समास परिभाषा व भेद और उदाहरण | Samas in Hindi

समास परिभाषा व भेद और उदाहरण | Samas in Hindi जैसा कि हम सभी को पता है कि हिंदी व्याकरण का सागर बहुत ही गहरा है, जहां पर आप नित नए गोते लगाकर नई जानकारियां हासिल कर सकते हैं|

ऐसे में हमने कोशिश की है कि आपको हिंदी व्याकरण से संबंधित सही-सही जानकारी दी जाए ताकि आप अपने हिंदी भाषा में सुधार करते हुए इसके व्याकरण  की भी जानकारी हासिल की जा सकती है|

समास परिभाषा व भेद और उदाहरण | Samas in Hindi

ऐसे में आज हम आपको मुख्य रूप से इस्तेमाल होने वाले ‘’समास’’ के रूप में जानकारी देंगे| आप इन के माध्यम से भी अपने वाक्यों को कहीं अधिक प्रभावशाली बना सकते हैं, जो आप पहले नहीं कर पा रहे थे|

ऐसे में आज हम आपको ‘’समास’’ के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे ताकि आपको कोई परेशानी ना होने पाए|

समास क्या है? 

समास़ का हिंदी व्याकरण में अर्थ छोटा रूप होता है, जहां दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर जो नया शब्द बनता है उसे हम समास कहते हैं

या हम  इस प्रकार से भी कह सकते हैं कि समास  वह  महत्वपूर्ण क्रिया होती है, जो कम से कम शब्दों में ज्यादा से ज्यादा अर्थों को प्रकट करने में समर्थ होती है|

मुख्य रूप से उसका उपयोग हिंदी और संस्कृत व्याकरण  मैं  उपयोग करके अपने वाक्यों को अधिक प्रभावशाली बना सकते हैं|

समास के मुख्य पद 

समास़ में मुख्य रूप से 2 पद होते हैं जिसमें पहले पद को पूर्व पद और दूसरे पद को उत्तर पद कहा जाता है| इन दोनों पदों से जो एक नया पद बनता है उसे समस्त पद कहा जाता है।

उदाहरण के रूप में 

1]  नील और कमल =  नील कमल 

2]  रानी का पुत्र =  रानी पुत्र

3]  स्नान के लिए घर =  स्नानघर

समास से संबंधित कुछ मुख्य शब्द

  1. पूर्व पद और उत्तर पद —  कभी-कभी किसी शब्द या वाक्य में दो प्रकार के पद का इस्तेमाल किया जाता है जिनमें पूर्व पद और उत्तर पर कहा जाता है। इसमें पहले पद को पूर्व पद और दूसरे पद को उत्तर पद कहा जाता है जैसे अमृतवाणी, जिसमें अमृत पूर्व पद और वाणी उत्तर पद है|
  2. समास विग्रह — जब भी कोई वाक्य बनाया जाता है, तो सामासिक शब्दों के बीच में उत्पन्न होने वाले संबंधों को समास विग्रह कहा जाता है जहां पर एक नया  शब्द हमारे सामने नजर आता है|  उदाहरण —  रानी +  हार =  रानीहार ,  प्रजा +  तंत्र = प्रजातंत्र|
  3. सामासिक शब्द —  इसमें  ऐसे  प्रकार के शब्द आते हैं, जो मुख्य रूप से समास़ के नियमों के अंतर्गत आते हैं और फिर अपने अर्थ को व्यक्त करते हैं।  उदाहरण –  राजपूत्र|

समास के मुख्य भेद 

समास के कुछ मुख्य भेद होते हैं जिनके बारे में आज हम विस्तार से चर्चा करेंगे| यह मुख्य 6 प्रकार के होते हैं|

  1. अव्ययीभाव समास़ 
  2.  तत्पुरुष समास़
  3.  कर्मधारय समास़
  4.  द्विगु समास़
  5.  द्वंद समास़
  6.  बहुव्रीहि समास़

1] अव्ययीभाव समास़ — ज्यादातर हम आप अपने वाक्यों में इन समास़ का उपयोग करते हैं,  और ज्यादा से ज्यादा इनका ही उपयोग देखने को मिलता है।

इस मुख्य समास में प्रथम पद अव्यय  होता है और उसका अर्थ प्रधान हो जाता है इसीलिए इसका नाम अव्ययीभाव समास रखा गया है|

इसमें अगर आप गौर करेंगे तो  इसमें लिंग, वचन, कारक कभी नहीं बदलते हैं बल्कि यह कहना ज्यादा उचित होगा कि यदि एक ही शब्द की  बार-बार पुनरावृति हो और दोनों ही मिलकर  एक तरह से तरह कार्य करें, ऐसे में अव्ययीभाव समास आसानी के साथ समझा जा सकता है।      

 उदाहरण 

  • यथा संभव —  संभव के अनुसार
  •  रातों रात — एक ही रात में 
  •  प्रति वर्ष – प्रत्येक वर्ष में| 
  • यथा काम —  काम के अनुसार 
  •  प्रति बार —  प्रत्येक वार 
  • यथाशक्ति  —  शक्ति के अनुसार 

2] तत्पुरुष समास़ — यह एक ऐसा  समास़ होता है, जो हमेशा कारक से अलग प्रवृत्ति रखता है| इसमें हमेशा दूसरा पद प्रधान होता है.

