पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi

पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi हमारा जीवन पूरी तरह पर्यावरण पर निर्भर हैं, हमारे आस पास के परिवेश में उपलब्ध समस्त प्राकृतिक संसाधन इनवायरमेंट के अंतर्गत आते हैं.

बढ़ती आबादी के चलते इसका दोहन और दुरूपयोग बढ़ा है और पर्यावरण को तीव्र गति से नुक्सान पहुचाया जा रहा हैं. इसके संरक्षण के लिए प्रतिवर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस भी मनाया जाता हैं

आज के आर्टिकल में हम इनवायरमेंट पर कुछ सरल निबंध पढ़ेगे.

पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi

भूमिका

जिस पृथ्वी में हम रहते हैं वहांँ आस पास की सभी वस्तुएँ और प्राकृतिक सम्पदा महत्वपूर्ण होते हैं जो हमारे पर्यावरण की नींव बनाए रखते हैं। पर्यावरण के अंतर्गत समस्त चीजें आ जाती हैं जो जीवन यापन में ज़रूरी होती हैं। पर्यावरण के बिना जीवन असंभव है।

दोस्तों प्रस्तुत निबंध में हम पर्यावरण के बारे में बतायेगें जो मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। पर्यावरण का रखरखाव ज़रूरी होता है क्योंकि पर्यावरण स्वच्छ होगा तो मनुष्य जीवित रह पाएगा अन्यथा उसका कोई वजूद नहीं रहेगा। पर्यावरण और मनुष्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं पर्यावरण है तो मनुष्य है।

परिचय

“पर्यावरण” से तात्पर्य है हमारे आसपास का समस्त वातावरण जिसमें सभी जैविक (जिनमें जीवन होता है) व अजैविक तत्व (जिनमें जीवन नहीं होता है) शामिल होते हैं। एक ऐसा आवरण जिससे हम चारों ओर से घेरे हुए हैं जो जीवन जीने के लिए आवश्यक है।

पर्यावरण का महत्व

पर्यावरण जो हमें जीवन जीने में मदद करता है। पर्यावरण वो सारे संसाधन उपलब्ध कराता है जो सजीव प्राणी के लिए ज़रूरी होते हैं जिनके बिना जीवन जिया नहीं जा सकता  है।

पर्यावरण की महत्वपूर्णता को बरकरार रखने के लिए प्रत्येक वर्ष पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 5 जून को “पर्यावरण दिवस” मनाया जाता है।

पर्यावरण वह सभी वस्तुएँ जो मानव जीवन के लिए ज़रूरी होते हैं उपलब्ध कराता है एवं जलवायु में असंतुलन की स्थिति को नियंत्रित करता है।

पर्यावरण पर प्रभाव

पर्यावरण इस धरती के लिए बहुत उपयोगी है लेकिन आजकल के आधुनिक युग में टेक्नोलॉजी और औद्योगीकरण के अधिक प्रयोग से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं।

पर्यावरण प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो रही है क्योंकि मनुष्य द्वारा पेड़ पौधों को काटा जा रहा है और प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास हो रहा है। 

मनुष्य द्वारा पर्यावरण के प्रति लापरवाही की वजह से व अनेक कारणों से जलमंडल, वायुमंडल, स्थलमंडल और जीवमंडल पर प्रभाव पड़ रहा है।

पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग और तापमान में बढ़ोत्तरी की समस्या उत्पन्न हो रही है। पर्यावरण की ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए सबको जागरुक होने की ज़रूरत है और पर्यावरण के बचाव में एकजुटता एवं सहयोग की ज़रूरत है।

पर्यावरण का संरक्षण

मनुष्य के लिए पर्यावरण महत्वपूर्ण है अतः इसके संरक्षण के लिए हमें अनेक बातों का ध्यान रखकर पालन करना चाहिए। पर्यावरण दूषित ना हो जिसके लिए अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए।

पर्यावरण को स्वच्छ व साफ-सुथरा रखना चाहिए। पेड़ पौधों को काटने से रोकना चाहिए। ऐसे नियम बनाने चाहिए जिनसे ज़हरीले और दूषित करने वाले पदार्थ नियंत्रित किए जा सकें।

