बाघ बचाओ पर निबंध | Save Tiger Essay In Hindi

Save Tiger Essay In Hindi: आज हम बाघ बचाओ पर निबंध आपकों यहाँ बता रहे हैं टाइगर प्रोटेक्शन प्रोजेक्ट में यहाँ कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों के लिए 5,10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में छोटा बड़ा एस्से दिया गया हैं.

Tiger Hindi Essay निबंध की मदद से आप समझ पाएगे बाघ पर सरल निबंध पैराग्राफ भाषण लिख पाएगे.

बाघ बचाओ पर निबंध Save Tiger Essay In Hindi

 बाघ बचाओ पर निबंध Save Tiger Essay In Hindi

नमस्कार प्यारे मित्रों नेशनल एनिमल टाइगर कंजर्वेशन अर्थात बाघ बचाओ (संरक्षण) पर सरल भाषा में कुछ निबंध यहाँ दिए हैं, उम्मीद है आपको ये निबंध पसंद आएगे.

बाघ संरक्षण पर निबंध (200 शब्द)

बाघों को बचाने के लिए गवर्नमेंट के द्वारा अपने स्तर से काफी अच्छे प्रयास किए जा रहे हैं परंतु कुछ लालची लोगों के कारण बाघों का शिकार अभी भी रुका हुआ नहीं है,

ऐसी अवस्था में एक आम नागरिक होने के कारण हमारा भी यह कर्तव्य बनता है कि हम बाघों को बचाने की मुहिम में शामिल हो और अपनी तरफ से हर संभव प्रयास करें।

बाघ को बचाने के लिए सबसे जरूरी है लोगों के अंदर बाघों के प्रति जागरूकता पैदा करना क्योंकि जब लोगों के अंदर किसी चीज को लेकर के जागरूकता होती है तभी वह उस चीज के महत्व को समझते हैं।

लोगों के अंदर बाघों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए एडवर्टाइजमेंट, इंटरनेट, वेबसाइट, पेपर इत्यादि के जरिए हम लोगों से बाघों को बचाने के लिए अपील कर सकते हैं और उनका शिकार ना करने की गुजारिश कर सकते हैं।

इसके अलावा हम अपने शहर अथवा ग्रामीण इलाके में मौजूद किसी भीड़भाड़ वाले चौराहे पर बाघ बचाओ का एक बड़ा बैनर भी डाल सकते हैं ताकि वह लोगों की नजरों में आए और लोगों के अंदर बाघों को बचाने की प्रति जागरूकता पैदा हो सके।

बाघ बचाओ निबंध (250 शब्द) Save Tiger Short Essay

बाघ एक हिंसक और मांस खाने वाला जानवर होता है, इसलिए अधिकतर लोग इससे काफी ज्यादा डरते हैं। हालांकि यह बात काफी हद तक सही भी है परंतु बाघ की चमड़ी कई प्रकार से व्यापार के लिए काम आती है,

इसलिए शिकारियों के द्वारा काफी भारी मात्रा में बाघ का शिकार जंगलों में किया जाता है और जब किसी जानवर का शिकार अत्याधिक मात्रा में किया जाता है तो उस जानवर का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है।

इसीलिए हमारा, आपका और गवर्नमेंट का यह परम कर्तव्य बनता है कि वह बाघों के संरक्षण के लिए विशेष तौर पर काम करें और जो भी शिकारी बाघों का शिकार करते हैं उनकी धरपकड़ के लिए अभियान चलाए, साथ ही साथ जंगलों में फॉरेस्ट ऑफिसर को बाघों के संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए दिशानिर्देश भी जारी करें।

बाघ एक हिंसक जानवर होता है और इसे पाला नहीं जा सकता, इसलिए इसकी सिक्योरिटी की जिम्मेदारी किसी एक व्यक्ति की नहीं होती है बल्कि सभी इंसानों को इसकी सुरक्षा के लिए तत्पर होना चाहिए।

अगर शिकारियों के द्वारा लगातार बाघों का शिकार किया जाएगा और सामान्य आदमी अथवा गवर्नमेंट बाघों के संरक्षण के लिए कोई विशेष कदम नहीं उठाएगी तो हो सकता है कि जिस प्रकार से डायनासोर का अस्तित्व इस धरती से खत्म हो गया उसी प्रकार बाघों का भी अस्तित्व इस धरती से खत्म हो जाए।

बाघों का शिकार ना करने के लिए हमें लोगों को जागरूक करना चाहिए, साथ ही जंगलों की कटाई पर भी रोक लगाने के लिए गवर्नमेंट को उचित कदम उठाने चाहिए ताकि बाघ आसानी से जंगलों में विचरण कर सके और इंसानी बस्ती में ना आए।

700 शब्द बाघ संरक्षण पर निबंध

बाघ का प्रश्न हमारें राष्ट्रीय सम्मान से जुड़ा हुआ हैं क्योंकि बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु हैं इस कारण यह भारत की शान राष्ट्रीय प्रतीक में सम्मिलित हैं. हमारे देश में आए दिन बाघों की संख्या में कमी देखी जा रही हैं.