जो अपने होने का कारण प्रकट करता है साथ ही साथ इसे बनाने के लिए 2 पद का इस्तेमाल किया जाता है, इसे तत्पुरुष समास कहा जाता है|   हम  इस  समास का उपयोग  मुख्य रूप से ही करते हैं|

उदाहरण

  • राजा का महल —  राजमहल
  • राजा का  पुत्र —  राजपुत्र 
  •  देश के लिए  प्रेम —  देशप्रेम 
  •   रानी का हार —  रानीहार

 तत्पुरुष समास के  मुख्य  भेद

  1.  समानाधिकरण  तत्पुरुष समास़—  यह ऐसा समास होता है जिस में उपयोग होने वाले पद समान होते हैं और जिस में विशेष भाव उत्पन्न होता है जिसे  समानाधिकरण तत्पुरुष समास कहा जाता है| 
  2. व्यधिकरण तत्पुरुष समास़— ऐसे समास जिसमें मुख्य रूप से प्रथम और द्वितीय पद भिन्न-भिन्न विभक्ति के हो उसे ही व्यतिकरण तत्पुरुष समास कहा जाएगा|  यह मुख्य रूप से 6 प्रकार के होते हैं—-  कर्म तत्पुरुष समास, करण तत्पुरुष समास,   संप्रदान तत्पुरुष समास, अपादान तत्पुरुष समास,  संबंध तत्पुरुष समास,   अधिकरण तत्पुरुष समास|

तत्पुरुष समास़ के उपभेद 

  1. नक्त्र तत्पुरुष समास
  2. उपपद  तत्पुरुष समास 
  3. लुप्तपद   तत्पुरुष समास 

3] कर्मधारय समास़ —- यह  ऐसे प्रकार का समास होता है जिसमें उत्तर पद प्रधान होता है और मुख्य रूप से विशेषण, विशेष्य और   ऊपमेय, उपमान   से मिलकर बने होते हैं उसे कर्मधारय समास कहा जाता है|  हिंदी व्याकरण में इसका मुख्य रूप से उपयोग होता है|

उदाहरण 

  • चंद्रमुख —  चंद्र जैसा मुख|
  •  महादेव —   महान है जो  देव|
  •  पितांबर —   पीला  है जो अंबर|
  •  नवयुवक —  नया है जो युवक|

कर्मधारय समास़ के मुख्य भेद 

  1. विशेषण पूर्वपद कर्मधारय समास
  2.  विशेष्य पूर्वपद  कर्मधारय समास
  3. विशेषण अभय पद कर्मधारय समास
  4.  विशेष अभय पद कर्मधारय समास

4] द्विगु समास़ —- यह एक मुख्य प्रकार का समास होता है जिसका हम बहुत ज्यादा उपयोग करते हैं। इस समास में पूर्व पद संख्या वाचक होता है और कभी-कभी उत्तर  पद भी देखा जाता है|

इस समास में मुख्य रूप से संख्याओं  के समूह का वर्णन होता है और  इसे द्विगु समास कहते हैं| 

उदाहरण 

  •  नवग्रह —   नौ ग्रहों का  समूह
  •  चौगुनी —  चार गुना फायदा 
  •  पंचतंत्र —-   पांच  तंत्रों  का  समूह 
  •  त्रिलोक —  तीन  लोगों का समाहार 
  •  त्रिभुज — तीन भुजाओं का  समाहार 

द्विगु समास़  के मुख्य भेद 

यह मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं, जो भेद के बारे में जानकारी देते हैं

1]  समाहार द्विगु समास़ — इसके अंतर्गत किसी भी समुदाय या एक साथ रहने का बोध किया जाता है जैसे तीन लोगों का समूह,  पांच पेड़ों का समूह|

2]  उत्तर पद प्रधान द्विगु समास़ — यहां पर ऐसे शब्दों का इस्तेमाल होता है, जो मुख्य रूप से उत्तर पद पर जोर दिया जाता हो और एक ही शब्द के विभिन्न अर्थ प्रकट करते हैं|

