डॉ भीमराव अंबेडकर पर कविता Poem On Dr Br Ambedkar In Hindi : आज अम्बेडकर जयंती हैं. आज ही के दिन 14 अप्रैल 1891 को महाराष्ट्र के महू में माँ भारती के एक सपूत ने जन्म लिया था.
इन्हें हम सम्मान से बाबा साहब, कलम के बादशाह, दलितों के मसीहा, संविधान के शिल्पी आदि उपनामों से पुकारते हैं.
पिछड़ी जाति में जन्में डॉ भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन की तमाम चुनौतियों से डटकर मुकाबला किया और उच्च शिक्षा हासिल कर सम्मानित स्थान हासिल कर दलितों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी और कामयाबी भी हासिल की.
Poem On Dr Br Ambedkar In Hindi डॉ भीमराव अंबेडकर पर कविता
सभी साथियों को जय भीम ! बाबा साहब की जयंती के अवसर पर आपका दोस्त कुछ बेहतरीन हिंदी कविताओं का संग्रह आपके लिए लेकर आया हैं.
भीमराव जी के जीवन पर आधारित इन कविताओं को बच्चों तक जरुर पहुचाएं. हमारी पीढ़ी सुखी रहे इस लिए पुरखो ने क्या क्या कष्ट सहे,
यह सब कुछ बाबा साहब पर लिखी कविताओं में अवश्य देखने को मिलता हैं. चलिए आपकी पसंद की कुछ कविताएँ पढ़ते हैं.
बाबासाहेब अम्बेडकर पर कविता Ambedkar Jayanti Poem in Hindi – Poems on Ambedkar Jayanti
भारत के संविधान की कि थी जिसने रचना
ऐसे वीर की सोच से, हर बुराई को है बचना
अच्छी सोच के आड़े, जो कोई भी आता है
फिर सही पथ पर ही निकल जाता है.
बताया सबने मगर इन्होने दिखाया करके
बढ़ चले वो आगे, फिर सब जातियों को एक करके
ना मोह का बंधन ना थी जिसमें लालच की आग
निडर होकर लिया, जिन्होंने हर परिस्थिति में भाग
जो बरसे अंगारे या बरसी शब्दों की मार
चुप न बैठे वो कभी मान कर अपनी हार
ऐसे वीर युगों युगों में एक ही आते
प्रदर्शन कर अपने गुणों का वो अनोखा इतिहास रचाते है
मेरी तुम्हारी कुछ नहीं, उन्होंने समझा हमारा
कुछ ना लिया तुमसे फिर भी कर दिया सब कुछ तुम्हारा
जाति धर्म की लड़ाई में बट गया था ये भारत देश हमारा
अपने जीवन की ऊर्जा से उन्होंने फिर सबका जीवन था संवारा
सहते वो कब तक सबकी
जो लगी हवाओं में भेदभाव की झपकी
ओढ़ी उन्होंने फिर बौद्ध धर्म की चादर
सिखाया इस दुनिया को फिर प्यार से आदर
भेद भाव कर आपस में बड़ा तो
कोई कुछ हासिल नहीं कर पाता हैं.
नफरत की आग की ज्वाला
सच्चे धर्म के बीज को जलाता हैं.
