दर्शन, दार्शनिक पर सुविचार | Philosophical Quotes In Hindi

Philosophical Quotes In Hindi: दर्शन और दार्शनिक का अर्थ समझने के लिए हमें दर्शनशास्त्र को समझना (philosophy meaning) होगा. परिभाषा के रूप में दर्शनशास्त्र का अर्थ है जीवन की ओर देखना या जगत के प्रति एक दृष्टिकोण रखना.

नया जानने की जिज्ञासा मानव में हमेशा से रही है   उसने हर रहस्य को समझने उनके कारण व परिणाम खोजने के प्रयास किये हैं. सरल भाषा में जाने तो सत्य की खोज, ईश्वर की खोज, मानव, मृत्यु जीवन आदि के रहस्य को दर्शन या दार्शनिक हमेशा से जानने के प्रयत्न करते रहे हैं.

आज का हमारा विषय Philosophical Quotes- यानि दर्शन के बारे जानना है इसकी परिभाषा और अर्थ के बारे में दर्शन शास्त्र के विद्वानों के कथन और उद्धरण हम यहाँ पढ़ेगे.

Philosophical Quotes In Hindi | दर्शन, दार्शनिक पर सुविचार

विगत एवं आगत दुर्भाग्यों पर दर्शन विजय प्राप्त करता है, परन्तु वर्तमान दुर्भाग्य दर्शन पर विजय प्राप्त करते हैं.


दार्शनिक की भांति दर्शन की बातें लिखना और कहना आसान है, परन्तु ज्ञानपूर्वक कार्य करने के प्रश्न पर उत्तर है- बस यही रगड़ना झंझट हैं.


केवल दर्शन हमारे मस्तिष्क को अपराजेय बना देता है और हमकों भाग्य की पहुच के परे स्थापित कर देता है, जिससे भाग्य के समस्त भाग्य के तीर हम तक न पहुच सके.


दर्शन को यदि ठीक प्रकार परिभाषित किया जाए तो वह ज्ञान के प्रति प्रेम के अतिरिक्त कुछ नहीं हैं.


दर्शन समझदारी के अतिरिक्त कुछ नहीं हैं.


एक दार्शनिक का प्रथम कार्य यह है कि वह आत्म अहंकार को त्याग दे.


एक दार्शनिक होने के लिए क्या केवल यह आवश्यक नहीं है कि वह व्यक्ति के विचार गूढ़ हो और उसकों ज्ञान से प्रेम हो जिससे उसके आदेशों के अनुसार जीवन व्यतीत कर सके.


यथार्थ दार्शनिक स्वभाव को चार शब्दों में वर्णित किया जा सकता हैं. प्रचुर आशा, अल्प विश्वास.


दार्शनिक सत्य की दृष्टि के प्रेमी होते हैं.


दार्शनिक की भावना आश्चर्य की रहती हैं, और आश्चर्य में दर्शन का आरम्भ होता हैं.


सहज विश्वास न करना दर्शन की दिशा में पहला कदम होता हैं,.


दर्शन मजहब के अस्तित्व के समस्त तर्क समाप्त कर देता हैं.


दर्शन वह विज्ञान है जो सत्य पर विचार करता है.


दर्शन परिष्कृत कविता के अतिरिक्त कुछ नहीं हैं.


दुर्भाग्य दर्शन का मधुर दुग्ध होता है.


दर्शन जीवन यापन की कला हैं.


एक शताब्दी का दर्शन अगली शताब्दी का व्यवहारिक ज्ञान बन जाता हैं.


सत्य क्या है इसकी खोज तथा जो अच्छा शिव है उसका अभ्यास दर्शन के ये सर्वाधिक दो महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं.


दर्शन पर सुविचार

दर्शन की असली पहचान संसार में नहीं होती है बल्कि दर्शन की असली पहचान स्वयं के अंतर्मन में होती है। अगर अंतर्मन में झाँक कर देखें तो पता चलेगा कि जग से ज्यादा दर्शन खुद के अंदर है।


दर्शन को ढूँढ़ने हम जगह जगह भटकते रहते हैं लेकिन दर्शन हमें दार्शनिक की भीड़ में भी नहीं मिलता है जबकि दर्शन आत्मचेतना से मिलता है।


