शहर पर शायरी स्टेटस | Shahar Shayari City Shayari In Hindi

Best शहर पर शायरी स्टेटस Shahar Shayari City Shayari Status Quotes Thoughts In Hindi:तेरा या मेरा शहर नाम भले ही अलग हो सूरत बस एक ही रह जाती हैं. ऊँचे भवन और सरपट भागती गाड़ियों के बिच पीसता बेचारा मनुष्य मजबूर और लाचार जीवन यही शहरी जीवन की हकीकत बन गयी हैं.

न स्वच्छ जल मिलता न वायु लोग भी बनावटी बस काम से काम रखने वाले और पैसे के भाव बिकने वाले. शहरी जीवन में सबसे बड़ा रिश्तेदार पैसा ही हैं यदि आपकी जेब गर्म है तो बुरे से बुरा वक्त भी मौज से काट लोगे.

शहर शायरी स्टेटस में हम इसी दुनियां पर अजनबी शहर की ज़िंदगी शेर  छोड़ने और शायरी मुंबई आदि पर अच्छी शायरी कविता पोएम यहाँ पढेगे.

Shahar Shayari In Hindi

Shahar Shayari In Hindi

ख़ामो’श शहर की चीख़’ती रातें
सब चुप हैं पर कह’ने को हजार बा’ते


सुना है शहर का न’क़्शा बदल गया ‘महफ़ू’ज़’
तो चल के हम भी ज़रा अप’ने घर को देख’ते हैं


वैसे कोई वजह नहीं नाराजगी की,
बस यूं ही जिद में नाराज हुए बैठे हैं,,
गाँव में सब कुछ ही अपना था,
तेरे लिए शहर में किराएदार हुए बैठे हैं!!

Shahar Shayari

ख़ुश थे बहोत छोटे अपने शहरो में ,
४ बातों, २-३ सर्द रातों और बचपन की यादों में !!

शहरी जीवन शायरी इमेज

शहर बतलते है, जज़्बात वही रहते है ❤️


Shehar me reh kar shehar ki zindgi jee rahe …
khud ki zindgi ka pta nahi wo kaha hai


वर्षा की शुरुआत से, साँझ में बेजान से पड़े रास्तों के बीच,
सहमी सी जान को देखा है
मैंने शहर की शोंधी सी खुशबु में,
एक भींगा सा ठहराव देखा है।


Ek dusre ko ussi me dekh lenge,
tere Sehar ka chand mere Sehar me bhi nikalta hai..


देख कर वफा इस अजनबी शहर की “साहिल”
याद आगया अपना गाँव जिस से मै बेवफा हो गया!


Sheher sheher dhunda jisko mere dil ke gaon me tha..
Insaan insaan me khoja jisko wo har insaan se mukhtalif tha!


सहर तो गाँवों में होती है जनाब ,
शहर में तो सीधा दिन निकलता है ।


इतना आसान नही था मेरे लिए तेरे शहर का चकर लगाना जितना आसान तुझे सोचना था।।


यहां शाम-ओ-सहर अच्छा नही है न राही ,
रहगुजर अच्छा नहीं है । थी
मजबूरियां जो घर छोड़कर आए पता तो था
शहर अच्छा नही हैं।।


अजनबी शहर मे, अंजान लोगो मे,
कोई मिला है अपना कहनेवाला


Dikhawe me yaha hazaaro raqeeb dekhe hai….
tere sheher me Maine dil ke bohot gareeb dekhe hai


?चाहने से कहा मिलते हैं तमन्ना के शेहेर..
चलने कि जिद भि जरूरि है मन्ज़िलो के लिये.. ||❤️❤️?


unke sheher aana jaana to hota hai par
unse aankhe nhi milti ye alag baat hai❤️


आज बड़े दिनों बाद काजल लगाया है उसने ,
हाय! शहर में कम नहीं आंखों से पिलाने बाले ?


Ajnabe sehar hai muskurate rehna…..
Ajnabee sehar hai muskurate rehna…..
Dil mile na mile haath milate rehna ❤️


City Shayari In Hindi

हमनें दुनिया के तमाम शहर देखे हैं..
पर मेरा शहर तेरी आंखों में बसता है..


Vo rhta tha gaawon me,
ik din sheher chla aaya,
lgta hai ishq ka driya us be vjhe bha laya….