निष्कर्ष

पर्यावरण है तो मनुष्य जीवन है। पर्यावरण को बचाए रखने के लिए पर्यावरण के प्रति हमें जागरूक होना चाहिए। अपनी ज़िम्मेदारी को समझ कर पर्यावरण की रक्षा में सहभागी बनना चाहिए ताकि हम मनुष्य स्वस्थ स्वच्छ साफ पर्यावरण में रह सकें।

दोस्तों पर्यावरण हमारी पृथ्वी को एक सुंदर वातावरण देता है। स्वच्छ पर्यावरण में साँस लेना हर इंसान की ज़रूरत है। इस निबंध में पर्यावरण के बारे में उचित जानकारी पढ़ने को मिलेगी जो पर्यावरण के महत्व को दर्शाती है।

पर्यावरण पर निबंध -2

भूमिका

पर्यावरण हमारी पृथ्वी का बहुमूल्य स्वरूप है। जीवन की उत्पत्ति पर्यावरण के कारण ही संभव हो पाई है। पर्यावरण मनुष्य के लिए जितना महत्वपूर्ण है उतनी ही ज़रूरी है पर्यावरण की सुरक्षा।

परिचय

पर्यावरण अर्थात हमारे आस पास का सम्पूर्ण वातावरण व सम्बन्धित प्राकृतिक संसाधन एवं वस्तुएँं। जीवन यापन में शामिल सभी तत्व पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं जिनमें वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल, जीव मंडल हैं।

दोस्तों पर्यावरण मनुष्य के लिए उपहार स्वरूप है। पर्यावरण के कारण ही मनुष्य जीवन सम्भव है। प्रस्तुत लेख में पर्यावरण से संबंधित जानकारी को सहज रूप से लिखा गया है जिसे  पढ़कर पर्यावरण की महत्वपूर्णता पता चलेगी। 

पर्यावरण महत्व एवम् विश्व पर्यावरण दिवस

पर्यावरण मनुष्य को ज़रूरी वस्तुएंँ उपलब्ध कराता है जिसके कारण मनुष्य जीवित व स्वस्थ रह सकता है। स्वच्छ वायु, पानी, स्थान, भोजन आदि मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएँ स्वच्छ पर्यावरण से ही संभव है।

पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने एवं पर्यावरण के बचाव स्वरूप हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा एवम् स्वच्छता के मध्य भी जागरूकता फैलाता है। 

पर्यावरण सुरक्षा

पर्यावरण किसी एक मनुष्य की धरोहर नहीं है बल्कि सभी मनुष्य जाति के लिए पर्यावरण का सुरक्षित होना ज़रूरी है। पेड़ पौधे लगाने चाहिए। पेड़ पौधे की कटाई पर रोक लगानी चाहिए।

दूषित करने वाले पदार्थ एवम् ज़हरीले धुएँ से बचाव के नियम चलाने चाहिए। पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूकता लाकर उनका पालन करना चाहिए।

निष्कर्ष

पर्यावरण मानव जीवन के लिए ज़रूरी है साथ ही ज़रूरी है पर्यावरण की सुरक्षा। अनेक कार्यों को प्रयोग में लाकर पर्यावरण की सुरक्षा की जा सकती है। 

दोस्तों पर्यावरण की उपयोगिता जितनी ज़रूरी है उतनी ही ज़रूरी है पर्यावरण की देखभाल व सुरक्षा और पर्यावरण के प्रति जागरूकता। इस निबंध में पर्यावरण के बारे में सहज रूप से बताया गया जो पर्यावरण संबंधी जागरूक पक्ष बताता है।

पर्यावरण पर भाषण Environment Speech in Hindi

पर्यावरण पर भाषण Our Environment Speech in Hindi: मानव के जीवन का अस्तित्व पर्यावरण से जुड़ा हैं. हमारी पृथ्वी पर जीवन की सम्भावनाएं भी पर्यावरण की मौजूदगी से संभव हुई हैं.

बच्चों को पर्यावरण के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए आज हम निबंध एवं भाषण के माध्यम से एनवायरमेंट के बारे में विस्तार से जानेगे.

Environment Day Speech in Hindi यह शोर्ट भाषण ५ जून के पर्यावरण दिवस के विषय पर दिया गया हैं. स्कूल और कॉलेज के छोटे बड़े स्टूडेंट्स इस लेख की रूपरेखा का उपयोग अपने पसंद के भाषण के लिए कर सकते हैं. परीक्षा अथवा स्कूल के कार्यक्रम में इसकी प्रस्तुती कर सकेगे.