जैसे –     दूमाता,  पंचप्रमाण  

5] द्वंद समास़ — यह एक ऐसा समास होता है जिसमें दोनों ही पद प्रधान होते हैं और कभी-कभी यह दोनों ही एक दूसरे के विपरीत होकर कार्य करते हैं।

जब भी दो शब्दों को अलग किया जाता है, तो उनके बीच में और, अथवा, या, एवं का उपयोग किया जाता है और नया शब्द बनाया जाता है|

उदाहरण 

  • राधा कृष्ण —  राधा और कृष्णा
  •  अमीर गरीब —  अमीर और गरीब
  •  पाप पुण्य—  पाप और पुण्य 
  •  गुण दोष —  गुण और दोष 
  •  देश विदेश —  देश और विदेश 
  •  अपना पराया —  अपना और  पराया 

द्वंद समास के मुख्य भेद 

  1.   ईतरेतर द्वंद समास़ — इसमें  द्वंद  और शब्द एक दूसरे से जुड़े होते हैं, और अलग-अलग प्रकार से वर्णन किए जाते हैं। यह हमेशा बहुवचन में दिखाई देते हैं और वाक्यों में उपयोग होते हैं|  उदाहरण के रूप में —  गाय और बैल,  बेटा और बेटी,  मैं  और तुम|
  2. समाहार द्वंद्व समास़ —- इसके अंतर्गत दोनों पद  एक दूसरे से जुड़े होते हैं और 2 पदों के अलावा तीसरा  पद भी दिखाई देता है और अपने अर्थ को बयां भी करता है|  उदाहरण के रूप में–  हाथपाव, दालचावल|
  3. वैकल्पिक द्वंद्व समास़ — इसमें हमेशा 2 पदों के बीच में  या, अथवा का उपयोग होता है कभी-कभी इसमें  विपरीत  शब्दों का भी उपयोग किया जाता है|  उदाहरण के रूप में — पाप पुण्य, अच्छा बुरा,   थोड़ा ज्यादा|

6]  बहुव्रीहि समास़ —  यह  ऐसा  समास होता है, जिसमें कोई भी पद प्रधान नहीं होता है और जो भी नया पद बनता है मुख्य रूप से वही प्रधान हो जाता है| 

इसमें इस वाक्य की विशेषता भी आसानी के साथ बताया जा सकता है,   इसे बहुव्रीहि समास कहा जाता है|

उदाहरण 

  • लंबोदर — लंबा है  उधर जिसका| [  गणेश भगवान]
  •  दशानन —   10 है जिसके सिर [  रावण]
  •  चक्रधर —  चक्र को धारण करने वाला [ विष्णु]
  • श्वेतांबर —  सफेद है  वस्त्र जिसके [  सरस्वती]
  • नीलकंठ — नीला है कंठ जिसका [  शंकर] 

अन्य विशेष प्रकार के समास़

इसके अतिरिक्त कुछ ऐसे समास हैं, जिनका हम मुख्य रूप से उपयोग नहीं करते हैं लेकिन इनका भी कुछ हद तक योगदान हिंदी व्याकरण में माना जाता है| 

  1. संयोग  मूलक समास़ —- इसमें मुख्य रूप से दोनों पद संज्ञा रूप में होते हैं और कहीं-कहीं दो पद संज्ञा होते हैं|  जैसे   माता पिता, रात दिन,  भाई बहन|
  2. वर्णन मूलक समास़ — इसके अंतर्गत निश्चित रूप से  बहुव्रीहि  और अव्ययीभाव समास का निर्माण होता है जिसमें मुख्य रुप से पहला पद होता है और दूसरा संज्ञा होता है|  जैसे —  यथाशक्ति,  प्रत्येक|
  3. आश्रय मूलक समास़ — इस समास में मुख्य रूप से पहला  पद  विशेषण होता है और दूसरा अर्थ हमेशा बलवान रूप में होता है। इसमें मुख्य रूप से विशेषण, विशेष्य आदि पदों की जानकारी होती है|  जैसे —  शीश महल,  लाल किला,  घनश्याम|

जो  निश्चित रूप से ही हमेशा हमारे काम आती है और हम इसके अनुसार ही अपने शब्दों को बनाने का काम किया करते हैं| 

समास़ में मुख्य रूप से  संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण  के बारे में जानकारी प्राप्त होती है,  साथ ही साथ इन्हीं  के माध्यम से भी उदाहरण बनाया जाता है| 

आज हमने आपको हिंदी व्याकरण के जिस  रूप  के बारे में जानकारी दी है उसे हम  पहले भी अध्ययन कर चुके हैं लेकिन हम अपनी क्षमता के अनुसार विस्तृत रूप से आपके सामने पेश कर रहे हैं, 

ताकि आपको आसानी से ही हमारी बात समझ में आ सके| उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह  लेख  पसंद आएगा,  इसे पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद| 

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