हिंदी भाषा पर कविता Poem On Hindi Language

हिंदी भाषा पर कविता Poem On Hindi Language: नमस्कार दोस्तों आज के लेख में हम आपका स्वागत करते है हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है मातृभाषा है इसके महत्व दिवस पर कविता बता रहे हैं.

सुनील जोगी द्वारा रचित एक मौलिक हिंदी पर गीत अथवा कविता यहाँ आपकों बता रहे हैं, यदि आपकों ये लेख पसंद आए तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे.

Poem On Hindi Language

हिन्दी भारत का वरदान
हिन्दी जन मन गण का गान
हिन्दी पावन राष्ट्र की भाषा
सवा अरब की है अभिलाषा
हिंदी अपनाओ रे
माँ को गले लगाओ रे

हिंदी में रहीम के दोहे, तुलसी की चौपाई
भारतेंदु, महावीर द्वेदी और चन्दरबरदाई
हिंदी में अज्ञेय, प्रभाकर, भारती और परसाई
हिंदी में ही कवि सम्मेलन, गूंज रही कविताई
हिंदी तुलसी, सूर, कबीर
हिंदी महादेवी और मीरा
हिंदी को अपनाओ रे
माँ को गले लगाओ रे

हिंदी में ही प्रेमचन्द है दिनकर, पन्त, निराला
हिंदी में बैरागी, नीरण, बच्चन की मधुशाला
हिंदी रत्न बिहारी, भूषण, रैदास और नेपाली
हिंदी की कविता सुन करके श्रोता पीटें ताली
हिंदी रत्नाकर और नागर
हिंदी है गागर में सागर
हिंदी को अपनाओं रे
माँ को गले लगाओ रे

अलंकार, रस, छंद है इसमें स्वर, व्यंजन की माया
चन्द्रबिन्दु और अनुस्वार ने इसका मान बढ़ाया
हिंदी है व्यापार की भाषा, रोजगार की भाषा
एक सूत्र में राष्ट्र बंधे, ये हिंदी की अभिलाषा
इसका अक्षर अक्षर मोती
भाषा देश का गौरव होती
हिंदी को अपनाओ रे
माँ को गले लगाओ रे

तमिल, तेलुगु, कन्नड़, उड़िया, बांग्ला और मराठी
संस्कृत, उर्दू, मणिपुरी, मलयालम, कोंकणी, संताली
कश्मीरी, नेपाली, सिन्धी, पंजाबी, गुजराती
डोंगरी और मैथिली में सब गाओ प्रेम की पाती
भारतीय भाषाएँ सारी
हमकों मौसी जैसी प्यारी
हिंदी को अपनाओ रे
माँ को गले लगाओ रे

उपन्यास, लोकोक्ति, मुहावरे कविता और कहानी
भोजपुरी, अवधी, बुन्देली, ब्रज और राजस्थानी
अलग अलग है भाषाएँ सबकी अलग अलग है बानी
सब भाषाएँ रानी लेकिन हिंदी है पटरानी
हिंदी दयानंद और गांधी
हिंदी ही लाइ आजादी
हिंदी को अपनाओ रे
माँ को गले लगाओ रे

दोस्तों भारतवर्ष भाषाओं का देश कहा जाता है। भारत की राष्ट्रभाषा के रूप में जानी जाने वाली भाषा “हिंदी भाषा” की बात निराली है। अनेक प्रदेशों की मातृभाषा है “हिंदी भाषा”।

14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में हिंदी के मान-सम्मान- पहचान में “हिंदी दिवस” मनाया जाता है। भारत का गौरव है “हिंदी भाषा”। भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा के रूप में “हिंदी भाषा” प्रमुख है।

हिंदी भाषा का सहस्त्रों वर्ष पुराना इतिहास है जो हिंदी भाषा की महत्वपूर्णता दर्शाता है। प्राचीन काल हो या आधुनिक काल की बात “हिंदी भाषा” पर अनेक कविताएँ लिखी गई हैं जो हिंदी भाषा की विशेषता बताती हैं। प्रस्तुत कविताओं में हिंदी भाषा की अलग अलग छवि एवम् विशेषता पढ़ने को मिलेगी।

