अगर हमारे आसपास स्वच्छता होगी तो हमें जल्दी कोई बीमारी नहीं होगी क्योंकि अधिकतर बीमारियां गंदगी के कारण ही फैलती है। इसलिए स्वच्छता बनाए रखें और शौच के लिए घर में बने टॉयलेट का इस्तेमाल करें।

खुला शौचमुक्त गाँव (Khule Me Soch Mukt Gaon Essay In 400 Words In Hindi)

खुला शौचमुक्त से आशय-

गाँव, ढाणियों तथा कच्ची बस्तियों में लोग खुले में शौच करते है. पेशाब तो किसी भी गली या रास्ते पर ही कर देते है. इस बुरी आदत से गाँवों में गंदगी रहती है.

इससे उन क्षेत्रों में भयानक संक्रामक बीमारियाँ फ़ैल जाती है. अतः खुला शौचमुक्त का आशय लोगों को इस बुरी आदत से छुटकारा दिलाना और खुले में मल मूत्र त्याग न करना हैं.

सरकारी प्रयास-

देश में स्वच्छता की कमी को देखकर प्रधानमंत्री मोदीजी ने 2 अक्टूबर 2014 को गांधी जयंती के अवसर पर स्वच्छता अभियान प्रारम्भ किया. इसी के अंतर्गत ग्रामीण स्वच्छता मिशन के माध्यम से लोगों को खुला शौचमुक्त करने का नारा दिया गया.

केंद्र सरकार ने गाँवों के BPL, लक्षित लघु सीमान्त एवं भूमिहीन श्रमिक आदि को घर में शौचालय बनाने के लिए परिवार को बारह हजार रूपये देना प्रारम्भ किया हैं.

सरकार के इस प्रयास से अनेक गाँवों में शत प्रतिशत शौचालय बन गये हैं. सन 2022 तक गाँवों को पूरी तरह खुला शौचमुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया हैं.

जनजागरण-

गाँवों में खुले में मल मूत्र त्याग के निवारण हेतु जन जागरण जरुरी हैं, स्वच्छ ग्रामीण मिशन एवं ग्राम पंचायतों के माध्यम से प्रयास किये जा रहे है.

ग्रामीण स्त्रियों को स्वच्छता का महत्व बताकर प्रोत्साहित किया जा रहा हैं. इस कार्य में सभी प्रदेश सरकारों, समाज के प्रतिष्ठित लोग और बड़े कोर्पोरेट सेक्टर सहयोग सहायता दे रहे हैं.

हमारा योगदान-

देश के नागरिक होने के नाते हम सभी का कर्तव्य है कि हम स्वयं खुले में मल मूत्र का त्याग न करें. हम गाँवों में जाकर लोगों को समझाए और उन्हें सरकारी आर्थिक सहायता दिलाकर शौचालय निर्माण के लिए प्रेरित करे.

इसके साथ ही श्रमदान द्वारा गाँव की नालियों एवं पेयजल के स्थानों की सफाई करे. स्वास्थ्य रक्षा की दृष्टि से इसका महत्व समझाए.

महत्व/उपसंहार-

आम जनता के स्वास्थ्य, रहन सहन स्वच्छता आदि की दृष्टि से ग्रामीण क्षेत्रों में खुला शौचमुक्त होने का सर्वाधिक महत्व हैं. इससे पर्यावरण प्रदूषण भी कम होगा और गांधीजी का क्लीन इंडिया का सपना साकार होगा.

खुले में शौच मुक्त गाँव निबंध (500 शब्द)

खुला में शौच मुक्त का आशय व अर्थ- खुला शौच मुक्त को सरल भाषा में कहे तो खुले में शौच क्रिया से मुक्त होना इसका आशय हैं. ऐसा गाँव जहा लोग बाहर खेतों में या जंगलों में शौच के लिए न जाते हो, घरों में ही शौचालय हो, खुला शौच मुक्त गाँव कहा जा सकता हैं.

खुले में शौच करने से मुक्‍त ग्राम अभियान

गाँवों में खुले शौच के लिए जाने की प्रथा सदियों पुरानी हैं. जनसंख्या सिमित होने तथा सामाजिक मर्यादाओं का सम्मान किये जाने के कारण इस प्रथा से कई लाभ भी जुड़े हुए थे. गाँव से दूर शौच किये जाने की क्रिया से मैला ढ़ोने के काम से मुक्ति तथा स्वच्छता दोनों का साधन होता था. मल स्वतः विकृत होकर खेतों में खाद की तरह काम करता था.

