गुरु नानक देव पर निबंध Essay On Guru Nanak Dev ji In Hindi: नानक देव सिख समुदाय के संस्थापक एवं आदि गुरु कहलाते हैं. इन्हें बाबा नानक और नानकशाह के नामों से भी जाना जाता हैं.
हिन्दुओं की ब्राह्मण वादी विचारधारा तथा मुस्लिमों के अत्याचार के विरोध स्वरूप सिख सम्प्रदाय की नींव रखी. गुरु नानक महान दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाज सुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु थे,
नानकदेव ने आजीवन सनातन धर्म की रक्षार्थ खड़े रहे. आज के गुरु नानक के निबंध में हम उनके जीवन परिचय, इतिहास, जीवनी पर विस्तार से नानक देव जी के निबंध में जानेगे.
गुरु नानक देव पर निबंध Essay On Guru Nanak Dev ji In Hindi
गुरु नानक देव का जन्म 1469 ई में तलवंडी ग्राम जिला लाहौर में हुआ था. इनकी मृत्यु 1531 ई में हुई. इनके पिता का नाम कालूचंद खत्री और माँ का नाम तृप्ता था.
इनकी पत्नी का नाम सुलक्षण था. कहते हैं कि इनके पिता ने इन्हें व्यवसाय में लगाने का बहुत प्रयास किया किन्तु इनका मन बचपन से ही भक्ति की ओर अधिकाधिक झुकता गया.
उन्होंने हिन्दू मुसलमानों दोनों की समान धार्मिक उपासना पर बल दिया. वर्णाश्रम व्यवस्था और कर्मकांड का विरोध करके निर्गुण भक्ति का प्रचार किया.
गुरु नानक देव ने व्यापक देशाटन किया और मक्का मदीना तक की यात्रा की. कहते है कि मुगल सम्राट बाबर से भी इनकी भेंट हुई थी.
यात्रा के दौरान इनके साथी और शिष्य रागी नामक मुस्लिम रहते थे, जो इनके द्वारा रचित पदों को गाते थे. गुरु नानक देव ने सिख धर्म का प्रवर्तन किया.
इनकी रचनाओं में धार्मिक विश्वास, नाम स्मरण, एकेश्वरवाद, परमात्मा की सर्वव्यापकता, विश्व प्रेम नाम की महत्ता आदि का परिचय मिलता हैं.
गुरु नानक देव की वाणी का प्रत्येक उदगार अनुभूति की गहराई से निकला प्रतीत होता हैं. सरलता और अहंभावशून्यता इनकी प्रकृतिगत विशेषताएँ हैं.
निरीहता एवं दैन्य की अभिव्यक्ति में ये रैदास के समतुल्य हैं. इनका अधिकाँश साहित्य पंजाबी में है, किन्तु कहीं कहीं ब्रजभाषा खड़ी बोली का प्रयोग भी मिलता हैं.
इनकी बानियों का संग्रह आदिग्रंथ के महला नामक खंड में हुआ हैं. इनमें शब्द और सलोकु के साथ जपुजी आसाददीवार, रहि रास एवं सोहिला का भी संग्रह हैं. गुरु नानक देव की ही परम्परा में उनके उतराधिकारी कवि हुए.
इनमें गुरु अंगद, गुरु अमर दास, गुरु रामदास, गुरु अर्जुन, गुरु तेग बहादुर और दसवें गुरु गोविंद सिंह हैं. गुरु गोविंद सिंह मरर अनेक काव्य ग्रंथों की रचना की, गुरु नानक देव की कविता का एक अंश देखिये.
“जो नर दुःख में दुःख नहि मानै सुख स्नेह अरु भय नहिं जाके, कंचन माटी जानै नहिं निंदा नहिं अस्तुति जाके, लोभ मोह अभिमाना हर्ष सोक ते रहैं निचारों, नाहिं मान अपमाना”
Short Paragraph & Essay on guru nanak dev ji in hindi Language In 250 Words
सिख धर्म के प्रवर्तक एवं आदि गुरु गुरू नानक देव जी का जन्म 14 अप्रैल 1469 को लाहौर के तलवंडी में हुआ था, वर्तमान में यह पाकिस्तान में हैं.
इनके पिताजी का नाम कल्याणचंद था, जो एक कास्तकार थे. जब नानक 16 वर्ष के हुए तो इनका विवाह हो गया, इनके दो पुत्र भी थे, जिनका नाम श्रीचंद और लक्ष्मीचंद रखा गया था.
सिखों के पहले गुरू नानक देव को उनके अनुयायी गुरु नानक, बाबा नानक और नानकशाह आदि नामों से जानते हैं, इन्ही के नाम पर बाद में तलवंडी का नाम बदलकर ननकाना साहिब हुआ.
बालपन से ही नानक का आध्यात्म के प्रति गहरा झुकाव रहा, स्कूल जाने और पढ़ने में इन्हें कोई दिलचस्पी नहीं थी, मात्र आठ वर्ष की आयु में ही इन्होने स्कूल जाना छोड़ दिया तथा ईश्वर के नाम स्मरण में जीवन बीतता गया. 22 सितम्बर 1539 ई में गुरु नानक का देहांत हो गया, जब ये 70 वर्ष के थे.
गुरू नानक देव ने जीवन भर न केवल मानवता को सही राह दिखाई, बल्कि हर अवसर पर सनातन धर्म की इस्लाम से रक्षा की, यही वजह है कि नानक जितने प्रिय सिक्खों के है उतने ही आदरणीय हिन्दुओं के लिए भी हैं.
गुरू नानक देव के जन्मदिन को गुरु परब अर्थात गुरुपर्व के रूप में धूमधाम से मनाया जाता हैं. यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन पड़ता है यह सिक्ख समुदाय का एक महत्वपूर्ण पर्व हैं.