Kuch pane ki talash me hamne sehar ka rukh kiya ,
pahuche to pta chala bhut kuch piche chod diya


मेरा तो शहर ही अयोध्या है,अब इससे ज्यादा क्या कहूं
❤️❤️❤️नाम से ही सब बयान हो गया


Gaav me sab kuch apna tha…
uske liye sehar me kirayedar bne baaithe h


Aaj hawa mein uski Khushboo hai,
Lagta hai koi seher wapis Aaya hai. ?


मेरा अपना शहर, बसा है कुछ यूँ खयालो में कि,
याद ही नहीं करना पड़ता।


मैने सुना है अब वो इस शहर में नहीं रेहता,
चलो अच्छा है अब उससे मिलने की चाह नजाने
कितने शहर घूम लेंगे हम।


आज मेरे शहर में बड़ी उदासी है मैंने किस्मत
से जो जीती बाजी है


आज की सहर तुम्हारे शहर मे, और
देखो तुम्हे पता भी नहीं


Sheher sheher dhunda jisko mere dil ke gaon me tha..
Insaan insaan me khoja jisko wo har insaan se mukhtalif tha!


यहाँ गाड़ीयाँ साथ में और इंसान अकेला चलता है,
ऐ अजनबी क्या तुझे भी इस शहर का होना है?


शहर शेर शायरी स्टेटस

Uski galliyan se gujar hi raha tha….
Ki doston ke shahar se aawaz aayi “
Veere aaj jashn hai iss shahar ki mahfil me laut aa”
Aur main agli gaali pakad kar laut aaya…❤


Kabrh se uth khada huwa khudkashi kr li…
gaon se dur ushne sehar me naukri kr li


Kya rakha hai sheher ki bheed-bhaad main…
Kuch din to guzhariye pahad main


Gumanm seher mein nam kaha mil pate hai,
jaha banane jao vaha sapne hi reh jate hai,
todne wale Ku himmat Ko azmate hai,
kya mein aisi acchi nahi lagti ya mughe mein
tufan-e-badal dekna chahte hai


गुम आओ हर गली हर शहर कही गांवोसा
अपना पन दिखे तो हमे भी बता देना ।।❤️


Gao bhi ab shahr hone lge h,,,,
yha bhi apne apno se bekhabr hone lge h…


बड़ा लम्बा सफर था शहर का तुम्हारे
जब मालूम हुआ ये ख़यालात अखिरी थी
बड़ा बेबस होके लौटा था उस दिन
जब मालूम हुआ ये मुलाक़ात आखिरी थी


जिन्हें घर अच्छा लगता था वो घर में रहे,
हमे आवारगी पसंद थी हम पूरे शहर में रहे


इस नए शहर में पुराना सा मकान हो तुम…
इस अँधेरी कोठरी का अकेला रोशनदान हो तुम.


Jaane tere sheher ka kya irada hai,
asmaan kam parinde zyada hai


दुनियां तो उस छोटे से गांव में दिखती थी,
इस बड़े शहर में तो सिर्फ कमरें की चार दिवारी ही दिखती हैं..!


तेरी गलियों में जाने से डर लगता हैं,
हर एक किस्सा बेखबर लगता हैं, तेरी याद आती हैं
परंतु तेरा शहर मुझे जहर लगता हैं।


सब के लिए तो पता नहीं पर मेरे लिए
तो तुम ही इक अनजान शहर हो,
जिसमें भटकने का अपना मज़ा है।


तुझसे खुबसूरत मेरे शहर की शाम भी है
जो रोज मिला करती है मुझसे।


यु ही दरबदर गुम रही हु शहर को..
दिवाली आ गई है ना जाने कब
पोहचुंगा घर को?…


सड़के बन रही है शहर मैं लगता हैं
फिर नेताओं के चुनाव आ रहे हैं


अब ग्रामीण जिंदगी ,
गांव में नहीं आजीविका कमाने शहर में बस रही हैं।
शहर की चकाचौंध उन्हें हरपल ड्स रही हैं ।…


ना जाने कब ज़ेहर से हो गये|
शेहर ने डस लिया,शेहर से हो गये….


आया था शहर सूरज सा चमकने,
पर यहां आकर सवेरा भी ना देख सका।।


Khat jo likha maine insaniyat ke naam,
dakiya hi chal bsa shaher doondte doondte


गाँव से शहर आये किसान ने क्या खूब कहा
वहाँ फसले खराब है, और यहाँ नस्लें।।


इस शहर में जो मिले थे सब अजनबी से थे –
बची थी तुम, तुम मतलबी सी थी ।

गाँव और शहर के जीवन पर शायरी

फ़ितरत हैं दगेबाज़ी इन शहरों की ,
मतलब निकलने के बाद रिश्तें भुला दिए जाते हैं।


तेरे शहर आएं तेरा दीदार ना हो जैसे हफ्ता
गुज़र जाये और एक इतवार ना हो…


Kitni ajeeb hai iss shahr ki tanhai bhi,
hazaro log hai magar koi uss jaisa nahi!