पर आज की परिस्थतियाँ में खुले में शौच, रोगों को खुला आमंत्रण बन गया हैं. साथ ही इससे उत्पन्न महिलाओं की असुरक्षा ने इसे विकट समस्या बना दिया हैं. अतः इस परम्परा का यथाशीघ्र समाधान, स्वच्छता स्वास्थ्य एवं महिला सुरक्षा की द्रष्टि से परम आवश्यक हो गया हैं.

खुले में शौच मुक्त गाँव बनाने के सरकारी प्रयास

कुछ वर्ष पूर्व तक इस दिशा में सरकारी प्रयास शून्य के बराबर थे. गाँवों में कुछ सम्पन्न तथा सुरुचि युक्त परिवारों में ही घरों में शौचालयों का प्रबंध था. वह भी केवल महिला सदस्यों के लिए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब ग्रामीण महिलाओं के लिए और विशेषकर किशोरियों के साथ होने वाली लज्जाजनक घटनाओं पर ध्यान दिया तो स्वच्छता अभियान के साथ खुला शौच मुक्त गाँव अभियान को भी जोड़ दिया. इस दिशा में सरकारी प्रयास निरंतर चल रहे हैं.

घरों में शौचालय बनाने वालों को सरकार की ओर से आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही हैं. समाचार पत्रों तथा टीवी विज्ञापनों में प्रसिद्ध व्यक्तियों द्वारा बड़े मनोवैज्ञानिक ढंग से घरों में शौचालय बनाने की प्रेरणा दी जा रही हैं.

खुले में शौच मुक्त भारत बनाने के लिए जन जागरण

किसी प्राचीन कुप्रथा से मुक्त होने में भारतीय ग्रामीण समुदाय को बहुत हिचक होती हैं. उन पर सरकारी प्रयासों की उपेक्षा, अपने बीच प्रभावशाली व्यक्तियों तथा धर्माचार्यों तथा मनोवैज्ञानिक प्रेरणाओं का प्रभाव अधिक पड़ता हैं. अतः खुले में शौच की समाप्ति के लिए जन जागरण परम आवश्यक हैं.

इसके लिए कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं भी कार्य कर रही हैं. इसके साथ ही धार्मिक आयोजनों में प्रयोक्ताओं द्वारा इस प्रथा के परिणाम की प्रेरणा दी जानी चाहिए. शिक्षक छात्र छात्राओं के द्वारा प्रदर्शन का सहारा लेना चाहिए. गाँव के शिक्षित युवाओं को इस प्रयास में हाथ बटाना चाहिए.

ऐसे जन जागरण के प्रयास मिडिया द्वारा तथा गाँव के सक्रिय किशोरों और युवाओं द्वारा किये जा रहे हैं. खुले में शौच करते व्यक्ति को देखकर सिटी बजाना ऐसा ही रोचक प्रयास हैं.

भारत को खुले में शौच से मुक्त बनाने में हमारा योगदान

हमारा छात्राओं शिक्षक राजनेता व्यवसायीयों, जागरूक नागरिकों आदि सभी लोग सम्मिलित हैं. सभी के सामूहिक प्रयास से इस बुराई को समाप्त किया जा सकता हैं.

ग्रामीण जनता को खुले में शौच से होने वाली हानियों के बारे में समझाना होगा, उन्हें यह बताया जाना चाहिए कि इससे रोग फैलते है.

और धन व समय की बर्बादी होती हैं. साथ ही यह एक अशोभनीय आदत हैं. यह महिलाओं के लिए अनेक समस्याएं और संकट खड़े कर देता हैं. घरों में छात्र छात्राएं अपने माता पिता आदि को इससे छुटकारा पाने के लिए प्रेरित करे.

उपसंहार-

खुले में शौच मुक्त गाँवों की संख्या निरंतर बढ़ रही हैं. सरकारी प्रयासों के अतिरिक्त ग्राम प्रधानों तथा स्थानीय प्रबुद्ध और प्रभावशाली लोगों को आगे आकर इस अभियान में रूचि लेनी चाहिए.

इससे न केवल ग्रामीण भारत को रोगों, बीमारियों पर होने वाले व्यय से मुक्ति मिलेगी, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि भी सुधरेगी.

Leave a Comment