मंचआसीन आदरणीय प्रिंसिपल महाशय, विद्वान् गुरुजनों मुख्य अतिथि महोदय एवं मेरे समस्त स्टूडेंट साथियों. सुप्रभात, इस प्रांगण में विराजमान सभी महानुभावों का मैं ह्रदय की गहराइयों से आभार व्यक्त करता हूँ.

मुझे इस भव्य सम्मेलन को देखकर बड़ी प्रसन्नता हुई आज हम पर्यावरण के विषय पर जागरूक हो रहे है ये सभा इसका प्रत्यक्ष उदहारण हैं. आप सभी के समक्ष पर्यावरण पर भाषण देने का मौका देने के लिए आयोजन समिति को साधुवाद कहना चाहूँगा.

यहाँ विराजमान कुछ बुजुर्ग जन चार पांच दशक पूर्व के जीवन की सच्चाई से परिचित हैं. मैंने भी अपने दादाजी से उस दौर के बारे में काफी सुना हैं. जब मानव की तरक्की के कथित साधन कम थे.

जीवन के निर्वहन में कई बाधाएं हुआ करती थी. जैसे कृषि, जल, आवागमन, सूचना प्रोद्योगिकी आदि के कोई साधन नहीं के बराबर थे. मगर एक बात बड़ी अच्छी थी. हमारा पर्यावरण संरक्षित था.

मानव सदा से महत्वकांक्षी, स्वार्थी तथा औरों पर विजय पाकर विजेता बनने का स्वभाव का रहा हैं. दुर्भाग्य से अब इसने प्रकृति पर विजय पाने की जिद्द ठानी हैं. कथित विकास और एशो आराम के नाम पर पर्यावरण को खत्म किया जा रहा हैं.

प्रकृति अपने नियमों के बंधन का पालन करते हुए आगे बढ़ती हैं, मगर मनुष्य ने पर्यावरण संतुलन को बिगाड़ने की हर हद को पार करने कवायद शुरू कर दी है. जो मानव अस्तित्व के खात्मे का कारण बन सकती हैं.

मानव अपने काल को अपने ही हाथों से पाल पोसकर बड़ा कर रहा है जो एक दिन सभी को निगल जाएगा. आज वक्त आ चूका है कि हम पर्यावरण संरक्षण के नाम पर दिखावे की बजाय इसे बचाने के लिए प्रयास शुरू कर दे.

हमारे आस पास जो कुछ है उसका सम्मिलित नाम ही पर्यावरण हैं. जल, वायु, पेड़,पहाड़ भूमि सभी इसके अंग हैं. हमें पर्यावरण ने वह सब कुछ दिया जो जीवन के लिए आवश्यक था.

हमारी लालच की प्रवृत्ति इतनी बढ़ी की. हम प्रकृति की पूजा के बदले उन्हें प्रदूषण और वनों की कटाई उपहार स्वरूप दे रहे हैं. मनुष्य के इन्ही कर्मों का फल ग्लोबल वार्मिंग, बीमारियों, जल संकट के रूप में मिला हैं.

यदि आप प्रकृति का संतुलन बिगड़ा है और संसाधन सिमित रह गये है तो मानव समुदाय ही इसका जिम्मेदार हैं. अपने जीवन को अधिक सुखमय बनाने की लालसा के कारण आज हालात इतने बुरे हुए हैं.

खासकर पश्चिम के विकसित देशों ने औद्योगिक विकास के नाम पर वनों की अंधाधुंध कटाई के बाद वायु, जल, भूमि को इतनी प्रदूषित किया है कि ओजोन परत में भी छिद्र कर दिया.

हमें भौतिकता के इस दौर को छोडकर पुनः प्रकृति की ओर लौटना होगा. तभी पर्यावरण बचेगा तथा मानव समुदाय भी बचा रह पाएगे. यह जरुरी है कि हम प्रकृति को संतुलित करने के लिए संसाधनों का सिमित मात्रा में ही उपयोग करे.