(1) मेरी प्यारी हिंदी भाषा

मेरी प्यारी आशा मेरी भाषा हिंदी भाषा,
हर पथ पर विकास हो हिंदी का
यही मेरी इच्छा अभिलाषा,
मेरी प्यारी आशा मेरी भाषा हिन्दी भाषा।

बहुमूल्य जिसकी बोली ऐसी हिंदी भाषा,
ग्रंथों का मोल – व्याकरण का संगम अनमोल,
ऐसी भाषा हिंदी भाषा,
सिंधु से हिन्द बनी हिंद से हिंदी बनी,
मीठे शब्दों से ग्रवित भाषा हिंदी भाषा।

बात प्राचीन हो या युग युगीन,
हिंदी भाषा की कीर्ति हर युग में बनी नवीन,
मेरी प्यारी आशा मेरी भाषा हिन्दी भाषा।

जीवन जग नव ज्योति बनी
स्फूर्ति भरी मन को भाती हिंदी भाषा,
हिंदी में हर काम हो,
यही पहचान जग की शान हो,
ऐसी महिमा मंडित अद्भुत भाषा,
मेरी प्यारी आशा मेरी भाषा हिन्दी भाषा।

सत्य वचनों की अभिलाषी,
अनेक अर्थों में समाती,
मार्ग दर्शक, पथ प्रदर्शक, जीवन की पगडंडी में
साथ देती हिंदी भाषा,
ज्योति स्वरूप प्रकाश फैलाती,
ऐसी हिंदी भाषा अपनी कथा कही जाती,
मेरी प्यारी आशा मेरी भाषा हिन्दी भाषा।

(2) हिंदी भाषा हमारी भाषा

भाषा जन जन की हिंदी भाषा,
जनसमूह की आशा हिंदी भाषा,
सबको जोड़े है हिंदी भाषा,
एक दूजे से मिलाती भाषा हिन्दी भाषा।

भारत का गौरव हिंदी भाषा,
अनेकता में एकता हिंदी भाषा,
हिन्द का मान रखती,
कालजयी सी भाषा हिन्दी भाषा,
शब्दों में शब्द भले,
भाषा की परिभाषा जीवन की निराली हिंदी भाषा।

भारत की आन भी है,
शान भी है हिंदी भाषा,
हमारे मान सम्मान से भरी है हिंदी भाषा,
व्याकरण का भरापूरा संसार है,
वर्तनी की शुद्धता, वेदना में कोमलता,
आचरण स्वरूप संस्कृति की पहचान है हिंदी भाषा।

महादेवी, निराला, प्रेमचंद के लेखन का गुणगान है,
दिनकर, पंत, बच्चन का काव्य महान है,
मीरा, तुलसी, सूर, जायसी की सरस लयताल है,
भाषा में भाषा हिंदी भाषा,
स्वर और व्यंजनों की मिलती जुलती पहचान है,
वतन ऐ हिन्द की बात अमरता प्रधान है,
राष्ट्रभाषा हिन्दी की अमरछाप है,
वरदान के रूप में वाणी का चेतन स्वरूप है हिंदी भाषा,
भाषा में भाषा हिंदी भाषा ,
देश की सर्वोच्च भाषा हिन्दी भाषा।

(3) हिंदी भाषा अभिमान हमारा

भारत का अभिमान हिंदी भाषा,
एक डोर में बांँधती सबको,
अनेकता में एकता दिखाती सबको,
भाषाओं के प्यार में
बहनों सा आपसी प्यार दिखता है,

गहरी जिसकी पहचान है,
कठोर साधना सी मान है,
देश विदेश में भी लोकप्रिय हिन्दी,
अनेक भाषा परिवारों को समेटती हिंदी,
देशज विदेशज तद्भव तत्सम के संयोग से मिश्रित हिंदी,

मधुर सुमधुर वाणी में रस घोलती हिंदी,
मातृभाषा की छाप छोड़ती,
अनेक प्रदेशों की भाषा हिन्दी,
अलग अलग रूप में भाती हिंदी,
उत्तर से पूर्व, पूर्व से पश्चिम, पश्चिम से दक्षिण
हिंदी के सम्मान में प्रीति भरी हिंदी