बिल्ली की प्रजाति के इस वन्य प्राणी के लुप्त होने का सबसे बड़ा कारण उसके प्राकृतिक आवास में मानव की अनियंत्रित घुसपैठ हैं. हम अपने निजी  स्वार्थ के  वशीभूत होकर बाघ जैसे वन्य जीवों के वातावरण में छेड़छाड़ का ही नतीजा हैं कि भारत में बाघों की संख्या आए दिन  कम  होती जा रही हैं.

यदि समय रहते वन विभाग द्वारा इस ज्वलंत विषय के समाधान के लिए कठोर उपाय नहीं  अपनाएं गये  तो वह  समय दूर नहीं जब हमारें नजरें जंगलों में बाघों को खोजती थक जाएगी और इस तरह हम अपने राष्ट्रीय पशु को खो देंगे.

क्या हम एक ऐसी दुनियां के बारें में आज विचार कर सकते हैं जिसमें जंगलों में केवल झाड़ियाँ ही हो वहां कोई वन्य जीव देखने को न मिले. केवल मानव ही पृथ्वी पर बस सके.

ऐसा बहुत जल्द होने वाला हैं क्योंकि जिस तेज गति से हम वनों का विनाश कर रहे हैं यदि यही चलता रहा तो हमारा पारिस्थितिकी तंत्र जल्द ही गडबडा जाएगा क्योंकि इस जीवन चक्र में सभी जीव एक दूसरे पर निर्भर हैं

यदि किसी बीच की कड़ी को समाप्त कर दिया जाए तो कुछ जानवर बहुत अधिक  मात्रा में बढ़ जाएगा तथा  पृथ्वी पर उन्हें सिमित करने की कोई व्यवस्था नहीं होगा. इसलिए बाघ जैसे प्राणियों को खत्म होने से बचाने के लिए उनका संरक्षण आवश्यक हो गया हैं.

लुप्त हो रहे बाघ एक बड़े प्राकृतिक अस्थायित्व का संकेत कर रहे हैं. टाइगर जिन्हें हमारे देश की राष्ट्रीय सम्पति माना गया हैं. विगत सदी के शुरूआती दशकों में भारत में बाघों की संख्या हजारों में थी,

हरेक बड़े उद्यान व जंगल में स्वच्छन्द विचरण करते बाघ व बाघिन देखे जा सकते थे, वर्तमान समय में इनकी संख्या में तेजी से कमी आई हैं बहुत से अभ्यारण्य  बाघ शून्य भी  हो चुके हैं.

तेजी से बाघों की घटती संख्या को रोकने तथा बाघों की जनसंख्या बढ़ाने व उन्हें संरक्षण देने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा उतराखंड के जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना कर 1 अप्रैल, 1973 से बाघ परियोजना आरम्भ की गई . wwf  व भारतीय वन्य जीव प्राणी बोर्ड की सिफारिश पर इस योजना को क्रियान्वित किया गया.

अप्रैल २०२३ में जब टाइगर प्रोजेक्ट के ५० साल पूरे होने पर भारत में बाघों की संख्या में २६८ से बढकर 3167 हो गई हैं. इस दिशा में सरकारों के प्रयास काफी कारगर सिद्ध हुए हैं.

ऐसा नहीं हैं कि भारत में बाघ बचाने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किये गये, फिर भी इस दिशा में किये गये प्रयासों को अधिक सख्ती से लागू करने तथा नयें रचनात्मक उपाय खोजने की भी आवश्यकता हैं.

भारत ने बाघ संरक्षित क्षेत्र, चिड़िया घर,  वन्य जीव आरक्षण क्षेत्र बनाए गये हैं. इन प्रयासों के जरिये भारत में बाघों को समाप्त होने से रोकने तथा उनके कृत्रिम प्रजनन  की व्यवस्था भी की जा रही हैं.

बाघ बचाने की दिशा में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के अनुसार राष्ट्रीय बाघ संरक्षण अधिकरण बनाया गया जो टाइगर प्रोजेक्ट को क़ानूनी पृष्टभूमि देता हैं.

अथोरिटी द्वारा बाघ बचाने व बाघ प्रोजेक्ट के आस पास बसनें वाले स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा तथा बाघ संरक्षण के लिए केंद्र व राज्यों के मध्य समन्वय के  कार्य किये जा रहे हैं.

भारतीय वन्य जीव संस्थान भारत में प्रति चार वर्ष बाद बाघों की संख्या की गणना कर उनके आंकड़े जारी करता हैं. हाल ही में वन्य जीव संस्थान की ओर से जारी प्रेस में कुल 47 टाइगर रिजर्व एरिया में 68,676,47 वर्ग किमी भूमि में इनका संरक्षण किया जा रहा हैं. वर्ष 2005 में वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा टाइगर टास्क फ़ोर्स का गठन भी किया गया.

WWF के शोध के मुताबिक़ भारत में विगत 100 वर्षों के अंतराल में बाघों की कुल संख्या का 97 फीसदी की कमी हुई हैं. भारत के बंगाल टाइगर को विलुप्त प्राणियों की सूची में रखा गया हैं.

विश्व के दो तिहाई बाघ भारत में हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में बाघों की कुल संख्या 3200 ही हैं जिनमें से 2300 बाघ भारत में हैं. विगत चार वर्षों की तुलना में भारत में बाघों की संख्या में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई, बाघ बचाने के अभियान में यह एक शुभ संकेत कहा जा सकता हैं.

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