Shehar chhoda mne apni Pehchan banane ko,
aj wo shehar wapsh dhundhta hu apna rishtey nibhane ko


Hindi Shayari On Shahar तेरा शहर में

Tere sheher me bheed bht hai par
tera apna tujhe koi dikhai nhi dega


दिल की बातें केसे करू बया,
बया करने के लिए में उस गांव के आंगन को छोड़
इस बेजुबा शहर को चला आया में अपना गांव वहीं
छोड़ आया में शहर को चला आया…


शहर की इस चका चोंध रोशनी ने
गांव में उन दादा-दादी की बनने
बाली लाठी को छीन लिया।


Seene me jalan,
aankhon me tufaan sa kyu hai;
is shahar me har saksh pareshaan sa kyu hai


Koi dost hai na Raqeeb hai…
Tera Shehar kitnaa..ajeeb hai..


ये शहर के लोग क्या जाने मेरे गाँव
की मिटट्टी की खुशबू?♥️


फूल भेजा था चुपके से खत में,
पर उसकी खुशबू ने सारे शहर में हंगामा कर दिया


Lagi har taraf mere sheher me aag
koi unhe jldi bhejo rakh hone se pehle


तुझसे मोहब्बत करके खुद का
#शहर वीरान कर लिया ?


Sheri ladiyo ki roshni se jgmagata
sher bhul gya h shyd Deepak ki
roshni ki chehek


Tumhare Shehar ka mausam Bada suhana lage,
main Ek sham Chura lun agar bura na lage…


तुम्हारे शहर में होगी जगमग सितारों की रोशनी,
लेकिन मेरे गाँव सा सुकून यहाँ नही…!!!


शहर कोई भी हो …..अगर वो अपना हैं
तो बहुत खुबसुरत ही हैं


बस अब रहने भी दे
शिकायतें तुझसे क्या करूं
अब तेरा होने से अच्छा है,,
कि मैं #शहर#बनारस में रहूं??


मोहब्बत तो उसे भी रही होगी कभी ऐ चौहान।
वरना शहर में मेरा मकान कोई युही नहीं पूछता


जो मेरे गाँव के खेतों में भूख उगने लगी,,,,,
मेंरे किसानों ने शहरों में नौकरी कर ली,,,✍️


Wo tera sahar hoga jo rat bhr chalta hai…….
Mere gaw suraj jra jaldi nikalta hai


गांव से दूर किसी एक शहर में, आया था मैं जिंदगी की तलाश में।
मगर यहां खुद को हार बैठे, मेरा जिंदगी किसी ओर की जिंदगी बन बैठी।


बे मैल सा हू शहर में तेरे,
बडे ही मैल से रहा करता था कभी में गाँव में मेरे


हम तेरे शहर में शायरी

Shehr mein milta hai roz koi naya!
Darr yeh hai kise kon apna hai kon begana !


शहर तेरा छोड कर जब से आयी हू ,
तेरी यादों ने छेडना शुरू कर दिया है तब से ।


मेरे होने ना होने से उसे क्या फर्क पड़ता है।
वो अपने आप मे पूरे एक शहर के बराबर है


सड़क तुम अब आई हो गाँव,
जब सारा गाँव शहर जा चुका है.????


शहर की भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने आपको गये भूल ,
गांव तो जाकर देखो वहाँ अब भी है सुकून।?


मैं तो कुएं का मेंढ़क था,सादा-शान्त था जीवन मेरा।
लगी हवा जो तेरे शहर की,अस्त-व्यस्त हुआ जीवन मेरा।
चैनों-सुकून सब छीन लिया, इससें तो बेहतर था गाँव मेरा…..।।।


बेगानों के”शहर”में,कोई तो हो अपना कहने को,
दर-बदर भटक रहे है ,गैरों के हुज़ूम में।।


उन्हें इश्क़ है उस शहर से..जिस शहर में हम रहतें हैं…?


नया शहर लोग नए बाकी तो सबकुछ ही इज़ाफ़ी है।
वैसेतो सबकुछ है यहाँ पर रुलाने को माँ की याद ही काफ़ी है।

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