भोली भाली बड़ी मतवाली हिंदी,
जन जन की बोली हिंदी,
शब्दों में अर्थों की पहचान हिंदी,
जग में अलग छाप बनाती हिंदी,
भेद भाव से परे हिंदी,
भरोसा दिलाती हिंदी।

ध्वनि लिपि शब्द की अनुपम कृति हिंदी,
नदियों के संगम जैसी हिंदी,
हर दिशा में एक दूजे के लिए सेतु बनाती हिंदी,
मोती समान माला के रूप में हर किसी को जोड़ती हिंदी,
मूल्य बहुमूल्य सी हिंदी,
मान शान अभिमान हमारी हिंदी।

(4) मेरी पहचान हिंदी भाषा

हिंदी मेरी पहचान है,
जग में बड़ा नाम है,
माँ की भाषा मेरी भाषा,
बचपन का पहला शब्द माँ सीखा,
हिंदी का पहला प्यार पाया,
धीरे धीरे मीठे बोल बोले हिंदी के,
शब्दों में हिंदी, अर्थों में हिंदी,
प्रेम की मेरी भाषा हिन्दी भाषा।

बचपन की यादों में जब भी खो जाती थी,
भाषा में हिंदी भाषा याद आती थी,
दोस्तों संग इठलाते थे,
हिंदी में गुफ्तगू करते जाते थे,
मेरी पहचान हिंदी भाषा।

युवा हुए हिंदी के करीब आए,
पढ़ा हिंदी का विस्तार,
जाना हिंदी का अधिकार,
देश की शान मेरी आन ऐसी भाषा,
मेरी पहचान हिंदी भाषा।

त्यौहारों में सुर ताल मिलाया,
हिंदी भाषा को अपनाया,
देश की संस्कृति से खुद को जोड़ा,
परम्परा का अनूठा संगम नया मोड़ मोड़ा,
मेरी पहचान हिंदी भाषा।

गाँव गाँव शहर शहर मेरे दिल को भायी,
दिल से दिल तक एक दूजे संग भाषा बसायी,
साहित्य में अपनी भिन्न भिन्न पहचान बनाई,
काव्य हो या गद्य धारा हिंदी अनमोल भायी,
मेरी पहचान हिंदी भाषा।

जीवन के हर पड़ाव में हिंदी आई,
कथा सुनी मेरे मन को भायी,
भाव मेरे हिंदी की अमृत वाणी,
हिंदी मेरी संगी साथी,
बचपन का खेल, बड़े की भाषा, यौवन की प्रीत,
हिंदी मुझ संग समायी,
मेरी पहचान हिंदी भाषा।

दिल में भाव उभरते हैं,
दुख सुख की बात सागर जैसे गहरे दिखते हैं,
भावों की जननी मेरी आशा भरे जीवन की भाषा,
स्वर में अपनापन लिए,
मेरे करीब मेरे मन की भाषा,
मेरी पहचान हिंदी भाषा।

चाहत मेरी भाषा हिन्दी,
भारत देश कि गर्व भरी भाषा,
मेरी संस्कृति मेरे आचरण की भाषा,
मेरे मनोभावों को दर्शाती,
मेरे काव्य को नाम देती भाषा,
सूरज चांँद तारों सी जगमगाती भाषा,
मेरी पहचान हिंदी भाषा।

सुरसंगम मेरे गीतों में,
मेरे नृत्य की भाषा,
मेरी आत्मचेतना की मेरे भावों की सज्जा,
मेरी वेदना मेरे गान की स्वर लहरी
मेरी भाषा हिन्दी भाषा,
मेरी वाणी में मधुर स्वर घोलती,
मेरी पहचान हिंदी भाषा।

कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक लहराती भाषा,
सहज सुबोध सरल भाषा हिन्दी भाषा,
जनसमूह की दुलारी,
जन जन की संपर्क भाषा,
मेरी पहचान हिंदी भाषा।

स्वार्थ से परे,
दिल को दिल से मिलाती भाषा,
एक दूजे का नाता जोड़े,
दिल की पुकार भाषा,
मेरी पहचान हिंदी भाषा।

दोस्तों प्रस्तुत लेख में हिंदी भाषा पर चार कविताएँ लिखी गई हैं। आपको पढ़कर अपनापन लगेगा। प्यार से पढ़ें और दोस्तों के साथ शेयर करें।

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