यदि हम पर्यावरण के बढ़ते खतरे के कारणों का अध्ययन करे तो असीमित रूप से बढ़ी जनसंख्या इसका मूल कारण है. आवास, ईधन तथा अन्य मानव आवश्यकताओं के लिए वनों की कटाई अनवरत होती रही. इससे वन उजड़ते चले गये और वायुमंडल की गैसों का संतुलन बिगड़ गया.

पर्यावरण को बचानें एवं इसके संतुलन को स्थापित करने में वृक्षारोपण अहम भूमिका निभा सकता हैं. हमें चाहिए कि जितने पेड़ों की कटाई आवश्यक हो उनके स्थान पर नयें पौधे लगाए तथा घनी मानव बस्ती में छोटा वन एवं उपवन बनाकर ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित कर सकते हैं.

प्रकृति के पारिस्थितिकी तंत्र में सभी छोटे बड़े जीवों, पेड़ पौधों का बना रहना जरुरी हैं. किसी जाति की संख्या कम होने अथवा किसी की बढ़ जाने से यह संतुलन बिगड़ जाएगा और ऐसा होने पर भयानक दुष्परिणाम भुगतने पड़ेगे.

आज प्रत्येक शहर की सड़क पर वाहनों की लम्बी कतार उससे होने वाले वायु एवं ध्वनि प्रदूषण ने कई बीमारियों को जन्म दिया हैं. यूरेनियम विस्फोट से अर्जित परमाणु ऊर्जा मानव की प्रकृति को प्रदूषित करने की चाल हैं. वह अपनी जीवन शैली के विविध रूपों से जल, वायु, मृदा तथा ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाने में योगदान दे रहा हैं.

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पहला कदम हमें व्यक्तिगत स्तर पर उठाना चाहिए. हम स्वयं ऐसे उपायों को अपनाएं जिससे पर्यावरण के प्रदूषण को कम करने मदद मिल सके. इस अभियान की सफलता के लिए व्यापक स्तर पर जनजागरूकता की भी आवश्यकता हैं.

विशेषकर स्कूल में अध्ययनरत बच्चों को पर्यावरण के विषय में अलग से जानकारी देनी होगी. वनों की कटाई से कारण बाढ़, अकाल, जल संकट, तापमान वृद्धि, सुनामी जैसी आपदाओं का प्रभाव मनुष्य को भुगतना पड़ रहा हैं.

संतुलित पर्यावरण से स्वास्थ्य के अनगिनत लाभ हैं. स्वच्छ वायु, जल के होने से बीमारियों से बचाव संभव हैं. शरीर के समग्र स्वास्थ्य के अच्छा बनाने के लिए मृदा, भूमि, तापीय तथा ध्वनि व विकिरण प्रदूषण भी हानिकारक हैं.

यदि हम निरंतर प्रकृति के अंगो को यूँ ही दूषित करते गये तो एक दिन ये हमारे लिए उपयोगी नहीं रह पाएगे. तथा इनके अभाव में जीवन निर्वाह संभव नहीं हैं. मानव शरीर जिन पांच तत्वों से मिलकर बना हैं किसी एक की गुणवत्ता में कमी आने से भयंकर विकार उत्पन्न हो जाएगे.

अभी तक पर्यावरण के असंतुलन की वह स्थिति नहीं है जहाँ से इसमें सुधार नहीं किया जा सकता हैं. हम अभी सजगता से काम ले तो निश्चय ही मानव जाति के हित में यह सबसे बड़ा कदम हो सकता हैं. हम अपने पर्यावरण को बचाने के तरीके खोजकर इन्हें लोगों तक पहुचाने होंगे.

नवीकरण संसाधनों के संतुलित उपयोग यथा जल, विद्युत्, गैस, पेट्रोल आदि के बचाव तथा वृक्षारोपण की आदत डालकर हम इसमें अपना सक्रिय योगदान दे सकते हैं. सरकार भी अपने स्तर पर वनों की कटाई को रोकने तथा प्रदूषण कम करने के लिए कानून बनाए.

आखिर में सभी से यही निवेदन करना चाहूगा कि हम सभी जिस स्तर पर पर्यावरण को बचाने में योगदान कर सकते हैं अवश्य करे. लोगों तक पर्यावरण को बचाने के सरल तरीके प्रचारित कर उन्हें भी भागीदारी के लिए प्रेरित करे. तभी हम भावी पीढ़ी को सुरक्षित भविष्य एवं स्वर्ग सी धरा दे सकेगे.

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