– मेहरोत्रा गुप्ता
अम्बेडकर की कहानी, Poem On Br Ambedkar In Hindi
अम्बेडकर की क्या है कहानी,
सुनो सब आज हमारी जुबानी,
जाति का वेद-भाव बहुत था देश में,
ये सब अम्बेडकर ने देखा था स्कूल में,
मन में बहुत अच्छा करने की चाह रहे थे,
पर बचपन में कुछ कर नहीं सकते थे,
सोचा की कुछ बदलाओ करेंगे,
जाति-वाद को जड़ से खतम करेंगे,
खूब मन लगाकर अपनी पढ़ाई पूरी की,
दलित लोगो को समानता प्रदान की,
देश को बताया हर जाति समान हैं,
कोई जाति किसी की मोहताज नहीं है,
नए कॉलेजों का उद्घाटन करवाया,
शिक्षा को नई दिशा का मार्ग दिखलाया,
जीवन भर अछूतों के अधिकारों के लिए खड़े रहे,
हरिजनों को अधिकार देने के लिए सशक्त रहे,
भारतीय संविधान बनाने का महान कार्य किया,
कभी ना अपने पढ़े लिखे होने का मान किया,
ऐसे प्यारे नेता को हम अपना शीश निवाते हैं,
कभी ना भुलेंगें में आज कसम ये खाते हैं,
—–-Aruna Gupta
अम्बेडकर के प्रयास
गरीब घर के हमारे अम्बेडकर,
दलित परिवार से आए निकलकर,
स्कूल में जब छुट अच्छित की भावना देखी,
तब मन में इनके एक जवाला जल उठी,
सारे जीवन भर हमेशा संघर्ष करते रहे,
गरीब लाचार लोगो के संग खड़े रहे,
औरतों और दलितों को सम्मान दिलाया,
भारतियों के मन में लोकतंत्र का दीप जलाया,
मतदान का बोध करने वाले थे ये,
महिलाओं को समानता दिलवाने वाले थे ये,
शिक्षित होना कितना जरुरी है सबके लिए,
भारतियों को शिक्षा का मूल बतलाया,
दलित होकर भी अपने को शिक्षित किया,
पढ़ लिख कर हमारा सविधान बना दिया,
जिंदगी में कभी निराश होकर नहीं बैठे,
निरंतर आगे बढ़ने का पाठ बताते रहे,
शिक्षा का ज्ञान देने वाले हमारे अम्बेडकर,
दिल से हर भारतीय इनका आदर करता है,
इनके बताए ज्ञान को अपने में ग्रहण करता है,
इनको शत-शत बार आदर से प्रणाम करता है,
——Aruna Gupta
Short Poem On Dr Br Ambedkar In Hindi
बाबा भीमराव बड़े कृपालु थे, वे दिल के बड़े दयालु थे
वो ज्ञानी थे, विद्वान् थे, वो देवता स्वरूप वरदानी थे
वो नेक दिल इंसान बड़े महान थे
वो दिल में रखते बड़े बड़े अरमान थे
देश के जन जन में बसते उनके प्राण थे
बाल्यावस्था से ही बाबा ने अपने जीवन में किये बड़े बड़े संघर्ष थे.
बाबा भीमराव जी ने सबको मानवता का पाठ पढ़ाया
सबके दिलो से ऊंच नीच का भेद भाव मिटाया
सबको सम्मान से जीना सिखाया, सबको शिक्षा का मार्ग दिखाया
अपने द्वारा लिखे संविधान को लागू कर देश का गौरव बढ़ाया.
बाबासाहेब अम्बेडकर जयंती पर कविता – Dr BR Ambedkar Jayanti Poem Kavita in Hindi
मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ जो
जो कर्म को प्रधानता दे
मैंने ऐसा नहीं कहा कि
जाति भेद बंद करके
अनुसूचित को ऊपर और
सूचित को दलित बना दो
मुझे बराबरी पसंद थी
भगवान ने भेदभाव नहीं की
लोगों ने फायदे के लिए किया
वरना भगवान अनुसूचित
को एक आँख पांच पैर देते
सूचित को पीछे पूंछ लगा देते
फायदे के लिए मेरा नाम मत लो
मैं इन सब बातों से ऊपर उठ चूका था
इसलिए संविधान रचा था.
बाबा साहब पर कविता पोएम
कुछ लिखू कम पड़ जाते हैं शब्द
वो बाबा साहब हस्ती हैं महान
जिसकी कलम की ताकत देखकर
नतमस्तक हैं सारा जहाँ
बहुत मुसीबतें देखी हैं जिसने
और झेले हैं लाखों अपमान
फिर भी अनवरत चलता रहा
अपने कर्म पथ पर वो इंसान
हर इंसान को मिले सम्मान
रचित किया एक ग्रंथ संविधान
जिस पर टिककर खड़ा हुआ हैं
सबसे बड़ा लोकतंत्र हिंदुस्तान