ऋषि पंचमी 2024 की कहानी व्रत कथा महत्व Rishi Panchami Vrat Katha Mahatva Udyapan Vidhi in Hindi 08 सितम्बर 2024 को पंचमी का दिन हैं.
ऋषि पंचमी 2024 का व्रत गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद पड़ता हैं. भादों माह की पंचमी तिथि के दिन सप्तऋषियों की पूजा किये जाने का विधान हैं.
ऋषि पंचमी 2024 की कहानी व्रत कथा महत्व
इस ऋषि पंचमी की व्रत कथा स्वयं ब्रह्माजी ने सृताश्व को कही थी, ऋषि पंचमी की कहानी के अनुसार इस दिन जो मनुष्य व्रत रखता हैं, उनके समस्त पाप दूर हो जाते हैं.
हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार एक स्त्री को अपने मासिक धर्म की अवधि के दौरान घर तथा रसोई से जुड़े कई नियमों का पालन करना होता हैं,
इसकी अवहेलना करने पर उस स्त्री के परिवार में कष्ट पीड़ा व दरिद्रता का माहौल रहता हैं. अतः इस भूल का प्रायश्चित करने के लिए ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता हैं.
ऋषि पंचमी कब मनाई जाती हैं और मुहूर्त क्या है? (Rishi Panchami Vrat 2024 Date, time and Muhurat)
भाद्र शुक्ल पंचमी को ऋषि पंचमी कहते हैं. इसकों स्त्री पुरुष सभी पापों की निवृति के लिए करते हैं. ऋषि पंचमी का व्रत रखने वाला किसी नदी या जलाशय में स्नान कर आंगन बेदी बनावें.
तत्पश्चात गोबर से लीपकर मिट्टी या तांबे जल भरा कलश रखकर अष्टदल कमल बनावें, और अरुंधती सहित सप्तऋषियों का पूजन कर आचार्य को दक्षिणा दे तथा ब्राह्मणों को भोजन करावें.
यह व्रत भाद्र पद की शुक्ल पंचमी को किया जाता हैं. अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार यह दिन अगस्त अथवा सितम्बर महीने में पड़ता हैं, इससे पूर्व गणेश चतुर्थी तथा हरतालिका व्रत मनाया जाता हैं. इस साल 2021 में ऋषि पंचमी व्रत 08 सितम्बर 2024, शनिवार को मनाया जाएगा.
ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त –
ऋषि पंचमी पूजा शनिवार 08 सितंबर 2024
पंचमी पूजा समय :
- पंचमी तिथि शुरू : 21:55 –
- ऋषि पंचमी तिथि ख़त्म : 19:35 –
ऋषि पंचमी की पूजा & उद्यापन विधि (Rishi Panchami Udyapan Vidhi)
- सातों ऋषियों की मूर्तियां स्थापित करें
- देवी अंरुधती भी स्थापित करें
- पंचामॉत स्नान करवाएं
- चंदन लेप, धूप, ज्योत आदि अपर्ण करें
- सफेद कपड़े धारण कर मंत्र का जाप करे.
- तत्पश्चात ऋषि पंचमी व्रत कथा सुनें
ऋषि पंचमी की कहानी कथा (Rishi Panchami Vrat Katha in Hindi)
ब्रह्मा पुराण के अनुसार एक बार राजा सिताश्व ने ब्रह्मा जी से पूछा कि, सभी पापों को नष्ट करने वाला श्रेष्ट व्रत कौनसा हैं. तब ब्रह्माजी ने ऋषि पंचमी को बतलाया. ब्रह्माजी ने कहा- हे राजा सिताश्व ! विदर्भ देश में उतंक नाम का सदाचारी ब्राह्मण था.
जिसकी पत्नी का नाम सुशीला था. कन्या विवाह होने के पश्चात विधवा हो गई. इस दुःख से दुखित ब्राह्मण दम्पति कन्या सहित ऋषि पंचमी का व्रत करने लगे. जिसके प्रभाव से जन्मों के आवागमन से छुटकारा पाकर स्वर्गलोक के वासी हो गये.
ऋषि पंचमी उद्यापन विधि (Rishi Panchami Vrat Udyapan Vidhi)
- विधि पूर्वक पूजा कर इस दिन ब्राहमण भोज करवाया जाता हैं.
- सात ब्रह्मणों को सप्त ऋषि का रूप मान कर उन्हें दान दिया जाता हैं.
- अपनी श्रद्धानुसार दान का विधान हैं.
इस व्रत से जुड़ा एक प्रसंग महाभारत में देखने को मिलता हैं, जब उतरा के युद्ध के समय उसके गर्भ में पल रहे नवजात की मृत्यु हो गई. तब इन्होने ज्ञानी पंडितों का परामर्श लिया,
जिन्होंने उसे ऋषि पंचमी का व्रत कर विधि विधान के अनुसार पूजा करने को कहा. उसने ऐसा ही किया जिसके परिणामस्वरूप राजा परीक्षित का जन्म हुआ, जो आगे चलकर हस्तिनापुर के उत्तराधिकारी बने.
यह व्रत जीवन की दुर्गति को खत्म का जीव मात्र के सभी पापों को धो देता हैं. ऋषि पंचमी का व्रत रखने वाली स्त्री को सम्पूर्ण दोषों से मुक्ति के साथ ही सन्तान प्राप्ति व सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं.
इस दिन व्रत रखने वाली स्त्री विधि पूर्वक पूजा कर ऋषि पंचमी की कथा सुने तथा ब्राह्मणों को भोजन कराएं तथा सात ब्राह्मणों को श्रद्धानुसार दान देकर विदा करे.
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