अक्सर इन्सान सच से दूर भागता है क्योंकि वह सच का सामना करना नहीं चाहता है।


इन्सान जीवन दर्शन की खोज में दर दर भटकता है लेकिन खोज नहीं पाता है। इन्सान जो सोचता है कि दर्शन उसे खोजने से मिलेगा उसका यह भ्रम अक्सर टूट जाता है। दर्शन खोजने से नहीं मिलता है बल्कि दर्शन आत्मचेतना से अनुभव किया जाता है।


अगर आलोचना ज्यादा परेशान करे तो उस पर ध्यान देना छोड़ दो।


कठिनाईयाँ एक सामान्य इन्सान को उसके विशिष्ट भाग्य के लिए तैयार करती है।


समस्या के समाधान के लिए समस्या को अच्छे से समझना पड़ता है तभी समस्या पूरी तरह से दूर होती है।


हमारा अंतर्मन मंदिर के समान होता है जो आध्यात्मिक ज्योति का प्रकाश फैलाता है, जो पीड़ा का निदान करता है, उन्नति स्वरूप हर परेशानियों को पार कर जाता है।


जो इन्सान जीवन जीना चाहता है वो जीवन में सहना सीख जाता है।


मुसीबतों से इन्सान जीवन में बहुत कुछ सीखता है।


मन की शांति का जीवन के भ्रमजाल से कोई वास्ता नहीं होता है। मन की शांति से जीवन को आलोक मिलता है और मन के भावों स्वरूप उठते तूफान को भी शांत करता है। मन की शांति सच्ची खुशी देती है।


शिक्षा की नींव भले कठिन हो सकती है लेकिन उसका फल अक्सर मीठा ही होता है।


अशिक्षा जीवन में परेशानी समान है जिसे शिक्षा द्वारा ही दूर किया जा सकता है।


किताबी ज्ञान से भी ज्यादा ज़रूरी है आत्मज्ञान का होना जो इन्सान को बुद्धिमान ही बनाता है।


इन्सान का एक दूसरे के प्रति ईर्ष्या करना जीवन में ज़हर घोल देता है।


इन्सान में सबसे महत्वपूर्ण रूप से जो अच्छाई ग्रहण की जा सकती है वो है ज्ञान और अज्ञान किसी बुराई से कम नहीं है।


खुद पर भरोसा हमारी सोच से अधिक ज्ञान देता है।


इन्सान में कमियाँ होना कोई बुरी बात नहीं है बल्कि कमियाँ होना स्वाभाविक है जो इन्सान को सुंदर अनुभूति देती है क्योंकि हर इन्सान अपने आप में सुंदर होता है।


ज्ञान विज्ञान जीवन की गहराईयों से हमें अवगत कराते हैं जो आध्यात्मिक के विपरीत होते हुए भी गूढ़ तथ्य से जुड़े होते हैं।


इन्सान के लिए सबसे महत्वपूर्ण है उसकी मानवता जिसके आगे अन्य तथ्यों को गौण समझना चाहिए।


धन से कोई व्यक्ति अच्छा नहीं बन जाता है बल्कि अच्छा इन्सान धन ज़रूर कमा सकता है।


बहादुर लोग ही बिना जान पहचान वाले रास्तों पर हिम्मत से जाते हैं अर्थात् कठिनाईयों का सामना हिम्मत से करते हैं।


अपने रास्ते की सही पहचान करना ज़रूरी है कि वाकई आप जिस राह की ओर बढ़ रहे हैं वो सही है या गलत इसका ज्ञान होना ज़रूरी है। वक्त के साथ साथ देखते रहना चाहिए कि हमारी दिशा सही है या नहीं है।


हमें कभी जीवन में कोशिश करने से परहेज़ नहीं करना चाहिए। कोशिश करके सफल होना और असफल होना ठीक है लेकिन कोशिश न कर पाना इसका दुख मन को चोट पहुँचता है।


जीवन में अपना ध्यान रखना चाहिए, अपने लिए जीना अच्छा है। अपनी खुशी का ख्याल रखना चाहिए लेकिन अपनी खुशी में मतलबी नहीं बनना चाहिए।


जीवन के वास्तविक सत्य को आत्मज्ञान के द्वारा जाना समझा जा सकता है।


जीवन में मनुष्य के अगर प्रेम और ज्ञान नहीं है तो जीवन निरर्थक समान है।


दर्शन व्यवहारिक पक्ष के साथ साथ आध्यात्मिक पक्ष को भी अपनाता है जो जीवन की हकीकत का सही रूप दिखाता है।


