प्रकृति और मनुष्य मित्र है निबंध Prakruti Manushya Ki Mitra Essay In Hindi

हेलो आज हम आपके लिए प्रकृति और मनुष्य मित्र है निबंध Prakruti Manushya Ki Mitra Essay In Hindi का निबंध लेकर आए हैं,

मनुष्य तथा प्रकृति के सम्बन्ध पर आधारित यह हिंदी निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के स्टूडेंट्स के लिए प्रकृति और मानव का निबंध विशेष उपयोगी साबित होगा. चलिए इस प्रकृति पर निबंध को कंटीन्यू करते हैं.

प्रकृति और मनुष्य मित्र है निबंध

प्रकृति और मनुष्य मित्र है निबंध Prakruti Manushya Ki Mitra Essay In Hindi

प्रकृति और मनुष्य मित्र है 200 शब्द

प्रकृति और मनुष्य दोनों के बीच एक गहरा संबंध होता है जो शायद ही किसी दूसरे संबंध की तरह हो। प्रकृति हमारे जीवन का मूल आधार है और हमें जीने के लिए सबसे महत्वपूर्ण संसाधन प्रदान करती है।

यह हमें हवा, पानी, खाद्य और साथी जीवों की आवश्यकताओं को पूरा करती है। हमारे मन और शरीर की स्वास्थ्य और ताजगी प्राप्त करने में भी प्रकृति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

मनुष्य और प्रकृति के बीच एक मित्रता विकसित करने से हम अपने जीवन को सुसंगत बना सकते हैं। हमें प्रकृति का संरक्षण करना चाहिए, जैसे कि वन्य जीवों के संरक्षण, वायुमंडल के प्रदूषण को कम करना, और प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करना।

प्रकृति के साथ सद्भावपूर्ण संबंध बनाए रखने से हम अपने आप को स्थिर और संतुष्ट महसूस करते हैं। हमें अपनी पीढ़ियों के लिए स्वच्छ और प्रदूषण-मुक्त वातावरण छोड़ना होगा।

प्रकृति और मनुष्य में मित्रता का संरक्षण करना हमारा कर्तव्य है, क्योंकि यह हमारे जीवन और आने वाले पीढ़ियों के लिए सुरक्षा और समृद्धि का आधार है।

प्रकृति और मनुष्य मित्र है निबंध 500 शब्द

मनुष्य के जन्म के साथ ही उनका प्रकृति से अटूट नाता जुड़ जाता हैं. या यूँ कहे कि मानव आजीवन प्रकृति पर निर्भर रहता हैं तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. उनके हर क्रियाकलाप प्रकृति के साथ ही होते हैं.

इन्सान ने समय के परिवर्तन के साथ साथ स्वयं में भी बदलाव करते हुए आज स्वयं को साधन सम्पन्न बना दिया हैं. एक समय इन्सान और जानवर में कोई फर्क नहीं था मगर प्रकृति का सहयोग लेकर इसने स्वयं को आधुनिक बनाया हैं.

हर तरह से प्रकृति मानव का पोषण करती आई हैं. तथा यह अनंत काल से मानव की सहचरी रही हैं. मगर मनुष्य ने अपने स्वार्थ के चलते प्रकृति के साथ मित्रता के नाते को फिर से धूमिल कर दिया हैं. प्रकृति की सुंदरता को समाप्त कर इसके साथ दासी जैसा व्यवहार करना आरम्भ कर दिया हैं.

कुदरत ने मानव के लिए पृथ्वी की सुंदर रचना की हैं. जिसके हरेक तत्व का बड़ा महत्व हैं. जीव जन्तु हो या पेड़ पौधे अथवा कीड़े मकोड़े सभी का संतुलन ही प्रकृति की सुंदरता को बढ़ाती हैं.

व्यक्ति के जीवित रहने के लिए शुद्ध हवा तथा जल बचा रहना चाहिए, साथ ही साथ वनस्पतियों तथा जीव जन्तुओं का होना भी जरुरी हैं.

पृथ्वी पर सभी सजीव प्राणियों का भोजन धरती के तल में दबा केवल पेड़ पौधे ही इसे सभी के लिए सुलभ बना सकते हैं. सूर्य की किरणों के माध्यम से पेड़ पौधे अपना भोजन बनाते है तथा उन्ही पर सभी शाकाहारी निर्भर रहते हैं.

इस जीवन चक्र में शाकाहारी जीवों के संतुलन तथा पेड़ पौधों की रक्षा के लिए मांसाहारी जीव अपना कर्तव्य निभाते हैं.

इस प्रकार प्रकृति के इस संतुलन को बनाने में पेड़ पौधों की प्राथमिक भूमिका होती हैं जबकि मानव वह स्वार्थी प्राणी है जो सब कुछ मुफ्त में पाने के उपरांत भी प्रकृति के साथ धोखेबाजी की राह को छोड़ने के लिए तैयार नहीं होता हैं.

प्रकृति और मनुष्य एक दूसरे के पूरक है इसका मतलब यह नही कि मानव नहीं होगा तो पृथ्वी नहीं चलेगी बल्कि प्रकृति का मानव जीवन के लिए होना नितांत अनिवार्य हैं.

अतः अभी भी समय हमें मानव और प्रकृति के मित्रता पूर्ण रिश्ते को समझना होगा तथा हमारा जीवन पूर्ण अंधकारमय हो जाए इससे पूर्व नेचर के साथ सामजस्य बिठाना होगा.

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