जीवन का मूल उद्देश्य है आत्मज्ञान की प्राप्ति


दर्शन के द्वारा ईश्वर हमें अलौकिक शक्ति प्रदान करते हैं और सही दृष्टिकोण हमें सत्य के दर्शन कराता है अन्यथा दृष्टि मात्र सिर्फ वही देखती है जो हम देखना चाहते हैं।


आत्मशक्ति हमें अपने अंदर ही मिलती है उसे बाहरी जगत में खोजना व्यर्थ है, जब इस बात की मनुष्य को समझ होगी वह स्वयं में आत्मशक्ति महसूस करेगा।


परिस्थितियों से ज़िन्दगी असहनीय नहीं होती बल्कि जीवन के वास्तविक अर्थ व लक्ष्य के अभाव में ऐसा महसूस होता है।


कुछ सीखने के लिए उचित क्रिया है समझ, जो हमें कुछ भी सीखने में मदद करती है।


अगर हम दुनिया में परिवर्तन चाहते हैं तो पहले उस परिवर्तन का सहभागी हमें स्वयं बनना पड़ेगा।


सही या गलत की अनुभूति हमें स्वयं के द्वारा ही होती है जिसके लिए आत्मज्ञान की अनुभूति होना आवश्यक है।


वास्तविक खुशी हमें बाहरी जगत में कभी नहीं मिलेगी अगर हमारा आंतरिक मन खुश नहीं है।


विज्ञान हम जानते हैं लेकिन दर्शन हम नहीं जानते और जो नहीं जानते उसी बात का ज्ञान, आत्मज्ञान, समझ जीवन का दर्शन बताता है।


अगर हम दर्शन को उदाहरणों के माध्यम से समझ जायेगें तो इतिहास को जानना समझना आसान होगा।


सही समय पर सही कार्य करना समझदारी है यह बात हमें सीखनी चाहिए।


एक नारी को अगर कोई सही समझ से समझ सकती है तो सिर्फ नारी ही है।


जीवन जीना और जीवन प्रसन्नतापूर्वक जीना दोनों में फर्क है। कुछ लोग सिर्फ जीवन जीते हैं लेकिन कुछ लोग जीवन उल्लास पूर्वक जी जाते हैं।


समय के साथ साथ हमें अपने ज्ञान को भी बढ़ाना चाहिए वरना समय चक्र में पीछे रह जाते हैं।


जिन लोगों में करुणा, दया नहीं है वो वास्तविक दर्द से परिचित नहीं हो सकते।


जीवन में मनुष्य ही है जो अपनी सोच से अच्छा या बुरा बातों को कहता है अन्यथा बातों में अच्छा या बुरा जैसा कुछ नहीं।


स्वयं दुनिया के हिसाब से जीना उचित व्यक्ति के लिए उचित संदर्भ प्रस्तुत करता है जबकि इसके विपरित जाना, अनुकूल होना अनुचित व्यक्ति के लिए अनुचित संदर्भ प्रस्तुत करता है।


जीवन की राहों में गिरना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन गिरकर उठना जीवन में बहुत बड़ी बात है।


महान व्यक्ति की कथनी और करनी में अक्सर समानता मिलती है वह कथनी से ज्यादा करनी में विश्वास करते हैं।


हमें दूसरों के सम्मान के साथ साथ खुद का भी सम्मान करना चाहिए। हम खुद को सम्मानीय समझेगें तभी दूसरे लोग भी सम्मान देगें।


किसी भी प्रकार का बदलाव लाने के लिए हमें तथ्यों पर पहले विश्वास करना होगा तभी परिवर्तन सम्भव है।


अच्छे विचारों को मनुष्य जितना अधिक आत्मसात करेगा उसका जीवन उतना बेहतर और व्यापक होगा।


हर मनुष्य में गुण होते हैं और उन गुणों के आधार को मनुष्य की विनम्रता ही मज़बूत करती है।


जीवन में अनेक कठिनाईयाँ आती हैं जिनसे निकलना धैर्य से सम्भव होता है जो इन कठिनाईयों से निकलने के लिए मार्ग बना देती है।


ज्ञान अर्जित करना जीवन में महत्वपूर्ण है लेकिन ज्ञान का उपयोग करना उसकी वास्तविक पहचान है।

1 thought on “दर्शन, दार्शनिक पर सुविचार | Philosophical Quotes In Hindi”

  1. No matter what stage you are in life, your stage starts from there, this is a simple matter, it is appropriate to understand this incident.

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